Saturday, March 7, 2020

महिलाओं को शक्ति सम्‍पन्‍न बनाने से समाज शक्ति सम्‍पन्‍न बनता है – स्‍मृति जुबिन ईरानी

महिला और बाल विकास मंत्रालय तथा विश्‍व बैंक ने आज नई दिल्‍ली में ‘’काम का भविष्‍य : भारत के श्रम-बल में महिलाएं’’ विषय पर एक चर्चा का आयोजन किया। महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती स्‍मृति जुबिन ईरानी ने विश्‍व बैंक के कंट्री डॉयरेक्‍टर डॉ. जुनैद कमल अहमद के साथ कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर महिला उद्यमियों और अन्‍य साझेदारों के साथ खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग में सचिव सुश्री पुष्‍पा सुब्रमह्यम, कौशल विकास और उद्यमिता सचिव प्रवीण कुमार, वित्‍तीय संयुक्‍त सेवाओं के अपर सचिव संजीव कौशिक तथा मंत्रालय में विशेष सचिव श्री अजय तिरके उपस्थित थे।


यह कार्यक्रम व्‍यवसाय में शामिल महिलाओं, समर्थवान महिलाओं और सार्वजनिक, निजी और नागरिक समाज संगठनों की उपलब्धियों का जश्‍न बनाने के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस-2020 के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला का हिस्‍सा है।


स्मृति जुबिन ईरानी ने अपने समापन भाषण में कहा कि महिलाओं का अपने जीवन के शुरूआती दिनों में अपने पोषण पर जल्दी निवेश करना एक सामाजिक निवेश है क्योंकि यह एक सक्षम कार्यबल का निर्माण करता है। उन्होंने कहा कि लैंगिक भेदभाव एक वैश्विक चुनौती है और भारत ने लैंगिक मुद्दों पर आगे बढ़कर नेतृत्व किया है। उन्होंने कहा कि अब निराशा को छोड़ने का वक्‍त आ गया है। उन्होंने बताया कि अब से सरकार की कोई भी नीति या एजेंडा निराशा और भय पर आधारित नहीं होगा।  


महिला और बाल विकास मंत्री ने कहा कि महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पहली बार एक आहार योजना, तैयार की गई है और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने देश के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों के साथ इसे साझा किया है। उन्होंने बताया कि हर वर्ष घरेलू हिंसा के एक लाख मामले दर्ज होते हैं और लिंग-तटस्थ समाज बनाने के लिए न केवल लड़कियों को शक्ति सम्‍पन्‍न बनाना जरूरी है बल्कि उन लड़कों को भी उठाना जरूरी है जो लैंगिक मुद्दों के प्रति संवेदनशील हैं। इसके लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय निमहंस के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि देश के सभी जिलों में काउंसलिंग सुनिश्चित हो सके और काउंसलर की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके।


भारत की विकास गाथा में महिलाओं की केन्‍द्रीय भूमिका, महिलाओं को विकास सम्‍पन्‍न बनाने और महिला उद्यमियों की गाथा पर चर्चा के तीन सत्र आयोजित किए गए। इसके अलावा उनके कौशल और प्रशिक्षण तथा जो महिलाएं अपना व्‍यवसाय स्‍थापित करना चाहती है, बैंक ऋण लेना चाहती है और कार्यबल में शामिल होना चा‍हती है उनके सामने आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए महिला उद्यमियों के लिए विभिन्न सरकारी हस्तक्षेपों के बारे में चर्चा की गई। भारत में महिलाओं को मिलाकर केवल 23 प्रतिशत श्रम-बल और पाँच लड़कियों में से एक लड़की का विवाह 20 वर्ष की आयु से पहले हो जाता है, बीच में ही स्‍कूल की पढ़ाई छोड़ देने वाली लड़कियों की दर अधिक है। बच्‍चों की देखभाल, घरेलू कार्य और कार्यबल में महिलाओं के लिए अनुकूल माहौल की कमी के कारण भारत में श्रम-बल काफी कम है। हालाँकि इस समस्या का कोई त्वरित समाधान नहीं है, लेकिन सरकार विभिन्‍न नीतियों और योजनाओं जैसे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, मु्द्रा, कौशल विकास, स्टैंड-अप इंडिया और पोषण जैसी विभिन्न नीतियों और योजनाओं के माध्यम से श्रम-बल में महिलाओं को बढ़ाने उन्‍हें सशक्त बनाने और रोजगार के लिए सभी प्रयास कर रही है।



भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने प्रतिस्‍पर्धा कानून के अर्थशास्त्र पर पांचवें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने आज इंडिया हेबिटेट सेंटर, नई दिल्‍ली में प्रतिस्‍पर्धा कानून के अर्थशास्त्र पर पांचवें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। प्रधानमंत्री की आर्थिक परामर्शदात्री परिषद के अध्‍यक्ष डॉ. बिबेक देबरॉय इस सम्‍मेलन के मुख्‍य वक्‍ता थे।


अपने मुख्य भाषण में डॉ देबरॉय ने कहा कि प्रतिस्‍पर्धा के मुद्दे प्रतिस्पर्धा कानून के दायरे से बाहर हो गए हैं। बाजारों की कार्यप्रणाली और प्रतिस्पर्धा की सीमा परंपरागत संरचना और कानून की प्रणाली पर आधारित है जो बाजारों की मदद करती है। उन्होंने कहा कि भारत में ऐसे अनेक प्रकार के तत्‍व हैं जो प्रतिस्पर्धा आर्थिक सुधार को रोकते हैं। उन्होंने बाजारों और बढ़ती हुई प्रतिस्‍पर्धा पर जोर देते हुए कहा कि आर्थिक उदारीकरण के अनुरूप विनिर्माण में प्रवेश को आसान बनाया गया है फिर भी सेवाओं और कृषि क्षेत्र में अभी भी बाधाएं मौजूद हैं।


संरचना आयोजित कार्य प्रदर्शन ढांचे का उल्‍लेख करते हुए उन्‍होंने कहा कि बाजार संरचना और बाजार हिस्‍सा प्रतिस्‍पर्धा की पूरी तस्वीर उपलब्‍ध नहीं कराते हैं। उन्होंने बाजार के गतिशील स्‍वरूप की ओर संकेत किया और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के बाजारों की तुलना में भारत में बाजारों के विकास के स्तर पर ध्यान दिए जाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि प्रतिस्‍पर्धा सिद्धांतों के अमल के लिए इन विभेदों की पहचान करना बहुत जरूरी है। अंत में उन्होंने बाज़ारों पर नजर रखने के विरूद्ध सलाह देते हुए सही प्रतिस्पर्धा और एकाधिकार के दो महत्‍वपूर्ण  परिणामों के आयोजन की सलाह दी। अल्‍पाधिकार बाजारों में विभिन्न रणनीतिक बाजार क्रियाओं की अनुमति से उपभोक्ता कल्याण के लिए नवाचार में मदद मिलेगी। उद्योग द्वारा स्व-नियमन से नियामक हस्तक्षेपों की आवश्यकता को समाप्त किया जा सकता है। सरकार या सीसीआई को उद्योग द्वारा अपेक्षित कार्रवाई नहीं किए जाने पर आगे कदम बढ़ाने की जरूरत है। इस संदर्भ में, उन्होंने कौटिल्य के अर्थशास्त्र का उल्लेख किया जिसके दौरान बाजार सरकार के हस्तक्षेप के बजाय स्‍व-अनुपालन द्वारा कार्य करते थे।


अपने विशेष संबोधन में सीसीआई के अध्यक्ष श्री अशोक कुमार गुप्ता ने समय की आर्थिक विशेषताओं के अनुरूप ही अंतर्विरोध करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि डिजिटल बाजारों में, नवाचार के प्रोत्साहन को संरक्षित करते हुए गैर-प्रतिस्‍पर्धा आचरण के अधिकतम निवारण का सृजन किया जाना चाहिए। आयोग की मौजूदा हिमायती पहलों का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि प्रतिस्‍पर्धा पर बेपरवाह नीतिगत प्रतिबंधों की पहचान करने के लिए प्रतिस्‍पर्धा पहलू पर 17 विधानों/कानूनों/विनियमों का आकलन‍ किया जा रहा है। संयोजन समीक्षा के रूप में सीसीआई को इस वर्ष अधिसूचित लगभग 30% मामले अभी हाल में शुरू किए गए ग्रीन चैनल की अनुमोदित प्रणाली के तहत हैं। आयोग को यह उम्‍मीद है कि यह चैनल संयोजन के अनुमोदन में तेज और पारदर्शी प्रक्रिया को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्‍व-अनुपालन की संस्‍कृति का भी सृजन करेगा।


सीसीआई की सदस्य डॉ. संगीता वर्मा ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि आर्थिक अनुशासन वैश्विक प्रतिस्पर्धी अधिकारियों को एक सामान्य प्रवर्तन ढांचा उपलब्‍ध कराता है लेकिन यह आर्थिक ढांचे का अनुप्रयोग राष्ट्रीय संदर्भों, आर्थिक विकास के स्तर और बाजार की वास्तविकताओं से विवश है। आयोग द्वारा आयोजित ई-कॉमर्स बाजार अध्ययन का उल्लेख करते हुए उन्‍होंने अंतर्विरोध नीति के लिए साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण की सुविधा के लिए बाजार अध्ययन के महत्व पर जोर दिया। उनके अनुसार बेहतर बाजार परिणामों को प्राप्त करने और अंतर्विरोध की आवश्यकता के बिना संभावित प्रतिस्पर्धी चिंताओं को कम करने के लिए बाजार अध्‍ययन लंबा रास्ता तय करेगा।


इस सम्मेलन में उद्घाटन सत्र के अलावा दो तकनीकी सत्र शामिल थे जिनमें शोधकर्ताओं ने डिजिटल बाजारों में प्रतिस्पर्धी प्रवर्तन और प्रतिस्पर्धी मुद्दों में आर्थिक मुद्दों पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। ‘बाजार के लिए प्रतिस्पर्धा’ विषय पर एक पूर्ण सत्र का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता सीसीआई के अध्‍यक्ष ने की और ‘समकालीन अंतर्विरोध मुद्दों के अर्थशास्त्र’ पर भी एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया।



कोरोना वायरस के लिए 30 भारतीय हवाई अड्डों पर 6.5 लाख यात्रियों की हुई जांच

नागर विमानन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत सरकार ने विश्व स्वाथ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 30 जनवरी 2020 को अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य इमरजेंसी (पीएचईआईसी) के तहत कोरोना वायरस को महामारी करार दिए जाने से काफी पहले ही जांच सहित कई उपाय करने शुरू कर दिये थे। केंद्रीय मंत्री ने आज यहां कोरोना वायरस से संबंधित मुद्दों पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में 30 भारतीय हवाई अड्डों पर दुनिया के सभी हिस्सों से आने वाले यात्रियों की जांच की जा रही है और अभी तक 6,49,452 यात्रियों की जांच की जा चुकी है। इस मौके पर नागर विमानन सचिव, एयर इंडिया के सीएमडी, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के अध्यक्ष और डीजीसीए के महानिदेशक भी उपस्थित थे।


श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि दुनिया के सभी हिस्सों से आने वाले यात्रियों की व्यापक जांच भारतीय हवाई अड्डों पर शुरू हो गई है। थर्मल स्क्रीनिंग के बाद जिन यात्रियों में बुखार के शुरुआती लक्षण दिखते हैं, उनके विस्तृत परीक्षण के लिए आगे की प्रक्रिया की जाती है। उन्होंने कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों से भारतीय हवाई अड्डों पर रोजाना आने वाले लगभग 70,000 यात्रियों की जांच की जा रही है। मंत्री ने कहा कि एयर इंडिया के द्वारा वुहान से अभी तक 654 लोगों को वापस लाया जा चुका है। इसके अलावा एयर इंडिया द्वारा जापान के योकोहोमा में खड़े कोविड-19 से प्रभावित क्रूज शिप डायमंड प्रिंसेस से पांच विदेशी नागरिकों सहित 124 लोगों को भी वापस लाया गया है। भारतीय वायु सेना ने वुहान से 112 लोगों को निकाला, जिसमें म्यांमार, बांग्लादेश, मालदीव, चीन, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और मेडागास्कर के 35 नागरिक शामिल हैं।


श्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि 12 से 15 मार्च 2020 तक होने जा रहे नागरिक उड्डयन क्षेत्र के एक प्रमुख कार्यक्रम विंग्स इंडिया 2020, का आयोजन अब संक्षिप्त रूप में किया जाएगा। भारी जनसमूह की भागीदारी से बचा जाएगा। इस कार्यक्रम में स्थानीय प्रतिनिधि शामिल होंगे। भारत के बाहर के प्रतिनिधियों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की योजना बनाई जा रही है।


मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय और ईरान सरकार के साथ मिलकर ईरान से  भारतीयों को निकालने की योजना बनाई जा रही है।


उन्होंने कहा कि नियमित अंतराल पर मंत्रियों के समूह की बैठकों का आयोजन किया जा रहा है और इस तरह की चार बैठकें हो चुकी हैं। कैबिनेट सचिव भी नियमित रूप से  स्वास्थ्य, रक्षा, विदेश मंत्रालय, नागरिक उड्डयन, गृह, कपड़ा, वाणिज्य, आयुष सहित सभी संबंधित मंत्रालयों और राज्यों के मुख्य सचिवों सहित अन्य अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठकें कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि भारत सरकार नियमित रूप से डब्ल्यूएचओ मुख्यालय, क्षेत्रीय कार्यालय और भारतीय कार्यालय के साथ संपर्क में हैं। साथ ही बदलते वैश्विक परिदृश्य पर नजर बनाए हुए है। मंत्री ने कहा कि सरकार, उद्योग, पर्यटन क्षेत्र सभी इस दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित एजेंसियां ​​24 घंटे एक-दूसरे के संपर्क में हैं।


कोरोना वायरस रोग के प्रसार को रोकने के लिए निवारक उपाय



  • नागर विमानन मंत्रालय एन-कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उपाय करने में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की सहायता कर रहा है।

  • वायरस के प्रसार को रोकने के लिए नागर विमानन मंत्रालय द्वारा किए गए उपाय निम्नलिखित हैं:

  • अंतर्राष्ट्रीय परिचालन वाले 30 हवाई अड्डों पर कोरोना वायरस की लिए व्यापक जांच की जा रही है। अभी तक (5 मार्च 2020, 10:00 बजे) 6550 उड़ानों से आने वाले कुल 6,49,452 यात्रियों की जांच की जा चुकी है।

  • सभी हवाई अड्डों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों से आने वाले सभी यात्रियों की विशेष चिह्नित एयरोब्रिज से बाहर आने पर एचपीएचओ से जांच कराई जाए। एचपीएचओ से मंजूरी के बाद सभी यात्रियों को आव्रजन की ओर जाने के लिए स्वीकृति दी जाएगी।

  • सभी हवाई अड्डा परिचालकों को जांच के उद्देश्य के लिए एयरोब्रिज की पहचान करनी होगी और इसके लिए जरूरी ढांचा उपलब्ध कराना होगा।

  • सभी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर हवाईअड्डे वार नोडल अधिकारियों की नियुक्त कर दी गयी है और बिना किसी देरी के नोडल अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश जारी करने के वास्ते स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को इनकी सूची भी उपलब्ध करा दी गई है।

  • संकेतक: अंतर्राष्ट्रीय परिचालन वाले सभी हवाई अड्डों पर निर्दिष्ट स्थानों पर संकेतक प्रदर्शित किए गए हैं।

  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशानिर्देशों के तहत सभी विमानन कंपनियों को उड़ान के दौरान घोषणाएं करने के लिए निर्देश दे दिए गए हैं। इसके अलावा सभी अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों से एक डुप्लिकेट 'सेल्फ रिपोर्टिंग फॉर्म' भरने के लिए कहा जा रहा है।

  • डीजीसीए द्वारा सभी विमानन कंपनियों को परीक्षण के लिए नामित आईसीएमआर-एनआईवी पुणे लैब से एनसीओवी नमूने लेने के निर्देश दे दिए गए हैं।    



Thursday, March 5, 2020

शिक्षको के गुणवत्ता पर विचार कब

आज नियोजित शिक्षको की माँग पर राज्य सरकार विचार करना चाहती है। शायद यह जरूरी भी है लेकिन उन मासूम विद्यार्थीयों पर भी सरकार को विचार करना चाहिए जो अयोग्य शिक्षको से शिक्षा ले रहे हैं।आजकल कई ऐसे प्रकरण हाल के दिनो में उजागर हो रहे हैं जिसमें शिक्षको के गिरते निम्न स्तरीय शिक्षा को दर्शाता है।सरकार को स्तरीय परीक्षाओं के जरिये ही शिक्षको की नियुक्ति करनी चाहिए।नियोजित शिक्षको को भी स्तरीय परीक्षा दिलवाकर वेतन बढ़ाया जाना ज्यादा कारगर होगा।इससे वैसे लोग जो इस गिरती शिक्षा प्रणाली के दीमक है खुद छट जाएँगे और योग्यता को आगे आने के रास्ते खुलेंगे।शिक्षक राष्ट्र निर्माता होते है उनमें भी अगर कुछ अयोग्य शामिल है तो यह राज्य सरकार की जिम्मेवारी है कि वैसे लोगो के निष्कासन के विकल्प पर विचार किया जाय तथा योग्य और स्तरीय शिक्षको की तालाश की जाय जो सिर्फ प्रतियोगिता परीक्षा से ही संभव है।जहाँ तक नियोजित शिक्षको की बात है उनकी बहाली प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर नही हुई थी जबकि उनकी माँग प्रतियोगिता शिक्षक जैसी है इसलिए सरकार को प्रतियोगिता का आयोजन कर पुनः सेलेक्शन करनी चाहिए कि वे जिसका माँग कर रहे उतने के लायक हैं या नही?

  ऐसा करने से उनकी माँग खुद वखुद समाप्त हो जाएँगे और सरकार के लिए विकल्प भी खुलेंगे।आये दिन हड़ताल और रोज रोज का झंझट से छुटकारे के लिए कुछ तो कठोर कदम की जरूरत है।जिससे योग्यता का विकास हो और छात्र की शिक्षा में सुधार।मौलिक अधिकार की शिक्षा अगर शूरू से ही स्तरीय न हो तो ऐसे में विकास की कल्पना संभव नहीं।योग्यता परख की सिस्टम विकसित करने के विकल्प पर काम करने की आवश्यकता है जो जात पात से उपर जाकर सिर्फ योग्यता पर विचार करे और शिक्षक सिर्फ योग्यताधारी को ही बनाया जाय तभी स्तरीय और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा संभव है वरना एक स्वप्न?

इसकी सीख हमें महाभारत और रामायण के कथाओ में भी मिलती है।बाल्मिकी  के वगैर भगवानराम मर्यादा पुरूपोत्तम नही बनते और द्रोणाचार्य के वगैर अर्जुन सरूवश्रेष्ठ धर्नुधर नही होते।ठीक उसी प्रकार योग्य शिक्षक के वगैर छात्र सफल नही हो सकते समाज जागरूक नही हो सकता अतः इस विषय पर गहन सोच और स्तरीय प्रतियोगिता के विकल्प पर विचार करना लाजिमी प्रतीत होता है ।