गंगा किनारे रेत पर युवा कर रहे अभ्यास, युवाओं में तेजी से इस कला की ओर बढ रहा लगाव
कानपुर-उन्नाव, पारकोर शायद ही यह लोगों के लिए अजीब शब्द हो लेकिन यह एक कला है जो फ्रांस की है और इसे वहां सैन्य कला भी कहा जाता है। पारकोर एक उछल-कूद, लंबी छलांग लगाने की कला है। वर्तमान में जहां पूरे विश्व में इस कला के चाहने वाले बढ रहे है तो वहीं इस कला को खेल, डांस या शौक के रूप में युवा पीढी काफी अपना नही है। यूबट्यूब चैनलो में देखा जा सकता है कि पारकोर का प्रचलन भारत में भी तेजी से बढता जा रहा है और युवा पीढी इस कला की ओर आकर्षित हो रही है। कानपुर और शुक्लागंज में भी काफी युवा इस कला का अपना रहे है और इसका निरन्तर अभ्यास कर रहे है। इतना नही छोटे बच्चे भी इस कला को सीख रहे है।
शाम होते ही शुक्लागंज बालू घाट पर युवाओं और बच्चों का समूह पहुंच जाता है। यहां सभी मिलकर पारकोर कला को करने का अभ्यास करते है तो वहीं टीम के सीनियर अन्य बच्चों को यह कला सिखाते है। टीम के एक युवक अर्जुन ने बताया कि उनका डांस ग्रुप है और वह अभी तक कई डांस काम्पटीशन में हिस्सा ले चुके है। अर्जुन ने बताया कि यह कला स्टंट की कला है, इसमें कलाबाजी, कूद व लंबी जंप लेकर एक से दूसरी जगह जाना आदि कलायें है जिन्हे सीखना आसान नही है और वह लगभग दो वर्ष से इसका लगतार अभ्यास कर रहें है साथ ही अन्य बच्चों को भी सिखा रहे है। अर्जुन का कहना है कि यह कला आज के दौर में खेल तथा डांस में कैरियर बनाने वालो के लिए बडी जरूरी है। बताया अभी तक किसी डांस कम्पटीशन में उन्हे सफलता तो नही मिली लेकिन इस कला को पूरी तरह सीखने के बाद डांस के दौरान किये जाने वाले स्टंट में काफी सहायता मिलेगी वहीं इस कला से शरीर हमेशा फिट रहता है। बताया कि उन्हे इस कला को करता देख अन्य युवा तथा बच्चे भी इसकी ओर आकर्षित हो रहे है और इस कला को सीखने के लिए उनके पास आ रहें है।
Monday, March 16, 2020
कानपुर-शुक्लागंज के युवा लगातार इस कला की कर रहे प्रैक्टिस, छोटे बच्चों को भी दे रहें प्रशिक्षण
आखिर क्यों नहीं रूक रहा क्षेत्र में अवैध कटान
डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड-19 पर हालात, कार्रवाई और तैयारियों की समीक्षा की
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज यहां कोविड-19 को लेकर हालात, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उठाए गए कदमों और रोकथाम व प्रबंधन से संबंधित उनकी तैयारियों की समीक्षा की। इस बैठक के दौरान सुश्री प्रीति सुदान, सचिव (एचएफडब्लू), डॉ. बलराम भार्गव, डीजी (आईसीएमआर), श्री अरुण सिंघल, विशेष सचिव (एच), श्री संजीव कुमार, विशेष सचिव (एच), डीजीएचएस, श्री वीवी शर्मा, सदस्य सचिव (एनडीएमए); डॉ. रणदीप गुलेरिया, निदेशक, एम्स; डॉ. मीनाक्षी भारद्वाज, डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल की एमएस; निदेशक एनसीडीसी डॉ. सुजीत सिंह, आईसीएमआर के वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेडकर; और मंत्रालय के अधिकारी मौजूद रहे।
डॉ. हर्षवर्धन को कोविड-19 पर उभरते राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय हालात और भारत सरकार व राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा कोविड-19 की रोकथाम और प्रबंधन के लिए उठाए गए कदमों से अवगत कराया गया। उन्होंने हालात और क्वारंटाइन सुविधाओं; अलग वार्डों, व्यक्तिगत सुरक्षा के उपकरण (पीपीई), मास्क, परीक्षण किट आदि की प्रचुरता के संबंध में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अस्पतालों में साफ-सफाई और हाइजीन बरकरार रखने और कोविड-19 के नियंत्रण और प्रबंधन के लिए सभी निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी। उन्होंने तमाम राज्यों द्वारा सामाजिक तौर पर दूरी बनाने के लिए उठाए गए कदमों की विस्तार से समीक्षा की। डॉ. हर्षवर्धन ने गैर-जरूरी यात्रा और सामूहिक समारोहों से बचने के लिए किए गए उपायों की भी समीक्षा की।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राज्यों की क्षमता बढ़ाने, सामाजिक तौर पर दूरी बनाने, घर से काम आदि के जरिए रोकथाम के लिए लोगों में व्यापक जागरूकता के लिए आगे किए जाने वाले उपायों पर भी चर्चा की। इस समीक्षा बैठक में क्वारंटाइन सुविधाओं के प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की गई।
आज की बैठक में हुई चर्चा के नतीजों को कल कोविड-19 पर मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठक में सामने रखा जाएगा।
डॉ. हर्षवर्धन ने कंट्रोल रूम के माध्यम से कोविड-19 पर सभी शंकाओं को दूर करने के लिए 24x7 कंट्रोल रूम हेल्पलाइन की क्षमता बढ़ाने के लिए ज्यादा लाइनें जोड़ने और अतिरिक्त मानव संसाधन तैनात करने का निर्देश दिया।
इसके अतिरिक्त, कोविड-19 से प्रभावित देशों से भारतीय नागरिकों को निकालने के सरकार के प्रयासों के तहत मिलान, इटली से आज सुबह एयर इंडिया की एक फ्लाइट 218 लोगों को लेकर दिल्ली पहुंची। प्रोटोकॉल के तहत इन लोगों को छावला स्थित आईटीबीपी शिविर में क्वारंटाइन किया गया है। इसके अलावा, ईरान से निकाले गए 236 लोगों का तीसरा बैच आज पहुंचा; उन्हें जैसलमेर में सेना के शिविर में क्वारंटाइन किया जा रहा है। ईरान से प्रस्थान करने से पहले ही उनका परीक्षण किया जा चुका है। फिलहाल सभी में लक्षण नहीं दिखे हैं। कोविड-19 प्रभावित देशों से आने वाले कुल 265 यात्रियों को त्रिवेंद्रम, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद में क्वारंटाइन किया गया है।
फिलहाल, अंतिम अपडेट के अनुसार 23 नए मामलों का पता चला है। इनमें से महाराष्ट्र से 17, तेलंगाना से 2, राजस्थान से 1 और केरल से 3 हैं। दोनों मृतक मरीज पहले से ही बीमार थे। इन मामलों में संपर्क में आने वालों की निगरानी की जा रही है। अब तक इस तरह से 4000 से ज्यादा लोगों की पहचान हुई है, जिन्हें निगरानी में रखा गया है।
बुलढाणा मरीज, जो एक निजी अस्पताल में थे और उनका नमूना लिया गया था और उनकी कल मौत हो गई, का कोविड-19 टेस्ट निगेटिव आया है।
प्रधानमंत्री ने सार्क नेताओं से क्षेत्र में कोविड-19 से मुकाबला करने के लिए बातचीत की
साझा इतिहास- सामूहिक भविष्य
प्रधानमंत्री ने कम समय के नोटिस पर कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए नेताओं का शुक्रिया अदा किया। प्राचीन समय में सार्क देशों के समाजों में परस्पर संबंध और लोगों के लोगों से रिश्तों पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रों के लिए यह जरूरी है कि साथ मिलकर चुनौती का सामना करने को तैयार रहें।
आगे बढ़ने का रास्ता
सहयोग की भावना के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने सभी देशों के स्वैच्छिक योगदान के आधार पर कोविड-19 इमरजेंसी फंड बनाने का प्रस्ताव रखा। साथ ही भारत ने फंड के लिए शुरू में 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर भी दिए। इस फंड का इस्तेमाल कोई भी सहयोगी देश अपने तात्कालिक कार्यों को पूरा करने के लिए कर सकता है। उन्होंने बताया कि जरूरत पड़ने पर देशों में हालात से निपटने के लिए भारत डॉक्टरों और विशेषज्ञों की एक रैपिड रिस्पॉन्स टीम बना रहा है, जो टेस्टिंग किट और दूसरे उपकरणों के साथ स्टैंड-बाय पर रहेंगे।
प्रधानमंत्री ने पड़ोसी देशों के आपातकालीन प्रतिक्रिया दलों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण कैप्सूलों की व्यवस्था करने और संभावित वायरस वाहकों और उनके संपर्क में आए लोगों का पता लगाने में मदद करने के लिए भारत के एकीकृत रोग निगरानी पोर्टल के सॉफ्टवेयर को साझा करने की भी पेशकश की। उन्होंने सुझाव रखा कि सार्क आपदा प्रबंधन केंद्र जैसे मौजूदा तंत्र का इस्तेमाल सबसे अच्छे तरीके से पूल के लिए हो सकता है।
उन्होंने दक्षिण एशियाई क्षेत्र के भीतर महामारी वाली बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए अनुसंधान में समन्वय के लिए एक साझा अनुसंधान मंच बनाने का भी सुझाव दिया। उन्होंने आगे कोविड-19 के दीर्घकालिक आर्थिक परिणामों और आंतरिक व्यापार और स्थानीय मूल्य श्रृंखलाओं को इसके प्रभाव से अलग करने के तरीकों पर विशेषज्ञों द्वारा मंथन करने का सुझाव दिया।
नेताओं ने प्रधानमंत्री को प्रस्तावित पहल के लिए धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने एक साथ मुकाबले का संकल्प दोहराया और कहा कि सार्क देशों का यह पड़ोसी सहयोग दुनिया के लिए एक मॉडल रूप में काम करना चाहिए।
अनुभव किए साझा
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का मार्गदर्शक मंत्र 'तैयारी करें, पर घबराएं नहीं' रहा है। उन्होंने वर्गीकृत प्रतिक्रिया तंत्र, देश में प्रवेश करने वालों की स्क्रीनिंग, टीवी, प्रिंट और सोशल मीडिया पर जन जागरूकता अभियान, आसानी से चपेट में आने वालों तक पहुंचने के लिए विशेष प्रयासों, महामारी के हर चरण के प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल तैयार करने और जांच की सुविधाएं बढ़ाने जैसे उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि भारत ने न केवल करीब 1400 भारतीयों को अलग-अलग देशों से सफलतापूर्वक निकाला है बल्कि 'पड़ोसी पहले की नीति' के तहत पड़ोसी देशों के भी कुछ नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया।
राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि अफगानिस्तान की सबसे बड़ी भेद्यता ईरान के साथ खुली सीमा है। उन्होंने पड़ोसी देशों के बीच टेलीमेडिसिन और ज्यादा सहयोग के लिए साझा फ्रेमवर्क तैयार करने, प्रसार प्रवृत्तियों के प्रतिरूपण (नमूने की बनावट) का प्रस्ताव रखा।
राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने वुहान से मालदीव के 9 लोगों को निकालने और कोविड-19 से निपटने के लिए भारत से मेडिकल सहायता के लिए भारत सरकार का धन्यवाद दिया। उन्होंने देश में पर्यटन पर कोविड-19 के नकारात्मक प्रभाव और उससे देश की अर्थव्यवस्था पर असर को रेखांकित किया। उन्होंने देशों की हेल्थ इमरजेंसी एजेंसियों के बीच निकट सहयोग, आर्थिक राहत पैकेज तैयार करने और क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक रिकवरी प्लान का प्रस्ताव रखा।
राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने मुश्किल वक्त में अर्थव्यवस्था के उतार-चढ़ाव में मदद के लिए सार्क नेताओं को मिलकर काम करने का सुझाव दिया। उन्होंने कोविड-19 से मुकाबले के लिए क्षेत्रीय मामलों पर सहयोग और अपने अनुभवों को साझा करने के लिए सार्क मंत्री स्तरीय समूह स्थापित करने का सुझाव दिया।
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने क्वारंटाइन पीरियड के दौरान भारतीय विद्यार्थियों के साथ वुहान से 23 बांग्लादेशी छात्रों को भी वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने क्षेत्र के स्वास्थ्य मंत्रियों और सचिवों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए तकनीकी स्तर पर बातचीत जारी रखने का प्रस्ताव रखा।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कोविड-19 से मुकाबले के लिए नेपाल द्वारा उठाए गए कदमों से सार्क नेताओं को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि सभी सार्क देशों के सामूहिक ज्ञान और प्रयासों से महामारी से निपटने में एक मजबूत और प्रभावी रणनीति तैयार करने में मदद मिल सकती है।
प्रधानमंत्री डॉक्टर लोटे शेरिंग ने कहा कि महामारी भौगोलिक सीमाओं को नहीं मानती है इसलिए सभी देशों के लिए मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है। कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि महामारी छोटी और संवेदनशील अर्थव्यवस्थाओं को बुरी तरह से प्रभावित करेगी।
डॉक्टर जफर मिर्जा ने प्रस्ताव रखा कि रियल टाइम में स्वास्थ्य सूचना, डेटा के आदान-प्रदान और समन्वय के लिए राष्ट्रीय अधिकारियों के एक कार्यकारी समूह की स्थापना करने का अधिकार सार्क सचिवालय को दिया जाए। उन्होंने सार्क स्वास्थ्य मंत्रियों के सम्मेलन की मेजबानी करने और रियल टाइम में रोग निगरानी डेटा साझा करने के लिए क्षेत्रीय तंत्र के विकास का भी प्रस्ताव दिया।