Saturday, March 14, 2020

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह नई दिल्ली में फ्लैग-इन गंगा आमंत्रण अभियान में मुख्‍य अतिथि के रूप में मौजूद रहे

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने आज यहां राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम  फ्लैग-इन गंगा आमंत्रण अभियान में बोलते हुए कहा कि गंगा को यदि नदी की दृष्टि से देखा जाए, इसके किनारे रहने वाले लोगों की आबादी की दृष्टि से देखा जाए तो इसका महत्‍व कम समझ में आएगा किंतु गंगा हजारों साल से न केवल भारत बल्कि दुनिया को बहुत कुछ देने वाली संस्कृति की परिचायक है। यही कारण है कि गंगा के प्रति बहुत अधिक श्रद्धा है, घर-घर में गंगाजल मिलता है। यह श्रद्धा और विश्वास खड़े होने में बहुत वर्ष लगे हैं। श्री शाह का कहना था कि इसी गंगा से सभ्यता का निर्माण हुआ है जो अत्यंत प्राचीन होने के साथ-साथ समाज में सबसे ज्यादा योगदान देने वाली सभ्यता है। भाषा, विज्ञान, धार्मिक अनुसंधान या अध्यात्म की बात हो या संस्‍कार की बात हो, समग्र विश्व के अंदर भारतीय संस्कृति सबसे ज्यादा देने वाली संस्कृति रही है और इस संस्कृति का प्रतीक गंगा है। भारत का इतिहास गंगा के बिना संभव नहीं है l

श्री अमित शाह ने कहा कि गंगा का नाम लेते ही एक बड़ी जनसंख्या के मन में पूज्य भाव आता है, श्रद्धा आती है और एक विशेष प्रकार का लगाव उत्पन्न होता है। उन्‍होंने कहा कि गंगा के 2300 किलोमीटर से ज्यादा लंबे किनारे पर करोड़ों लोगों को जीवन मिलता है और गंगा नदी ने अपने किनारे हजारों गांवों, शहरों और महानगरों को जीवन दिया है। भारत के अध्यात्म, ज्ञान, संस्कृति और भारतीय अर्थतंत्र में गंगा का विशेष स्‍थान है। उन्‍होंने कहा कि गंगा को सदैव मां की दृष्टि से देखा गया है और मां को सजाना, संवारना उसका संरक्षण करना हम सबका दायित्व है।


 



श्री अमित शाह ने कहा कि गंगा के बढ़ते प्रदूषण के कारण उसका आचमन करने में झिझक होने लगी थी, हजारों साल से यह मान्यता थी कि गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप दूर होते हैं परंतु गंगा का जल दूषित होने के कारण गंगा में डुबकी लगाने में भी झिझक होने लगी थी। 2014 में पूर्ण बहुमत की सरकार आने के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने गंगा को स्वच्छ करने के उपाय किए। यह केवल ढांचा खड़ा करने का प्रयास नहीं था, केवल प्रदूषण रोकने का अभियान नहीं था बल्कि नमामि गंगे का अभियान देश के अंदर संस्‍कार निर्मित करना और आने वाले हजारों सालों तक गंगा को कोई दूषित न करे, ऐसा प्रयास था। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे प्रोजेक्‍ट में  समग्र देशवासियों को शामिल किया है। श्री शाह ने कहा कि पहले भी कई बार गंगा की सफाई का अभियान शुरू किया गया किंतु सफल नहीं हुआ। उनका कहना था कि 5 साल के अंदर इतना बड़ा परिवर्तन होना एक सराहनीय प्रयास का परिणाम है। इस अभियान में कई सारे संत महात्मा, जानीमानी हस्तियाँ जुड़ीl मोदी सरकार ने गंगा से सटे गावों में शौचालय बनाए, गंगा के किनारे वन बने । समयबद्ध तरीके से पानी छोड़ा जा रहा है l


श्री शाह ने बताया कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट से गंगा के पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है। गंगा की अविरलता और निर्मलता को कायम रखने के लिए आमजन को इस अभियान से जुड़ना आवश्यक है। गंगा आमंत्रण अभियान ने बड़ी संख्या में लोगों को जोड़ा और जागरूक किया है। इस अभियान ने आने वाली पीढ़ियों को संस्कार देने का काम किया है। श्री शाह ने यह भी कहा कि नमामि गंगे की सफलता तभी पूरी होगी जब हम 15 साल से कम उम्र के बच्चों के मन में गंगा के प्रति श्रद्धा उत्पन्न करेंगे, संरक्षण और संवर्धन का संस्कार पैदा करेंगे। उन्‍होंने बताया कि मोदी जी के नेतृत्व में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा कई अभियान चलाए गए हैं।


श्री अमित शाह ने बताया कि वर्ष 1985 से 2014 तक 4 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए और 2014 के बाद ₹20000 खर्च कर गंगा को स्वच्छ बनाने का काम किया गया। उनका यह भी कहना था कि 116 प्रोजेक्ट आज पूरे हो चुके हैं तथा आने वाले समय में गंगा की सहायक नदियों को भी संरक्षित करने का प्रयास किया जाएगा। श्री शाह ने बताया कि 2020-21 के बजट में जल शक्ति मंत्रालय को 30700  करोड रुपए आवंटित किए गए हैं।


कार्यक्रम के दौरान जलशक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, जलशक्ति राज्य मंत्री श्री रतनलाल कटारिया तथा सचिव जल शक्ति मंत्रालय सहित बड़ी संख्या में केंद्र सरकार के अधिकारी और कर्मचारी भी उपस्थित रहे।



कोविड-19 पर नवीनतम स्थिति

कर्नाटक में 76 वर्षीय पुरुष की मृत्य सह-अस्वस्थता के कारण होने की पुष्टि हुई है और इस व्यक्ति को कोविड-19 के लिए भी पॉजिटिव पाया गया था। इस संबंध में विवरण निम्नलिखित हैं-



पीडित व्यक्ति ने 29 जनवरी 2020 से 29 फरवरी 2020 तक सऊदी अरब का दौरा किया था।


पीडित व्यक्ति उच्च रक्तचाप और श्वास-रोग से पीडित था और 29 फरवरी को हैदराबाद आने के बाद कलबुर्गी गया था।


पीडित व्यक्ति लौटने पर ऐसिम्प्टमैटिक था और 6 मार्च,2020 को उसमें बुखार और खांसी के लक्षण विकसित हुए। एक निजी डॉक्टर ने उसका घर पर इलाज किया।


9 मार्च 2020 को उसके बीमारी के लक्षण बढ़ गए, जिसके बाद उसे कलबुर्गी में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। निजी अस्पताल में उसे अस्थायी रुप से मिड जोन न्यूमोनिया से ग्रसित पाया गया था और वह कोविड-19 का संदिग्ध मरीज था।


कोविड-19 की जांच के लिए 9 मार्च,2020 को वायरल रिसर्च डायगोनस्टिक लेबोट्ररी,जीआईएमस कलबुर्गी में उसके नमूने एकत्र किए गए और उन्हें वीआरडीएल,बीएमसीएंडआरआई, बैंग्लोर भेजा गया। परीक्षण के परिणाम का इंतजार किए बिना बीमार व्यक्ति के परिजन स्वास्थ्य राय के बिना उसे अस्पताल से ले गए और हैदराबाद स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया।


कलबुर्गी के उपायुक्त के निर्देशों के बाद डीएचओ ने बीमार व्यक्ति के परिजन उसे गुलबर्गा इस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस(जीआईएमएस) के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करने के लिए राजी करने का प्रयास किया। लेकिन पीडित के परिजनों ने उनकी बात मानने से मना कर दिया और बिना जानकारी दिए उसे हैदराबाद ले गए।


बीमार व्यक्ति को हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया और इलाज कराया गया। उसके बाद बीमार व्यक्ति को अस्पताल से छुट्टी दी गई और 10 मार्च, 2020 को जीआईएमस,कलबुर्गी ले जाते समय उसकी मृत्यु हो गई।


इस संबंध में जिला स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग,कर्नाटक द्वारा सभी एहतियाती कदम जैसे पीडित व्यक्ति के संपर्क में रहने वालो की पहचान और घर क्वारंटाइन करने की प्रक्रिया शुरू की गई और इसकी लगातार निगरानी की जा रही है।    




उपराष्ट्रपति ने आईसीएमआर से कहा कि वे मुर्गीपालन उद्योग पर कोरोनावायरस के प्रभाव के बारे में आशंकाओं का समाधान करें

अखिल भारतीय कुक्कुट उत्पादक संघ (ऑल इंडिया मुर्गी पालन ब्रीडर्स एसोसिएशन) के अध्यक्ष बहादुर अली के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू से मुलाकात की और उन्हें नोवल कोरोनो वायरस के प्रभाव के बारे में व्यापक आशंकाओं के मद्देनजर मुर्गीपालन क्षेत्र की समस्याओं से अवगत कराया।



उन्होंने राज्यसभा के सभापति को बताया कि मुर्गी पालन उद्योग के लिए खतरे के बारे में झूठी खबरें लोगों में घबराहट पैदा कर रही हैं और परिणामस्वरूप मुर्गी पालन उत्पादों की खपत में भारी कमी आई है।


अमेरिकी जीवविज्ञानी डॉ. ब्रूस लिप्टन का हवाला देते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि "कोरोना वायरस का डर वायरस से ही अधिक घातक है।"


उन्होंने कहा कि सभी प्रकार अफवाहों को रोकना  चाहिए और उद्योग को सामान्य बनाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।


उपराष्ट्रपति ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)  के महानिदेशक प्रो. बलराम भार्गव से भी बात की और आईसीएमआर को सलाह दी कि वे मुर्गे का मांस और अंडे के उपभोग पर लोगों की आशंकाओं को दूर करने के लिए एक परामर्श जारी करें।


उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं और विक्रेताओं दोनों को आश्वस्त करने के लिए सही जानकारी का प्रसार आवश्यक है।


यह बताते हुए कि विशेष रूप से ग्रामीण भारत में लाखों किसान मुर्गी पालन क्षेत्र पर निर्भर हैं, उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोगों को पोषण सुरक्षा प्रदान करने के अलावा किसानों के लिए द्वितीयक आय बनाने में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है।


श्री नायडू ने इस बैठक में उपस्थित वित्त और कॉर्पोरेट कार्य राज्य मंत्री श्री अनुराग ठाकुर से इस मामले में कार्रवाई करने के लिए कहा।


उपराष्ट्रपति ने सभी हितधारकों से लोगों को सही जानकारी प्रदान करने के लिए सामूहिक प्रयास करने को कहा।


श्री ठाकुर ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि सरकार मामले की जांच करेगी और आवश्यकतानुसार कार्रवाई करेगी।


तेलंगाना पॉल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं सांसद श्री रंजीत रेड्डी और ऑल इंडिया पॉल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन (एआईपीबीए) के उपाध्यक्ष श्री सुरेश चित्तूरी भी उपस्थित थे।




श्री मनसुख मांडविया जेएनपीटी मुंबई के अंतर्गत कल 5 परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे

नौवहन और रसायन तथा उर्वरक राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री मनसुख मांडविया जेएनपीटी मुंबई में जेएनपीटी के तहत पूरी हो चुकी 5 परियोजनाओं का कल उद्घाटन करेंगे।



अपने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए श्री मांडविया जेएनपीटी का दौरा करेंगे और निम्‍नलिखित परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे :


·         जेएनपीटी में पीयूबी के नजदीक वाई जंक्‍शन पर फ्लाईओवर का निर्माण


·         केन्‍द्रीकृत पार्किंग प्‍लाजा


·         स्‍कैनिंग एक्‍सरे


·         220/33 केवी मास्‍टर यूनिट सब-स्‍टेशन का संवर्धन और


·         शिव समर्थ स्‍मारक संग्रहालय


15 मार्च को सुबह 11.30 बजे श्री मांडविया महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री श्री उद्धव बाल ठाकरे की उपस्थिति में मांडवा में रो-पैक्‍स जहाज और उसके टर्मिनल का उद्घाटन करेंगे।


मांडवा बंदरगाह (ताल.अलीबाग.जिला रायगढ़) महाराष्‍ट्र के तट पर महत्‍वपूर्ण यात्री बंदरगाहों में से एक है। हर वर्ष करीब 15 लाख यात्री कैटामारैन (लकड़ी के लट्ठों को बांधकर बनाया गया बेड़ा) से आवाजाही करते हैं। यह गेटवे ऑफ इंडिया से मांडवा और उसके बाद अलीबाग तथा रायगढ़ जिले के अन्‍य स्‍थानों पर जाती है।


अलीबाग पहुंचने के लिए गेटवे ऑफ इंडिया-मांडवा जलमार्ग का इस्‍तेमाल करने से 45 मिनट से एक घंटा लगता है, जबकि सड़क के रास्‍ते यात्रा करने से करीब साढ़े तीन से चार घंटे लगते हैं। इससे कई घंटों की यात्रा की समस्‍या हल होती है। परिणामस्‍वरूप जल परिवहन की सुविधा का लाभ उठाने वाले यात्रियों की संख्‍या हर वर्ष बढ़ रही है। इस जलमार्ग के महत्‍व पर गौर करते हुए, सरकार ने गोदी से रो-पैक्‍स फेरी सेवा मुंबई से मांडवा के लिए शुरू करने का फैसला किया है, ताकि लोग रो-पैक्‍स जहाज में अपने वाहनों के साथ यात्रा कर सकें, जिससे उनके समय और ईंधन की पर्याप्‍त बचत होगी।


गोदी और मांडवा में रो-पैक्‍स जेटी और टर्मिनल की सुविधाएं विकसित की गई हैं। यह मुंबई पोर्ट ट्रस्‍ट और महाराष्‍ट्र मेरीटाइम बोर्ड का संयुक्‍त उद्यम है।


मुंबई पोर्ट ट्रस्‍ट ने 31 करोड़ रुपये की लागत से गोदी में रो-पैक्‍स सेवा के लिए विशेष बुनियादी ढांचा विकसित किया है, जबकि महाराष्‍ट्र मेरीटाइम बोर्ड ने रो-पैक्‍स परियोजना के अंतर्गत मांडवा में बुनियादी ढांचा सुविधाएं विकसित की हैं। यह कार्य 30.05.2018 को पूरा हो गया था और इस पर 135.29 करोड़ रुपये का कुल खर्च आया।    


मांडवा में रो-पैक्‍स फेरी सेवा और टर्मिनल के संचालन के लिए एमएमबी ने मैसर्स एस्‍क्‍वायर शिपिंग एंड ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड के साथ 03.12.2019 को एक समझौते पर हस्‍ताक्षर किए। इसी महीने में 19.12.2019 को एमबीपीटी ने इसी कंपनी के साथ एक समझौते पर हस्‍ताक्षर किए और उसे साझा उपयोग के आधार पर गोदी में रो-पैक्‍स टर्मिनल से संचालन की अनुमति दी।


रो-पैक्‍स जहाज एम2एम-1 का निर्माण सितंबर, 2019 में ग्रीस में किया गया। यह जहाज तेजी से काम कर सकता है और इसकी गति 14केनोट है। यह गोदी से मांडवा की दूरी 45 मिनट से एक घंटे में पूरी कर सकता है। यह जहाज एक समय में 200 कारों और 1000 यात्रियों को ले जा सकता है। यह जहाज अलीबाग/गोवा की तरफ जाने वाली सड़क पर यातायात को काफी हद तक कम करेगा, क्‍योंकि यात्री निश्चित रूप से शांतिपूर्ण यात्रा को प्राथमिकता देंगे। पर्यावरण की दृष्टि से यातायात का यह साधन ईंधन के खर्च, वाहन से होने वाले उत्‍सर्जन को प्रभावी तरीके से कम करेगा। इस तरह के कार्य से निश्चित रूप से कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद मिलेगी।