Thursday, March 5, 2020

कोरोना वायरस-19 पर अब तक की मौजूदा स्थिति - नए मामलों की पुष्टि हुई

जयपुर में, पहले से ही पुष्टि किए गए इतालवी रोगी की पत्नी में भी कोरोना वायरस-19 से प्रभावित होने की पुष्टि की गई है। यह यहां कोरोना वायरस का तीसरा मामला है।


जयपुर में कोरोना वायरस-19 की पुष्टि वाले समूह का हिस्‍सा रहे 14 इतालवी और एक भारतीय के लिए भी प्रारंभिक तौर पर कोरोना वायरस-19 की पुष्टि की गई है।


आगरा में एक परिवार के छह (6) सदस्यों की, जो दिल्ली से कोरोना वायरस-19 की पुष्टि वाले परिवार के सदस्य हैं, कोरोना वायरस-19 की पुष्टि की गई है।


इसके अलावा, तेलंगाना में वायरल से अत्‍यधिक संक्रमित दो मामलों का पता चला है।



डॉ. हर्षवर्धन ने बधिरता की रोकथाम और नियंत्रण पर बहु-हितधारक परामर्श बैठक की अध्‍यक्षता की

केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज बधिरता की रोकथाम और नियंत्रण पर बहु-हितधारक परामर्श बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हमें सामंजस्यपूर्ण ढंग से कार्य  करते हुए यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि कोई भी बालक श्रवण हृास से संबंधित जांच और उपचार से छूट न पाए, क्‍योंकि यह माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के 2022 तक एक नवीन और स्‍वस्‍थ भारत बनाने की परिकल्‍पना के प्रमुख घटकों में से एक है। आज के दिन को “विश्व श्रवण दिवस” के रूप में भी मनाया जाता है।



डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि श्रवण हानि से संबंधित प्रा‍रभिंक पहचान और उपचार के लिए जागरूकता जगाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि श्रवण हानि दिव्‍यांगता के साथ वर्षों तक जीवनयापन करने का चौथा प्रमुख कारण है। भारत सरकार ने श्रवण क्षमता की प्रारंभिक पहचान, निदान और उपचार पर ध्यान केंद्रित करते हुए बधिरता की रोकथाम और नियंत्रण पर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीपीसीडी) का शुभारंभ किया है। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम 558 जिलों में लागू किया जा रहा है और वर्ष 2019-20 के 9 महीनों में श्रवण हानि सहित कुल 3,27,172 मामलों की जांच की गई। कुल 18,745 ईएनटी सर्जरी की गई। केन्‍द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कुल 13,411 श्रवण यंत्र लगाए गए हैं और वर्ष 2019-20 के दौरान अब तक 45,953 व्यक्तियों को पुनर्वास के लिए संदर्भित किया गया है।


डॉ. हर्षवर्धन ने सलाह दी कि इस कार्यक्रम को मिशन मोड में लागू करने के लिए अधिक केंद्रित रणनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य और वांछित परिणामों को प्राप्त करने हेतु वर्तमान कार्यक्रम को और अधिक मजबूत बनाने के लिए बौद्धिक सत्रों, जागरूकता शिविरों, निगरानी तंत्रों आदि को प्रारंभ करने की आवश्यकता है।


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने माँ और बच्चे की देखभाल से संबंधित अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों/ योजनाओं के साथ एनपीबीसीडी को जोड़ने की संभावनाओं का पता लगाने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि उपयुक्त और प्रभावी सूचना, शिक्षा और संचार (आईइसी) रणनीतियों के माध्यम से जन जागरूकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जिससे क्षमता निर्माण और विकास के साथ-साथ बधिरता की प्रारंभिक पहचान और रोकथाम से संबंधित मामलों के प्रबंधन पर विशेष जोर दिया जा सके। इसके अलावा, मेडिकल कॉलेज स्तर के विशेषज्ञों (ईएनटी और ऑडियोलॉजी) के द्वारा जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को भी प्रशिक्षण प्रदान किया जाए।


बैठक के दौरान, संयुक्त सचिव डॉ मनोहर अगनानी, एमएएमसी के पूर्व डीन डॉ. अरुण अग्रवाल, आरएमएल ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. कंवर सेन, एलएचएमसी के विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार, एम्स (दिल्ली) के प्रो. राकेश कुमार, सफदरजंग अस्पताल के ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ शांतनु मंडल, आईएसएचए, मैसूर के ऑडियोलॉजिस्ट डॉ. शिव प्रसाद रेड्डी के साथ-साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारी भी उपस्थित थे।




एलएलपी निपटारा योजना, 2020 शुरू की गई ; पंजीयक के पास वैधानिक रूप से आवश्यक दस्तावेज दाखिल करने में देरी की छूट एक बार ही होगी

यह देखा गया है कि देर से दाखिल करने पर अतिरिक्त शुल्क लागू होने के कारण, जो कि देरी के मामले में वास्तव में वित्तीय बोझ बन सकता है, सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) की एक बड़ी संख्या इसका अनुपालन नहीं कर रही है। देरी की कुल अवधि के लिए विलंब शुल्‍क का भुगतान करने में उनकी अक्षमता इसका मुख्‍य कारण है।



कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों के तहत, लंबित दस्तावेजों को दाखिल करने तथा भविष्य में एक योग्य एलएलपी के रूप में सेवा करने के लिए डिफ़ॉल्ट एलएलपी को अतिरिक्त शुल्क में एक बार की छूट देने का निर्णय लिया गया है।


तदनुसार, केंद्र सरकार ने पंजीयक के पास वैधानिक रूप से आवश्यक दस्तावेज दाखिल करने में पंजीयक एक बार देरी की अनुमति देकर "एलएलपी सेटलमेंट स्कीम, 2020" नामक एक योजना शुरू करने का निर्णय लिया है।


ऐसे एलएलपी, जो स्वयं योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, लंबित दस्तावेजों/प्रपत्रों को दाखिल कर सकते हैं और इस तरह के चूक के लिए मुकदमा चलाने से बचने के लिए एक बार ही ऐसी चूक कर सकते हैं।


यह योजना 16 मार्च, 2020 को लागू होगी और यह 13 जून, 2020 तक प्रभावी रहेगी। यह अतिदेय दस्तावेज दाखिल करने के लिए "डिफ़ॉल्ट एलएलपी" पर लागू होगा, जो 31 अक्टूबर, 2019 तक दाखिल करने के लिए था।  इस तरह के दस्तावेज़ या रिटर्न दाखिल करने के लिए देय किसी भी शुल्क के अलावा, विलंब शुल्क की अवधि से प्रतिदिन 10 रुपये के एक मामूली अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना होगा। इसके लिए प्रति दस्तावेज अधिकतम राशि 5,000 रुपये होगी।


योजना निम्नलिखित दस्तावेजों के दाखिल करने के लिए लागू होगी:


प्रपत्र 3- सीमित देयता भागीदारी समझौते और परिवर्तनों के संबंध में जानकारी, यदि कोई हो


प्रपत्र-4- नामित साझेदार अथवा साझेदार की नियुक्ति, समाप्ति की सूचना, नाम/पता/पदनाम में परिवर्तन तथा साझेदार /नामित साझेदार बनने के लिए सहमति/नामित भागीदार बनने के लिए सहमति की सूचना;


प्रपत्र-8- खाता और सॉल्वेंसी का विवरण (वार्षिक या अंतरिम); तथा


प्रपत्र-11- सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) का वार्षिक रिटर्न।


इस योजना को देश के नागरिकों के रहन-सहन में अधिक से अधिक आसानी प्रदान करने के सरकार के लक्ष्‍य के अनुसरण में शुरू किया जा रहा है और एलएलपी के लिए एक महत्वपूर्ण राहत और अवसर प्रदान करने की उम्मीद है, जो कानून का पालन करें और तदनुसार व्यापार करें।




केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस समारोह की श्रृंखला में  चिपको कार्यकर्ता गौरा देवी की स्‍मृति में एक पौधा लगाया

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने मंत्रालय की वरिष्ठ महिला अधिकारियों के साथ आज नई दिल्ली में चिपको कार्यकर्ता गौरा देवी की स्मृति में पौधारोपण किया। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस समारोह के हिस्से के रूप में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए हैं।

गौरा देवी को याद करते हुए, श्री पोखरियाल ने कहा कि वह पहाड़ी ग्रामीण परिवेश की एक साधारण महिला थीं, जो निडर होकर पेड़ों की रक्षा के लिए अपना जीवन बलिदान करने के लिए तैयार रहती थीं। उन्होंने कहा कि गौरा देवी ने पर्यावरण, पेड़, चारा, पशुधन और ग्रामीण जीवन के बीच के अदृश्य संबंधों से पूरी दुनिया को अवगत कराया। पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी दृष्टि और प्रतिबद्धता हम सभी के लिए एक प्रेरणा है। वास्तव में, उनके पदचिह्नों पर चलते हुए, कई अन्य महिलाएं वैश्विक स्तर पर पर्यावरण क्रांति को बढ़ावा देने में सबसे आगे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जब हम जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के लिए खतरे की चुनौती का सामना कर रहे हैं तो हमें उनके जैसे पर्यावरण कार्यकर्ताओं और संरक्षकों की आवश्यकता है। 


मानव संसाधन विकास मंत्रालय 01 से 08 मार्च, 2020 तक महिला सप्ताह मना रहा है। इस क्रम में, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आज उन ऐतिहासिक महिलाओं को याद किया, जिन्होंने अतीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।