Thursday, March 12, 2020

सीसीआई ने ग्रीनको मॉरीशस द्वारा तीस्ता ऊर्जा लिमिटेड के अधिग्रहण को मंजूरी दी

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने ग्रीनको मॉरीशस (अधिग्रहणकर्ता/ग्रीनको) द्वारा तीस्ता उर्जा लिमिटेड (लक्ष्य/टीयूएल) के अधिग्रहण को स्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 31 (1) के तहत मंजूरी दे दी है।


प्रस्तावित संयोजन टीयूएल (प्रस्तावित संयोजन) की चुकता इक्विटी शेयर पूंजी में लगभग 35% इक्विटी हिस्सेदारी के ग्रीनको द्वारा अधिग्रहण से संबंधित है।


अधिग्रहणकर्ता, ग्रीनको एनर्जी होल्डिंग्स की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। यह एक निवेश होल्डिंग कंपनी है, जो भारत में बिजली उत्पादन क्षेत्र में लगी कंपनियों के पोर्टफोलियो में अपना निवेश करती है।


उत्तर सिक्किम में 1200 मेगावाट (प्रत्येक 200 मेगावाट की 6 इकाइयां) पनबिजली परियोजना के कार्यान्वयन के उद्देश्य से लक्षित एक स्पेशल पर्पस व्हिकल है।



शिक्षाविदों और कंपनियों ने 11वें बैंगलुरू इंडिया नैनो 2020 में नैनो-टेक और इसके उत्पादों का प्रदर्शन किया

11वें बेंगलुरू इंडिया नैनो सम्मेलन और प्रदर्शनी में नैनो टेक्नोलॉजी में शिक्षाविदों और कंपनियों की विकसित प्रौद्योगिकियों और उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, कर्नाटक सरकार और जवाहरलाल नेहरू उन्‍नत वैज्ञानिक अनुसंधान केन्‍द्र (जेएनसीएएसआर) ने अन्य सरकारी संस्थानों और कॉर्पोरेट कंपनियों के साथ मिलकर किया। जेएनसीएएसआर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्त संस्थान है।


11वें बेंगलुरू इंडिया नैनो सम्मेलन और प्रदर्शनी का उद्घाटन कर्नाटक के उप-मुख्‍यमंत्री डॉ. सी. एन. अश्‍वथ नारायण ने प्रोफेसर सी. एन. राव के साथ किया। इसमें जेएनसीएएसआर ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध से संबंधित संक्रमण से निपटने के लिए अभिनव रूख से संबंधित अनुसंधान कार्य, पर्यावरण के अनुकूल बैटरी और कृषि क्षेत्र के लिए विकसित नैनो तकनीक उपकरण का प्रदर्शन किया गया।


प्रदर्शित की गई तकनीकों में राइनो ल्यूर और राइनचो ल्यूर, वातावरण के अनुकूल, किफायती और अवशिष्ट मुक्त नियंत्रण रणनीति उपकरण शामिल हैं जो राइनोसेरस बीटल और रेड प्लाम वेविल कीटों की निगरानी और प्रबंधन करते हैं और नारियल, खजूर, पाम ऑयल जैसी फसलों की रक्षा करते हैं। इन प्रौद्योगिकियों को जेसीएएसआर के प्रोफेसर एम. ईश्‍वरमूर्ति के नेतृत्व में एक दल ने आईसीएआर-राष्‍ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्‍यूरो, बैंगलुरू के डॉ. केश्वनसुबहरण और आईसीएआर-राष्‍ट्रीय डेयरी अनुसंधान, करनाल के डॉ. गौतम कौल एम के सहयोग से विकसित किया।


इस प्रदर्शनी में पर्यावरण के अनुकूल बैटरी का एक सेट भी प्रदर्शित किया गया। इसे जेएनसीएएसआर में सामग्री इकाई के रसायन विज्ञान और भौतिकी के प्रोफेसर तपस के. माजी के नेतृत्व में विकसित किया गया। इस जेडएन-एयर बैट्री में कैथोड के रूप में मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क का इस्‍तेमाल किया गया जो प्रकृति में ट्राइफंक्शनल है जिसका अर्थ है ओआरआर (ऑक्सीजन कमी प्रतिक्रिया), ओईआर (ऑक्सीजन विकास प्रतिक्रिया) के साथ-साथ एचईआर (हाइड्रोजन उत्‍पादन प्रतिक्रिया) उत्प्रेरक प्रतिक्रियाओं के लिए सक्रिय रहना। यह निर्मित जेडएन-एयर बैट्री सुरक्षित और हल्की है। इसे विद्युत के साथ-साथ मशीनी रूप से भी रिचार्ज किया जाता है। इसके साथ ही एचईआर गतिविधि का दोहन करने के लिए उसी सामग्री का उपयोग जल इलेक्ट्रोलाइजर में एनोड और कैथोड के रूप में किया गया जो निर्मित जेडएन-एयर बैटरी द्वारा संचालित है और इस प्रकार यह स्व-संचालित समग्र जल विभाजन प्रक्रिया को दर्शाता है।



एआरआईईएस में स्‍टेलर वेरीएबिलिटी एवं स्‍टार फॉर्मेशन पर भारत-थाई कार्यशाला से सहयोग बढ़ाने में मदद मिली

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्‍वायत्‍त संस्‍थान, आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एआरआईईएस), नैनीताल ने भारत और थाईलैंड के बीच सहयोग को और अधिक मजबूत करने के लिए ‘स्‍टेलर वेरीएबिलिटी एवं स्‍टार फॉर्मेशन का परीक्षण’ विषय पर एकदिवसीय भारत-थाई कार्यशाला का आयोजन किया। दोनों देशों के बीच स्‍टेलर स्रोतों से लेकर खगोल विज्ञान तथा खगोल भौतिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना भी इसका उद्देश्‍य है।


इस कार्यशाला में दोनों देशों के वैज्ञानिकों एवं छात्रों द्वारा स्टेलर वेरीएबिलिटी, स्टार फॉर्मेशन, स्‍टेलर एबन्डेंस, अस्‍थायी कार्यक्रमों एवं इंस्ट्रूमेंटेशन जैसे विभिन्‍न विषयों पर 14 वार्ता सत्र आयोजित किये गये। थाईलैंड के राष्‍ट्रीय खगोल विज्ञान अनुसंधान संस्‍थान, नांजिंग विश्‍वविद्यालय चीन, भारतीय खगोल भौतिकी संस्‍थान (आईआईए), कुमाऊं विश्‍वविद्यालय, नैनीताल एवं एआरआईईएस के लगभग 60 प्रतिभागियों ने इस अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन में हिस्‍सा लिया।


कार्यशाला के संयोजक डॉ. संतोष जोशी ने अपने स्‍वागत भाषण में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत और थाईलैंड के बीच सहयोग के महत्‍व पर जोर दिया तथा अंतरिक्ष विज्ञान एवं इंस्‍ट्रूमेंटेशन के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत तथा थाईलैंड के खगोल शास्‍त्रियों को आमंत्रित किया। डॉ. जोशी ने भारत-थाई सहयोग के तहत मौजूदा एवं योजनाबद्ध क्रियाकलापों पर आधारित एक प्रस्‍तुति भी की।


एआरआईईएस के पूर्व निदेशक एवं मुख्‍य वक्‍ता प्रो. राम सागर ने दोनों देशों की वित्‍त-पोषण एजेंसियों की सहायता से जारी द्विपक्षीय कार्यक्रम के महत्‍व पर संक्षिप्‍त चर्चा की। कुमाऊं विश्‍वविद्यालय के भौतिक विज्ञान के विभागाध्‍यक्ष एवं कार्यक्रम के मुख्‍य अतिथि प्रो. एच.सी. चंदोला ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया और एआरआईईएस तथा एनएआरआईटी, थाईलैंड के इतिहास के बारे में चर्चा की। श्री चंदोला ने भारतीय एवं थाई संस्‍कृतियों के बारे में भी चर्चा की, जो दोनों देशों के अनुसंधानकर्ताओं को निकट लाती हैं। एनएआरआईटी, थाईलैंड के वरिष्‍ठ अनुसंधानकर्ता डॉ. डेविड मकर्तीचियान ने कार्यशाला का सार-संक्षेप प्रस्‍तुत किया तथा समापन भाषण दिया।


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग स्‍थापित करने के लिए, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा थाईलैंड के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय में खगोल विज्ञान तथा खगोल भौतिकी के क्षेत्र में संयुक्‍त अनुसंधान के लिए दो संयुक्‍त द्विपक्षीय कार्यक्रमों को मंजूरी दी।



डॉ हर्षवर्धन ने कोरोनो वायरस से ग्रस्त राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों से आईसोलेशन वार्ड और क्वारंटिन केंद्रों में मरीजों की स्वास्थ्य स्थिति का पता लगाने को कहा

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने आज दिल्ली, हरियाणा, केरल, तेलंगाना, कर्नाटक, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ-साथ लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपालों को फोन कर अस्पतालों में आइसोलेशन केंद्रों में रखे गए कोविड-19 के रोगियों की स्वास्थ्य स्थिति का पता लगाने को कहा।


स्वास्थ्य मंत्रालय में अपने कार्यालय से कोविड​​-19 की स्थिति पर नजर रखते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने वीडियो कॉल के माध्यम से अस्पताल में भर्ती कुछ रोगियों से बातचीत की और उनके स्वास्थ्य तथा आइसोलेशन वार्डों में दिए जा रहे उपचार से संतुष्टि के बारे में पूछताछ की। मरीजों से बात करते हुए उन्होंने बताया कि वे व्यक्तिगत रूप से उनसे मिलना चाहते थे लेकिन अस्पताल के अधिकारियों ने इस यात्रा के लिए मना कर दिया क्योंकि उन्हें लगा कि इससे मरीजों के लिए नियमित उपचार की व्यवस्था में बाधा आ सकती है। रोगियों ने अस्पताल में उपचार पर संतुष्टि और जल्द ठीक होने को लेकर अपनी उत्तेजना व्यक्त की। उन्होंने समय पर मिल रही सहायता और दिन में तीन बार अपनी स्थिति की नियमित समीक्षा के लिए सरकार की भूमिका की सराहना की। डॉ हर्षवर्धन ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और खुद की ओर से उन्हें होली की शुभकामनाएं भी दीं।


डॉ. हर्षवर्धन ने खुद दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री श्री सत्येन्द्र जैन, हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज, केरल की स्वास्थ्य मंत्री सुश्री के के शैलजा, तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री श्री एटेला राजेन्द्र, कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री श्री बी. श्रीरामुलु, राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री श्री रघु शर्मा, महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री श्री राजेश टोपे, पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री श्री बी.एस. सिधू, उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्री जय प्रताप सिंह, लद्दाख के उपराज्यपाल श्री आर के माथुर, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल श्री जी सी मुर्मु को रोगियों की स्थिति एवं राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई), मास्क इत्यादि की आवश्यक आपूर्ति में किसी तरह की बाधा का सामना करने और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के क्षमता निर्माण को लेकर फीडबैक लेने के लिए फोन किया। स्वास्थ्य मंत्रियों और उपराज्यपालों ने उपचार की स्थिति का विवरण देते हुए कहा कि रोगी ठीक हो रहे हैं और उनकी हालत स्थिर है। अस्पतालों में इलाज या क्वारंटिन केंद्रों में रहने के दौरान रोगियों को कोई परेशानी नहीं होती है।


केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने राज्यों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और कहा कि केंद्र सरकार और राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के निरंतर और समन्वित प्रयासों से न केवल भारतीयों बल्कि भारत आने वाले विदेशी नागरिकों के मूल्यवान जीवन का भी बेहतर ख्याल रखा गया है। डॉ हर्षवर्धन ने राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों और उपराज्यपालों को रोगियों की स्थिति के साथ-साथ उभरते हालात पर नजर रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने आम जनता के बीच कोविड-19 के बारे में जागरूकता फैलाने और उन्हें भीड़भाड़ से बचने के साथ-साथ व्यक्तिगत स्वच्छता और रोकथाम के बुनियादी सिद्धांतों का पालन करने के लिए कहा जैसा कि विभिन्न माध्यमों से सरकार द्वारा व्यापक रूप से प्रचारित किया गया है। केंद्रीय मंत्री ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों और उपराज्ययपाल को इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों की किसी भी तत्काल आवश्यकता को पूरा करने का आश्वासन दिया।