दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों में हुई उत्कृष्ट प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने कोविड-19 महामारी के संदर्भ में वैश्विक स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
Friday, March 13, 2020
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इज़राइल के प्रधानमंत्री के साथ टेलीफोन पर बातचीत की
केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने राज्यसभा में दिल्ली के कुछ हिस्सों में हाल ही में उत्पन्न हुई कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा का जवाब दिया
श्री शाह ने सदन को बताया कि 26 तारीख के बाद से 700 से ज्यादा प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है, 2647 लोग हिरासत में लिए गए हैं । श्री शाह ने यह भी बताया कि दिल्ली के आम नागरिकों से भी दंगे में हुई हिंसा से संबंधित वीडियो फुटेज मंगाए गए हैं और बड़ी संख्या में दिल्ली पुलिस को फुटेज प्राप्त भी हुए हैं। सीसीटीवी और वीडियो फुटेज का डिटेल एनालिसिस किया जा रहा है । फेस आईडेंटिफिकेशन सॉफ्टवेयर द्वारा चेहरों की पहचान की जा रही है जिसके आधार पर यह भी तथ्य प्राप्त हुए हैं कि 330 से ज्यादा लोग उत्तर प्रदेश से आकर यहां हिंसा करने के लिए जिम्मेदार हैं ।
श्री शाह ने कहा कि शांति समिति की 650 से ज्यादा बैठकें हो चुकी हैं जिनमें सभी धर्मों के लोग शामिल हैं । 40 से अधिक टीम द्वारा दंगों में शामिल लोग गिरफ्तार किये जा रहे हैं। इस तरह के कामों में लिप्त संस्थाओं में कितनी राशि कहां से आई है इस पर भी जांच की जा रही है । श्री शाह ने बताया कि 5 लोग जो दिल्ली के दंगों में वित्तीय सहायता पहुंचा रहे थे उनकी शिनाख्त कर ली गई है। श्री शाह ने कहा कि जिन्होंने भी दंगा करने की हिमाकत की है वह कानून की गिरफ्त से भाग नहीं पाएंगे ।
दिल्ली के 4% क्षेत्र और 13% आबादी तक ही हिंसा सीमित रखने का काम दिल्ली पुलिस ने किया है और यह 12 थानों तक ही हिंसा रुकी रहे यह एक अच्छा प्रयास रहा । दिल्ली के एक हिस्से में जो हिंसा हो रही थी वह दिल्ली के दूसरे भागों में न फैले इस दिशा में दिल्ली पुलिस द्वारा सकारात्मक कदम उठाए गए जिसके लिए वह प्रशंसा की पात्र है । श्री शाह ने कहा कि दंगा करने वाले किसी भी धर्म के हों, किसी भी जाति के हों, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा । वैज्ञानिक जांच के आधार पर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी, यह इसलिए भी जरूरी है कि दंगा करने और कराने वालों के मन में कानून का भय बना रहे। श्री शाह ने यह भी कहा कि 24 फरवरी 2020 को दंगों की पहली सूचना प्राप्त हुई और 25 फरवरी रात 11:00 बजे अंतिम सूचना प्राप्त हुई और दिल्ली पुलिस ने बहुत ही संयम से काम लेकर 36 घंटों के अंदर हिंसा को समेटने का काम किया है।
केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि फेस आईडेंटिफिकेशन के लिए आधार कार्ड का उपयोग नहीं किया जा रहा है और किसी की निजता भंग नहीं की जा रही। बड़ी संख्या में लोगों को पहचान लिया गया है जो दंगा करते हुए, दंगों में लोगों का नुकसान करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
सभी 50 मामलों में 3 एस आई टी बनाकर डिटेल इन्वेस्टिगेशन किया जा रहा है । बगैर लाइसेंस के निजी हथियार चलने की सूचना भी प्राप्त हुई है जिसमें 49 मामले दर्ज किए गए हैं जिसमें 52 लोगों की गिरफ्तारी हुई है । दंगों की फंडिंग करने वालों को पाताल से भी ढूंढ निकालेंगे और उन्हें सजा मिलेगी । आईएसआईएस के संलिप्त होने के भी प्रमाण मिले हैं और पुलिस जांच की जा रही है।
अंकित शर्मा और रतन लाल की हत्या करने वाले दोषियों को गिरफ्तार किया गया है और जांच जारी है। भविष्य में दंगा न हो इसके लिए दिल्ली में दंगाइयों से जुर्माना वसूलने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है और क्लेम कमिश्नर की नियुक्ति का भी प्रस्ताव है । लोगों के मन में विश्वास होना चाहिए कि नरेंद्र मोदी सरकार तेज गति से निष्पक्ष जांच करेगी। श्री शाह ने कहा कि जांच के दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी निर्दोष को परेशान न किया जाए।
22 तारीख से 26 फरवरी तक जितनी भी फोर्स की आवश्यकता थी तैनाती की गई ।श्री अमित शाह ने कहा कि सी ए ए पर पूरे देश के अल्पसंख्यकों को गुमराह किया जा रहा है उनके मन में भय पैदा किया गया है। सीएएए में किसी की भी नागरिकता लेने का प्रावधान नहीं है इसमें केवल पीड़ित लोगों को नागरिकता दी जायेगी ।
श्री अमित शाह ने सदन को बताया कि 2 तारीख को जब सदन शुरू हुआ तब तक दंगा समाप्त हो चुका था और पुलिस जांच की कार्यवाही कर रही थी, वहां की व्यवस्था को ठीक करने में लगे थे और साथ ही होली का त्यौहार भी था । होली का त्यौहार सद्भावना का त्योहार है । यह आवश्यक था कि त्योहार के मौके पर लोगों की भावनाओं को शांत रखा जाए इसलिए होली के तुरंत बाद 11 और 12 तारीख को दोनों सदनों में चर्चा कराने का प्रस्ताव रखा गया ।
श्री शाह ने सदस्यों द्वारा न्यायाधीश के स्थानांतरण संबंधी प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि इस संबन्ध में निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के कोलोजियम द्वारा लिया जाता है, इसमें सरकार की दखलंदाजी नहीं होती है।
श्री शाह ने कहा कि सभी पार्टियों को एक होकर कहना होगा कि सी ए ए से किसी की भी नागरिकता नहीं जा रही। उनका यह भी कहना था कि एनपीआर के अंदर कोई भी दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा । सूचना देने के लिए विकल्प मौजूद हैं और उसके आधार पर सूचना दी जा सकती है और किसी को भी संदेह की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा । श्री शाह ने कहा कि देश के अंदर किसी को भी एनपीआर की प्रक्रिया से डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष से कहा कि यदि किसी को भी कोई संशय है तो मेरे साथ चर्चा कर सकते हैं। श्री शाह ने विपक्ष के सांसदों से कहा कि अब सीएए तथा एनपीआर पर भ्रांति खत्म होनी चाहिए।
श्री अमित शाह ने कहा कि देश की कुछ बड़ी पार्टी के नेता लोगों को उकसा रहे थे और 14 दिसंबर की हेट स्पीच के बाद ही शाहीन बाग का धरना शुरू हुआ । श्री शाह ने बताया कि इस तरह भड़काऊ भाषण 24 तारीख को दंगों की शक्ल में परिवर्तित हो गए।
श्री शाह का कहना था कि दिल्ली दंगों में पैसा पहुंचा है, सोशल मीडिया में भड़काया गया है इन सब की जांच चल रही है और कोई बच नहीं पाएगा ।
प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 लोकसभा में पेश
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पोत परिवहन मंत्रालय के प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट कानून, 1963 की जगह प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 को लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इससे निर्णय लेने की पूर्ण स्वायत्तता और मुख्य बंदरगाहों के संस्थागत ढांचे का आधुनिकीकरण करके प्रमुख बंदरगाहों को अधिक दक्षता के साथ काम करने का अधिकार मिलेगा।
इससे पहले, विधेयक को 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था और उसके बाद संसदीय स्थायी समिति (पीएससी) को भेजा गया था। साक्ष्य लेने और व्यापक परामर्श करने के बाद जुलाई 2017 में पीएससी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसके आधार पर, पोत परिवहन मंत्रालय ने 2018 में लोकसभा में विधेयक में आधिकारिक संशोधन पेश किया। हालांकि यह विधेयक पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद वैध नहीं रहा।
बंदरगाह की आधारभूत संरचना के विस्तार को बढ़ावा देने और व्यापार व वाणिज्य को सुविधाजनक बनाने की दृष्टि से, प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 का उद्देश्य प्रमुख बंदरगाहों के प्रशासन में पेशेवराना अंदाज को बढ़ावा देना और निर्णय लेने में विकेंद्रीकरण है। यह हितधारकों और परियोजना को बेहतर तरीके से लागू करने की क्षमता को लाभ पहुंचाते हुए तेज और पारदर्शी निर्णय देने में मदद करेगा। विधेयक का उद्देश्य केंद्रीय बंदरगाहों में सुशासन मॉडल को वैश्विक अभ्यास के अनुरूप जमींदार बंदरगाह मॉडल के रूप में फिर से प्रस्तुत करना है। इससे प्रमुख बंदरगाहों के संचालन में पारदर्शिता लाने में भी मदद मिलेगी।
यह विधेयक सभी हितधारकों और मंत्रालयों/विभागों के साथ व्यापक परामर्श और पीएससी की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-
क- यह बिल प्रमुख बंदरग्राह ट्रस्ट कानून 1963 की तुलना में ज्यादा सुगठित है क्योंकि अतिच्छादित और अप्रचलित अनुभागों को समाप्त करके अनुभागों की संख्या घटाकर 134 से 76 कर दी गई है।
ख- नए विधेयक में बंदरगाह प्राधिकरण के बोर्ड की सरल संरचना का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्तमान के 17 से 19 की तुलना में 11 से 13 सदस्य ही शामिल होंगे। पेशेवर स्वतंत्र सदस्यों वाला एक कॉम्पैक्ट बोर्ड निर्णय लेने और रणनीतिक योजना को मजबूत करेगा। राज्य सरकार, जिसमें प्रमुख बंदरगाह स्थित है, रेल मंत्रालय, रक्षा और सीमा शुल्क मंत्रालय, राजस्व विभाग के प्रतिनिधि को बोर्ड में सदस्य के तौर पर शामिल करने के अलावा सरकार की तरफ से नामित सदस्य और बड़े बंदरगाह प्रशासन के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को शामिल करने का प्रावधान किया गया है।
ग- प्रमुख बंदरगाहों के लिए तटकर प्राधिकरण की भूमिका नए सिरे से तय की गई है। बंदरगाह प्रशासन को अब तटकर तय करने के अधिकार दिए गए हैं जो पीपीपी परियोजनों के लिए बोली लगाने के उद्देश्यों के लिए एक संदर्भ तटकर के तौर पर काम करेगा। पीपीपी ऑपरेटर बाजार की स्थितियों के आधार पर तटकर तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे। बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड को भूमि सहित अन्य बंदरगाह सेवाओं और परिसंपत्तियों के लिए शुल्क का दायरा तय करने के अधिकार सौंप दिए गए हैं।
घ- एक सहायक बोर्ड बनाने का प्रस्ताव किया गया है, जो प्रमुख बंदरगाहों के लिए पूर्ववर्ती टीएएमपी के बचे हुए कार्य को पूरा करने, बंदरगाहों और पीपीपी रियायत पाने वालों के बीच विवादों को देखने, तनावग्रस्त पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिए और तनावग्रस्त पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिए उपाय सुझाने और इस तरह की परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के उपाय देने और बंदरगाहों/निजी ऑपरेटरों (बंदरगाहों के भीतर काम करने वाले) द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को लेकर आई शिकायतों को देखने का काम करेगा।
ड.- बंदरगाह प्राधिकरण बोर्डों को अनुबंध करने, योजना और विकास, राष्ट्र हित को छोड़कर शुल्क तय करने, सुरक्षा और निष्क्रियता व डिफॉल्ट के चलते आपातकालीन स्थिति की पूरी शक्तियां दी गई हैं। मौजूदा एमपीटी कानून 1963 में 22 मामलों में केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति लेना आवश्यक था।
च- प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह का बोर्ड, बंदरगाह की सीमा और भूमि के दायरे में किसी भी विकास या अवसंरचना के संबंध में विशिष्ट मास्टर प्लान तैयार करना का हकदार होगा और इस तरह का मास्टर प्लान किसी भी प्राधिकरण के स्थानीय या राज्य सरकार के नियमों से स्वतंत्र होगा।
छ- सीएसआर और बंदरगाह प्राधिकरण के द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास के प्रावधान पेश किए गए हैं।
ज- प्रमुख बंदरगाहों के कर्मचारियों के पेंशन लाभ समेत वेतन और भत्ते और सेवा की शर्तों और प्रमुख बंदरगाहों के तटकर को सुरक्षा देने के लिए प्रावधान किया गया है।
Thursday, March 12, 2020
केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने लोकसभा में दिल्ली के कुछ हिस्सों में हाल ही में हुई उत्पन्न हुई कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा का जवाब दिया
श्री शाह ने कहा कि पूरे घटनाक्रम को जिस तरह से रखने का प्रयास किया जा रहा है वह ठीक नहीं है उन्होंने बताया कि 25 तारीख रात 11:00 बजे के बाद एक भी घटना घटित नहीं हुई । विपक्ष द्वारा होली के बाद चर्चा कराने के प्रश्न का जवाब देते हुए श्री शाह ने कहा कि होली एक ऐसा त्यौहार है जिसमें अलग-अलग प्रांतों में दंगों का इतिहास रहा है इसलिये ऐसे समय में माहौल खराब न हो और होली शांतिपूर्ण ढंग से मनाई जा सके इसलिए सदन में होली के बाद चर्चा का समय रखा गया था । उन्होने कहा कि पुलिस को जांच की तह में जाने के लिए कुछ समय की आवश्यकता होती है जिनके आधार पर सदन में वह कारण रखे जा सकें । श्री शाह ने कहा कि हमारा इतना ही मकसद था कि शांति बनी रहे और होली के तुरंत बाद सदन में चर्चा हो किंतु सदन नहीं चलने दिया गया ।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कई सदस्यों ने यह सवाल उठाया कि दिल्ली पुलिस क्या कर रही थी इसके जवाब में श्री शाह ने कहा कि विपक्ष का यह दायित्व है कि सत्ता पक्ष और सत्ता पक्ष के अधीन विभागों की कड़ी आलोचना करे, उनके इस अधिकार से कोई आपत्ति नहीं है किंतु जब दंगों के बाद पुलिस मैदान में झूझ रही थी और पुलिस को जब तथ्यों की जांच कर कोर्ट के सामने रखना था ऐसे समय में दिल्ली पुलिस दिल्ली के एक हिस्से में जो हिंसा हो रही थी वह दिल्ली के दूसरे भागों में न फैले इस दिशा में दिल्ली पुलिस द्वारा सकारात्मक कदम उठाए गए जिसके लिए वह प्रशंसा की पात्र है । दिल्ली के 4% क्षेत्र और 13% आबादी तक ही हिंसा सीमित रखने का काम दिल्ली पुलिस ने किया है और यह 12 थानों तक ही हिंसा रुकी रहे यह एक अच्छा प्रयास रहा । श्री शाह ने यह भी कहा कि 24 फरवरी 2020 को दंगों की पहली सूचना प्राप्त हुई और 25 फरवरी रात 11:00 बजे अंतिम सूचना प्राप्त हुई और दिल्ली पुलिस ने बहुत ही संयम से काम लेकर 36 घंटों के अंदर हिंसा को समेटने का काम किया है।
श्री अमित शाह ने कहा कि कहा कि दूसरे दिन लगातार दिल्ली पुलिस के साथ चर्चा की गई कि यह दंगे आगे न फैलें | श्री शाह ने उन 2 दिनों की अलग-अलग बैठकों का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली के दंगों पर पूरी नजर थी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोभाल को पुलिस का मनोबल बढ़ाने के लिए वहां भेजा गया था । श्री शाह ने यह भी बताया कि तुरंत ही स्पेशल सीपी अपॉइंट किए गए और शीघ्रता के आधार पर इस को काबू करने का प्रयास किया गया ।
श्री शाह ने सदन को बताया कि दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की जान गई और हजारों करोड़ का नुकसान हुआ है जिसके लिए यहां की भौगोलिक व्यवस्था को भी समझना पड़ेगा । उनका कहना था कि भारत की घनी आबादी वाला क्षेत्र होने के कारण और सकरी गलियों के होने के कारण पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था का पहुंचना मुश्किल है । इसका क्षेत्र उत्तर प्रदेश की सीमा क्षेत्र से भी लगा हुआ है ।
श्री अमित शाह ने बताया कि वर्तमान में 80 से ज्यादा कंपनियां वहां तैनात हैं और गुनहगारों को पकड़ने की व्यवस्था शुरू की जा चुकी है । श्री शाह ने सदन को बताया कि 26 तारीख के बाद से 700 से ज्यादा प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है, 26 सौ से ज्यादा लोग हिरासत में लिए गए हैं । सीसीटीवी और वीडियो फुटेज का डिटेल एनालिसिस किया जा रहा है । श्री शाह ने यह भी बताया कि आमजन से भी हिंसा से संबंधित वीडियो फुटेज मंगाए गए हैं और बड़ी संख्या में दिल्ली पुलिस को फुटेज प्राप्त भी हुए हैं। फेस आईडेंटिफिकेशन सॉफ्टवेयर द्वारा चेहरों की पहचान की जा रही है जिसके आधार पर यह भी तथ्य प्राप्त हुए हैं कि 300 से ज्यादा लोग उत्तर प्रदेश से आकर यहां हिंसा करने के लिए जिम्मेदार हैं ।
केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि सदन के माध्यम से देश की जनता को आश्वस्त करना चाहता हूं कि नरेंद्र मोदी सरकार दंगों में शामिल किसी भी व्यक्ति को नहीं बक्शेगी। श्री शाह ने कहा कि शांति समिति की साढ़े 600 से ज्यादा बैठकें हो चुकी हैं जिनमें सभी धर्मों के लोग शामिल हैं । इतने कम समय में दंगे इतने बड़े स्तर पर फैलना यह जाहिर करता है कि कोई पूर्व नियोजित साजिश रही है । इस तरह के कामों में लिप्त संस्थाओं में कितनी राशि कहां से आई है इस पर भी जांच की जा रही है । श्री शाह ने बताया कि 3 लोग जो दिल्ली के दंगों में वित्तीय सहायता पहुंचा रहे थे उनकी शिनाख्त कर ली गई है। श्री शाह ने कहा कि जिन्होंने भी दंगा करने की हिमाकत की है वह कानून की गिरफ्त से भाग नहीं पाएंगे । श्री शाह ने बताया कि जांच के दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी निर्दोष को परेशान न किया जाए।
श्री अमित शाह ने कहा कि सी ए ए पर पूरे देश के अल्पसंख्यकों को गुमराह किया जा रहा है । सीएएए में किसी की भी नागरिकता लेने का प्रावधान नहीं है इसमें केवल पीड़ित लोगों को नागरिकता देने का काम किया जा रहा है । श्री अमित शाह ने कहा कि पूरे देश में सीएए के समर्थन में रैलियां निकली हैं और बड़ी संख्या में लोग उनमें शामिल हुए हैं । उन्होंने कहा कि देश की बड़ी पार्टी के नेता लोगों को उकसा रहे थे और 14 दिसंबर की हेट स्पीच के बाद शाहीन बाग का धरना शुरू हुआ । श्री शाह ने बताया कि इस तरह भड़काऊ भाषण 24 तारीख को दंगों की शक्ल में परिवर्तित हो गए।
श्री अमित शाह का कहना था कि दिल्ली दंगों में पैसा पहुंचा है, सोशल मीडिया में भड़काया गया है इन सब की जांच चल रही है और कोई बच नहीं पाएगा । श्री शाह ने बताया कि सरकार द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट को क्लेम सबमिशन समिति के गठन से संबंधित पत्र लिखा जा चुका है । श्री अमित शाह ने बताया कि दंगों के दौरान 52 भारतीयों की मृत्यु हुई है 526 भारतीय घायल हुए हैं 371 दुकाने जली हैं, 142 घर जलाये गये।