Sunday, March 15, 2020

प्रधानमंत्री ने राजस्थान के जोधपुर में हुई एक सड़क दुर्घटना में लोगों की मृत्यु पर गहरा शोक जताया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जोधपुर में हुई एक सड़क दुर्घटना में लोगों की मृत्यु पर दुख व्यक्त व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट के माध्यम से कहा, “राजस्थान के जोधपुर में हुए भीषण सड़क हादसे के बारे में जानकर अत्यंत दुख हुआ।’’ उन्होंने इस दुर्घटना में मारे गए और घायल हुए लोगों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना भी की।



राजस्थान के जोधपुर में हुए भीषण सड़क हादसे के बारे में जानकर अत्यंत दुख हुआ है। इस दुर्घटना में जिन-जिन लोगों की जान गई है, मैं उनके परिजनों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं, साथ ही घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं: PM @narendramodi




केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने एम्स ऋषिकेश के दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने उत्तराखंड के ऋषिकेश में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्‍स) के दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल "निशंक" और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत उपस्थित थे।

श्री शाह ने नए स्नातकों को बधाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में वैश्विक तौर पर अग्रणी बनाने संबंधी अपने दृष्टिकोण के तहत युवा डॉक्टरों को एक विशेष मंच प्रदान किया है। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाले डॉक्टरों को सलाह दी कि वे केवल अपनी आय अथवा पोस्टिंग के बारे में ही न सोचें, बल्कि भारत के लिए एक विश्‍वस्‍तरीय स्‍वास्‍थ्‍य सेवा व्‍यवस्‍था सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखें। एम्स के 360° स्वास्थ्य सेवा माहौल पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि एम्स महज एक अस्पताल नहीं है बल्कि यह स्‍वास्‍थ्‍य सेवा के क्षेत्र में एक संपूर्ण अनुसंधान, प्रशिक्षण एवं सेवा प्रदान करने वाला संस्थान है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शुरू की गई तमाम पहलो के करण भारत आज स्‍वास्‍थ्‍य सेवा के क्षेत्र में काफी बदल चुका है। उन्होंने कहा कि अब उन पहलों को आगे बढ़ाने की ज़िम्‍मेदारी युवा डॉक्‍टरों की है। उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के लिए एक सार्वभौमिक स्वास्थ्य प्रणाली की परिकल्पना की है और उसे लागू भी किया है।


प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय वृद्धि का उल्‍लेख करते हुए श्री शाह ने कहा कि पिछले छह वर्षों के दौरान 157 नए मेडिकल कॉलेजों की मंजूरी दी गई और उन्‍हें तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्‍वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में छह नए एम्स की स्थापना की गई थी, लेकिन आज 16 अन्‍य एम्स के लिए कार्य प्रगति पर है। उन्होंने कहा कि प्रत्‍येकराज्य में एक एम्स सुनिश्चित करना सरकार का सपना है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले छह वर्षों में एमबीबीएस की 29,000 नई सीटें और चिकित्‍सा स्‍नातकोत्‍तर की 17,000 नई सीटें सृजित की गई हैं। उन्‍होंने कहा कि नीति आयोग स्‍नातकोत्‍तर के लिए 10,000 अन्‍य सीटें सृजित करने के लिए एक योजना पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य प्रत्येक गांव में कम से कम एक डॉक्टर और संभाग में कम से कम एक स्‍नातकोत्‍तर डॉक्टर सुनिश्चित करना है। उन्‍होंने इसे प्रधानमंत्री मोदी की परिकल्‍पना के अनुरूप भारत को विकास की ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए आवश्‍यक बताया।


श्री शाह ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य संबंधी कल्याणकारी योजना है जिसमें जटिल तृतीयक देखभाल भी शामिल है और इसे डॉक्टरों के लिए एक प्रमुख अवसर कहा जाता है। उन्होंने कहा कि अधिकांश राज्यों ने इस योजना को क्रियान्वित किया है और कुछ ने इस योजना में वृद्धि भी की है। उन्होंने उल्लेख किया कि 91 लाख से अधिक रोगियों ने ऑपरेशन के लिए इस योजना का लाभ उठाया है। गृह मंत्री ने कहा कि  राज्य सरकारें योजना को लागू कर रही हैं और जनसंख्या के व्यापक कवरेज के लिए प्रयास कर रही हैं। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत जन औषधि केन्द्र के लाभों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इन केन्द्रों नए आम आदमी की सस्ती दवाओं तक पहुंच सुनिश्चित की है और हर महीने इन केन्द्रों से 1 करोड़ से ज़्यादा परिवार इन साए लाभान्वित होते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में भारी गिरावट सुनिश्चित की है।


स्वस्थ भारत के लिए प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण के चार घटकों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि पहले हिस्से में फिट इंडिया, मिशन इंद्रधनुष और योग जैसे निवारक पहलू शामिल हैं। दूसरे चरण में 22 एम्स के रूप में स्वास्थ्य सेवा का प्रावधान और प्रत्येक राज्य में एक एम्स सुनिश्चित करना शामिल है। तीसरे चरण में पर्याप्त संख्या में डॉक्टर सुनिश्चित करना है और इसके तहत, सरकार 2024 तक हर संसदीय क्षेत्र में एक मेडकिल कॉलेज की स्थापना की दिशा में काम कर रही है। चौथे चरण में आयुष्मान भारत और पीएमबीजेपी योजना जैसी स्वास्थ्य सुविधाओं की संरचना शामिल है।


श्री शाह ने नए डॉक्टरों को सलाह दी कि वे इस बात को हमेशा याद रखें कि डॉक्टर मरीज़ो के लिए भगवान के समान है। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि स्वास्थ्य सेवा पेशेवर समुदाय के लिए 'स्वयं से पहले सेवा' एक आवश्‍यक अवधारणा है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को देश में अवश्‍य रुकना चाहिए और भारत में अनुसंधान को मज़बूती देते हुए देशवासियों की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने स्वामी विवेकानंद का उल्‍लेख करते हुए कहा कि ज्ञान का वास्‍तविक सार दूसरों की मदद करने में निहित है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने हमारी दृष्टि और सोच को बेहतर किया है और प्रत्‍येक डॉक्टर का लक्ष्‍य स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भारत को ऊपर ले जाना होना चाहिए। श्री शाह ने विश्वास जताया कि 2030 तक, भारत विश्व में स्वास्थ्य के हर पहलू, जैसे चिकित्सा, स्वास्थ्य शिक्षा, अनुसंधान, स्वास्थ्य आधार्भूत संरचना या उपचार और दवाओं की उपलब्धता में नंबर एक देश होगा।



प्रतिस्पर्धा रोधी गतिविधियों में लिप्त पाई गईं बंगाल केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन और कुछ दवा कंपनियां

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने बंगाल केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन (बीसीडीए), उसकी दो जिला समितियों मुर्शिदाबाद डिस्ट्रिस्ट कमिटी और बर्धवान डिस्ट्रिक्ट कमिटी और उनके पदाधिकारियों को प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 3 (3) (बी) के प्रावधानों (धारा 3 (1) के साथ ही पढ़ें) के उल्लंघन के साथ ही प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रक्रियाओं को अपनाने का दोषी पाया है। बीसीडीए द्वारा इन प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रक्रियाओं को अपनाया गयाः (1) दवा कंपनियों नए स्टॉकिस्टों को दवा की आपूर्ति से पहले पश्चिम बंगाल के कम से कम कुछ जिलों से पिछले स्टॉक की उपलब्धता की जानकारी (एसएआई)/बीसीडीए से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना होता है; (2) डिस्ट्रिक्ट कमिटी के माध्यम से उनको एसएआई जारी करने के एवज में संभावित स्टॉकिस्टों से पैसा वसूला करती हैं; और (3) दवा कंपनियों के प्रचार सह वितरक (पीसीडी) एजेंट को पश्चिम बंगाल में संबंधित दवा कंपनियों की दवाओं का विपणन शुरू करने से पहले बीसीडीए को दान के रूप में पैसा देकर उससे उत्पाद उपलब्धता जानकारी (पीएआई) हासिल करनी होती थी।


इसके अलावा सीसीआई ने पाया कि दवा कंपनियों एल्केम लैबोरेटरीज (एल्केम) और मैकलॉयड फार्मास्युटिकल्स (मैकलॉयड) का बीसीडीए से प्रतिस्पर्दा-रोधी समझौता है, जिसमें ये कंपनियां संभावित स्टॉकिस्टों को ऑफर लेटर ऑफ स्टॉकिस्टशिप (ओएलएस) जारी करने के बाद उनसे बीसीडीए से लिया गया एसएआई /एनओसी /स्वीकृति पत्र /सर्कुलेशन पत्र की मांग किया करती थीं। इसके बाद ही दवा कंपनियां आपूर्ति शुरू करती थीं। इस प्रकार आयोग ने एल्केम और मैकलॉयड को अधिनियम की धारा 3 (1) के प्रावधानों के उल्लंघन का दोषी पाया। साथ ही सीसीआई ने उनके कई अधिकारियों को अधिनियम की धारा 48 की शर्तों के तहत दोषी पाया।


इस क्रम में सीसीआई ने बीसीडीए, उसकी मुर्शिदाबाद और बर्धवान जिला समितियों, उनके पदाधिकारियों, दवा कंपनियों एल्केम और मैकलॉयड्स, उनके संबंधित अधिकारियों को ऐसी प्रक्रियाओं पर रोक लगाने और इससे बचने के निर्देश दिए। हालांकि, सीसीआई ने कहा, बीसीडीए ने कहा कि सीसीआई के पूर्व के एक आदेश के क्रम में प्रक्रियाओं में सुधार का भरोसा दिलाया है। इस मामले में सीसीआई ने किसी भी इकाई पर कोई जुर्माना नहीं लगाने का फैसला किया है।


आयोग इस मामले में विस्तृत आदेश बाद में जारी करेगा।



जैव कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग को प्रोत्साहन  

कृषि क्षेत्र में जैविक कीटनाशक दवाइयों के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए केन्द्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति ने रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में जैव कीटनाशकों के पंजीकरण के लिए सरल दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कीटनाशक अधिनियम, 1968 की धारा 9 (3 बी) के अंतर्गत अनंतिम पंजीकरण के दौरान आवेदक को रसायनिक कीटनाशकों के विपरीत जैविक कीटनाशकों की व्यावसायिक बिक्री की अनुमति होगी।


भारत सरकार परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई), पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (एमओवीसीडीएनईआर) और पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना (सीआईएसएस) की जैविक कृषि योजना के माध्यम से पर्यावरण अनुकूल प्रक्रियाओं के साथ टिकाऊ कृषि उत्पादन की दिशा में काम कर रही है। इनके माध्यम से जैविक बीज और खाद के इस्तेमाल तथा रसायन मुक्त कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे लोगों की सेहत में भी सुधार होगा।


परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत 3 साल की अवधि के लिए प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये की सहायता उपलब्ध कराई जा रही है, जिसमें से डीबीटी के माध्यम से किसानों को 31 हजार रुपये (62 प्रतिशत) उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह सहायता जैव उर्वरकों, जैव कीटनाशकों, वर्मीकम्पोस्ट, वानस्पतिक अर्क, उत्पादन/खरीद, फसल बाद प्रबंधन आदि के लिए दी जा रही है।


एमओवीसीडीएनईआर के अंतर्गत जैविक सामग्रियों, बीज/पौध रोपण सामग्री के वास्ते 3 साल के लिए प्रति हेक्टेयर 25 हजार रुपये की सहायता दी जा रही है।


पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना के अंतर्गत भारत सरकार सालाना 200 टन क्षमता वाली जैविक उर्वरक इकाई की स्थापना के लिए राज्य सरकार/सरकारी एजेंसियों को 160 लाख रुपये प्रति यूनिट की अधिकतम सीमा के आधार पर 100 प्रतिशत सहायता उपलब्ध कराकर जैविक उर्वरकों के उत्पादन को प्रोत्साहन दे रही है। इसी प्रकार व्यक्तिगत/निजी एजेंसियों को पूंजी निवेश के रूप में 40 लाख रुपये प्रति यूनिट की सीमा के साथ लागत की 25 प्रतिशत तक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। यह सहायता राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है।


परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत पिछले 3 साल (2016-17, 2017-18, 2018-19) और वर्तमान वर्ष (2019-20) के दौरान क्रमशः 152.82 करोड़ रुपये, 203.46 करोड़ रुपये, 329.46 करोड़ रुपये और 226.42 करोड़ रुपये का व्यय किया जा चुका है।


एमओवीसीडीएनईआर के अंतर्गत पिछले 3 साल (2016-17, 2017-18, 2018-19) और वर्तमान वर्ष (2019-20) के दौरान क्रमशः 47.63 करोड़ रुपये, 66.22 करोड़ रुपये, 174.78 करोड़ रुपये और 78.83 करोड़ रुपये का व्यय किया जा चुका है।


पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना के अंतर्गत 2016-17 और 2017-18 के दौरान नाबार्ड ने कोई धनराशि का वितरण नहीं किया। हालांकि 2018-19 के दौरान 276.168 लाख रुपये का वितरण किया गया।


जैव कीटनाशकों के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए एकीकृत पेस्ट प्रबंधन योजना के अंतर्गत किसान क्षेत्र विद्यालय (फार्मर फील्ड स्कूल) और मानव संसाधन विकास कार्यक्रम (2 और 5 दिन) के माध्यम से किसानों को शिक्षित किया जा रहा है। केन्द्र और राज्य सरकारों की प्रयोगशालाओं में भी जैव कीटशानकों (ट्राइकोडर्मा, मेटाझिझियम, ब्यूवेरिया आदि) का विस्तार और उनका किसानों को वितरण किया जा रहा है। एकीकृत पेस्ट प्रबंधन के अंतर्गत बीते 5 साल (2015-16 से 2019-20) के दौरान 3472 फार्मर फील्ड स्कूल और 647 मानव संसाधन विकास कार्यक्रमों का आयोजन किया जा चुका है। इनके माध्यम से 1,04,160 किसानों और 25,880 कीटनाशक विक्रेता और राज्य सरकार के अधिकारी प्रशिक्षण हासिल कर चुके हैं।


केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आज राज्य सभा में एक लिखित जवाब के माध्यम से यह जानकारी दी।