Sunday, March 1, 2020

मानव संसाधन विकास मंत्रालय देशभर के स्कूलों और कॉलेजों में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाएगा - श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा है कि शिक्षा के माध्यम से छात्राओं और महिलाओं के सशक्तीकरण की गति को आगे बढ़ाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय देश भर के स्कूलों और कॉलेजों में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (आईडबल्यूडी) मनाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने इस वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में 1 से 7 मार्च तक एक थीम आधारित विशेष अभियान शुरू किया है। इसके तहत 1 मार्च का थीम शिक्षा है। श्री पोखरियाल ने कहा कि महिलाओं को श्रद्धांजलि के रूप में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा उत्सव पूरे वर्ष जारी रहेगा।


मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा है कि सरकार ने छात्राओं की शिक्षा के लिए वर्ष 2014 से कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। यह ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ की योजना की सफलता की कई वजहों में से एक है जिससे शिक्षा के सभी स्तरों पर लड़कियों का कुल नामांकन अनुपात अब लड़कों की तुलना में अधिक है। प्राथमिक स्तर पर लड़कों के 89.28 प्रतिशत के मुकाबले लड़कियों का नामांकन अनुपात 94.32 प्रतिशत है। माध्यमिक स्तर पर लड़कों के 78 प्रतिशत की तुलना में लड़कियों का नामंकन 81.32 प्रतिशत है।


श्री निशंक ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने छात्राओं को अपने जीवन में उत्कृष्टता लाने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न गतिविधियां शुरू करने का फैसला लिया है ताकि छात्राएं यह साबित कर सकें कि लैंगिक भिन्नता उत्कृष्टता हासिल करने में बाधक नहीं है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग गोलमेज वार्ता का आयोजन करेगा और कई अन्य गतिविधियों के बीच देश भर के लगभग 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों पर महिला सशक्तीकरण के कई अन्य कार्यक्रम शुरू करेगा।  


उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों को कक्षा निर्देश के दौरान तेज छात्राओं पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए प्रेरित किया है। श्री निशंक ने बताया कि छात्राओं में नेतृत्व के गुणों और आत्मविश्वास का पोषण करने के लिए मंत्रालय ने वर्ष 2020-21 और उसके बाद के शैक्षणिक सत्रों की कम से कम आधी अवधि के लिए कक्षा मॉनिटर "मैं हूं मॉनिटर" के रूप में छात्रा को नामित करने का निर्णय लिया है।


उन्होंने यह भी बताया कि योग ओलंपियाड की तर्ज पर स्कूल स्तर पर लड़कियों के लिए एक सेल्फ डिफेंस ओलंपियाड का आयोजन किया जाएगा। लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकारी स्कूलों की छठी से बारहवीं कक्षा की लड़कियों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिया जाता है।


कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में संस्कृति और थिएटर क्लबों को महिलाओं के मुद्दों पर नुक्कड़ नाटक, माइम शो आदि आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। श्री निशंक ने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी कॉलेज और विश्वविद्यालय अपने-अपने परिसरों में विभिन्न स्थानों पर महिला हेल्पलाइन नंबरों को प्रमुखता से प्रदर्शित करेंगे।


श्री निशंक ने कहा कि छात्राओं को प्रेरित करने के लिए स्कूलों में पूरे वर्ष सप्ताह में एक बार सुबह विशेष सभाओं का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इन सभाओं में विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल कर चुकी महिलाओं पर वार्ता, रोल प्ले, दिन के सद्विचार और महिला सशक्तिकरण पर समूह गायन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा, खेल, नृत्य, संगीत, कला, सामाजिक सेवा और ऐसे ही कुछ नए क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करने वाली छात्राओं को पुरस्कृत किया जाएगा।


श्री निशंक ने बताया कि स्कूलों से यह भी अनुरोध किया जा रहा है कि वे महिला संकाय सदस्यों और कर्मचारियों को संगठन की विशिष्ट सेवा के लिए सम्मानित करें। शैक्षिक संस्थान उस जिले की प्रमुख/प्रेरणादायी महिलाओं पर निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन करेंगे जहां वे स्थित हैं।


मानव संसाधन विकास मंत्रालय सरकार के ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ आंदोलन के तहत लड़कियों की शिक्षा के लिए सुरक्षित और अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए लगातार काम कर रहा है। स्कूलों में छात्राओं के नामंकन को प्रोत्साहित करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्वच्छ विद्यालय पहल के तहत 15.08.2014 से 15.08.2015 की एक साल की अवधि के अंदर प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में अलग-अलग शौचालयों का निर्माण कराया है। अब सभी सरकारी स्कूलों में छात्रों और छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय बनाए गए हैं। इसके अलावा मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने लड़कियों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं।


वर्ष 2018-19 से प्रभावी स्कूली शिक्षा की नई एकीकृत योजना-समग्र शिक्षा के तहत मौजूदा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) को उच्च प्राथमिक स्तर से उच्च माध्यमिक स्तर तक के उन्नयन में शामिल करने का प्रावधान किया गया है। केजीबीवी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के वंचित समूहों की लड़कियों के लिए आवासीय विद्यालय हैं। 30 सितंबर, 2014 को 3593 की तुलना में दिसंबर 2019 तक 4881 केजीबीवी चल रहे हैं। केजीबीवी में वर्तमान में 6.18 लाख लड़कियों का नामांकन है, जबकि 30 सितंबर, 2014 को 3.52 लाख लड़कियों का नामांकन था।


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से विभिन्न क्षेत्रों में प्रख्यात महिला व्यक्तित्वों के नाम पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में दस (10) चेयर स्थापित करने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में समाज में सबसे अधिक वंचित महिलाओं पर विशेष ध्यान देने वाले महिला अध्ययन केंद्रों की स्थापना की जा रही है।


उच्च शिक्षा में एकलौती बेटी को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2014-15 में सामाजिक विज्ञान में स्वामी विवेकानंद सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप फॉर रिसर्च शुरू की गई थी।


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने आठ विशेष महिला विश्वविद्यालयों के लिए सहायता प्रदान की है।


अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों की सहायता के लिए प्रगति छात्रवृत्ति योजना को लागू कर रही है।


सरकार ने भारतीय प्रौद्योगिकी सस्थानों के बी.टेक कार्यक्रमों में सीटें बढ़ाकर महिला नामांकन को मौजूदा 8 प्रतिशत से वर्ष 2018-19 में बढ़ाकर 14 प्रतिशत, 2019-20 में 17 प्रतिशत और 2020-21 में 20 प्रतिशत करने का फैसला लिया है।


सरकार ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी, शिबपुर के स्नातक कार्यक्रमों में सीटें बढ़ाकर अगले 2 से 4 वर्ष की अवधि में महिला नामांकन को मौजूदा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है।


तदनुसार, भारतीय प्रौद्योगिकी सस्थानों में वर्ष 2018-19 में 835 सीटें और 2019-20 में 1122 सीटें बढ़ाई गई हैं। शैक्षणिक वर्ष 2018-2019 में एनआईटी और आईआईईएसटी में अतिरिक्त 673 सीटें बढ़ाई गई।



प्रधानमंत्री ने प्रयागराज में आयोजित अब तक के सबसे बड़े आरवीवाई एंड एडीआईपी शिविर में वरिष्ठ नागरिकों एवं दिव्यांगजनों को सहायता एवं सहायक उपकरण वितरित किए

वरिष्ठ नागरिकों एवं दिव्यांगजनों को सहायता एवं सहायक उपकरणों के वितरण के लिए उत्तर प्रदेश के धार्मिक शहर प्रयागराज में अब तक के सबसे बड़े सामाजिक अधिकारिता शिविर का आयोजन किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य अतिथियों में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ,  केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. थावरचंद गहलोत, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्री कृष्णपाल गुर्जर,श्री रामदास अठावले, श्री रतन लाल कटारिया, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य, यूपी सरकार के अन्य मंत्रीगण एवं स्थानीय सांसद व विधायक शामिल थे। इसके अलावा दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की सचिव श्रीमती शकुंतला डी. गामलिन, केंद्रीय मंत्रालय एवं उत्तर प्रदेश सरकार के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।


इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के दौरान 26,874 लाभार्थियों को 56,905 सहायता एवं सहायक उपकरण वितरित किए गए। दिव्यांगजनों को एडीआईपी और वरिष्ठ नागरिकों को राष्ट्रीय वयोश्री योजना के तहत यह लाभ दिया गया। इन उपकरणों को पाने वालों में 10,416 दिव्यांगजन और 16,458 वरिष्ठ नागरिक थे। इस दौरान लगभग 19,37,76,980/- रुपये के सहायता एवं सहायक उपकरण वितरित किए गए।


कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने संस्कृत की एक प्राचीन सूक्ति - 'स्वस्ति: प्रजाभ्यः परिपालयंतां, न्यायेन मार्गेण महीं महीशाः' को उद्धृत किया। इसका अर्थ है कि सरकार का कर्तव्य है कि वह सभी को समान न्याय दे।  उन्होंने कहा, ‘यह सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के सिद्धांत पर आधारित है। इसी भावना के साथ हमारी सरकार समाज के प्रत्येक व्यक्ति के कल्याण एवं विकास के लिए काम कर रही है। 130 करोड़ भारतीय चाहे वह वरिष्ठ नागरिक हों, दिव्यांग हों, आदिवासी हों या समाज के निचले तबके से हों, उनके हितों की रक्षा करना मेरी सरकार की पहली प्राथमिकता है।’


सहायता एवं सहायक उपकरणों के वितरण के इस मेगा शिविर का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सरकार के सभी को एक समान जीवन उपलब्ध कराने के प्रयासों का हिस्सा है। उन्होंने कहा, ‘पिछली सरकारों के समय में ऐसे शिविर बामुश्किल आयोजित किए जाते थे और इस तरह के बड़े कैंपों को आयोजन बहुत दुर्लभ बात थी। पिछले पांच साल के दौरान हमारी सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों में 900 शिविरों का आयोजन किया है।’ पिछले पांच साल के दौरान सरकार ने दिव्यांगजनों को 900 करोड़ रुपये के सहायता एवं सहायक उपकरण बांटे हैं।


प्रधानमंत्री ने कहा, ‘नए भारत के विकास के लिए यह जरूरी है कि इसमें दिव्यांग युवाओं एवं बच्चों की बराबर की भागीदारी हो। सरकार उन्हें हर क्षेत्र में प्रोत्साहित कर रही है, चाहे वह औद्योगिक क्षेत्र हो या सेवा क्षेत्र हो अथवा खेल का मैदान।’ उन्होंने कहा, ‘हमारी पहली सरकार है जिसने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम को लागू किया। इसके माध्यम से हमने दिव्यांगजनों की श्रेणी को 7 से बढ़ाकर 21 किया है। हमने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दिव्यांगजनों का कोटा 3% से बढ़ाकर 5% किया है।’


प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले पांच साल के दौरान देश में कई इमारतों, 700 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों और हवाईअड्डों को दिव्यांगजनों के अनुकूल बनाया गया है। शेष को भी सुगम्य भारत अभियान से जोड़कर दिव्यांगजनों के अनुकूल बनाया जाएगा।


इस अवसर पर डॉ. थावरचंद गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन डीईपीडब्ल्यूडी दिव्यांगजनों एवं वरिष्ठ नागरिकों के सशक्तिकरण की दिशा में निरंतर प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में डीईपीडब्ल्यूडी पहले ही सात बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा चुका है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक दिव्यांगजन को यूडीआईडी कार्ड जारी करने के उद्देश्य से उनका मंत्रालय यूडीआईडी कार्ड प्रोजेक्ट को लागू कर रहा है, इसे पूरे देश में चलाया जाएगा।


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि उनकी सरकार ने दिव्यांगजनों की पेंशन को 300 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया है। उन्होंने जिलों और उप जिलों समेत देशभर में दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण की व्यापक पहल करने के लिए केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार भी दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठा रही है। उन्होंने प्रयागराज के दिव्यांगजनों को मोटरयुक्त ट्राईसाइकिल उपलब्ध कराने के लिए अपने स्थानीय क्षेत्र विकास निधि से सब्सिडी उपलब्ध कराने वाले प्रयागराज, भदोही और फूलपुर के सांसदों, विधायकों एवं एमएलसी की सहायता की भी सराहना की।


प्रयागराज जिले में वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजन को अधिकतम लाभ पहुंचाने की दृष्टि से केंद्रीय सरकारी कंपनी एएलआईएमसीओको केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने शिविर संचालित करने का निर्देश दिया गया था। इसके अनुसार जिला प्रशासन के पूरे सहयोग से शिविर आयोजित किए गए। 9 से 21 दिसंबर 2019, 6 से 10 जनवरी 2020, 7 फरवरी 2020 और 22 फरवरी 2020 को वरिष्ठ नागरिकों के लिए आंकलन शिविर ब्लॉक स्तर पर 20 जगहों पर, प्रयागराज के नगर निगम क्षेत्र में 5 और जिले में एक ग्राम पंचायत में लगाए गए। इस दौरान कुल 26874 लाभार्थियों को पंजीकृत किया गया।


 


मेगा वितरण शिविर में लाभार्थियों को फ्री में बांटी गई मदद का विवरण-

































क्रमांक



योजना



लाभार्थियों की संख्या



उपकरणों की संख्या



वैल्यू


(रुपये में)



1



ADIP



10406



18455



10,54,07,928.00



2



RVY



16468



38450



8,83,69,052.00



कुल



26874



56905



19,37,76,980.00



उपरोक्त से इतर, प्रयागराज जिला प्रशासन के सहयोग से मंत्रालय ने 3 गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स बनाए। 'हाथ से संचालित ट्राइसाइकिल की सबसे बड़ी परेड' नाम से 28 फरवरी 2020 को रिकॉर्ड बना और 2 प्रयास 29 फरवरी 2020 को किए गए।


3 टाइटलों का स्टेटस इस प्रकार से है-


क- हाथ से चलने वाली ट्राइसाइकिल की सबसे बड़ी परेड ( 300 संख्या):


यह विश्व रिकॉर्ड डीपीईडब्लूडी, एएलआईएमसीओ और प्रयागराज जिला प्रशासन ने 28 फरवरी 2020 को सफलतापूर्वक बनाया और 1.8 किमी कवर करते हुए पिछला यूएई के 1.6 किमी के 250 ट्राइसाइकिल की परेड के रिकॉर्ड को तोड़ दिया।


ख- एक घंटे में सबसे ज्यादा हाथ से संचालित ट्राइसाइकिल दान करना (626 संख्या):


पहली बार यह गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड डीपीईडब्लूडी, एएलआईएमसीओ और प्रयागराज जिला प्रशासन ने आज बनाया है।


 


ग- व्हील चेयर्स की सबसे बड़ी चलती लाइन (400 संख्या) :


पहली बार यह गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड आज डीपीईडब्लूडी, एएलआईएमसीओ और प्रयागराज जिला प्रशासन ने आज बनाया है।


शिविर में बांटे गए बड़े उपकरणों का विवरण इस प्रकार से है: -


































































































































एडीआईपी स्कीम



आरवीवाई स्कीम



उपकरण



संख्या



उपकरण



संख्या



मोटर वाली ट्राइसाइकिल



847



वॉकिंग स्टिक



13292



पारंपरिक ट्राइसाइकिल



3949



व्हील चेयर



2181



व्हील चेयर



1544



बैसाखी



118



बैसाखी



5088



ट्राइपोड और टेट्रापोड



1735



वॉकिंग स्टिक्स



1811



वॉकर फोल्डेबल



850



ब्रेल केन



145



चश्मा



5816



स्मार्ट केन



659



कृत्रिम दांतों की पंक्ति



4950



स्मार्टफोन



29



हियरिंग ऐड



8858



हियरिंग ऐड



2525



व्हीलचेयर कमोड



55



ब्रेल किट



73



चेयर कमोड



35



रोलेटर



229



सिलिकॉन फोम कुशन



10



टैबलेट



1



नी ब्रेस



326



डेजी प्लेयर



12



स्पाइनल सपोर्ट



40



एमएसआईईडी किट



403



एलएस बेल्ट



94



सेलफोन



54



सीट के साथ वॉकिंग स्टिक



05



एडीएल किट



50



फुट केयर किट



85



ब्रेल स्लेट



13



---



 



सीपी चेयर



99



---



 



कृत्रिम अंग


और कैलिपर



924



---


 

शिविर में बैट्री से चलने वाली 847 मोटर वाली ट्राइसाइकिलें वितरित की गईं। ऐसी एक मोटर वाली ट्राइसाइकिल की कीमत 37,000 रुपये है जबकि 25 हजार रुपये की सब्सिडी एडीआईपी स्कीम के तहत दी गई और 12 हजार रुपये की संतुलित राशि एमपीएलएडी फंड, एमएलए फंड, सीएसआर, एनजीओ या लाभार्थी के द्वारा दी गई। प्रयागराज, फूलपुर और भदोही के सांसदों और 9 एमएलए व 2 एमएलसी के एमपीएलएडी फंडों के सहयोग से वितरण कैंप में 166 मोटर वाली ट्राइसाइकिलें वितरित की गईं।


इसके अतिरिक्त तमाम कॉरपोरेशनों की सीएसआर पहल के तहत 243 मोटर वाली साइकिलें वितरित की गईं, जिनकी जानकारी इस प्रकार से है:


क- मेजा, ऊर्जा निगम प्राइवेट लिमिटेड (नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन की सहायक कंपनी) की ओर से 118


ख- प्रयागराज पावर जनरेशन कंपनी बारा के द्वारा 83


ग- इफको प्रयागराज के द्वारा 41 और


घ- प्रयागराज पावर जनरेशन कंपनी, बारा और इफको प्रयागराज द्वारा 1



सीएसआर पहल के तहत एसपीएमसीआईएल ने राष्ट्रीय खेल विकास कोष में 1 करोड़ रुपये का योगदान दिया

कंपनी की सीएसआर पहल के तहत सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसपीएमसीआईएल) ने टोक्यो ओलंपिक के लिए चुने गए देश के शीर्ष एथलीटों के लिए लक्ष्य ओलंपिक पोडियम योजना (टीओपीएस) के तहत राष्ट्रीय खेल विकास कोष में 1 करोड़ रुपये की राशि का योगदान दिया। एसपीएमसीआईएल की अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सुश्री तृप्ती पात्र घोष और इसके निदेशक (एचआर) श्री एस. के. सिन्हा ने 27 फरवरी, 2020 को केन्द्रीय युवा मामलों एवं खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री किरेन रिजिजू को 1 करोड़ रुपए का चेक सौंपा। इस अवसर पर संयुक्त सचिव (खेल) श्री इंदर धमीजा और, एसपीएमसीआईएल के महाप्रबंधक (एचआर) श्री बी. जे. गुप्ता भी उपस्थित थे।


दिल्ली विश्वविद्यालय के तदर्थ शिक्षकों की समस्याओं का निवारण शीघ्र- अमित खरे

मानव संसाधन विकास सचिव श्री अमित खरे ने कहा कि उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के तदर्थ शिक्षकों की समस्याओं के बारे में दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर के साथ विस्तृत चर्चा की। उन्होंने वाइस चांसलर से रिक्त संकाय पदों को भरने और शिक्षकों की पदोन्नति के लिए कदम उठाने को कहा है।


श्री अमित खरे दिल्ली के शिवाजी कॉलेज के न्यू विंग के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि शिक्षक शिक्षा प्रणाली की रीढ़ हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक जब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए काम करते हैं तो हमें भी शिक्षक समुदाय की चुनौतियों को हल करने पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।


उद्घाटन समारोह के दौरान श्री खरे ने छत्रपति शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि शिवाजी की माता मातश्री जीजाबाई के नाम पर नए विंग का नाम रखना प्रासंगिक और सार्थक दोनों है।


इस नए विंग का निर्माण प्रिंसिपल डॉ शशि निझावां के नेतृत्व में किया गया है। इस अत्याधुनिक भवन में प्रयोगशालाओं, संगोष्ठी हॉल, सभागारों, कक्षाओं और छात्रों एवं संकायों के लिए कई अन्य सुविधाएं शामिल हैं।


मानव संसाधन विकास सचिव श्री अमित खरे ने इसके लिए डॉ. निझावां और संकाय को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इससे कॉलेज के बुनियादी ढांचे में मात्रात्मक और गुणात्मक रुप से विकास हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि माता जीजाबाई के नाम पर अकादमिक विंग का नामकरण भी महिला सशक्तीकरण को दर्शाता है।


इसके साथ ही शिवाजी कॉलेज अब दिल्ली विश्वविद्यालय की दूसरी संस्था है जिसके पास वित्त लैब है जिससे छात्र को विभिन्न प्रक्रियाओं के बारे में ज्ञान हासिल करने में मदद मिलेगी।