Monday, March 16, 2020

केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने जम्मू एवं कश्मीर की अपनी पार्टी के 24 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में श्री अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व में जम्मू एवं कश्मीर की अपनी पार्टी के 24 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार जम्मू एवं कश्मीर के सर्वांगीण विकास के लिए सभी कदम उठाएगी। उन्होंने विश्वास जताया कि अगले कुछ महीनों में जमीनी स्तर पर सुस्पष्ट बदलाव दृष्टिगोचर होने लगेगा।


श्री शाह ने प्रतिनिधिमंडल द्वारा लगभग 40 मुद्दे उठाए जाने के बाद उनसे बातचीत करते हुए जोर देकर कहा कि सरकार का क्षेत्र में जनसांख्यिकीय परिवर्तन लाने का कोई इरादा नहीं है और ऐसी किसी भी बातचीत का बिल्कुल कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार जम्मू एवं कश्मीर के राज्य बनने की उम्मीदों को पूरी करने के लिए जल्द से जल्द समाज के सभी वर्गों के साथ कार्य करेगी। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने धारा 370 निरस्त किए जाने के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए यह बात कही थी और यहां तक कि उन्होंने भी 6 अगस्त, 2019 को लोकसभा के अपने भाषण में यही बात कही। गृह मंत्री ने कहा कि यह भारत के हितों के लिए भी अच्छा है, क्योंकि यह क्षेत्र एक सीमावर्ती क्षेत्र है।


प्रतिबंधों को लेकर प्रतिनिधिमंडल की आशंकाओं को दूर करते हुए श्री शाह ने कहा कि रियायतों पर सभी निर्णय जमीनी वास्तविकताओं पर आधारित हैं और किसी दबाव के कारण नहीं है। उन्होंने निवारक नजरबंदी से लोगों को रिहा किए जाने, इंटरनेट की बहाली करने, कर्फ्यू में ढील देने जैसे कदमों का उल्लेख किया और कहा कि यहां तक कि राजनीतिक कैदी भी आने वाले समय में रिहा कर दिए जाएंगे, क्योंकि सरकार का मुख्य उद्देश्य यह है कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं होनी चाहिए, चाहे वह आम कश्मीरी हो या सुरक्षा कर्मचारी। गृह मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में जम्मू एवं कश्मीर की एक बेहतर अधिवास नीति होगी और कहा कि व्यापक सलाह-मशविरों के बाद शीघ्र ही एक विवेकसम्मत आर्थिक विकास नीति का प्रारुप तैयार किया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में केन्द्रीय कानूनों के क्रियान्वयन में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा और सभी वर्गों के हितों पर ध्यान दिया जाएगा।


गृह मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को कहा कि शीघ्र ही त्वरित आर्थिक विकास के लिए एक औद्योगिक नीति घोषित की जाएगी और पहले ही एक लैंड बैंक का सृजन कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों में जम्मू एवं कश्मीर ने 13,000 करोड़ रुपये आकर्षित किए और उम्मीद जताई कि 2024 तक क्षेत्र में तीन गुना और अधिक निवेश आएगा, क्योंकि इसके लिए प्रचुर संभावना है और निवेशक भी आगे आने के इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि यह राज्य में बेरोजगारी की समस्या का भी समाधान कर देगी।


गृह मंत्री ने कहा कि आरक्षण मुद्दों पर एक आयोग का शीघ्र गठन किया जाएगा और दोहराया कि गुज्जरों, खानाबदोशों और अन्य समुदायों के साथ कोई अन्याय नहीं किया जाएगा। जम्मू एवं कश्मीर बैंक से संबंधित मुद्दों पर उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वह व्यक्तिगत रूप से इन मुददों पर गौर करेंगे। उन्होंने कहा कि सामान्य प्रशासन में त्रुटियों के मुद्दे का समाधान फास्ट ट्रैक आधार पर किया जाएगा। श्री शाह ने कहा कि वह लेफ्टिनेंट गवर्नर को भी एक वरिष्ठ नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने को कहेंगे, जो सप्ताह में दो बार पीड़ित व्यक्तियों से मिलेगा। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को निचले स्तर पर भी फीडबैक गृह मंत्रालय को उपलब्ध कराने को कहा।


श्री शाह ने कहा कि उनकी सरकार जम्मू एवं कश्मीर के सर्वांगीण विकास के लिए सभी पार्टियों और व्यक्ति विशेषों से सुझावों और फीडबैक पाने की इच्छुक है।



Sunday, March 15, 2020

जीएसटी परिषद की सूचना प्रौद्योगिकी प्रारूप से संबंधित सिफारिशें

केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामले मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आज 39वीं जीएसटी परिषद की बैठक हुई। इस बैठक में केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामले राज्य मंत्री श्री अनुराग ठाकुर के अलावा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।


जीएसटी परिषद की बैठक में, इंफोसिस की ओर से, श्री नंदन नीलेकणि ने जीएसटी प्रणाली में करदाताओं के समक्ष आने वाले सिस्टम से संबंधित मुद्दों के समाधान पर एक प्रस्तुति दी। उन्होंने सर्वप्रथम हाल ही में सामने आये आईटी मुद्दों की संक्षेप में चर्चा करते हुए उनके समाधान की दिशा में भी महत्वपूर्ण जानकारी दी।


उन्होंने नवीन रिटर्न सिस्टम के कार्यान्वयन को सुचारू बनाने और न्यू रिटर्न की बेहतर समझ को सुनिश्चित करने के लिए सुझाव दिया ताकि नए रिटर्न सिस्टम में परिवर्तन को वृद्धिशील रूप से किया जा सकें। उन्होंने सुझाव दिया कि अनुपालन संबंधी मुद्दों के समाधान की प्रक्रिया पहले प्रारंभ की जा सकती है ताकि फार्म जीएसटीआर-1 और फार्म जीएसटीआर-3बी को लिंक न करने के कारण सिस्टम के साथ हेरा-फेरी और कर चोरी की समस्या का शीघ्र समाधान हो सकें। इस प्रक्रिया को फार्म जीएसटीआर-1 में जावक आपूर्ति के विवरण को जोड़ते हुए फार्म जीएसटीआर-3बी में देयता से प्रारंभ किया जा सकता है। इसके पश्चात फार्म जीएसटीआर-3बी में इनपुट टैक्स क्रेडिट को लिंक करते हुए आपूर्ति के विवरण को फार्म जीएसटीआर-2ए में प्रदर्शित किया जाएगा। सिस्टम के साथ हेरा-फेरी और कर चोरी रोकने के लिए, आधार प्रमाणीकरण और कड़े नियमों को भी लागू करने की पहल की जाएगी।


उन्होंने परिषद को सूचित किया कि 1.5 लाख करदाताओं के वर्तमान स्तर से समवर्ती 3 लाख करदाताओं के लिए आईटी सिस्टम की क्षमता बढ़ाने हेतु, हार्डवेयर खरीद की प्रक्रिया शुरू की गई है हालांकि यह कोविड-19 महामारी के कारण थोड़ा प्रभावित हुई है।


जीएसटी परिषद ने यथोचित विचार-विमर्श के बाद निम्नलिखित सुझाव दिए-





    • श्री नंदन नीलेकणि जीएसटी परिषद की अगली 3 बैठकों में हिस्सा लेंगे और परिषद द्वारा लिए गए निर्णयों के कार्यान्वयन की स्थिति को अद्यतन करेंगे और प्रौद्योगिकी से संबंधित मुद्दों पर उचित निर्णय लेने में परिषद की सहायता करेंगे।

    • विभिन्न पहलों का समय से क्रियान्वयन किये जाने में सहयोग करने के लिए, परिषद ने टी एंड एम आधार पर अतिरिक्त श्रमबल (60) की तैनाती का आश्वासन दिया कि अतिरिक्त हार्डवेयर की खरीद और जनशक्ति को कार्य पर रखने संबंधी दोनों सिफारिशों को शीघ्र मंजूरी दी जाएगी। करदाताओं के रिटर्न फाइलिंग अनुभव को दर्ज करने और तकनीकी गड़बड़ियों को दूर करने की तत्काल आवश्यकता है।




श्री नंदन नीलेकणि ने आश्वासन दिया कि वह व्यक्तिगत रूप से जीएसटीएन परियोजना की प्रगति की निगरानी करेंगे। उन्होंने अगले 6 महीनों तक अथवा इस तरह की पहल के लागू होने तक आईटी-जीओएम में भाग लेने पर भी अपनी सहमति जताई। जीएसटी परिषद को उम्मीद है कि ये पहलें 31 जुलाई, 2020 तक लागू हो जाएगी।



प्रधानमंत्री का समापन वक्तव्य

महानुभावों,


आप सभी के समय और विचारों के लिए एक बार फिर से धन्यवाद। हमने आज एक बहुत ही उत्पादक और रचनात्मक चर्चा की है।
हम सभी सहमत हैं कि इस तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए एक साझा रणनीति तैयार करनी बहुत ज़रूरी है।
और हम सब सहकारी उपायों को खोजने को लेकर सहमत हुए। हम ज्ञान, सर्वोत्तम प्रथाओं, क्षमताओं और जहां तक संभव हो अपने संसाधनों को भी साझा करेंगे।
कुछ साझेदारों ने खास अनुरोध किए हैं, जिनमें दवा और उपकरण भी शामिल हैं। मेरी टीम ने सावधानी से इस पर गौर किया है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हम अपने पड़ोसियों के लिए पूरी कोशिश करेंगे।
आइए, हम अपने अधिकारियों से कहें कि वे भागीदारी और एक साथ काम करने की भावना के अंतर्गत एक दूसरे से घनिष्ठ संपर्क बनाए रखें और एक आम रणनीति विकसित करें।
आइए हम अपने हरेक देश से नोडल विशेषज्ञों की पहचान करें और वे आज से एक सप्ताह बाद इसी तरह की वीडियो-कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं, ताकि हमारी आज की चर्चाओं पर अमल कर सकें।
महानुभावों,
हमें यह लड़ाई एक साथ लड़नी है और हमें इसे एक साथ जीतना है।
हमारा पड़ोसी सहयोग दुनिया के लिए एक आदर्श होना चाहिए।
अंत में मैं हमारे सभी नागरिकों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं और इस क्षेत्र में इस महामारी से निपटने के हमारे संयुक्त प्रयासों की सफलता की कामना करता हूं।
धन्यवाद।
आपका सबका बहुत बहुत धन्यवाद।



कोविड-19 का मुकाबला करने पर सार्क नेताओं की वीडियो कॉन्फ्रेंस

महामहिम,


मैं इतने अल्प समय के नोटिस पर इस विशेष बातचीत में शामिल होने के लिए आप सभी को धन्यवाद देता हूं।


मैं विशेष रूप से हमारे मित्र प्रधानमंत्री ओली को धन्यवाद देता हूं, जो अपनी हाल की सर्जरी के तुरंत बाद हमारे साथ शामिल हुए हैं। मैं उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। मैं राष्ट्रपति अशरफ गनी को उनके हाल के उप-चुनाव के लिए भी बधाई देना चाहूंगा।


मैं सार्क के नए महासचिव का भी स्वागत करता हूं, जो आज हमारे साथ हैं। मैं गांधीनगर से सार्क आपदा प्रबंधन केंद्र के निदेशक की उपस्थिति का भी सम्मान करता हूं।


महामहिम,


जैसा कि हम सभी जानते हैं, कोविड-19 को हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एक महामारी के रूप में वर्गीकृत किया गया है।


अब तक, हमारे क्षेत्र में 150 से भी कम मामले दर्ज किए गए हैं।


लेकिन हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है।


हमारा क्षेत्र विश्व की पूरी जनसंख्या का लगभग पांचवां हिस्सा है। यह घनी आबादी वाला क्षेत्र है।


विकासशील देशों के रूप में हम सभी के पास स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच के मामले में महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं।


हमारे सभी देशों के नागरिकों के बीच आपसी संबंध प्राचीन समय से हैं और हमारे समाज गहराईपूर्वक एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।


इसलिए, हम सभी को साथ मिलकर तैयारी करनी चाहिए, सभी को एक साथ काम करना चाहिए और हम सभी को एक साथ सफल होना चाहिए।


महामहिम,


जैसा कि हम इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं, मुझे संक्षेप में अभी तक इस वायरस के विस्तार का मुकाबला करने के भारत के अनुभव को साझा करने दें।


“तैयारी करें, लेकिन दहशत में न आएं” यही हमारा मार्गदर्शी मंत्र रहा है।


हम सावधान थे कि इस समस्या को कम न आंका जाए, लेकिन बिना सोचे समझे कदम उठाने से भी बचा जाए। 


हमने एक श्रेणीबद्ध प्रतिक्रिया तंत्र सहित सक्रिय कदम उठाने की कोशिश की है।


महामहिम,


हमने जनवरी के मध्य से ही भारत में प्रवेश के समय स्‍क्रीनिंग शुरू कर दी थी, साथ ही पर धीरे-धीरे प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए थे।


धीरे-धीरे इस तरह का दृष्टिकोण अपनाकर हमें दहशत से बचने में मदद मिली।


हमने टीवी, प्रिंट और सोशल मीडिया पर अपने जन जागरूकता अभियान को भी बढ़ा दिया।


हमने अति संवेदनशील समूहों तक पहुंचने के लिए विशेष प्रयास किए हैं।


हमने देश भर में अपने चिकित्‍सा कर्मियों को प्रशिक्षित करने सहित अपने तंत्र में क्षमता को तेजी से बढ़ाने का काम किया है।


हमने नैदानिक क्षमताओं में भी वृद्धि की है। दो महीनों के भीतर, हमने देश भर में 60 से अधिक प्रयोगशालाओं में परीक्षण की व्‍यवस्‍था कर ली।


और हमने इस महामारी के प्रबंधन के प्रत्येक चरण के लिए प्रोटोकॉल विकसित किए हैं, जैसे : प्रवेश बिंदुओं पर जांच करना, संदिग्ध मामलों के संपर्क का पता लगाना, क्वॉरंटीन और अलगाव सुविधाओं का प्रबंधन करना और साफ हो चुके मामलों में डिस्चार्ज करना। 
हमने विदेशों में अपने लोगों की कॉल का भी जवाब दिया। हमने विभिन्न देशों से लगभग 1400 भारतीयों को निकाला। हमने अपनी 'पड़ोस पहले नीति’ के अनुसार आपके कुछ नागरिकों की मदद की।


हमने अब इस तरह की निकासी के लिए एक प्रोटोकॉल बनाया है जिसमें विदेशों में तैनात हमारी मोबाइल टीमों के द्वारा जांच करना शामिल है।


हमने ये भी स्वीकार किया कि अन्य देश भी भारत में अपने नागरिकों के बारे में चिंतित होंगे। इसलिए हमने विदेशी राजदूतों को हमारे द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानकारी दी।


महामहिम,


हम इस बात को पूरी तरह से पहचानते हैं कि हम अभी भी एक अज्ञात स्थिति में हैं। 
हम निश्चितता के साथ यह अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि हमारी सर्वोत्तम कोशिशों के बावजूद स्थिति आगे कैसी होगी।


आपको भी इसी तरह की चिंताओं का सामना करना पड़ रहा होगा। 
यही कारण है कि हम सभी के लिए सबसे अधिक मूल्यवान ये होगा कि हम सब अपने अपने दृष्टिकोण साझा करें।


मैं आप सभी के विचारों को सुनने के लिए उत्सुक हूं। 
धन्यवाद।


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