Thursday, March 5, 2020

आयकर विभाग की टीडीएस से जुड़ी तलाशी में कर कटौती और जमा कराने में भारी डिफॉल्‍ट का खुलासा

आयकर विभाग के टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) प्रकोष्‍ठ ने अपनी एक बड़ी कामयाबी के तहत दिल्‍ली में एक प्रमुख टेलीकॉम ऑपरेटर के मामले में 324 करोड़ रुपये के टीडीएस डिफॉल्‍ट (चूक) का खुलासा किया है। इस टेलीकॉम कंपनी ने 4,000 करोड़ रुपये के तकनीकी अनुबंधों पर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 194जे के तहत आवश्‍यक 10 प्रतिशत की स्रोत पर कर कटौती (टीडीसी) नहीं की थी। जांच पूरी हो जाने पर इस डिफॉल्‍ट राशि के और बढ़ जाने की संभावना है।


यह पाया गया कि शहर के अनेक अस्‍पताल टीडीएस और टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह) मानकों का खुलेआम उल्‍लंघन कर रहे थे तथा आयकर विभाग को अपेक्षा से कम टैक्‍स अदा कर रहे थे। 2500 से भी अधिक के बिस्‍तरों (बेड) वाले प्रमुख अस्‍पताल के साथ-साथ 700 बिस्‍तरों वाले अस्‍पताल के यहां भी तलाशी ली गई। 2500 से भी अधिक के बिस्‍तरों (बेड) वाले अस्‍पताल में तलाशी के दौरान यह पाया गया कि यह अस्‍पताल निर्माण अनुबंधों पर किसी भी तरह का टीडीसी नहीं काट रहा था, जबकि वैधानिक दृष्टि से यह आवश्‍यक है। वहीं, 700 बिस्‍तरों के बेड वाला अस्‍पताल अपने यहां डॉक्‍टरों को दिए गए वेतन पर 30 प्रतिशत की लागू वर्तमान टीडीएस दर के बजाय केवल 10 प्रतिशत की दर से ही टैक्‍स की कटौती कर रहा था।


मार्च, 2020 के प्रथम सप्‍ताह में दिल्‍ली स्थित एक प्रमुख रियल एस्‍टेट कंपनी ग्रुप के यहां की गई टीडीएस तलाशी के दौरान विगत वर्षों के विश्‍वसनीय आंकड़ों का विश्‍लेषण करने के साथ-साथ समूह की विभिन्‍न कंपनियों के टीडीएस अनुपालन, उनके आईटीआर रिटर्न, टैक्‍स ऑडिटरों की रिपोर्टों एवं सीपीसी-टीडीएस द्वारा वास्‍तविक समय पर सृजित डेटा का भी विश्‍लेषण करने के बाद यह पाया गया कि टैक्‍स की कटौती करने वाले ने पूर्ववर्ती वर्षों में टैक्‍स तो पहले ही काट लिया था, लेकिन उसे सरकारी खाते में जमा नहीं किया था।


तलाशी के दौरान सत्‍यापन एवं विश्‍लेषण से बकाया टीडीएस देनदारी और उस पर देय ब्‍याज के बारे में पता चला, जो 214 करोड़ रुपये आंका गया है। टीडीएस डिफॉल्‍ट मुख्‍यत: बकाया ऋणों पर देय ब्‍याज की अदायगी से संबंधित है। इस रियल एस्‍टेट कंपनी ने भारी-भरकम कर्ज ले रखे थे जिस पर ब्‍याज अदायगी समय-समय पर होती रही। विभिन्‍न वित्त वर्षों के दौरान टीडीएस काटा तो गया, लेकिन सरकारी खाते में जमा नहीं कराया गया।


आयकर विभाग के टीडीएस प्रकोष्‍ठ द्वारा की गई एक अन्‍य तलाशी के दौरान एक प्रमुख तेल कंपनी के मामले में लगभग 3,200 करोड़ रुपये के टीडीएस डिफॉल्‍ट का पता लगा। इस डिफॉल्‍ट में क्रमश: अपेक्षा से कम टैक्‍स काटना और टैक्‍स बिल्‍कुल भी न काटना शामिल है। हाई-टेक तेल रिफाइनरियों की स्‍थापना एवं रखरखाव से जुड़ी तकनीकी सेवाओं के लिए शुल्‍क के भुगतान और पुनर्गैसीकरण की रासायनिक प्रक्रिया के साथ-साथ एलएनजी की ढुलाई के लिए भुगतान पर कई वर्षों तक अपेक्षा से कम टैक्‍स काटना अधिनियम की धारा 194जे से संबंधित थे।  



सरकार का जम्‍मू और कश्‍मीर के लोगों के लिए कश्‍मीर को जन्‍नत बनाने का प्रयास

जम्मू और कश्मीर से आए 22 स्कूली बच्चों के एक दल ने आज नई दिल्‍ली में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय से भेंट की। इस दल में जम्‍मू और कश्‍मीर भारत स्‍काउट गाइड्स के 14 से 17 वर्ष की आयु के छात्र और दो अध्‍यापक शामिल थे। ये छात्र भारत को जानो कार्यक्रम के तहत सीआरपीएफ द्वारा आयोजित भारत दर्शन दौरे पर निकले हैं। ये छात्र चेन्‍नई की यात्रा कर चुके हैं और इस समय नई दिल्‍ली के विभिन्‍न स्‍थानों की यात्रा कर रहे हैं।


इस अवसर पर गृह राज्‍य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में सरकार जम्‍मू और कश्‍मीर के सुदूरवर्ती इलाकों सहित देश के सभी क्षेत्रों में विकास करने का प्रयास कर रही है। उन्‍होंने कहा कि जम्‍मू और कश्‍मीर में शांति और विकास लाने की दिशा में केन्‍द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह द्वारा किए गए अभूतपूर्व प्रयासों ने देश के अन्‍य क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के साथ नजदीकी बढ़ा दी है। सरकार का उद्देश्‍य कश्‍मीर का विकास करके और क्षेत्र के युवाओं को समान अवसर प्रदान करके कश्‍मीर को जन्‍नत बनाना है।


छात्रों के साथ बातचीत करते हुए श्री नित्‍यानंद राय ने कहा कि उन्‍हें जम्‍मू और कश्‍मीर के बच्‍चों से मिलकर प्रसन्‍नता हुई है और इस यात्रा से उन्‍हें भारत की विविधता और सौंदर्य को समझने में मदद मिलेगी। यात्रा के दौरान छात्रों को हुए अनुभवों को सुनने के बाद गृह राज्‍य मंत्री ने कहा कि किसी को भी अफवाहों पर यकीन नहीं करना चाहिए और स्‍वयं सच्‍चाई का पता लगाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि ऐसी यात्राएं कश्‍मीरी लोगों को देश के अन्‍य भागों में रह रहे लोगों के नजदीक लाएंगी। उन्‍होंने कहा कि यह एक अच्‍छा संकेत है और लोगों ने यह मानना शुरू कर दिया है कि कश्‍मीर भारत का भविष्‍य है।


श्री राय ने कहा कि इस अध्‍ययन दौरे से ऐतिहासिक स्‍थलों, सामाजिक मूल्‍यों, संस्‍कृति और परंपराओं के बारे में उनका ज्ञान और सामान्‍य जागरूकता बढ़ेगी। उन्‍होंने भारत की समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत को देखने के लिए बच्‍चों को एक अवसर प्रदान करते हुए भारत दर्शन यात्रा का प्रबंध करने के लिए सीआरपीएफ की सराहना की। यह दौरा उन्‍हें देश की ऐतिहासिक सांस्‍कृतिक और सामाजिक जनता से रूबरू कराने और औद्योगिक, तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्र में हुए विकास और साथ ही देश के लिए गौरव की भावना लाने के उद्देश्‍य से आयोजित किया गया है।  



मंत्रिमंडल ने नागरिक उड्डयन में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश नीति को मंजूरी दी

  प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड के मामले में उन एनआरआई को स्‍वचालित मार्ग से 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति देने के लिए मौजूदा एफडीआई नीति में संशोधन को मंजूरी दी है जो भारत के नागरिक हैं।


      मौजूदा एफडीआई के अनुसार, अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा/ घरेलू अनुसूचित यात्री एयरलाइन में स्वचालित मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है (49 प्रतिशत तक स्वचालित और 49 प्रतिशत से अधिक सरकार के जरिये)। हालांकि एनआरआई के लिए अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा/ घरेलू अनुसूचित यात्री एयरलाइन में स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है। लेकिन शर्त यह है कि विमान नियम 1937 के अनुसार पर्याप्‍त स्‍वामित्‍व एवं प्रभावी नियंत्रण (एसओईसी) भारतीय नागरिकों में निहित होगा।


      हालांकि मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड के लिए मौजूदा नीति के अनुसार, मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड में प्रत्‍यक्ष अथवा अप्रत्‍यक्ष तौर पर 49 प्रतिशत से अधिक विदेशी निवेश की अनुमति नहीं है और वह इस शर्त पर आधारित है कि मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड में पर्याप्‍त स्‍वामित्‍व एवं प्रभावी नियंत्रण भारतीय नागरिकों में निहित हो। इसलिए अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा/ घरेलू अनुसूचित यात्री एयरलाइन में एनआरआई के लिए स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होने के बावजूद मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड के मामले में यह केवल 49 प्रतिशत तक सीमित है।


लाभ:


      भारत सरकार द्वारा मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड के 100 प्रतिशत प्रस्तावित रणनीतिक विनिवेश के संदर्भ में मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड में सरकार की कोई शेष हिस्‍सेदारी नहीं होगी और वह पूरी तरह निजी स्वामित्व में होगी। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि एम/एस एयर इंडिया लिमिटेड में विदेशी निवेश के जरिये उसे अन्य अनुसूचित विमानन कंपनियों की श्रेणी में लाया जाना चाहिए।


      एफडीआई नीति में इस संशोधन से मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड में अन्य अनुसूचित एयरलाइन ऑपरेटरों के अनुरूप विदेशी निवेश की अनुमति मिल जाएगी यानी मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड में उन एनआरआई को 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति होगी  जो भारतीय नागरिक हैं। एफडीआई नीति में प्रस्तावित संशोधन एनआरआईएस को स्वचालित मार्ग से मैसर्स एयर इंडिया लिमिटेड में 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश करने में समर्थ बनाएगा।


      एफडीआई नीति में उपरोक्‍त संशोधन का उद्देश्‍य देश में कारोबारी सुगमता उपलब्‍ध कराने के लिए एफडीआई नीति को उदार और सरल बनाना है। इसके जरिये सबसे बड़े एफडीआई का मार्ग प्रशस्‍त होगा जिससे निवेश, आय और रोजगार में वृद्धि को बल मिलेगा।


पृष्ठभूमि:


      एफडीआई आर्थिक विकास का एक प्रमुख वाहक है और यह देश के आर्थिक विकास के लिए गैर-ऋण वित्तपोषण का एक स्रोत है। देश में बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्‍य से एफडीआई नीति की लगातार समीक्षा की जाती है। सरकार ने निवेशकों के अनुकूल एफडीआई नीति तैयार की है जिसके तहत अधिकतर क्षेत्रों/ गतिविधियों में स्वचालित मार्ग पर 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति दी गई है।


      भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनाने के लिए हाल के दिनों में विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआई नीति के प्रावधानों को लगातार उदार बनाया गया है। इन क्षेत्रों में रक्षा, निर्माण एवं विकास, व्यापार, औषधि, बिजली विनिमय, बीमा, पेंशन, अन्य वित्तीय सेवाएं, परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियां, प्रसारण, एकल ब्रांड खुदरा व्‍यापार, कोयला खनन, डिजिटल मीडिया आदि शामिल हैं।


      इन सुधारों ने हाल के दिनों में भारत में हुए एफडीआई निवेशक में उल्‍लेखनीय योगदान दिया है। वर्ष 2014-15 में भारत में एफडीआई प्रवाह 45.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और तब से इसमें लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष 2015-16 में एफडीआई प्रवाह 55.56 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा जबकि वर्ष 2016-17 में 60.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2017-18 में 60.97 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एफडीआई निवेश हुआ। पिछले वित्‍त वर्ष यानी 2018-19 में देश में एफडीआई प्रवाह 62.00 बिलियन अमेरिकी डॉलर (अनंतिम आंकड़ा) दर्ज किया गया जो अब तक का सर्वाधिक है। पिछले पिछले साढ़े उन्‍नीस वर्षों (अप्रैल 2000 से सितंबर 2019) के दौरान कुल एफडीआई प्रवाह 642 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा जबकि पिछले साढ़े पांच वर्षों (अप्रैल 2014 से सितंबर 2019) के दौरान देश में कुल 319 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एफडीआई प्रवाह हुआ जो पिछले साढ़े उन्‍नीस वर्षों में हुए कुल एफडीआई निवेश का लगभग 50 प्रतिशत है।


      पिछले कुछ वर्षों से वैश्विक एफडीआई के अंतरप्रवाह में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यूएनसीटीएडी की वर्ल्ड इनवेस्टमेंट रिपोर्ट 2019 के अनुसार, वर्ष 2018 में वैश्विक प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 13 प्रतिशत घटकर 1.3 ट्रिलियन रह गया जो इसकी लगातार तीसरी वार्षिक गिरावट है। वैश्विक तस्वीर साफ न होने के बावजूद भारत वैश्विक एफडीआई प्रवाह के लिए एक पसंदीदा और आकर्षक गंतव्य बना हुआ है। हालांकि देश में विदेशी निवेश आकर्षित करने की क्षमता मौजूद है। लेकिन ऐसा महसूस किया गया है कि एफडीआई नीति के नियमों को अधिक उदार एवं सरल बनाकर कहीं अधिक एफडीआई निवेश आकर्षित किया जा सकता है।



केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 01 अप्रैल, 2020 से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में व्‍यापक विलय को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों के 4 बैंकों में विलय के व्‍यापक एकीकरण को मंजूरी दे दी है, इस विलय में शामिल हैं :-



1.   ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का पंजाब नेशनल बैंक में विलय


2.   सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में विलय


3.   आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में विलय


4.   इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय


यह विलय 01 अप्रैल, 2020 से प्रभावित होगा और इसके परिणामस्‍वरूप सार्वजनिक क्षेत्र के 7 बड़े बैंकों का व्‍यापक स्‍तर पर सृजन होने के अलावा प्रत्‍येक व्‍यापक एकीकरण में 80 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार के साथ-सा‍थ इसकी राष्‍ट्रीय स्‍तर तक पहुंच होगी। व्‍यापक स्‍तर पर हुए इस एकीकरण से बैंकों को न सिर्फ वैश्विक बैंकों के साथ तुलनात्‍मक क्षेत्र में अपितु भारत और अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर भी प्रभावी रूप से प्रतिस्‍पर्धा करने में सक्षम बनाने में मदद मिलेगी। इस एकीकरण के माध्‍यम से बड़े पैमाने पर लागत लाभ को सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भारतीय बैंकिंग प्रणाली में अपनी प्रतिस्‍पर्धात्‍मकता और सकारात्‍मक प्रभाव का विस्‍तार करने में सक्षम बनेंगे।


      इसके अतिरिक्‍त, इस एकीकरण से इन बैंकों में बड़े स्‍तर के ऋणों में सहायता के साथ-साथ व्‍यापक वित्‍तीय क्षमता के द्वारा प्रतिस्‍पर्धात्‍मक कार्य संचालनों को भी प्रोत्‍साहन मिलेगा। सभी एकीकृत बैंकों में सर्वोत्‍तम कार्य प्रणालियों को अपनाने से बैंकों में उनकी लागत कुशलता और जोखिम प्रबंधन में सुधार होगा एवं व्‍यापक पहुंच के माध्‍यम से वित्‍तीय समावेशन के लक्ष्‍य में भी वृद्धि होगी।


      सभी एकीकृत बैंकों में उन्‍नत तकनीकियों को अपनाने से न सिर्फ व्‍यापक योग्‍य समूह और एक बड़े डाटा बेस तक पहुंच होगी, अपितु सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक तेजी से डिजिटल होते बैंकिंग परिदृश्‍य में विश्‍लेषणात्‍मक कार्य क्षमता के द्वारा प्रतिस्‍पर्धा का लाभ लेने की स्थिति में होंगे।