Saturday, March 14, 2020

प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 लोकसभा में पेश

केंद्रीय पोत परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 पेश किया। यह विधेयक भारत में प्रमुख बंदरगाहों के नियमन, संचालन और नियोजन के लिए और ऐसे बंदरगाहों के प्रशासन, नियंत्रण और प्रबंधन और उससे जुड़े या प्रासंगिक मामलों को मुख्य बंदरगाह प्रशासन के बोर्ड को देने से संबंधित है।



प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पोत परिवहन मंत्रालय के प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट कानून, 1963 की जगह प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 को लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इससे निर्णय लेने की पूर्ण स्वायत्तता और मुख्य बंदरगाहों के संस्थागत ढांचे का आधुनिकीकरण करके प्रमुख बंदरगाहों को अधिक दक्षता के साथ काम करने का अधिकार मिलेगा।


इससे पहले, विधेयक को 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था और उसके बाद संसदीय स्थायी समिति (पीएससी) को भेजा गया था। साक्ष्य लेने और व्यापक परामर्श करने के बाद जुलाई 2017 में पीएससी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसके आधार पर, पोत परिवहन मंत्रालय ने 2018 में लोकसभा में विधेयक में आधिकारिक संशोधन पेश किया। हालांकि यह विधेयक पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद वैध नहीं रहा।


बंदरगाह की आधारभूत संरचना के विस्तार को बढ़ावा देने और व्यापार व वाणिज्य को सुविधाजनक बनाने की दृष्टि से, प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 का उद्देश्य प्रमुख बंदरगाहों के प्रशासन में पेशेवराना अंदाज को बढ़ावा देना और निर्णय लेने में विकेंद्रीकरण है। यह हितधारकों और परियोजना को बेहतर तरीके से लागू करने की क्षमता को लाभ पहुंचाते हुए तेज और पारदर्शी निर्णय देने में मदद करेगा। विधेयक का उद्देश्य केंद्रीय बंदरगाहों में सुशासन मॉडल को वैश्विक अभ्यास के अनुरूप जमींदार बंदरगाह मॉडल के रूप में फिर से प्रस्तुत करना है। इससे प्रमुख बंदरगाहों के संचालन में पारदर्शिता लाने में भी मदद मिलेगी।


यह विधेयक सभी हितधारकों और मंत्रालयों/विभागों के साथ व्यापक परामर्श और पीएससी की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-


क- यह बिल प्रमुख बंदरग्राह ट्रस्ट कानून 1963 की तुलना में ज्यादा सुगठित है क्योंकि अतिच्छादित और अप्रचलित अनुभागों को समाप्त करके अनुभागों की संख्या घटाकर 134 से 76 कर दी गई है।


ख- नए विधेयक में बंदरगाह प्राधिकरण के बोर्ड की सरल संरचना का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्तमान के 17 से 19 की तुलना में 11 से 13 सदस्य ही शामिल होंगे। पेशेवर स्वतंत्र सदस्यों वाला एक कॉम्पैक्ट बोर्ड निर्णय लेने और रणनीतिक योजना को मजबूत करेगा। राज्य सरकार, जिसमें प्रमुख बंदरगाह स्थित है, रेल मंत्रालय, रक्षा और सीमा शुल्क मंत्रालय, राजस्व विभाग के प्रतिनिधि को बोर्ड में सदस्य के तौर पर शामिल करने के अलावा सरकार की तरफ से नामित सदस्य और बड़े बंदरगाह प्रशासन के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को शामिल करने का प्रावधान किया गया है।


ग- प्रमुख बंदरगाहों के लिए तटकर प्राधिकरण की भूमिका नए सिरे से तय की गई है। बंदरगाह प्रशासन को अब तटकर तय करने के अधिकार दिए गए हैं जो पीपीपी परियोजनों के लिए बोली लगाने के उद्देश्यों के लिए एक संदर्भ तटकर के तौर पर काम करेगा। पीपीपी ऑपरेटर बाजार की स्थितियों के आधार पर तटकर तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे। बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड को भूमि सहित अन्य बंदरगाह सेवाओं और परिसंपत्तियों के लिए शुल्क का दायरा तय करने के अधिकार सौंप दिए गए हैं।


घ- एक सहायक बोर्ड बनाने का प्रस्ताव किया गया है, जो प्रमुख बंदरगाहों के लिए पूर्ववर्ती टीएएमपी के बचे हुए कार्य को पूरा करने, बंदरगाहों और पीपीपी रियायत पाने वालों के बीच विवादों को देखने, तनावग्रस्त पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिए और तनावग्रस्त पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिए उपाय सुझाने और इस तरह की परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के उपाय देने और बंदरगाहों/निजी ऑपरेटरों (बंदरगाहों के भीतर काम करने वाले) द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को लेकर आई शिकायतों को देखने का काम करेगा।


ड.- बंदरगाह प्राधिकरण बोर्डों को अनुबंध करने, योजना और विकास, राष्ट्र हित को छोड़कर शुल्क तय करने, सुरक्षा और निष्क्रियता व डिफॉल्ट के चलते आपातकालीन स्थिति की पूरी शक्तियां दी गई हैं। मौजूदा एमपीटी कानून 1963 में 22 मामलों में केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति लेना आवश्यक था।


च- प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह का बोर्ड, बंदरगाह की सीमा और भूमि के दायरे में किसी भी विकास या अवसंरचना के संबंध में विशिष्ट मास्टर प्लान तैयार करना का हकदार होगा और इस तरह का मास्टर प्लान किसी भी प्राधिकरण के स्थानीय या राज्य सरकार के नियमों से स्वतंत्र होगा।


छ- सीएसआर और बंदरगाह प्राधिकरण के द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास के प्रावधान पेश किए गए हैं।


ज- प्रमुख बंदरगाहों के कर्मचारियों के पेंशन लाभ समेत वेतन और भत्ते और सेवा की शर्तों और प्रमुख बंदरगाहों के तटकर को सुरक्षा देने के लिए प्रावधान किया गया है।




भारत का विदेश व्यापार : फरवरी, 2020

भारत से अप्रैल-फरवरी 2019-20में 491.64 अरब अमेरिकी डॉलर का समग्र निर्यात (वस्‍तुएं एवं सेवाएं) होने का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 2.13 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। उधर, अप्रैल-फरवरी 2019-20* के दौरान 559.45 अरब अमेरिकी डॉलर का समग्र आयात होने का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 3.90 प्रतिशत की ऋणात्‍मक वृद्धि को दर्शाता है।


* नोटः आरबीआई द्वारा जारी किया गया सेवा क्षेत्र से जुड़ा नवीनतम डेटा जनवरी 2020 से संबंधित है। फरवरी 2020 से संबंधित डेटा सिर्फ एक आकलन है जिसमें आरबीआई की अगली प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर संशोधन किया जाएगा।


वस्‍तुओं का व्‍यापार


निर्यात (पुनर्निर्यात सहित)


फरवरी, 2020 में 27.65 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात हुआ जो फरवरी 2019 में हुए निर्यात की तुलना में 2.91 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। रुपये के लिहाज से फरवरी, 2020 में निर्यात 1,97,646.12 करोड़ रुपये का हुआ जो फरवरी, 2019 के मुकाबले 3.29 प्रतिशत की वृद्धि को रेखांकित करता है।


फरवरी, 2020 में जिन प्रमुख जिंस समूहों के निर्यात में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में धनात्मक वृद्धि दर्ज की गई है उनमें निम्नलिखित शामिल हैं-


अप्रैल-फरवरी, 2019-20 में कुल निर्यात 292.91 अरब अमेरिकी डॉलर (20,67,408.73 करोड़ रुपये) का हुआ जो अप्रैल-फरवरी, 2018-19 में हुए कुल निर्यात की तुलना में डॉलर की दृष्टि से 1.50 प्रतिशत की ऋणात्‍मक वृद्धि और रुपये के लिहाज से 0.62 प्रतिशत की ऋणात्‍मक वृद्धि को दर्शाता है।


फरवरी 2020 में गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न व जेवरात निर्यात 21.23 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ, जो फरवरी 2019 की तुलना में 6.16 प्रतिशत की धनात्‍मक वृद्धि को दर्शाता है। अप्रैल- फरवरी 2019-20 में गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न व जेवरात निर्यात 218.83 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ, जो पिछले वित्‍त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 0.57 प्रतिशत की धनात्‍मक वृद्धि को रेखांकित करता है।


आयात


फरवरी 2020 में 37.50 अरब अमेरिकी डॉलर (2,68,063.75 करोड़ रुपये) का आयात हुआ जो फरवरी, 2019 के मुकाबले डॉलर के लिहाज से 2.48 प्रतिशत अधिक है और रुपये के लिहाज से भी 2.86 प्रतिशत अधिक है। अप्रैल-फरवरी 2019-20 में कुल मिलाकर 436.03 अरब अमेरिकी डॉलर (30,76,266.13 करोड़ रुपये) का आयात हुआ, जो अप्रैल- फरवरी 2018-19 में हुए आयात की तुलना में डॉलर के लिहाज से 7.30 प्रतिशत कम है और रुपये की दृष्टि से 6.52 प्रतिशत कम है।


नवम्‍बर, 2019 में जिन प्रमुख जिंस समूहों के आयात में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में ऋणात्‍मक वृद्धि दर्ज की गई है उनमें निम्नलिखित शामिल हैं-


सेवाओं का व्यापार


निर्यात (प्राप्तियां)


भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 13 मार्च, 2020 को जारी नवीनतम प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार जनवरी, 2020 में निर्यात 18.99 अरब अमेरिकी डॉलर (1,35,389.25 करोड़ रुपये) का हुआ, जो जनवरी 2019 की तुलना में डॉलर के लिहाज से 6.99 प्रतिशत की धनात्मक वृद्धि को दर्शाता है। फरवरी 2020* में सेवाओं का निर्यात 19.48 अरब अमेरिकी डॉलर का होने का अनुमान लगाया गया है।


आयात (भुगतान)


भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 13 मार्च, 2020 को जारी नवीनतम प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार जनवरी, 2020 में आयात 12.00 अरब अमेरिकी डॉलर (85,583.69 करोड़ रुपये) का हुआ, जो जनवरी 2019 की तुलना में डॉलर के लिहाज से 8.83 प्रतिशत की धनात्‍मक वृद्धि को दर्शाता है। फरवरी 2020* में सेवाओं का आयात 12.43 अरब अमेरिकी डॉलर का होने का अनुमान लगाया गया है।


व्यापार संतुलन


वस्‍तुएं: फरवरी, 2020 में व्यापार घाटा 9.85 अरब अमेरिकी डॉलर रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि फरवरी 2019 में व्यापार घाटा 9.72 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ था।


सेवाएं : आरबीआई द्वारा 13 मार्च, 2020 का जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार जनवरी 2020 के दौरान सेवाओं में व्यापार संतुलन (अर्थात शुद्ध सेवा निर्यात) 6.98 अरब अमेरिकी डॉलर रहने का अनुमान लगाया गया है।


समग्र व्यापार संतुलन : वस्‍तुओं एवं सेवाओं दोनों को ही मिलाने पर अप्रैल-फरवरी 2019-20में कुल मिलाकर 67.81 अरब अमेरिकी डॉलर का समग्र व्यापार घाटा होने का अनुमान लगाया गया है, जबकि अप्रैल-फरवरी 2018-19 में व्यापार घाटा 100.74 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ था।


* नोटः आरबीआई द्वारा जारी किया गया सेवा क्षेत्र से जुड़ा नवीनतम डेटा जनवरी, 2020 से संबंधित है। फरवरी 2020 से संबंधित डेटा सिर्फ एक आकलन है जिसमें आरबीआई की अगली प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर संशोधन किया जाएगा।



कंपनी अधिनियम और निधि संशोधन नियम 2019 के संशोधित प्रावधानों के अनुसार निधि कंपनी के तौर पर फॉर्म एनडीएच-4 में निधि कंपनियां अपनी स्थिति/घोषणा को अपडेट करने के लिए केंद्र सरकार के पास आवेदन करेंगी

निधि कंपनियों के लिए नियामक व्यवस्था को ज्यादा प्रभावी और देश के कारपोरेट वातावरण में पारदर्शिता और निवेशक अनुकूल उद्देश्यों को पूरा करने के लिए, केंद्र सरकार ने हाल में कंपनीज एक्ट और नियम के तहत एनआईडीएचआई से संबंधित प्रावधानों में संशोधन किया है। (15 अगस्त 2019 से प्रभावी)



कंपनीज एक्ट (धारा 406) और निधि रूल्स (जैसा 15 अगस्त 2019 को संशोधित किया गया) के संशोधित प्रावधानों के तहत निधि कंपनियों को अपनी स्थिति/घोषणा के अपडेशन के लिए केंद्र सरकार के पास फॉर्म एनडीएच-4 में आवेदन करना जरूरी है।


फॉर्म एनडीएच-4 में केंद्र सरकार के पास आवेदन करने के लिए समय सीमा कुछ इस प्रकार से है:-


1- निधि संशोधन रूल्स 2019 से पहले (यानी 15 अगस्त 2019) निधि के तौर पर शामिल कंपनियों को उसके निगमन की तारीख से एक साल की अवधि के भीतर या निधि संशोधन नियम यानी 15 अगस्त 2019 से 9 महीने के भीतर, जो बाद में हो, आवेदन करना होगा।


2- निधि संशोधन नियम 2019 यानी 15 अगस्त 2019 को या बाद में निधि के तौर पर निगमित कंपनियों को निगमन की तारीख या बढ़ी हुई अवधि (संबंधित क्षेत्रीय निदेशक द्वारा मिली) से एक साल की समाप्ति के 60 दिनों के भीतर आवेदन करना होगा।


अगर कोई कंपनी उपरोक्त आवश्यकताओं का अनुपालन नहीं करती है तो उसे फॉर्म नंबर एसएच-7 (शेयर कैपिटल के किसी भी परिवर्तन के लिए रजिस्ट्रार को नोटिस) और फॉर्म पीएएस-3 (आवंटन वापस) दाखिल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।


ऐसी कंपनियों के लिए संशोधित निधि रूल्स 2014 और कंपनीज एक्ट 1956/2013 के प्रावधान का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना आवश्यक है। इन नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन के मामले में कंपनी और उसके प्रत्येक अधिकारी, जो डिफॉल्ट में हैं, को जुर्माने के साथ दंडित किया जाएगा जो 5 हजार रुपये तक हो सकता है और लगातार उल्लंघन पर और भी जुर्माना लग सकता है।


आगे, निवेशकों को किसी निवेश या जमा से पहले आधिकारिक राजपत्र में केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना से निधि कंपनी की स्थिति को सत्यापित करने की सलाह दी जाती है।


निधि नियम 2014 के तहत, निधि एक कंपनी है जिसे अपने सदस्यों के बीच बचत की आदत डालने, जमा राशि प्राप्त करने और पारस्परिक लाभ के लिए केवल अपने सदस्यों को ऋण देने के उद्देश्य से निधि के तौर पर निगमित किया गया है।




उप राष्ट्रपति ने कॉलेजों में प्रवेश और रोजगार में खेल को ज्यादा महत्व देने का आह्वान किया

उप राष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और रोजगार देने के लिए खेल को ज्यादा महत्व देने का आह्वान किया क्योंकि यह युवाओं को खेल संबंधी गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करेगा।


हाल में भुवनेश्वर में आयोजित हुए खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में जीत दर्ज करने वाले पंजाब विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि भारत अपने आकार और आबादी के बावजूद ओलंपिक जैसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पिछड़ रहा था क्योंकि पहले खेलों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता था।


देश के सभी शिक्षण संस्थानों से बहुत कम उम्र से ही बच्चों में खेल की संस्कृति का विकास करने का आह्वान करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि स्कूलों और कॉलेजों में खेल को अनिवार्य विषय बनाना खेल संस्कृति को आगे बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है।  खेलों में भाग लेने के तमाम फायदे समझाते हुए श्री नायडू ने कहा कि किसी भी प्रकार का शारीरिक व्यायाम न केवल युवाओं को तंदुरुस्त रखता है बल्कि उनके एकाग्रता के स्तर को भी सुधारता है। खेल युवाओं में सामाजिक लगाव, टीम भावना और आत्म-विश्वास की भावना पैदा करते हैं। उप राष्ट्रपति ने पंजाब  विश्वविद्यालय के युवा एथलीटों से कहा, 'यह आपको शिष्टाचारपूर्वक हार को स्वीकार करना सिखाते हैं। अगर आप शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं, तो आप मानसिक रूप से सजग रहेंगे।' बच्चों के खेलकूद को नियमित पेशे के रूप में लेने के लिए उन्होंने सरकार, समाज और शैक्षणिक संस्थानों के समन्वित प्रयासों का आह्वान किया।  खेलो इंडिया, फिट इंडिया, योग जैसे कार्यक्रमों को शुरू करने के लिए सरकार की सराहना करते हुए, श्री नायडू ने भारत को स्वस्थ बनाने के लिए इन्हें व्यापक अभियानों में परिवर्तित करने के लिए प्रत्येक नागरिक खासतौर से युवाओं और शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी की मांग की। उन्होंने कहा कि ये कार्यक्रम जन आंदोलन बनने चाहिए।  इस बात पर कायम रहते हुए कि देश के आर्थिक रूप से मजबूत होने के लिए उसकी आबादी शारीरिक रूप से फिट होनी चाहिए, उप राष्ट्रपति ने हर नागरिक से राष्ट्र की प्रगति में योगदान करने और उसके विकास का भागीदार बनने का आह्वान किया। जीवन शैली संबंधी बीमारियों को बढ़ने से रोकने के लिए योग या किसी भी प्रकार की नियमित शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल देते हुए श्री नायडू ने मानव जाति के प्रकृति की ओर लौटने की जरूरत पर बल दिया। लोगों के प्रकृति की गोद में ज्यादा समय बिताने की उन्होंने इच्छा व्यक्त की।


कार्यक्रम में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में पंजाब विश्वविद्यालय के प्रतिभागियों के साथ-साथ उप राष्ट्रपति के सचिव श्री IV सुब्बाराव, पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राज कुमार और संकाय के सदस्य उपस्थित रहे।


पूरा भाषण निम्नलिखित है-


'पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति, पंजाब विश्वविद्यालय के एथलेटिक दल के सदस्य, शिक्षक वृंद, प्रिय युवा मित्रों। आप सभी का उप राष्ट्रपति निवास पर स्वागत करने का सुयोग पाकर प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं। मेधावी छात्रों और विद्वान शिक्षकों की उपस्थिति सदैव ही शुभता प्रदान करती है।


हाल में भुवनेश्वर में आयोजित पहले खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में पंजाब विश्वविद्यालय के प्रतिभाशाली युवा छात्रों ने 17 स्वर्ण, 18 रजत और 10 कांस्य पदक जीत कर प्रथम स्थान प्राप्त किया है। दल के सभी सदस्यों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। आपके विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रूप में, आपकी हर उपलब्धि से स्वयं को निकट से जुड़ा हुआ पाता हूं।


आपके प्रयास, आपको, आपके शिक्षकों, परिजनों और आपके विश्वविद्यालय के लिए यश अर्जित करते हैं। आपकी सफलता, आपकी निजी उपलब्धि ही नहीं, बल्कि आपके संस्थान और समुदाय को भी यशस्वी बनाती है इसलिए आपकी उपलब्धि और भी अभिनंदनीय है। पंजाब विश्वविद्यालय तथा इस क्षेत्र के अन्य शिक्षा संस्थानों ने युवाओं में खेल की संस्कृति विकसित करने में अभिनंदनीय योगदान दिया है। पंजाब विश्वविद्यालय को खेलकूद में उल्लेखनीय उपलब्धियां के लिए 14वीं बार भारत सरकार की एमएकेए ट्रॉफी (मौलाना अबुल कलाम आजाद ट्रॉफी) से पुरस्कृत किया गया है।


मुझे जानकर हर्ष है कि सरकार ने खेलो इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत देश में खेल प्रतिभाओं को पहचानने और उन्हें प्रशिक्षित और प्रोत्साहित करने का एक व्यापक कार्यक्रम तैयार किया है। प्रति खिलाड़ी को आठ वर्षों तक प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान किए जाने का प्रावधान किया गया है।


2018 से खेलो इंडिया युवा खेलकूद आयोजित किए जा रहे हैं। इस वर्ष भी जनवरी में, गुवाहाटी में आयोजित खेलो इंडिया युवा खेलों में, विभिन्न प्रदेशों के लगभग 9000 युवा खिलाड़ियों ने भाग लिया। मुझे हर्ष है कि इन खेलों में हरियाणा ने दूसरा और पंजाब ने दसवां स्थान प्राप्त किया। देश को अनेक युवा खेल प्रतिभाएं मिलीं।


मुझे विशेष संतोष है कि गत सप्ताह ही देश के पहले खेलो इंडिया विंटर गेम्स उत्तर कश्मीर के गुलमर्ग में सफलतापूर्वक आयोजित किए गए जिसमें 20 राज्यों के लगभग 900 प्रतिभागियों ने 30 खेलों में भाग लिया। आप सहज ही अनुमान लगा सकते हैं कि जो क्षेत्र वर्षों तक आतंकवाद के विष को झेल रहा था, वहां पर ऐसे खेलों का सफलतापूर्वक आयोजन स्थानीय समुदाय, वहां के खिलाड़ियों, युवाओं और प्रशासन के लिए, आशा का कितना सकारात्मक संदेश देता है।


इन खेलों को आयोजित करने के लिए मैं केंद्र और प्रदेश सरकारों तथा स्थानीय प्रशासन, विद्यालयों, विश्वविद्यालयों और सबसे अधिक प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले प्रतियोगियों का अभिनन्दन करता हूं जिनके प्रयासों से लगभग 2000 से अधिक युवा खेल प्रतिभाओं को खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत चिन्हित किया जा सका है। ये 2000 युवा देश में स्पोर्टिंग टैलंट पूल बनाएंगे जिन्हें वैश्विक स्पर्धाओं के लिए प्रशिक्षित और प्रोत्साहित किया जा सके।


इन प्रयासों के परिणाम दिखने भी लगे हैं। हाल के वर्षों में एथेलेटिक्स, कुश्ती, मुक्केबाजी, बैडमिंटन, जिम्नास्टिक जैसे खेलों में अंतरराष्ट्रीय, वैश्विक या क्षेत्रीय टूर्नामेंट में भारतीय खिलाड़ियों की उपलब्धियां विशेषकर महिला खिलाड़ियों की उपलब्धियां नई संभावनाओं के द्वार खोलती हैं।


पिछले कुछ वर्षों में भारत ने खेल के क्षेत्र में लगातार प्रगति की है और कई वैश्विक मंचों पर अपने कौशल का प्रदर्शन किया है। अब समय है कि हम खेल भावना के फलने-फूलने के लिए आवश्यक माहौल तैयार कर भारत को एक वैश्विक खेल महाशक्ति बनाने का उद्देश्य तय करें। मैं देश के सभी कोनों से खेल प्रतिभाओं को पहचानने, प्रोत्साहित करने और उन्हें शीर्ष स्तर के बुनियादी ढांचे और उच्चतम स्तर का प्रशिक्षण देकर सहयोग करने के लिए कुछ साल पहले शुरू किए गए खेलो इंडिया कैंपेन के लिए भारत सरकार की प्रशंसा करता हूं।


मुझे खुशी है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की पहल 'फिट इंडिया कैंपेन' लोगों को फिट और स्वस्थ रहने के लिए प्रोत्साहित करता है।


खेलकूद, शारीरिक अभ्यास और सौष्ठव हर परंपरा का भाग रहा है। आवश्यकता है तो उस परंपरा को जीवित करने की, उससे जुड़ने की, ऐसी प्रतिभाओं को पहचान कर उन्हें प्रशिक्षित करने की। इसी उद्देश्य से सरकार योग, फिट इंडिया, खेलो इंडिया जैसे कार्यक्रमों को जन अभियान के रूप में प्रचारित और प्रसारित कर रही है। इन जन अभियानों में हर नागरिक, हर संस्था विशेषकर युवाओं और शैक्षणिक संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। तभी खेलकूद को समाज में व्यापक स्वीकार्यता मिलेगी, लोग व्यायाम और अभ्यास को जीवन शैली में अपनाएंगे। खेलकूद के लिए एक सामाजिक संस्कृति विकसित हो सकेगी।


स्पोर्ट्स और गेम्स हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे हमारी शारीरिक फिटनेस को सुधारते हैं, हमराी संज्ञानात्मक क्षमता में सुधार करते हैं और टीम गेम्स के मामले में हमारे सामाजिक कौशल में वृद्धि करते हैं। हम टीमों में कैसे काम करें, कैसे ध्यान केंद्रित करें और अपनी क्षमता में सुधार करना सीखते हैं और खेल का आनंद कैसे लें और कभी-कभी जीतने के लिए खेलते हैं।


तमाम खेलों और गेम्स में भाग लेने से व्यक्ति की एकाग्रता के स्तर में सुधार, टीम के साथ मिलकर काम करने की अवधारणा को बढ़ावा और आत्मसंयम का सलीका विकसित करने में मदद मिलेगी, जो किसी भी तरह की कड़वाहट, दुर्भावना या द्वेष की भावना के बिना हार को स्वीकार करने के लिए जरूरी है।


यह जीवन की गुणवत्ता को सुधारता है। यह आज्ञाकारिता, अनुशासन की आदत बनाने, जीतने का दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति में बढोतरी में सहायता करता है। गेम्स और स्पोर्ट्स में नियमित भागीदारी भी व्यक्ति को दृढ़ संकल्प की भावना विकसित करने में सक्षम बनाएगी। आखिरकार, स्पोर्ट्स का एक अच्छा व्यक्ति एक अच्छा नेता बन सकता है क्योंकि खेल नेतृत्व गुणों को भी विकसित करता है।


अभिभावक और शिक्षकों द्वारा प्रतिभावान खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जाना आवश्यक है। इसी विचार से हमारी नई शिक्षा नीति में खेलकूद को शिक्षा का महत्वपूर्ण अभिन्न अंग माना गया है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी स्थापित की जा रही है। जैसे-जैसे हमारे खिलाड़ियों की उपलब्धियां बढ़ेंगी, समाज का खेलकूद के प्रति नजरिया भी बदलेगा। अतः आप सब की उपलब्धियां, समाज में खेलकूद के प्रति जागृति बढ़ाने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण कदम है।


भारत को एक महान खेल राष्ट्र बनाने के लिए इसे जमीनी स्तर पर ले जाने और देश में सभी प्रकार के खेलों के लिए मजबूत ढांचा तैयार करने की तत्काल जरूरत है। खेल संस्कृति को स्कूल के समय से ही पोषित और पुनर्जीवित करने की जरूरत है। गेम्स और स्पोर्ट्स या योग या कोई भी शारीरिक गतिविधि लोगों की दैनिक दिनचर्या का अभिन्न अंग बनना चाहिए। यह न केवल स्वस्थ रखता है बल्कि दिमाग को तनाव मुक्त रखने में भी मदद करता है और दिमाग व शरीर को आराम प्रदान करता है। खेल क्षमता में सुधार करता है, टीम भावना को बढ़ाता है, समय की कीमत को समझाता है और साथ ही साथ किसी स्पोर्ट या किसी गेम को खेलना और देखना मनोरंजन का भी एक अच्छा स्रोत हो सकता है।


जैसा कि हम सभी जानते हैं कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ दिमाग रहता है और यह एक से ज्यादा तरीकों से मदद करता है। फिट रहने और स्वस्थ रहने से व्यक्ति, परिवार और बड़े पैमाने पर समाज की भलाई पर असर पड़ेगा। 30 से कम उम्र की 65 फीसदी से ज्यादा आबादी वाले हमारे जैसे किसी युवा देश को बच्चों, युवाओं और बड़ों को किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि करके फिट रहने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।


मेरी अपेक्षा होगी कि इसके लिए आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्रशिक्षक स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराए जाएं। सामुदायिक और स्कूली स्तर पर प्रतिस्पर्धाएं आयोजित की जाएं।


युवा मित्रों,


देश का विकास एक आयामी नहीं होता, देश की प्रगति को सिर्फ जीडीपी के द्वारा ही नहीं मापा जा सकता, उससे देश में आर्थिक प्रगति का अनुमान तो लग सकता है परन्तु देश में अंतर्निहित मेधा, प्रतिभा का नहीं, समाज के युवाओं में निहित भावी संभावनाओं का नहीं। राष्ट्र सिर्फ आर्थिक रूप से ही प्रगति नहीं करता, वह समाज के संस्कारों, युवाओं के ऊंचे लक्ष्यों, उसके लिए अभीष्ट प्रयासों से, उनकी उद्यमशीलता से विकसित होता है। अतः आपके लक्ष्य, आपके प्रयास ही इस देश की प्रगति को दिशा और गति देंगे।


एक बार पुनः मैं आप सभी को आपकी भावी सफलताओं और उपलब्धियों के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मुझे विश्वास है कि आपकी उपलब्धियों से प्रोत्साहित होकर विश्वविद्यालय शीघ्र ही सिंथेटिक एथलेटिक्स ट्रैक, साइकिलिंग वेलोड्रोम तथा स्क्वैश कोर्ट जैसी सुविधाओं का निर्माण कर सकेगा।


उप राष्ट्रपति आवास पर स्वागत करने का सुयोग प्रदान किया, आप सभी को धन्यवाद देता हूं।


जय हिन्द!'