Sunday, March 8, 2020

प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के लाभार्थियों के साथ बातचीत की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के लाभार्थियों और जन औषधि केन्द्रों के स्टोर मालिकों के साथ आज वीडियो कॉन्फ्रेन्स के माध्यम से बातचीत की।


प्रधानमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिए हर संभव कदम उठा रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत के पास अत्यन्त कुशल चिकित्सक और चिकित्सा संसाधन मौजूद हैं साथ ही साथ नागरिकों के बीच इस संबंध में पूरी जागरूकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में सतर्क नागरिकों को बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।







प्रधानमंत्री ने कहा कि केवल बार-बार हाथ धोने के महत्व पर ही अत्यधिक बल नहीं दिया जा सकता, दूसरों को संक्रमण से बचाने के लिए छींकते या खांसते समय मुंह ढकना भी जरूरी है।


प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जिन लोगों में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है उन्हें आवश्यक निगरानी में रखा गया है। लेकिन यदि किसी व्यक्ति को अपने संक्रमित साथी के संपर्क में आने का संदेह है, तो उसे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। इसकी बजाय उसे अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। परिवार के अन्य सदस्यों के भी संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है, ऐसी स्थिति में उन्हें भी आवश्यक परीक्षण कराने चाहिए।’


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस के बारे में किसी भी प्रकार की अफवाहों से बचने का अनुरोध किया और सलाह दी कि केवल डॉक्टर का परामर्श लेना और मानना चाहिए।


उन्होंने कहा, ‘और हां पूरी दुनिया अब नमस्ते करने की आदत डाल रही है। यदि किसी कारणवश हमने यह आदत छोड़ दी है, तो हाथ जोड़कर नमस्ते करने की आदत दोबारा डालने का यह बिल्कुल उचित समय है।’








जन औषधि दिवस समारोह 7 मार्च, 2020 को मनाया जाएगा

 जन औषधि दिवस 7 मार्च, 2020 को मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी नई दिल्ली से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चुने हुए जन औषधि केन्‍द्रों के मालिकों तथा प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के लाभार्थियों से बातचीत करेंगे। दूरदर्शन समाचार के माध्‍यम से प्रत्‍येक जन औषधि केन्‍द्र से प्रधानमंत्री के संदेश को प्रसारित किया जाएगा।


    केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री श्री डी वी सदानंद गौड़ा उत्तर प्रदेश के वाराणसी में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना केंद्र में भाग लेंगे। केंद्रीय जहाजरानी और रसायन तथा उर्वरक राज्‍य मंत्री श्री मनसुख लक्ष्मणभाई मंडाविया जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना केंद्र में भाग लेंगे। श्री गौड़ा ने सभी केन्‍द्रीय मंत्रियों से जन औषधि दिवस समारोह में भाग लेने का अनुरोध किया है, ताकि जन औषधि केन्‍द्रों की दवाइयों के प्रति लोगों का विश्‍वास बढ़ाया जा सके और योजना के बारे में जागरूकता पैदा की जा सके।


      पूरे देश में पीएमबीजेपी केन्‍द्रों पर योजना के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्‍न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों में डॉक्‍टर, स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ, एनजीओ तथा बड़ी संख्‍या में लाभार्थी शामिल होंगे। जन औषधि दिवस का उद्देश्‍य जेनेरिक दवाओं के उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करना है। इस अवसर पर सभी के लिए गुणवत्‍ता संपन्‍न स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल का कदम सरकार द्वारा उठाए गए हैं। इन कदमों में आयुष्‍मान भारत, पीएमबीजेवाई आदि शामिल हैं।


      प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना की घोषणा प्रधानमंत्री ने की थी, ताकि रियायती दरों पर सभी को विशेषकर गरीब और वंचित लोगों को उच्‍च गुणवत्‍ता की दवाइयां उपलब्‍ध कराई जा सकें ।


     जन औषधि केंद्र को विश्व की सबसे बड़ी खुदरा दवा श्रृंखला माना जाता है। देश के 700 जिलों में 6200 जन औषधि केंद्र खोले गए हैं। इन केंद्रों में वित्त वर्ष 2019-20 में 390 करोड़ रुपये से अधिक की कुल बिक्री हुई और इससे  सामान्य नागरिकों के लिए कुल 2200 करोड़ रुपये की बचत हुई। यह योजना सतत और नियमित आय के साथ स्वरोजगार का अच्छा साधन प्रदान करती है।  



उपराष्ट्रपति ने सरकारी कार्यक्रमों की डिलिवरी में सुधार का आह्वान किया

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा कि भारत में नीति निर्माण में कोई कमी नहीं है लेकिन अधिक महत्वपूर्ण इन नीतियों का धरातल पर प्रभावी क्रियान्वयन है। उन्होंने कहा कि कार्यान्वयन के लिहाज से भी नीति अच्‍छी होनी चाहिए।


आज हैदराबाद में एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया (एएससीआई) के संकाय सदस्यों के साथ बातचीत करते हुए उपराष्ट्रपति ने विकास के लिए समावेशी और टिकाऊ दृष्टिकोण का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यक्रमों का लाभ अंत्योदय की सच्ची भावना से अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए जैसा कि महात्मा गांधी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे महान नेताओं ने सोचा था। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति, समुदाय या क्षेत्र पीछे नहीं रह जाना चाहिए।


सरकारी कार्यक्रमों में लोगों को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए श्री नायडू ने कहा कि भारत जैसे बड़े आकार का देश शासन में लोगों की भागीदारी के बिना प्रगति नहीं कर सकता है। उन्होंने सेवा वितरण में सुधार और भ्रष्टाचार कम करने के लिए डिजिटल तकनीकों का अधिकतम उपयोग करने का भी आह्वान किया। श्री नायडू ने कहा कि शासन में सुधार के लिए उपयुक्त रणनीति तैयार करने और प्रशासन में परिणामोन्मुखी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने में एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज को अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिए प्रशासकों की मदद करनी चाहिए।   प्रशासन से जुड़े हर पहलू में परिवर्तन पर ध्यान आकर्षित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वर्तमान समय में प्रशासन केवल कार्यान्वयन तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसमें प्रबंधन और शासन की व्यापक अवधारणा समाहित है। उन्‍होंने सर्वोत्‍कृष्‍ट प्रथाओं को लागू करने और शासन में एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। देश में सिविल सेवकों, प्रबंधकों और प्रशासकों के क्षमता विकास में प्रमुख संस्थानों में से एक के रूप में उभरने के लिए एएससीआई की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने इसके संकाय को प्रशासकों के बीच व्यवहार और मानसिकता में बदलाव लाने की दिशा में काम करने को कहा है। श्री नायडू ने एएससीआई के संकाय सदस्यों से कहा कि आप से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रत्येक अधिकारी नागरिक-केंद्रित और परिणामोन्मुखी दृष्टिकोण अपनाएंगे जो समय की मांग है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए दुनिया के कई देश भारत की ओर देख रहे हैं। उन्होंने भरोसा जताते हुए कहा कि एएससीआई अपने प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों, सार्वजनिक नीति में विशेषज्ञता और परामर्श सेवाओं के बल पर सरकारों, कॉरपोरेट्स और दूसरे देशों को भी सही तरह से मदद कर सकता है।


सार्वजनिक-निजी-भागीदारी को समय की मांग बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत के लिए विकास करना बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए उन्‍होंने नीति निर्धारकों, प्रशासकों और सलाहकारों को नियमित सरकारी कार्यों के अलावा पीपीपी पर ध्यान केंद्रित करने को कहा।


एएससीआई की यात्रा के दौरान उपराष्ट्रपति ने इसके परिसर में घूमकर प्रशिक्षुओं से बातचीत की। उन्होंने एएससीआई के परिसर में एक पौधा भी लगाया।


एएससीआई देश का सबसे पुराना प्रबंधन प्रशिक्षण संस्थान है। 1956 में अपनी स्थापना के बाद से इसने सरकार, उद्योग और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों को प्रबंधन विकास कार्यक्रम, अनुसंधान और सलाहकार कार्य के जरिए सार्वजनिक नीतियों के निर्माण में बहुमूल्य योगदान दिया। एएससीआई ने पिछले साल दो वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट पाठ्यक्रम भी ​​शुरू किया है।


उपराष्ट्रपति के साथ बातचीत में एएससीआई के अध्यक्ष श्री के. पद्मनाभैया, संस्थान के निदेशक एवं संकाय और छात्र भी शामिल हुए।



प्रधानमंत्री ने संबंधित मंत्रालयों के साथ कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा की

माननीय प्रधानमंत्री ने 7 मार्च 2020 को सुबह 11:30 बजे नोवल कोरोनावायरस (कोविड-19) की स्थिति और इससे बचाव के लिए विभिन्न मंत्रालयों द्वारा अब तक की गई कार्रवाई की समीक्षा की। बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन,  केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्‍य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे, कैबिनेट सविच श्री राजीव गौबा, नीति आयोग के सदस्‍य डॉ. विनोद के पॉल और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत उपस्थित थे। इस दौरान स्‍वास्‍थ्‍य, औषधि, नागर विमानन, विदेश, स्‍वास्‍थ्‍य अनुसंधान, गृह, जहाजरानी आदि मंत्रालयों के सचिव एवं अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।


स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव ने कोविड​-19 से निपटने के लिए तैयारी एवं प्रतिक्रिया के संबंध में वर्तमान परिस्थिति और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा अन्य सहायक मंत्रालयों द्वारा की गई कार्रवाई पर एक प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति में प्रवेश द्वार एवं समुदाय की निगरानी, प्रयोगशाला सहायता, अस्पतालों की तैयारी, लॉजिस्टिक्‍स और संचार के जोखिम जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर जोर दिया गया। औषधि विभाग के सचिव ने भारत में उपयोग के लिए दवाओं, एक्टिव फार्मास्‍युटिकल्‍स इनग्रेडिएंट्स (एपीआई) और अन्य सामग्रियों के स्‍टॉक की पर्याप्‍त उपलब्धता के बारे में जानकारी दी।


बैठक के दौरान सभी हवाई अड्डों, बंदरगाहों एवं बॉर्डर क्रॉसिंग पर लगातार सतर्क रहने की आवश्यकता से संबंधित मुद्दों, प्रोटोकॉल के अनुसार सामुदायिक स्तर पर निगरानी ​​और रोगियों को अलग रखने के लिए पर्याप्त बिस्‍तरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। डॉ. हर्षवर्धन ने समय रहते पहल करने के लिए राज्यों के साथ प्रभावी समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया। नीती अयोग के सदस्‍य ने रोगियों को अस्पतालों में भर्ती करने के लिए क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही ईरान से भारतीयों को बाहर निकालने के लिए प्राप्त अनुरोध पर प्रकाश डाला गया।


माननीय प्रधानमंत्री ने अब तक किए गए कार्यों के लिए सभी विभागों की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत को उभरते परिदृश्य से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहना होगा। सभी विभागों को आपसी तालमेल के साथ काम करना चाहिए और समुदायों के बीच इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने और सावधानियां बरतने के लिए पहल की जानी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को दुनिया भर में और विभिन्‍न देशों में कोविड-19 से निपटने के लिए अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं की पहचान और उन पर अमल सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि विशेषज्ञों की राय के मद्देनजर लोगों को सलाह दी जानी चाहिए कि वे जहां तक ​​संभव हो सामूहिक समारोहों से बचें। साथ ही क्‍या करें और क्‍या न करें के बारे में जागरूक रहें। उन्होंने इस बीमारी के फैलने की स्थिति में रोगियों को अलग-थलग करने और उन्‍हें गंभीर देखभाल की सुविधा उपलब्‍ध कराने के लिए पर्याप्त स्थानों की पहचान करने का काम तत्‍काल शुरू करने का निर्देश दिया। उन्‍होंने अधिकारियों को ईरान में फंसे भारतीयों की तत्‍काल जांच और उन्‍हें बाहर निकालने के लिए योजना बनाने का निर्देश दिया। उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से इस संक्रामक बीमारी के प्रबंधन के लिए पहले से ही विस्‍तृत योजना तैयार करने और समय पर प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।