Tuesday, March 17, 2020

दुर्घटनाओं के दौरान तेजी से बहते खून को रोकने के लिए स्टार्च-आधारित सामग्री विकसित की गई

गंभीर चोट लगने के बाद रक्‍तस्राव जीवन के लिए घातक हो सकता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत स्‍वायत्त संस्‍था नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्‍थान (आईएनएसटी) के वैज्ञानिकों ने स्‍टार्च आधारित ‘हेमोस्‍टैट’ सामग्री तैयार की है जो अतिरिक्‍त द्रव्‍य को अवशोषित करते हुए खून में थक्‍के बनाने वाले प्राकृतिक कारकों को गाढ़ा बनाता है।


घावों पर एक साथ मिलकर जेल बनाने वाले प्राकृतिक रूप से सड़नशील ये सूक्ष्‍म सामग्री मौजूदा विकल्‍पों से अधिक बेहतर काम कर सकता है।


इस सामग्री के प्रारंभिक चरण के विकास को ‘मटेरियालिया’ नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इस पर काम करने वाली डॉ. दीपा घोष और उनके सहकर्मियों ने उम्‍मीद जताई कि वे एक बहुमुखी, संभवत: जीवन-रक्षक और सस्‍ता उत्‍पाद विकसित कर सकेंगे जो दुनिया भर के कम आय वाली अर्थव्‍यवस्‍थाओं के लिए एक अधिक यथार्थवादी समाधान होगा।


इस उत्‍पाद ने अवशोषण क्षमता बढ़ाई है और यह प्राकृतिक रूप से सड़नशील होने के साथ-साथ जैविक रूप से अनुकूल भी है।


हेमोस्‍टैट सामग्री खून में थक्‍के बनाने वाले प्राकृतिक कारणों को गाढ़ा करते हुए अतिरिक्‍त द्रव्‍य को अवशोषित करता है जो रक्‍तस्राव को रोकने के लिए जरूरी है। हालांकि,  प्राकृतिक रूप से नहीं सड़ने वाले पदार्थों को हटाने के बाद रक्‍तस्राव फिर शुरू हो सकता है।


डॉ. घोष की टीम ने सूक्ष्‍म सामग्री (माइक्रोपार्टिकल) बनाने के लिए रासायनिक रूप से प्राकृतिक स्‍टार्च को संशोधित करते हुए द्रव्‍य अवशोषण की क्षमता को पांच से दस गुना बढ़ाने और बेहतर चिपकाव के लिए जैविक रूप से अनुकूलता और जैव रूप से सड़नशीलता के गुणों का फायदा उठाया। जब सूक्ष्‍म सामग्री आपस में मिलते हैं तो वे एक जेल बनाते हैं जो घाव पर उसके ठीक होने तक बना रह सकता है।


इस सूक्ष्‍म सामग्री के निर्माण में स्‍टार्च पर कुछ रासायनिक हाइड्रॉक्सिल समूहों को संशोधित कर कार्बोक्सिमिथाइल समूह बनाया जाता है और फिर इसमें कैल्शियम आयन मिलाये जाते हैं जिससे लाल रक्‍त कणिकाएं और प्‍लेटलेट्स एक जगह जमा होते हैं और इनकी सक्रियता से फाइब्रिन प्रोटीन नेटवर्क बनता है जो खून का एक स्‍थायी थक्‍का बना देता है। इस संशोधन से पानी के साथ अणुओं के मेल-जोल की क्षमता बढ़ती है। यह रक्त से तरल पदार्थ को अवशोषित करने की इसकी प्रभावशाली क्षमता का आधार है और इस तरह थक्का बनाने के कारकों पर केन्द्रित करता है।


प्रयोगशाला परीक्षणों में खून के संपर्क में आने के 30 सेकंड के बाद इस उत्‍पाद की सूक्ष्‍म सामग्री में सूजन आ जाती है जिससे जोड़ने वाला चिपकाऊ जैल बनता है। इसे 'कैल्शियम युक्‍त कार्बोक्सिमिथाइल-स्टार्च' के रूप में भी जाना जाता है।


डॉ. घोष ने बताया कि अभी उपलब्‍ध स्‍टार्च आधारित प्राकृतिक रूप से सड़नशील विकल्‍प अपेक्षाकृत धीमी गति से द्रव अवशोषण एवं घायल ऊतकों के साथ कम चिपकाऊ होने के कारण सीमित उपयोगिता वाले हैं। इसके अलावा, मौजूदा उपलब्‍ध विकल्‍पों के साथ जैविक रूप से कम अनुकूलता बड़ी समस्‍या है। डॉ. घोष ने कहा कि वर्तमान में ऐसा कोई हेमोस्‍टैटिक एजेंट मौजूद नहीं है जो सभी स्थितियों में काम कर सकें। उन्‍होंने कहा कि वर्तमान में हेमोस्‍टैटिक सामग्री महंगी है और ज्‍यादातर विकसित देशों में उपलब्‍ध है।  


वास्‍तविक घावों वाले जानवरों पर एक अध्‍ययन में यह पाया गया कि मध्‍यम से तेज रक्‍तस्राव एक मिनट से कम समय में रूक गया। जानवरों पर अध्‍ययन में इस बात का पता लगा कि यह सामग्री विषैली नहीं है और इसके प्राकृतिक रूप से सड़नशील होने की भी पुष्टि हुई है।


डॉ. घोष ने कहा कि ये उत्‍साहजनक परिणाम बताते हैं कि हमारे संशोधित स्‍टार्च सूक्ष्‍म सामग्री (माइक्रोपार्टिकल) नैदानिक अनुप्रयोगों में नई खोजों को बढ़ावा देगी।



केन्‍द्रीय गृह सचिव ने सीमा से सटे देशों नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार के साथ कोरोना वायरस के प्रकोप पर अंकुश लगाने के लिए तैयारियों की समीक्षा की

केन्‍द्रीय गृह सचिव श्री अजय भल्ला ने सीमा से सटे देशों नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार के साथ कोरोना वायरस के खतरे पर अंकुश लगाने के लिए तैयारियों की समीक्षा की।


गृह सचिव ने सचिव सीमा प्रबंधन और बीएसएफ, एसएसबी और असम राइफल्‍स के महानिदेशकों के अलावा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय के मुख्‍य सचिवों/ अपर मुख्‍य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों/अपर पुलिस महानिदेशकों के साथ वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के जरिए बैठक की।


राज्यों ने बताया कि विभिन्‍न मार्गों पर डॉक्टरों द्वारा नियमित जांच की जा रही है और सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों को ग्राम सभाओं के माध्यम से वायरस से संक्रमित होने से बचने के लिए बरती जाने वाली सावधानियों के संबंध में जागरूक किया गया है।


गृह सचिव ने सभी अधिकारियों से डॉक्‍टरों की चौबीस घंटे तैनाती और आवश्‍यक परीक्षण किट एवं अन्‍य चिकित्‍सा सामग्रियों की आपूर्ति सुनिश्चित करने का आग्रह किया ताकि बिना किसी चूक के सौ फीसदी परीक्षण किया जा सके।



प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने ‘जतिर पिता’ बंगबंधु, शेख मुजीबुर रहमान के जन्म शताब्दी समारोह में भाग लिया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज एक वीडियो संदेश के जरिये ‘जतिर पिता’ बंगबंधु, शेख मुजीबुर रहमान के जन्म शताब्दी समारोह में भाग लिया।


श्री मोदी ने शेख मुजीबुर रहमान को पिछली सदी की महानतम हस्तियों में से एक बताया, और कहा कि, ‘उनका पूरा जीवन हम सभी के लिए एक अद्भुत प्रेरणा है।’ 


प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बंगबंधु को शौर्य, विश्वास और शांति का अनुपम प्रतीक बताते हुए कहा कि बांग्लादेश के ‘जतिर पिता’ ने उस समय के युवाओं को देश को आजाद कराने की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित किया था।


प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस बात का उल्लेख किया कि किस तरह से एक दमनकारी और क्रूर शासन-व्‍यवस्‍था ने सभी लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना करते हुए ‘बांग्ला भूमि’ पर अन्याय का राज फैलाया था और इसके निवासियों की जिंदगी को तबाह कर दिया था। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने स्‍मरण करते हुए कहा कि बंगबंधु ने बांग्लादेश को तबाही एवं नरसंहार के अत्‍यंत कष्‍टदायक दौर से बाहर निकालने और इसे एक सकारात्मक एवं प्रगतिशील समाज बनाने के लिए अपने जीवन के हर पल को समर्पित कर दिया था।


प्रधानमंत्री ने कहा कि बंगबंधु इस बात को लेकर स्‍पष्‍ट थे कि घृणा और नकारात्‍मक सोच कभी भी किसी देश के विकास की नींव नहीं हो सकती। लेकिन, बंगबंधु को हमसे छीनने वालों में से कुछ को उनके विचार और कोशिशें पसंद नहीं आईं।


श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि हम देख रहे है कि राजनीति और कूटनीति के हिंसक हथियार और आतंकवाद कैसे किसी समाज और राष्‍ट्र को नष्‍ट करता है। दुनिया भी यह देख रही है कि आतंकवाद और हिंसा के समर्थक अभी कहां हैं और किस स्थिति में हैं जबकि बांग्‍लादेश लगातार नई ऊंचाइयां छू रहा है।


प्रधानमंत्री ने इस बात पर खुशी जताई कि बांग्‍लादेश के लोग बड़ी प्रतिबद्धता के साथ अपने देश को सोनार बांग्‍ला बनाने के लिए रात-दिन मेहनत कर रहे हैं जैसा कि शेख मुजीबुर रहमान ने सपना देखा था।


प्रधानमंत्री ने बंगबंधु से प्रेरित सुश्री शेख हसीना के नेतृत्‍व में समेकित एवं विकासोन्‍मुख नीतियों के साथ बांग्‍लादेश की प्रगति की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि बांग्‍लादेश अर्थव्‍यवस्‍था या अन्‍य सामाजिक सूचियों या खेल के क्षेत्र में नए कीर्तिमान गढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने दक्षता, शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, महिला सशक्तिकरण और लघु ऋण जैसे क्षेत्रों में बांग्‍लादेश की अभूतपूर्व प्रगति की प्रशंसा की।


प्रधानमंत्री ने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में भारत और बांग्‍लादेश ने द्विपक्षीय संबंधों के स्‍वर्णिम अध्‍याय लिखे हैं और हमारी साझेदारी को एक नया आयाम और एक नई दिशा दी है। दोनों देशों के बीच बढ़ते हुए विश्‍वास के कारण सीमा क्षेत्र से संबंधित कठिन मामलों को भी आपसी मित्रता के आधार पर सुलझाया गया है।’     


उन्‍होंने कहा कि बांग्‍लादेश दक्षिण एशिया में भारत का न केवल सबसे बड़ा व्‍यापारिक साझीदार है बल्कि यह विकास का भी सहयोगी है। उन्‍होंने दोनों देशों के बीच बिजली वितरण, फ्रैंडशिप पाइपलाइन, सड़क, रेल, इंटरनेट, हवाई मार्ग तथा वायुमार्ग जैसे सहयोग के क्षेत्रों को रेखांकित करते हुए कहा कि ये क्षेत्र कनेक्टि‍विटी बढ़ाते हैं और दोनों देश के और ज्‍यादा लोग आपस में जुड़ते हैं।


प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि टैगोर, काजी नज़रूल इस्‍लाम, उस्‍ताद अलाउद्दीन खान, ललोन सिंह, जीवानंद दास और ईश्‍वरचंद्र विद्यासागर जैसे बुद्धिजीवियों से दोनों देशों की विरासत बनती हैं।


उन्‍होंने कहा कि बंगबंधु की विरासत और प्रेरणा ने दोनों देशों की विरासत को अधिक विस्‍तृत और सुदृढ़ बनाया है। बंगबंधु द्वारा दिखाए गए मार्ग से पिछले दशक में दोनों देशों के बीच भागीदारी प्रगति और समृद्धि की मजबूत नींव रखी गई है।


प्रधानमंत्री श्री मोदी ने दोनों देशों के आने वाले ऐतिहासिक समय का उल्‍लेख किया। उन्‍होंने कहा कि अगले वर्ष बांग्‍लादेश अपनी मुक्ति की 50वीं वर्षगांठ मनाएगा जबकि 2022 में भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्‍हें विश्‍वास है कि ये दोनों ऐतिहासिक कार्यक्रम भारत और बांग्‍लादेश के विकास को नई ऊंचाईयों पर ले जाएंगे तथा दोनों देशों के बीच मित्रता और प्रगाढ़ होगी।    


प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के अलावा नेपाल की राष्‍ट्रपति सुश्री विद्या देवी भंडारी, भूटान के प्रधानमंत्री डॉ. लोटे शेरिंग, संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और इस्‍लामी सहयोग संगठन के महासचिव श्री यु‍सूफ बिन अहमद अल ओथाईमीन ने भी इस अवसर पर संदेश दिए। 



इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मैटलर्जी एंड न्‍यू मैटीरियल्‍स (एआरसीआई) के वैज्ञानिकों ने उपकरण का जीवन काल बढ़ाने के लिए घर्षण कम करने वाली नैनोकम्पोजिट कोटिंग्स का विकास किया

अनेक एयरोस्पेस, रक्षा, ऑटोमोबाइल, अंतरिक्ष उपकरणों के घटकों का जीवन काल बढ़ाने के लिए घर्षण और घिसाई कम करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए सामान्य रूप से इन गतिशील प्रणालियों को लुब्रिकेट करने की जरूरत पड़ती है, जिससे इन प्रणालियों की लागत, जटिलता और वजन बढ़ जाता है।


     इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मैटलर्जी एंड न्यू् मैटीरियल्स (एआरसीआई) के वैज्ञानिकों के एक समूह ने नैनोकम्पोजिट कोटिंग्स के आकार-चयनित निक्षेपण (‍डिपोजिशन) के लिए एक प्रक्रिया विकसित की है। जो इन गतिशील प्रणालियों के घर्षण को कम कर सकती है। एआरसीआई विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) का एक स्‍वायत्‍त अनुसंधान एवं विकास केन्‍द्र है।


वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि एक आर्थिक रूप से सस्‍ती और और सरल स्पंदित इलेक्ट्रोप्लेटिंग या इलेक्ट्रोडिपोजिशन प्रक्रिया का उपयोग करते हुए विशेष आकार के सिलिकॉन कार्बाइड (एसआईसी) के सबमाइक्रोन कणों के संसेचन (इम्प्रेग्नेशन) के साथ निकिल टंगस्टन-आधारित कोटिंग्स कम घर्षण गुणांक और अच्छी तेल धारण क्षमता के साथ घिसाई और संक्षारण (करोशन) प्रतिरोध का उत्कृष्ट संयोजन प्रदान कर सकती हैं।


एआरसीआई समूह द्वारा विकसित कोटिंग्स घर्षण को कम करती है और बाजार में उपलब्ध इसी प्रकार की अनेक घिसाई रोधी कोटिंग्स की तुलना में नमक-स्प्रे के कारण संक्षारण को ज्‍यादा रोक सकती हैं।


ये कोटिंग्‍स कम घर्षण और घिसाई वाली कोटिंग्स की बढ़ती हुई मांग का समाधान कर सकती हैं। ये एक कठिन मैट्रिक्स के अंदर कठोर कणों के साथ नैनोकोम्पोसिट कोटिंग्स घिसाईरोधी और कम घर्षण के संयोजन में अच्‍छा परिणाम देती हैं। हालांकि, घर्षण की विशेषताओं का निर्धारण करने में प्रबलन (रीइंस्‍फोर्मेंट) कणों का आकार एक महत्वपूर्ण कारक है। कम्‍पोजिट कोटिंग में प्रबलन कणों के आकार की बहुत अधिक विभिन्नता के कारण स्‍ट्रैस सांद्रण से कोटिंग्‍स समय से पहले ही विफल हो जाती हैं।


इलेक्ट्रोडिपोजिशन को इलेक्ट्रोप्लेटिंग भी कहा जाता है, इसमें धातु के हिस्सों को इलेक्ट्रोलाइट बाथ घोल में डुबोया जाता है, इसे आमतौर पर आसुत जल और अन्य योजकों के मिश्रण में निकिल और टंगस्टन के कणों को घोलकर तैयार किया जाता है। इस घोल में डायरेक्‍ट करंट (डीसी) प्रभावित किया जाता है और मुलम्‍मा चढ़ाने वाले टुकड़े पर निकिल और मिश्र धातु का जमाव हो जाता है। इलेक्ट्रोडिपोजिशन के दौरान इस घोल में धात्विक आयनों की गति और जमाव के कारण कैथोड़ सतह पर डिफ्यूज़न की परत का निर्माण हो जाता है।


आकार-चयनित इलेक्ट्रोडिपोजिशन के लिए, पारंपरिक डायरेक्‍ट करंट (डीसी) जमाव के स्‍थान पर पल्स करंट (पीसी) इलेक्ट्रोडिपोजिशन का उपयोग किया गया था। यह करंट का रूक-रूक कर होने वाला अनुप्रयोग है। कुछ आयामों और अवधि की स्पंदित धाराओं ने वांछित गुणों की कोटिंग्स के जमाव में मदद की, जो पारंपरिक डीसी प्‍लेटिंग के लिए संभव नहीं होगा।


एआरसीआई के कोटिंग्स समूह के अभी हाल के निष्‍कर्षों से पता चला है कि किसी धात्विक मैट्रिक्‍स में पल्‍स मापदंडों के सावधानीपूर्वक चयन से किसी दिए गए आकार के कणों को मजबूत करके समान रूप से जमा किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में, इलेक्ट्रोडिपोजिशन के दौरान, समान आकार के या प्रसार परत की मोटाई से कम आकार के कणों को नैनोक्रिस्टलाइन कोटिंग में शामिल किया जा सकता है। स्पंदित परत मोटाई पर स्पंदित इलेक्ट्रोडिपोजिशन के दौरान विद्युत प्रवाह पल्स की अवधि को बदलकर नियंत्रित किया जाता है। यह ईंधन सेल, बैटरियों, कटैलिसिस और इस प्रकार के विभिन्न अनुप्रयोगों के प्रबलन के लिए आवश्यक अनेक कंपोजिट कोटिंग्‍स के लिए भी उपयुक्‍त है।


एसआईसी कणों के एक समान वितरण के साथ इलैक्‍ट्रोडिपोजिशन और निकिल टंगस्‍टन/एसआईसी नैनोकंपोजिट कोटिंग के दौरान निकिल टंगस्‍टन मैट्रिक्‍स के अंदर सिलिकोन कणों के निगमन का आरेखीय प्रदर्शन।


नैनोकोम्पोजिट ने अन्य घिसाव प्रतिरोधी कोटिंग्स जैसे निकासिल (ट्रेडमार्क युक्‍त इलेक्ट्रोडिपोजिट वाले निकिल मैट्रिक्स सिलिकॉन कार्बाइड) और हार्ड क्रोम की तुलना में घर्षण के सिद्धांतों सहित गति के संबंध में उत्कृष्ट ट्राइबोलॉजिकल व्यवहार (घर्षण, लुब्रिकेशन, और घिसाव के सिद्धांत सहित आपेक्षित गति में बातचीत करने वाली सतहों का विज्ञान और इंजीनियरिंग) का उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन किया है। ऑटोमोबाइल उद्योग में उपयोग किए जाने वाली हार्ड क्रोम घिसाव प्रतिरोधी जैसी पारम्‍परिक कोटिंग्स की तुलना में बिना गिरावट के ये नई कोटिंग्‍स साल्‍ट-स्प्रे होने के 1000 घंटों तक खरी उतरती हैं। इस प्रकार नई कोटिंग्स का कार्य प्रदर्शन बेहतर है। कंपोजिट कोटिंग्‍स का पोस्ट हीट ट्रीटमेंट करने पर इनके घिसाव प्रदर्शन में दोगुना सुधार किया जा सकता है। एयरोस्पेस, मोटर वाहन और अंतरिक्ष क्षेत्रों सहित ऐसी नैनोकंपोजिट कोटिंग्स के लिए बहुत अवसर और अनुप्रयोग के मार्ग उपलब्ध हैं, जहां घिसाव और संक्षारण मुख्य समस्याएं हैं। यह प्रक्रिया बहुत किफायती है और इससे पर्यावरण पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस प्रक्रिया का पेटेंट कराया गया है और उद्योग के माध्यम से यह व्यावसायीकरण के लिए तैयार है।