यह विधेयक चूक के मामले में इस कानून के तहत आपराधिकता को दूर करेगा जिसे निष्पक्ष तरीके से निर्धारित किया जा सकता है और जिसमें धोखाधड़ी के तत्व मौजूद न हो अथवा व्यापक सार्वजनिक हित शामिल न हो। इससे देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को और मजबूत किया जा सकेगा। यह विधेयक कानून का पालन करने वाले उद्योगपतियों के लिए जीवन को भी सुगम बनाएगा।
इससे पहले कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2015 के तहत इस कानून के कुछ प्रावधानों में संशोधन किया गया था ताकि इस कानून के विभिन्न प्रावधानों को लागू करने आने वाली कठिनाइयों को दूर किया जा सके।