Sunday, March 1, 2020

‘चिंतन बैठक’- भारत के सभी प्रमुख बंदगाहों के अध्‍यक्षों के साथ बंदरगाह समीक्षा बैठक संपन्‍न

केंद्रीय जहाजरानी राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री मनसुख मंडाविया ने तमिलनाडु के ममलापुरम में तीन दिवसीय बंदरगाह समीक्षा बैठक – ‘चिंतन बैठक’ की अध्‍यक्षता की, जो आज संपन्‍न हुई। भारत के सभी प्रमुख बंदरगाहों के अध्‍यक्ष, जहाजरानी मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारियों और प्रमुख बंदरगाहों के अन्‍य अधिकारियों ने बैठक में भाग लिया।

‘चिंतन बैठक’ में प्रमुख बंदरगाहों के प्रदर्शन में सुधार लाने, निजी या गैर प्रमुख बंदरगाहों के साथ प्रत्‍यक्ष रूप से प्रतिस्‍पर्धा करने के लिए प्रमुख बंदरगाहों के सुदृढ़ीकरण, बंदरगाह आधुनिकीकरण, बंदरगाहों को फेसलेस और पेपर लेस बनाने के लिए ई-गर्वनेंस का कार्यान्‍वयन, ‘ट्रांस-शिपमेंट हब’ के रूप में भारत का विकास और सामुद्रिक क्षेत्र के लिए विजन-2030 जैसे विभिन्‍न विषयों पर व्‍यापक रूप से विचार किया गया।


चिंतन बैठक के दूसरे दिन, उपराष्‍ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने अधिकारियों के साथ परस्‍पर बातचीत की और उन्‍हें प्रोत्‍साहित किया। उन्‍होंने कहा कि भारत को अन्‍य वैश्विक बंदरगाहों के समतुल्‍य बंदरगाहों का विकास करने की आवश्‍यकता है। 2.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था से 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनने की यात्रा में भारत के लिए बंदरगाहों पर एक विश्‍व स्‍तरीय अवसरंचना महत्‍वपूर्ण है। श्री नायडू ने कहा कि तटीय समुदाय विकास बंदरगाह आधारित विकास का एक अनिवार्य घटक है। स्‍थानीय युवकों को कौशल उपलब्‍ध कराने के द्वारा स्‍थानीय समुदायों पर ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है, जिससे कि वे रोजगार के अवसर प्राप्‍त कर सकें।


  चिंतन बैठक के दौरान श्री मनसुख मंडाविया ने अध्‍यक्षों, अधिकारियों के साथ सक्रियतापूर्वक परस्‍पर बातचीत की और ‘भारत के स्‍मार्ट, टिकाऊ और सुरक्षित बंदरगाहों’ का विजन प्रस्‍तुत किया। सभी प्रमुख बंदरगाहों के अध्‍यक्षों ने बंदरगाहों के विकास के लिए नवोन्‍मेषी उपायों, उल्‍लेखनीय उपलब्धियों, समग्र वित्‍तीय स्थिति, भविष्‍य की योजना के साथ संबंधित बंदरगाह निष्‍पादन प्रस्‍तुत किया। बंदरगाह समीक्षा बैठक के दौरान अध्‍यक्षों ने भी जहाजरानी मंत्री को उन मुद्दों के बारे में जानकारी दी, जिनमें मंत्रालय स्‍तरीय अंत:क्षेपों की आवश्‍यकता है। श्री मंडाविया ने बैठकों में बंदरगाहों के समक्ष आने वाली विभिन्‍न चुनौतियों का समाधान किया और बंदरगाहों के विकास के लिए सभी आवश्‍यक सहायता का आश्‍वासन दिया। श्री मंडाविया ने बंदरगाहों को विश्‍वभर में सामुद्रिक क्षेत्र में अनुसरण की जाने वाली सर्वश्रेष्‍ठ पद्धतियों को कार्यान्वित करने के लिए प्रोत्‍साहित किया।  



दिव्यांग कारीगरों और उद्यमियों की शिल्पकारिता और उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सप्ताह भर चलने वाले "एकम उत्सव" का उद्घाटन कल

 केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तत्वावधान में स्टेट एम्पोरिया कॉम्पलेक्स, बाबा खडक सिंह मार्ग, नई दिल्ली में कल शाम नेशनल हैन्डीकैप्ड फाइनैंस एंड डेवलपमेंट कोर्पोरेशन (एनएचएफडीसी) द्वारा आयोजित होने वाले प्रदर्शनी-सह-मेले ‘एकम फेस्ट’ का उद्घाटन करेंगे। केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा सूक्ष्म लघु एवं मझोले  उद्यम मंत्री श्री नितिन गडकरी और महिला एवं बाल विकास तथा केन्द्रीय वस्त्र मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी भी    सप्ताह भर चलने वाले इस आयोजन के उद्घाटन समारोह की शोभा बढ़ाएंगे। इस अवसर पर केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्णपाल गुर्जर, श्री रतनलाल कटारिया और श्री रामदास अठावले भी उपस्थित रहेंगे।


      यह एकम फेस्ट दिव्यांगजनों के बीच उद्यमिता और ज्ञान को बढ़ावा देने, दिव्यांगजनों के सामर्थ्य के बारे में समाज में जागरूकता उत्पन्न करने, दिव्यांग उद्यमियों को विपणन का महत्वपूर्ण अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में एक प्रयास है। एनएचएफडीसी फाउंडेशन की ओर से इन कृत संकल्प उद्यमियों के उत्पादों के विपणन के लिए ब्रांड और मंच तैयार करने के लिए प्रयास किया जा रहा है। तदनुसार, ब्रांड का नाम एकम (आन्ट्रप्रनर्शिप, नॉलेज, अवेयरनेस, मार्केटिंग) तय किया गया है। एकम शब्द समावेशिता, एकात्मकता और एकता का भी प्रतिनिधित्व करता है, जो दिव्यांगजनों के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देने, ज्ञान साझा करने, जागरूकता उत्पन्न करने और विपणन संबंधी पहलों के माध्यम से  विपणन मंच तैयार करने और उत्पादों को एकत्र करने के लिए एनएचएफडीसी के प्रयासों को सटीक रूप से वर्णन करने के लिए उपयुक्त है।


      सप्ताह भर तक चलने वाले एकम फेस्ट में दिव्यांग कलाकारों और विख्यात पेशेवर व्यक्तियों द्वारा प्रदर्शन सहित अनेक सांस्‍कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। आयोजन के अन्य आकर्षणों में ज्योतिष संबंधी परामर्श और दिव्यांग पेशेवरों द्वारा पैरो की मालिश शामिल हैं।


      प्रथम एकम फेस्ट में जम्मू कश्मीर से पुद्दुचेरी और नगालैंड से गुजरात तक के देशभर के दिव्यांग उद्यमियों और कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। इस आयोजन में हस्तशिल्प, हथकरघा, कढ़ाई का काम और सूखे मेवे सहित जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर के प्रमुख उत्पाद प्रदर्शित किए जाएंगे। मेले के दौरान 18 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के लगभग 80 दिव्यांग उद्यमी/कारीगर अपने सुंदर उत्पादों, सेवाओं और कौशल का प्रदर्शन करेंगे। यह असाधारण कृतसंकल्प दिव्यांग शिल्पकारों और उद्यमियों द्वारा निर्मित उत्पादों को प्रोत्साहित करने का अवसर होगा।


      एनएचएफडीसी की इन उत्‍पादों की ऑन लाइन बिक्री को बढ़ावा देने के लिए ऑन लाइन विपणन मंच को शुरु करने और बड़े कारोबारी घरानों को भी साथ जोड़ने की भी योजना है। एकम फेस्‍ट के मंडपों में मोटे तौर पर निम्‍नलिखित श्रेणी के उत्‍पाद होंगे :


1. गृह सज्‍जा और जीवनशैली


2. कपड़ा


3. स्टेशनरी और पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद


4. डिब्‍बाबंद खाद्य और जैविक उत्पाद


5. खिलौने और उपहार


6. निजी वस्तुए -आभूषण, क्लच बैग


इस फेस्‍ट में एनएचएफडीसी की नई पहलें भी प्रदर्शित की जाएंगी। कुछ प्रमुख का वर्णन नीचे किया गया है :



  1. एनएचएफडीसी स्वावलंबन केन्द्र (एनएसके) एनएचएफडीसी ने दिव्यांगजनों को प्रशिक्षण देने के लिए देशभर में दिव्यांगजनों के स्वामित्व वाले कौशल प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना करने की दिशा में पहल की है। इन एनएसके में प्रतिवर्ष लगभग 120 दिव्यांगजनों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करने की क्षमता है। एनएसके के दिव्यांगजन स्वामी द्वारा प्रतिमाह लगभग 20,000 रुपये अर्जित किए जाने की संभावना है।

  2. दिल्ली और इंदौर में सुरक्षित टैक्सियाः एनएचएफडीसी ने सखा कैब्स के साथ मिलकर व्यवस्था की है, जिसके तहत  महिला, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों को सुरक्षित टैक्सी का विकल्प प्रदान करने के लिए दिव्यांगजनों के स्वामित्व वाले वाणिज्यिक वाहनों को महिला ड्राइवरों द्वारा चलाया जाएगा। नई दिल्ली और इंदौर एयरपोर्ट पर पहले से ही इस तरह की टैक्सियां चलाई जा रही हैं। इन वाहनों के लिए एनएचएफडीसी द्वारा वित्‍तीय सहायता प्रदान की जाती है।

  3. सुरक्षित पेयजल ई कार्ट्स : एनएचएफडीसी ने हाल ही में आरओ वॉटर डिस्‍पेंसिंग वेंडिंग मशीनों से युक्‍त ई-कार्ट्स के लिए वित्तीय सहायता देने पर सहमति प्रकट की है। ये कार्ट्स स्वच्छता बनाए रखते हुए कागज के गिलास में पानी बेचेगी। इन कार्ट्स के परिचालन में भारत जल द्वारा सहायता दी जाएगी। दिव्यांगजन स्‍वामी को  इन कार्ट्स गाड़ियों के परिचालन से 10,000 रुपये से 15,000 रुपये प्रति माह अर्जित होने की संभावना है।


 


एनएचएफडीसी सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्‍तीकरण विभाग के तत्वावधान में एक सर्वोच्च निगम है और यह 1997 से काम कर रहा है। यह अलाभकारी कंपनी के रूप में पंजीकृत है और दिव्यांगजनों के आर्थिक पुनर्वास के लिए वित्‍तीय सहायता प्रदान करती है और उन्हें अपने उद्यमों को विकसित करने और बनाए रखने के लिए अनेक कौशल विकास कार्यक्रमों चलाती है। दिव्यांगजनों और समाज के हाशिए पर मौजूद समूहों को सशक्त बनाने के लिए एनएचएफडीसी ने इस वर्ष एक कदम और आगे बढ़ाते हुए एनएचएफडीसी फाउंडेशन की स्थापना की है। इस बात की पहचान करते हुए कि  असंगठित छोटे दिव्यांग उद्यमियों का बाजार के साथ सम्‍पर्क न होने के कारण उचित मूल्‍यों और उत्‍पादों की बिक्री में बाधा आती है, एनएचएफडीसी फाउंडेशन इन कृतसंकल्‍प उद्यमियों के उत्‍पादों के लिए ब्रांड विकसित करने और उनके विपणन का मंच तैयार करने की दिशा में प्रयास कर रहा है। 



सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली ने भारत को जवाबदेह, उत्तरदायी और पारदर्शी होने में चुपचाप सक्षम बना दिया है: श्रीमती निर्मला सीतारमण

सरकार ने सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) प्रेरित प्रौद्योगिकी में क्रांति ला दी है, जिसने भारत को जवाबदेह, उत्तरदायी और पारदर्शी बनाने के लिए चुपचाप अधिकार संपन्‍न बना दिया है। श्रीमती सीतारमण ने आज यहां 44वें सिविल लेखा दिवस समारोह में उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि पीएफएमएस ने देश के लिए 1 लाख करोड़ रुपये बचाए हैं। वित्त मंत्री ने रेखांकित किया कि सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) अब विभिन्न बहुपक्षीय और वैश्विक मंचों पर सार्वजनिक वित्त प्रबंधन के क्षेत्र में एक विशिष्ट ब्रांड के रूप में पहचानी जाने लगी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये उपलब्धियाँ प्रतीकात्मक नहीं हैं, बल्कि इनका सार्वजनिक सेवा वितरण प्रणाली पर वास्तविक और स्थायी प्रभाव पड़ा है।


श्रीमती सीतारमण ने लेखा महानियंत्रक की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि न केवल यह देश को अधिक दक्ष और प्रभावी बना रहा है, बल्कि सार्वजनिक वित्त का उपयोग करने में अधिक प्रभावपूर्ण भी बना रहा है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सीजीए का काम अस्पृहणीय है, क्योंकि अपने दृष्टिकोण में कुशल और प्रगतिशील होने के साथ-साथ प्रौद्योगिकी को बनाए रखना एक निरंतर चुनौती है।


इस अवसर पर सचिव (व्यय) डॉ. टी. वी. सोमनाथन ने जोर देकर कहा कि भारतीय सिविल लेखा सेवा संगठन ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिए 8.46 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को सीधे अपने बैंक खातों में पीएम-किसान भुगतान को सक्षम करने के द्वारा अपनी आईटी ताकत साबित की है। उन्होंने वैश्विक मानकों के अनुरूप, सभी हितधारकों के लिए सार्वजनिक डोमेन में व्‍यय और खाता आंकड़ों को रचाने में प्रदर्शित की गई दक्षता और सटीकता के लिए सेवा की सराहना की।


लेखा महानियंत्रक श्रीमती सोमा रॉय बर्मन ने कहा कि पीएफएमएस सरकार के लिए एक उपयोगी वित्तीय प्रबंधन उपकरण के रूप में विकसित हुआ है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सेवा लगातार डिजिटल प्रौद्योगिकियों के प्रभावी उपयोग द्वारा भुगतान, प्राप्तियां, लेखा और आंतरिक लेखा परीक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने का प्रयास करेगी और अधिक प्रभावी वित्तीय प्रबंधन के लिए सरकार एकीकृत राजकोषीय प्रबंधन प्रणाली (जीआईएफएमआईएस) के हिस्से के रूप में राजकीय रिपोर्टिंग प्रोटोकॉल में सुधार करेगी।


इस अवसर पर वित्त मंत्री ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले प्रमुख लेखा कार्यालयों और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले पीएओ/जेडएओ (सीबीडीटी) इकाई को सिविल लेखा सम्‍मान पुरस्कार भी प्रदान किए। इस समारोह में 15वें वित्त आयोग के सदस्‍य डॉ. अशोक लाहिड़ी और सेवानिवृत्त नियंत्रक महालेखाकारों और भारतीय सिविल सेवा लेखा अधिकारियों ने भाग लिया।


भारतीय सिविल लेखा सेवा (आईसीएएस) के बारे में:


केंद्र सरकार ने 1976 में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन में एक बड़ा सुधार आरंभ किया। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक को केंद्र सरकार के खाते तैयार करने की जिम्मेदारी देकर लेखा परीक्षा और लेखा कार्यों को अलग कर दिया गया। लेखांकन कार्य को सीधे कार्यकारी के नियंत्रण में ले आया गया। इसके बाद भारतीय नागरिक लेखा सेवा (आईसीएएस) की स्थापना हुई। आईसीएएस को प्रारंभ में सी एण्‍ड एजी (कर्तव्यों, शक्तियों और सेवा की शर्तों) संशोधन अधिनियम, 1976 में संशोधन के अध्यादेश के प्रख्‍यापन के माध्यम से भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा (आईए एवं एएस) से लिया गया था। इसके बाद विभागीयकरण केंद्रीय लेखा (कार्मिक स्थानांतरण) अधिनियम, 1976 को संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था और 8 अप्रैल, 1976 को भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा इसे स्‍वीकृति प्रदान की गई। इस अधिनियम को 1 मार्च, 1976 से प्रभावी माना गया था। आईसीएएस हर साल 1 मार्च को "सिविल लेखा दिवस" ​​के रूप में मनाता है।


अपनी स्थापना के बाद से भारतीय सिविल लेखा संगठन का प्रभाव लगातार बढ़ा है और अब वह केंद्र सरकार के सार्वजनिक वित्त के प्रबंधन में उत्कृष्टता के माध्यम से शासन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संगठन का मिशन बजट, भुगतान, लेखांकन और पेंशन संवितरण के लिए एक प्रभावी, विश्वसनीय और उत्तरदायी प्रणाली का प्रबंधन करना है। इसका उद्देश्य विश्वस्तरीय और मजबूत सरकारी-एकीकृत वित्तीय सूचना प्रणाली प्रदान करना है। इसके अलावा, संगठन ने बेहतर पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए आंतरिक लेखापरीक्षा का एक नया प्रतिमान विकसित करने का प्रयास किया है। संगठन ने एक समर्पित और प्रेरित कार्य बल के माध्यम से व्यावसायिक सत्‍यनिष्‍ठा और क्षमता को बढ़ावा देने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।


भारतीय सिविल लेखा संगठन भारत सरकार के भुगतान, लेखा, आंतरिक लेखा परीक्षा और वित्तीय रिपोर्टिंग प्रणालियों की दक्षता बढ़ाने के लिए आईटी का लाभ उठाने के लिए प्रतिबद्ध रहा है। 2009 में आरंभ की गई सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) इस पहलू को प्रदर्शित करने वाली संगठन की प्रमुख परियोजना है।


सरकार ने पीएफएमएस को एक महत्वपूर्ण निर्णय समर्थन प्रणाली के रूप में स्‍थापित  किया है, जो न केवल अंतिम लाभार्थी या कार्यान्वयन स्तर पर धन के प्रवाह पर नज़र रखती है, बल्कि फंड के प्रवाह के एक प्रभावी प्रबंधन के माध्यम से धन राशि को समयबद्ध तरीके से जारी किया जाना भी सुनिश्चित करती है। सरकार सरकारी धन के अवरोधन की जांच करने के लिए बिना खर्च की गई राशि के प्रभावी निगरानी और निधियों के संतुलन के लिए पीएफएमएस को एक बेहतर सुविधा के रूप में देख रही है। वास्तव में, पीएफएमएस का अब सीजीए की नियमित गतिविधियों जैसे कि भुगतान, प्राप्तियां, लेखांकन, व्यय नियंत्रण, भविष्य निधि का प्रबंधन और पेंशन आदि के लिए कोर आईटी प्लेटफॉर्म के रूप में उपयोग किया जा रहा है।


भुगतान के डिजिटलीकरण, प्राप्ति लेखांकन, स्कीम निधियों की ट्रैकिंग के लिए एक मंच के रूप में पीएफएमएस की उपलब्धि निम्नानुसार हैं:



  • एकीकृत बैंकों की संख्या: 362

  • पीएओ – ऑन बोर्ड: 556/563

  • सीडीडीओ-  ऑनबोर्ड: 1392/1417

  • भुगतान एवं लेखांकन के लिए एकीकृत सभी केंद्रीय मंत्रालय (रेलवे और रक्षा को छोड़कर); 1800 से अधिक सीएस/सीएसएस योजना ऑन-बोर्डेड

  • सभी 31 राज्य कोषागार एकीकृत

  • 53 बाहरी डोमेन सिस्टम एकीकृत

  • 27 लाख से अधिक कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसियां ​​पंजीकृत हैं

  • वित्त वर्ष 2019-20: पीएफएमएस के जरिए 19.64 लाख करोड़ रुपए के बराबर के 64 करोड़ लेनदेन किए गए

  • डीबीटी के लिए अब तक वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 1.53 लाख करोड़ रुपये के बराबर की राशि का भुगतान।


पीएफएमएस के लिए और अच्छी बात केंद्रीय क्षेत्र योजना, पीएम-किसान योजना का कार्यान्वयन है, जिसे फरवरी 2019 में संसद में प्रस्‍तुत अंतरिम बजट में घोषित किया गया था। अभी तक कुल 8.12 करोड़ किसानों से संबंधित 24.63 करोड़ लेनदेन के माध्यम से कुल 49,250.77 करोड़ रुपये के लाभ की कुल राशि का भुगतान किया गया है। माननीय प्रधानमंत्री ने 2 जनवरी, 2020 को तुमकुरु में 6 करोड़ कृषक परिवारों से संबंधित 12 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त किश्त जारी करने की घोषणा की।


इसके मुख्य कार्य के हिस्से के रूप में लेखा महानियंत्रक कार्यालय केंद्र सरकार के लेखों के मासिक समेकन के लिए उत्‍तरदायी है। केंद्रीय वित्त मंत्री को हर महीने प्राप्तियों, भुगतानों, घाटे और वित्तपोषण के इसके स्रोतों के मासिक रुझानों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया जाता है। वेबसाइट http://www.cga.nic.in पर डेटा एक्सेस किया जा सकता है।


इसके अलावा, सीजीए कार्यालय त्वरित प्रबंधन निर्णय लेने के लिए वित्त मंत्रालय को प्राप्तियों, भुगतानों और घाटों के फ्लैश आंकड़े प्रदान करने के लिए एक उपकरण के रूप में प्रौद्योगिकी का लाभ उठा रहा है। विभिन्न वित्तीय मानदंडों और लक्ष्यों की निगरानी में सक्षम करने के लिए मार्च के महीने में दैनिक फ्लैश के आंकड़े प्रदान किए जाते हैं। सर्वश्रेष्‍ठ पद्धतियों के विकास के अनुरूप सीजीए कार्यालय वित्तीय वर्ष की समाप्ति के दो महीने के भीतर भारत सरकार के अनंतिम खाते भी तैयार करता है। इस वर्ष अनंतिम खातों के प्रकाशन की 25वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है।



मानव संसाधन विकास मंत्रालय देशभर के स्कूलों और कॉलेजों में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाएगा - श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा है कि शिक्षा के माध्यम से छात्राओं और महिलाओं के सशक्तीकरण की गति को आगे बढ़ाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय देश भर के स्कूलों और कॉलेजों में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (आईडबल्यूडी) मनाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने इस वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में 1 से 7 मार्च तक एक थीम आधारित विशेष अभियान शुरू किया है। इसके तहत 1 मार्च का थीम शिक्षा है। श्री पोखरियाल ने कहा कि महिलाओं को श्रद्धांजलि के रूप में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा उत्सव पूरे वर्ष जारी रहेगा।


मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा है कि सरकार ने छात्राओं की शिक्षा के लिए वर्ष 2014 से कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। यह ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ की योजना की सफलता की कई वजहों में से एक है जिससे शिक्षा के सभी स्तरों पर लड़कियों का कुल नामांकन अनुपात अब लड़कों की तुलना में अधिक है। प्राथमिक स्तर पर लड़कों के 89.28 प्रतिशत के मुकाबले लड़कियों का नामांकन अनुपात 94.32 प्रतिशत है। माध्यमिक स्तर पर लड़कों के 78 प्रतिशत की तुलना में लड़कियों का नामंकन 81.32 प्रतिशत है।


श्री निशंक ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने छात्राओं को अपने जीवन में उत्कृष्टता लाने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न गतिविधियां शुरू करने का फैसला लिया है ताकि छात्राएं यह साबित कर सकें कि लैंगिक भिन्नता उत्कृष्टता हासिल करने में बाधक नहीं है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग गोलमेज वार्ता का आयोजन करेगा और कई अन्य गतिविधियों के बीच देश भर के लगभग 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों पर महिला सशक्तीकरण के कई अन्य कार्यक्रम शुरू करेगा।  


उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों को कक्षा निर्देश के दौरान तेज छात्राओं पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए प्रेरित किया है। श्री निशंक ने बताया कि छात्राओं में नेतृत्व के गुणों और आत्मविश्वास का पोषण करने के लिए मंत्रालय ने वर्ष 2020-21 और उसके बाद के शैक्षणिक सत्रों की कम से कम आधी अवधि के लिए कक्षा मॉनिटर "मैं हूं मॉनिटर" के रूप में छात्रा को नामित करने का निर्णय लिया है।


उन्होंने यह भी बताया कि योग ओलंपियाड की तर्ज पर स्कूल स्तर पर लड़कियों के लिए एक सेल्फ डिफेंस ओलंपियाड का आयोजन किया जाएगा। लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकारी स्कूलों की छठी से बारहवीं कक्षा की लड़कियों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिया जाता है।


कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में संस्कृति और थिएटर क्लबों को महिलाओं के मुद्दों पर नुक्कड़ नाटक, माइम शो आदि आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। श्री निशंक ने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी कॉलेज और विश्वविद्यालय अपने-अपने परिसरों में विभिन्न स्थानों पर महिला हेल्पलाइन नंबरों को प्रमुखता से प्रदर्शित करेंगे।


श्री निशंक ने कहा कि छात्राओं को प्रेरित करने के लिए स्कूलों में पूरे वर्ष सप्ताह में एक बार सुबह विशेष सभाओं का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इन सभाओं में विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल कर चुकी महिलाओं पर वार्ता, रोल प्ले, दिन के सद्विचार और महिला सशक्तिकरण पर समूह गायन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा, खेल, नृत्य, संगीत, कला, सामाजिक सेवा और ऐसे ही कुछ नए क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करने वाली छात्राओं को पुरस्कृत किया जाएगा।


श्री निशंक ने बताया कि स्कूलों से यह भी अनुरोध किया जा रहा है कि वे महिला संकाय सदस्यों और कर्मचारियों को संगठन की विशिष्ट सेवा के लिए सम्मानित करें। शैक्षिक संस्थान उस जिले की प्रमुख/प्रेरणादायी महिलाओं पर निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन करेंगे जहां वे स्थित हैं।


मानव संसाधन विकास मंत्रालय सरकार के ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ आंदोलन के तहत लड़कियों की शिक्षा के लिए सुरक्षित और अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए लगातार काम कर रहा है। स्कूलों में छात्राओं के नामंकन को प्रोत्साहित करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्वच्छ विद्यालय पहल के तहत 15.08.2014 से 15.08.2015 की एक साल की अवधि के अंदर प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में अलग-अलग शौचालयों का निर्माण कराया है। अब सभी सरकारी स्कूलों में छात्रों और छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय बनाए गए हैं। इसके अलावा मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने लड़कियों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं।


वर्ष 2018-19 से प्रभावी स्कूली शिक्षा की नई एकीकृत योजना-समग्र शिक्षा के तहत मौजूदा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) को उच्च प्राथमिक स्तर से उच्च माध्यमिक स्तर तक के उन्नयन में शामिल करने का प्रावधान किया गया है। केजीबीवी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के वंचित समूहों की लड़कियों के लिए आवासीय विद्यालय हैं। 30 सितंबर, 2014 को 3593 की तुलना में दिसंबर 2019 तक 4881 केजीबीवी चल रहे हैं। केजीबीवी में वर्तमान में 6.18 लाख लड़कियों का नामांकन है, जबकि 30 सितंबर, 2014 को 3.52 लाख लड़कियों का नामांकन था।


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से विभिन्न क्षेत्रों में प्रख्यात महिला व्यक्तित्वों के नाम पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में दस (10) चेयर स्थापित करने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में समाज में सबसे अधिक वंचित महिलाओं पर विशेष ध्यान देने वाले महिला अध्ययन केंद्रों की स्थापना की जा रही है।


उच्च शिक्षा में एकलौती बेटी को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2014-15 में सामाजिक विज्ञान में स्वामी विवेकानंद सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप फॉर रिसर्च शुरू की गई थी।


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने आठ विशेष महिला विश्वविद्यालयों के लिए सहायता प्रदान की है।


अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों की सहायता के लिए प्रगति छात्रवृत्ति योजना को लागू कर रही है।


सरकार ने भारतीय प्रौद्योगिकी सस्थानों के बी.टेक कार्यक्रमों में सीटें बढ़ाकर महिला नामांकन को मौजूदा 8 प्रतिशत से वर्ष 2018-19 में बढ़ाकर 14 प्रतिशत, 2019-20 में 17 प्रतिशत और 2020-21 में 20 प्रतिशत करने का फैसला लिया है।


सरकार ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी, शिबपुर के स्नातक कार्यक्रमों में सीटें बढ़ाकर अगले 2 से 4 वर्ष की अवधि में महिला नामांकन को मौजूदा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है।


तदनुसार, भारतीय प्रौद्योगिकी सस्थानों में वर्ष 2018-19 में 835 सीटें और 2019-20 में 1122 सीटें बढ़ाई गई हैं। शैक्षणिक वर्ष 2018-2019 में एनआईटी और आईआईईएसटी में अतिरिक्त 673 सीटें बढ़ाई गई।