Monday, March 9, 2020

राष्ट्रपति ने नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किये

राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आज (8 मार्च, 2020) राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र (आरबीसीसी) में आयोजित एक समारोह में नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किये। (नारी शक्ति पुरस्कार के पुरस्कृतों का संक्षिप्त विवरण संलग्न है)


     महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा गठित नारी शक्ति पुरस्कार राष्ट्रीय पुरस्कार हैं, जिन्हें प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को महिला सशक्तिकरण की दिशा में असाधारण योगदान और विशिष्ट कार्य को मान्यता देने के लिए प्रदान किया जाता है। इसके साथ-साथ यह उन महिला शक्ति को सम्मान और पहचान देने का भी प्रतीक है जिन्होंने महिला सशक्तिकरण की दिशा में विशिष्ट भूमिका निभाई है। 


     पुरस्कार समारोह से पूर्व, आरबीसीसी में दर्शकों के लिए 'स्वच्छ भारत- भारत की स्वच्छता कहानी' पर एक विशेष प्रस्तुति का भी आयोजन किया गया। यह लघु फिल्म स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण भारत में हुए व्यापक व्यवहार परिवर्तन और 55 करोड़ से अधिक लोगों को खुले में शौच की पुरानी प्रथा से दूर करने में महिलाओं की अहम भूमिका को दिखाती है।



अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने डीडी किसान के लाइव टीवी कार्यक्रम के दौरान स्व-सहायता समूहों से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं के साथ बातचीत की

      केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि महिलाओं की भागीदारी के बिना भारत राष्ट्रों की समिति (यानी कमिटी ऑफ नेशंस) में विकसित राष्ट्र के रूप में नहीं उभर सकेगा। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आज यहां डीडी किसान पर महिलाओं के सशक्तिकरण से संबंधित एक लाइव टीवी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का नये भारत का मिशन केवल महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से ही साकार हो सकता है, जो हमारी जनसंख्या, अर्थव्यवस्था का आधा भाग हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं अब न केवल अकादमिक बोर्ड और प्रतियोगी परीक्षाओं में अव्वल स्थान पा रही हैं, बल्कि उद्योग जगत से लेकर वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान, अंतरिक्ष अनुसंधान और परमाणु कार्यक्रमों, पुलिस तथा सशस्त्र बलों और नौकरशाही तक विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पद भी संभाल रही हैं।

      श्री तोमर ने कहा कि महिला स्व-सहायता समूह (एसएचजी) गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम की रीढ़ हैं और कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभागों का पूरा ध्यान महिलाओं की मुक्ति की दिशा में ही अभिविन्यस्त है। उन्होंने कहा, “समुदाय व्यक्तियों से ज्यादा प्रभावशाली हो सकते हैं, ऐसे में समूचे ग्रामीण परिदृश्य में विकास की प्रक्रिया में परिवर्तनकारियों के रूप में एसएचजी की भूमिका महत्वपूर्ण है। ”


      श्री तोमर ने कहा कि देशभर में 60.8 लाख एसएचजी छह करोड़ 73 लाख से ज्यादा महिलाओं को संघटित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “और ज्यादा महिलाओं को आजीविका पाने में समर्थ बनाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय की वर्ष 2022 तक कुल 75 लाख एसएचजी का सृजन करने की योजना है।”


      श्री तोमर ने कहा कि सरकार सरल ऋण प्रवाह के लिए बैंकों को जोड़ने के द्वारा निधि उपलब्ध करा रही है और स्वयं सहायता समूह को आजीविका मिशन हेतु प्रशिक्षण दे रही है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने बेहतर प्रदर्शन के लिए स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने हेतु पुरस्कारों का गठन किया है। महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए पिछले 6 वर्षो के दौरान स्वयं सहायता समूहों को 2.75 लाख करोड़ से अधिक ऋण प्रदान किया गया है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत वार्षिक रूप से 5 करोड़ से अधिक लोगों को नियुक्त किया जाता है और मनरेगा के तहत कार्य बल में महिलाओं की 55 प्रतिशत की भागीदारी है। उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) के तहत भी 4.66 लाख महिलाएं जुड़ी हुई हैं और इस योजना के तहत और अधिक महिलाओं की भागीदारी हो रही है।


श्री तोमर ने कहा कि स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाई) का पुनर्गठन किया गया और दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना (डीएवाई)- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) में शामिल कर दिया गया। इस मिशन के तहत सरकार का लक्ष्य लगभग 10 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक पहुंचना है। स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) ने महिलाओं को गौरव प्रदान किया है और देशभर में 9.5 करोड़ शौचालयों के निर्माण के साथ उनकी सुरक्षा बढ़ाई है।


श्री तोमर ने कहा कि सरकार न केवल महिलाओं और ग्रामीण आबादी की सहायता कर रही है बल्कि उनके उत्पादों के लिए बेहतर मूल्य दिलाने के लिए गवर्नमेंट ई-मार्केट (जीईएम) प्लेस जैसे मंच भी उन्हें उपलब्ध करा रही है। उन्होंने कहा ‘सरकार ने अपने कार्यालयों के लिए अनिवार्य बना दिया है कि पहले वह जीईएम से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करें और अगर वहां उपलब्ध न हो तो ही अन्य स्रोतों से खरीद करें।’


कार्यक्रम के दौरान, दिल्ली के अतिरिक्त, भोपाल, भुवनेश्वर, हैदराबाद, जयपुर, पटना एवं रांची में दूरदर्शन स्टूडियो में बैठी ग्रामीण महिला प्रतिभागियों ने मंत्री के साथ परस्पर बातचीत की। उन्होंने अपनी सफलता गाथाओं को साझा किया और बताया कि किस प्रकार स्वयं सहायता समूहों ने उन्हें आत्म निर्भर बनाने और परिवार की आय बढ़ाने में योगदान देने में सहायता की है। महिला प्रतिभागियों में पशु सखी, कृषि सखी, बैंक सखी और पोषण सखी सहित कई सामुदयिक स्रोत व्यक्ति (सीआरपी) शामिल थे।



बाल्‍यावस्‍था की दृष्टिबाधिता का उन्‍मूलन करने को संकल्‍पबद्ध हस्‍ती

वर्ष 2018 में चंडीगढ़ की डॉ. स्‍वलीन कौर पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़ में नेत्र विज्ञान की एक तृतीयक स्वास्थ्य सेवा इकाई में कार्यरत थीं। उन्हें न तो वेतन मिलता था और न ही यह उनकी पूर्णकालिक नौकरी थी। लेकिन उनके पास केवल शोध कार्य करने की अदम्य इच्छा थी। उन्होंने पृष्ठभूमि से संबंधित सारा कार्य निपटा लिया था, लेकिन उन्हें कोई अवसर मिलने के दूर-दूर तक कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे थे।


2020: यह युवती पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च, (पीजीआईएमईआर) चंडीगढ़ के एडवांस्ड आइ सेंटर में नेत्र विज्ञान की सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्य कर रही थीं।


01 मार्च, 2019 की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की डब्ल्यूओएस-ए योजना उनके जीवन में एक वरदान की तरह आई, जो उनके जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुई।


डब्ल्यूओएस-ए योजना बेसिक या एप्लाइड साइंसेस में शोध करने के लिए महिला वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों को मंच उपलब्ध कराती है और उन्हें बेंच-लेवल वैज्ञानिकों के रूप में कार्य करने का अवसर प्रदान करती है। यह योजना महिलाओं को मुख्य धारा में लाने  और प्रशिक्षण प्रदान करने व महिलाओं को व्यवस्था से जोड़े रखने तथा प्रतिभाशाली लोगों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी तंत्र से बाहर जाने से रोकने में प्रमुख भूमिका निभाती है। डब्ल्यूओएस-ए योजना के अंतर्गत पांच विषयों में सहायता उपलब्ध है यथा – भौतिक एवं गणित विज्ञान (पीएमएस), रसायन विज्ञान (सीएस), जीव विज्ञान (एलएस), पृथ्वी और वायुमंडलीय विज्ञान (ईएएस) और अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकी (ईटी)।


डॉ. सवलीन ने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली से नेत्र विज्ञान में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की थी। विवाह के बाद वह चंडीगढ़ चली गईं। साल भर इंतजार करने के बाद वह  पीजीआई के साथ सीनियर रेजीडेंट के रूप में जुड़ गईं और उसके बाद पीजीआई के साथ रिसर्च असोसिएट के रूप में जुड़ी रहीं। एक समय ऐसा आया, जब वह घर पर बेरोजगार बैठी थीं और सोच रही थीं कि क्या वह कभी अपने क्षेत्र में आगे बढ़ पाएंगी। डीएसटी ने उन्‍हें न केवल अपने शोध को प्रस्तुत करने के लिए मंच दिया, बल्कि उन्‍हें अपने पसंदीदा मेंटर के मार्गदर्शन में देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से एक में काम करने का अवसर भी दिया।


डॉ. कौर कहती हैं, '' मैं अपने लिए खड़े होने की जगह तलाश रही थी। मुझे अपने काम के बारे में दुनिया को बताने के लिए एक मौके की तलाश थी और जब यह मौका मिला, तो मुझे बेहद खुशी हुई। मैं देश के उन सात लोगों में से थी,  जिन्होंने जीव विज्ञान में इसे प्राप्त किया  और इसके साथ ही सारी परेशानियां सार्थक हो गईं। मैंने अपने परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी के कारण काम से लंबा विराम लिया था। इस योजना ने मुझे पूरी ताकत के साथ वापस ला खड़ा किया।”


“मैंने अपने विषय का गहन ज्ञान प्राप्‍त करने के लिए कड़ी मेहनत की। मुझे भरोसा था और मैं अपने कार्य को सही साबित कर सकती थी। पीजीआईएमईआर में नेत्र रोग विभाग के पूर्व एचओडी, मेरे मेंटर डॉ. आमोद गुप्ता और डॉ. मंगत डोगरा, वर्तमान निदेशक और विभागाध्यक्ष डॉ. जगत राम और उसी विभाग में एडिशनल प्रोफेसर डॉ. जसप्रीत सुखीजा के मार्गदर्शन को मैं भूल नहीं सकती, जिन्‍होंने मुझे कड़ी मेहनत करने और लक्ष्‍य ऊंचा रखने की सीख दी। मेरे पति और ससुराल वालों का समर्थन भी अनमोल रहा।


उन्होंने कहा कि करियर में विराम के बाद मुख्यधारा के विज्ञान में लौटने की इच्छा रखने वाली महिलाओं को कभी हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने कहा, “दृढ़ता और अटलता का फल जरूर मिलता है। हमें भगवान और खुद पर भरोसा रखना चाहिए। कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि परिवार हमें पीछे धकेल रहा है। यह आपको मजबूत बना रहा होता है। इस तरह की योजनाओं के लिए सजग रहना चाहिए।‘’


अब वह स्थायी नौकरी में है, डॉ. कौर अपने शोध कार्य का विस्तार करने की उत्सुक हैं। देश में केवल मुट्ठी भर समर्पित बाल नेत्ररोग विशेषज्ञ हैं और वह इस अंतर को भरना चाहती हैं और इस शोध को भारत में बच्‍चों में दृष्टिबाधिता को खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ाना चाहती हैं।


डॉ. कौर ने बताया, “डब्ल्यूओएस-ए योजना ने मुझे बाल नेत्र विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा, ज्ञान और अनुसंधान को आगे बढ़ाने का अवसर दिया। मैं इस उप-विशेषज्ञता में अनुसंधान का विस्तार करना चाहती हूं और इस क्षेत्र में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए दूसरों को भी शिक्षित और प्रेरित करना चाहती हूं।”


उन्‍होंने जोर देकर कहा, “वैज्ञानिक करियर में महिलाएं दुश्मन के इलाके में मौजूद सैनिकों की तरह होती हैं। जहां से आप आईं हैं, वहां लौट नहीं सकतीं और आपको विपरीत परिस्थितियों से जूझना पड़ता है। अपना ध्यान और अपना विश्वास बनाए रखें। खुद पर और अपने प्रशिक्षण पर विश्वास करें। किस्मत उन लोगों का साथ देती है, जो उसके लिए तत्‍पर होते हैं!”



डाक विभाग, दिल्ली सर्कल ने राष्ट्रीय राजधानी में तीसरा महिला डाक घर खोला

डाक विभाग, दिल्ली सर्कल ने राष्ट्रीय राजधानी में तीसरा महिला डाक घर खोला है। मुख्य पोस्टमास्टर जनरल सुश्री एंद्री अनुराग ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के तहत पोस्टमास्टर जनरल (परिचालन), दिल्ली सर्कल श्री अखिलेश कुमार पांडेय और एसएसपीओ सुश्री अनु पॉल की मौजूदगी में 6 मार्च को नई दिल्ली दक्षिण-पश्चिम मंडल के अंतर्गत तीसरे महिला उप-डाकघर, नानक पुरा, नई दिल्ली-110021 का उद्घाटन किया।

इस डाकघर में एक डाक सहायक, एक एमटीएस और एक जीडीएस के साथ सुश्री निशा रानी एसपीएम का प्रभार संभाल रही हैं।


      वर्ष 2019 के लिए नई दिल्ली दक्षिण-पश्चिम मंडल की विभिन्न श्रेणियों की सर्वश्रेष्ठ महिला कर्मियों के लिए अभिनंदन समारोह भी आयोजित किया गया। सीपीएमजी और पीएमजी (ओ) ने पुरस्कार पाने वाली महिलाओं को बधाई दी और सभी कर्मियों को मंडल की बेहतरी के लिए कार्य करने हेतु प्रेरित किया।


      तीनों महिला डाकघरों दिल्ली सर्कल-1-नानक पुरा 2- दिल्ली विश्वविद्यालय और 3-शास्त्री भवन उप-डाकघरों के कर्मचारियों ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए 7 मार्च को केक काटा।