Monday, March 9, 2020

बाल्‍यावस्‍था की दृष्टिबाधिता का उन्‍मूलन करने को संकल्‍पबद्ध हस्‍ती

वर्ष 2018 में चंडीगढ़ की डॉ. स्‍वलीन कौर पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़ में नेत्र विज्ञान की एक तृतीयक स्वास्थ्य सेवा इकाई में कार्यरत थीं। उन्हें न तो वेतन मिलता था और न ही यह उनकी पूर्णकालिक नौकरी थी। लेकिन उनके पास केवल शोध कार्य करने की अदम्य इच्छा थी। उन्होंने पृष्ठभूमि से संबंधित सारा कार्य निपटा लिया था, लेकिन उन्हें कोई अवसर मिलने के दूर-दूर तक कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे थे।


2020: यह युवती पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च, (पीजीआईएमईआर) चंडीगढ़ के एडवांस्ड आइ सेंटर में नेत्र विज्ञान की सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्य कर रही थीं।


01 मार्च, 2019 की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की डब्ल्यूओएस-ए योजना उनके जीवन में एक वरदान की तरह आई, जो उनके जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुई।


डब्ल्यूओएस-ए योजना बेसिक या एप्लाइड साइंसेस में शोध करने के लिए महिला वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों को मंच उपलब्ध कराती है और उन्हें बेंच-लेवल वैज्ञानिकों के रूप में कार्य करने का अवसर प्रदान करती है। यह योजना महिलाओं को मुख्य धारा में लाने  और प्रशिक्षण प्रदान करने व महिलाओं को व्यवस्था से जोड़े रखने तथा प्रतिभाशाली लोगों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी तंत्र से बाहर जाने से रोकने में प्रमुख भूमिका निभाती है। डब्ल्यूओएस-ए योजना के अंतर्गत पांच विषयों में सहायता उपलब्ध है यथा – भौतिक एवं गणित विज्ञान (पीएमएस), रसायन विज्ञान (सीएस), जीव विज्ञान (एलएस), पृथ्वी और वायुमंडलीय विज्ञान (ईएएस) और अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकी (ईटी)।


डॉ. सवलीन ने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली से नेत्र विज्ञान में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की थी। विवाह के बाद वह चंडीगढ़ चली गईं। साल भर इंतजार करने के बाद वह  पीजीआई के साथ सीनियर रेजीडेंट के रूप में जुड़ गईं और उसके बाद पीजीआई के साथ रिसर्च असोसिएट के रूप में जुड़ी रहीं। एक समय ऐसा आया, जब वह घर पर बेरोजगार बैठी थीं और सोच रही थीं कि क्या वह कभी अपने क्षेत्र में आगे बढ़ पाएंगी। डीएसटी ने उन्‍हें न केवल अपने शोध को प्रस्तुत करने के लिए मंच दिया, बल्कि उन्‍हें अपने पसंदीदा मेंटर के मार्गदर्शन में देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से एक में काम करने का अवसर भी दिया।


डॉ. कौर कहती हैं, '' मैं अपने लिए खड़े होने की जगह तलाश रही थी। मुझे अपने काम के बारे में दुनिया को बताने के लिए एक मौके की तलाश थी और जब यह मौका मिला, तो मुझे बेहद खुशी हुई। मैं देश के उन सात लोगों में से थी,  जिन्होंने जीव विज्ञान में इसे प्राप्त किया  और इसके साथ ही सारी परेशानियां सार्थक हो गईं। मैंने अपने परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी के कारण काम से लंबा विराम लिया था। इस योजना ने मुझे पूरी ताकत के साथ वापस ला खड़ा किया।”


“मैंने अपने विषय का गहन ज्ञान प्राप्‍त करने के लिए कड़ी मेहनत की। मुझे भरोसा था और मैं अपने कार्य को सही साबित कर सकती थी। पीजीआईएमईआर में नेत्र रोग विभाग के पूर्व एचओडी, मेरे मेंटर डॉ. आमोद गुप्ता और डॉ. मंगत डोगरा, वर्तमान निदेशक और विभागाध्यक्ष डॉ. जगत राम और उसी विभाग में एडिशनल प्रोफेसर डॉ. जसप्रीत सुखीजा के मार्गदर्शन को मैं भूल नहीं सकती, जिन्‍होंने मुझे कड़ी मेहनत करने और लक्ष्‍य ऊंचा रखने की सीख दी। मेरे पति और ससुराल वालों का समर्थन भी अनमोल रहा।


उन्होंने कहा कि करियर में विराम के बाद मुख्यधारा के विज्ञान में लौटने की इच्छा रखने वाली महिलाओं को कभी हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने कहा, “दृढ़ता और अटलता का फल जरूर मिलता है। हमें भगवान और खुद पर भरोसा रखना चाहिए। कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि परिवार हमें पीछे धकेल रहा है। यह आपको मजबूत बना रहा होता है। इस तरह की योजनाओं के लिए सजग रहना चाहिए।‘’


अब वह स्थायी नौकरी में है, डॉ. कौर अपने शोध कार्य का विस्तार करने की उत्सुक हैं। देश में केवल मुट्ठी भर समर्पित बाल नेत्ररोग विशेषज्ञ हैं और वह इस अंतर को भरना चाहती हैं और इस शोध को भारत में बच्‍चों में दृष्टिबाधिता को खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ाना चाहती हैं।


डॉ. कौर ने बताया, “डब्ल्यूओएस-ए योजना ने मुझे बाल नेत्र विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा, ज्ञान और अनुसंधान को आगे बढ़ाने का अवसर दिया। मैं इस उप-विशेषज्ञता में अनुसंधान का विस्तार करना चाहती हूं और इस क्षेत्र में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए दूसरों को भी शिक्षित और प्रेरित करना चाहती हूं।”


उन्‍होंने जोर देकर कहा, “वैज्ञानिक करियर में महिलाएं दुश्मन के इलाके में मौजूद सैनिकों की तरह होती हैं। जहां से आप आईं हैं, वहां लौट नहीं सकतीं और आपको विपरीत परिस्थितियों से जूझना पड़ता है। अपना ध्यान और अपना विश्वास बनाए रखें। खुद पर और अपने प्रशिक्षण पर विश्वास करें। किस्मत उन लोगों का साथ देती है, जो उसके लिए तत्‍पर होते हैं!”



डाक विभाग, दिल्ली सर्कल ने राष्ट्रीय राजधानी में तीसरा महिला डाक घर खोला

डाक विभाग, दिल्ली सर्कल ने राष्ट्रीय राजधानी में तीसरा महिला डाक घर खोला है। मुख्य पोस्टमास्टर जनरल सुश्री एंद्री अनुराग ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के तहत पोस्टमास्टर जनरल (परिचालन), दिल्ली सर्कल श्री अखिलेश कुमार पांडेय और एसएसपीओ सुश्री अनु पॉल की मौजूदगी में 6 मार्च को नई दिल्ली दक्षिण-पश्चिम मंडल के अंतर्गत तीसरे महिला उप-डाकघर, नानक पुरा, नई दिल्ली-110021 का उद्घाटन किया।

इस डाकघर में एक डाक सहायक, एक एमटीएस और एक जीडीएस के साथ सुश्री निशा रानी एसपीएम का प्रभार संभाल रही हैं।


      वर्ष 2019 के लिए नई दिल्ली दक्षिण-पश्चिम मंडल की विभिन्न श्रेणियों की सर्वश्रेष्ठ महिला कर्मियों के लिए अभिनंदन समारोह भी आयोजित किया गया। सीपीएमजी और पीएमजी (ओ) ने पुरस्कार पाने वाली महिलाओं को बधाई दी और सभी कर्मियों को मंडल की बेहतरी के लिए कार्य करने हेतु प्रेरित किया।


      तीनों महिला डाकघरों दिल्ली सर्कल-1-नानक पुरा 2- दिल्ली विश्वविद्यालय और 3-शास्त्री भवन उप-डाकघरों के कर्मचारियों ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए 7 मार्च को केक काटा।



महिला वैज्ञानिकों को डब्ल्यूआईएसटीईएमएम के लिए भारत-अमेरिका फेलोशिप के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय अनुभव प्राप्त हुआ

भारत-अमेरिका विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी फोरम (आईयूएसएसटीएफ) के सहयोग से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित एवं चिकित्सा (डब्ल्यूआईएसटीईएमएम) में महिलाओं के लिए भारत अमेरिका फेलोशिप में कई महिला वैज्ञानिकों को अंतर्राष्ट्रीय अनुभव प्रदान किया है। लगभग 20 महिला वैज्ञानिकों ने अपने अनुसंधान कार्य को आगे बढ़ाने और अपने अनुसंधान से संबंधित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षित होने के लिए अमेरिका के 20 अग्रणी संस्थानों का दौरा किया है।


डब्ल्यूआईएसटीईएमएम का उद्देश्य अपनी अनुसंधान क्षमताओं एवं योग्यताओं को बढ़ाने के लिए अमेरिका में उत्कृष्ट संस्थानों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोगात्मक अनुसंधान आरम्भ करने के लिए भारतीय महिला वैज्ञानिकों, इंजीनियरों एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीविदों को अवसर प्रदान करते है।


यह कार्यक्रम दो प्रकार की महिला वैज्ञानिकों के लिए संचालित किया जाता है, वैसी महिला छात्राओं, जो पीएचडी कर रही है, के लिए वीमेन ओवरसीज़ स्टूडेंट इंटर्नशिप (मॉड्यूल i) और पीएचडी डिग्रीधारी और भारत में किसी मान्यता प्राप्त संस्था/ प्रयोगशाला में किसी नियमित पद पर आसीन महिलाओं के लिए वीमेन ओवरसीज़ फेलोशिप (मॉड्यूल ii)।


महिला वैज्ञानिकों की पहली खेप, जिसमें 25 महिलाएं शामिल हैं, पूरे अमेरिका के 20 अग्रणी संस्थानों का अपना दौरा संपन्न कर चुकी हैं। महिला वैज्ञानिक समुदाय से प्राप्त आवेदनों से चयनित 20 महिलाओं की दूसरी खेप इस वर्ष  अमेरिका के शीर्ष संस्थानों का दौरा करने की तैयारी कर रही है।


फेलोशिप 21 से 45 वर्ष की आयु की सीमा के भीतर प्रखर भारतीय महिला नागरिकों के लिए है। उम्र का ऐसा व्यापक मापदंड न केवल उनके के लिए सहायक है जो वर्तमान में अनुसंधान कर रही है बल्कि उन असाधारण महिला शोधकर्ताओं के लिए भी है जो अपने अनुसंधान से थोड़ा विराम लेकर वापस लेकर लौटना चाहेंगी। इस कार्यक्रम में दी गई निधियन सहायता में वृत्तिका, हवाई जहाज का किराया, स्वास्थ्य बीमा, आकस्मिकता एवं सम्मेलन भत्ता शामिल हैं।


डीएसटी विज्ञान में महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए कई अभिनव पहल शुरू किये हैं। 2014 में डीएसटी ने सभी महिला विशिष्ट कार्यक्रमों को एक कार्यक्रम ‘पोषण के माध्यम से अनुसंधान उन्नति में ज्ञान भागीदारी’ (किरण) के तहत पुनर्गठित किया जिसमें महिला विशिष्ट योजनाएं शामिल है तथा जो न केवल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में अनुसंधान आरम्भ करने के द्वारा उनके करियर को संवारने के लिए प्रोत्साहित बल्कि सामाजिक लाभों के लिए जमीनी स्तर पर मुद्दों और चुनौतियों के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के समाधानों पर भी फोकस करता है। किरण कार्यक्रम का अधिदेश महिलाओं को मुख्यधारा में लाने के जरिये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में जेंडर समानता लाना है। महिला वैज्ञानिक स्कीम (डब्ल्यूओएस) मुख्य रूप से सामाजिक जिम्मेदारियों के कारण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़ी महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करती है। इसके दो घटकों डब्ल्यूओएस-ए और डब्ल्यूओएस-बी का किरण प्रभाग द्वारा प्रत्यक्ष रूप से कार्यान्वयन किया जाता है तथा तीसरे घटक डब्ल्यूओएस-सी या किरण- आईपीआर का कार्यान्वयन डीएसटी से अनुदान सहायता के साथ टीआईएफएसी द्वारा किया जाता है।


वैश्विक स्तर पर क्षमता निर्माण, ज्ञान एवं कौशल संवर्धन के लिए महिला वैज्ञानिकों एवं प्रौद्योगिकीविदों को अवसर प्रदान करना‘इंटर नेशनल फेलोशिप फॉर वीमेन इन सांइस’नामक इसके अंतर्राष्ट्रीय घटक के जरिये अर्जित किया जाने वाला एक और उद्देश्य है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य सहयोगात्मक अनुसंधान आरम्भ करने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट अनुसंधान सुविधाओं का अनुभव प्राप्त करने में भारतीय महिला वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और प्रौद्योगिकीविदों को अवसर उपलब्ध कराना है।



राष्ट्रपति ने नारी शक्ति पुरस्कार 2019 प्रदान किए

 राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में वर्ष 2019 के लिए नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किए। यह पुरस्कार 15 प्रतिष्ठित महिलाओं को विशेष रूप से असहाय और वंचित महिलाओं के उत्‍थान की दिशा में किए गए उत्‍कृष्‍ट प्रयासों के लिए प्रदान किये गये। नारी शक्ति पुरस्‍कार के लिए नामित केरल के कोल्लम के अलाप्पुझा की भागीरथी अम्मा पुरस्कार प्राप्त करने के लिए दिल्ली नहीं आ सकीं।


     नारी शक्ति पुरस्कार महिला और बाल विकास मंत्रालय की एक पहल है जो व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा समाज में महत्‍वपूर्ण और सकारात्मक बदलाव की दिशा में किए गए असाधारण योगदान को स्‍वीकारोक्ति देने के रूप में मनाया जाता है। इन उत्कृष्ट महिलाओं ने सतत विकास लक्ष्यों के लिए 2030 एजेंडा को आगे बढ़ाने के साथ महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की दिशा में भी महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है। ये पुरस्कार समाज की उन्नति में महिलाओं को समान भागीदारी के रूप में मान्यता देने का एक प्रयास है।


     पुरस्‍कार प्राप्तकर्ताओं ने अपने सपनों को साकार करने की दिशा में आयु, क्षेत्रीय बाधाओं अथवा संसाधनों परवाह नहीं की। उनकी यह अदम्य भावना समाज में व्‍यापक स्‍तर पर युवा भारतीयों की सोच, विशेष रूप से न सिर्फ लैंगिक रूढ़िवादियों को तोड़ने अपितु लैंगिक असमानता और भेदभाव को समाप्‍त करने के लिए प्रेरित करेगी।


     वर्ष 2019 के नारी शक्ति पुरस्‍कार विजेता कृषि, खेल, हस्तशिल्प, वनीकरण और वन्यजीव संरक्षण, सशस्त्र बलों और शिक्षा जैसे विविध क्षेत्रों से हैं।


     पुरस्कार प्राप्‍तकर्ताओं की सूची इस प्रकार है:




















































































क्र. सं.



नाम



श्रेणी



राज्‍य



1



पदाला भूदेवी



व्यक्तिगत



श्रीकाकुलम, आंध्र प्रदेश



2



बीना देवी



व्यक्तिगत



मुंगेर, बिहार



3



आरिफा जान



व्यक्तिगत



श्रीनगर, जम्‍मू और कश्‍मीर



4



चामी मुर्मू



व्यक्तिगत



राजनगर, सरायकेला खरसावां, झारखंड



5



निलजा बांगमो



व्यक्तिगत



लेह, लद्दाख



6



रश्मि उर्धावरेश



व्यक्तिगत



पुणे, महाराष्‍ट्र



7



सरदारनी मान कौर



व्यक्तिगत



पटियाला, पंजाब



8



कलावती देवी



व्यक्तिगत



कानपुर, उत्‍तर प्रदेश



9



ताशी और नुंगशी मलिक



व्यक्तिगत



देहरादून, उत्‍तराखंड



10



कुशिकी चक्रवर्ती



व्यक्तिगत



कोलकाता, पश्चिम बंगाल



11



भगीरथी अम्मा और कारथायिनी अम्मा



व्यक्तिगत



कोल्‍लम, अलाप्‍पुझा, केरल



12



अवनी चतुर्वेदी


भावना कांत


 


मोहना सिंह



व्यक्तिगत



रीवा, मध्‍य प्रदेश,


दरभंगा, बिहार


आगरा, उत्‍तर प्रदेश


भारतीय वायु सेना