Thursday, January 30, 2020

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग विधेयक, 2019 में आधिकारिक संशोधन के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी

 


     प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग विधेयक, 2019 (एनसीआईएम) में आधिकारिक संशोधन के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी जो राज्यसभा में अभी लंबित है।


     प्रस्तावित कानून से भारतीय चिकित्सा शिक्षा प्रणाली के क्षेत्र में आवश्यक नियामक सुधार सुनिश्चित किया जाएगा। प्रस्तावित नियामक संरचना से आम लोगों के हितों की सुरक्षा करने के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही तय होगी। यह आयोग देश के सभी हिस्सों में किफायती स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की उपलब्धता को बढ़ावा देगा।  


      भारतीय चिकित्सा प्रणाली से जुड़े शैक्षणिक संस्थानों के शैक्षिक मानकों, मूल्यांकन, आकलन और मान्यता से संबंधित कार्यों को सरल बनाने के लिए आयोग का गठन किया गया है। एनसीआईएम की स्थापना का मुख्य उद्देश्य पर्याप्त संख्या में दक्ष चिकित्सा पेशेवरों की आपूर्ति और भारतीय चिकित्सा प्रणाली में चिकित्सा सेवाओं के सभी पहलुओं में उच्च नैतिक मानकों को बढ़ावा देना है।     



मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग विधेयक, 2019 में अधिकारिक संशोधनों को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (एचसीसी) अधिनियम, 1973 में संशोधन के लिए राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग विधेयक, 2019 में अधिकारिक संशोधनों को अपनी मंजूरी दे दी है। फिलहाल यह विधेयक राज्यसभा में लंबित है।


इन संशोधनों से :



  • होम्योपैथी शिक्षा के क्षेत्र में आवश्यक नियामक सुधार सुनिश्चित होंगे।

  • आम जनता के हितों की रक्षा के लिए पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व सुनिश्चित होंगे। आयोग देश के सभी हिस्सों में किफायती स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की उपलब्धता को बढ़ावा देगा।


पृष्ठभूमि :


होम्योपैथी की शिक्षा एवं प्रैक्टिस के नियमन, केंद्रीय होम्योपैथी रजिस्टर के रखरखाव तथा तत्संबंधी मामलों को लेकर केंद्रीय होम्योपैथी परिषद के गठन के लिए होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (एचसीसी) अधिनियम, 1973 को लागू किया गया था। इस अधिनियम को भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 के प्रारूप पर तैयार किया गया है। भारतीय चिकित्सा परिषद के मुख्य क्रियाकलापों में शक्तियों का निर्धारण एवं नियमन करना शामिल है। जबकि यह अधिनियम होम्योपैथी चिकित्सा शिक्षा एवं प्रैक्टिस के विकास के लिए एक ठोस आधार प्रदान करता है, किंतु परिषद के क्रियाकलापों में अनेक बाधाओं का अनुभव किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप चिकित्सा शिक्षा के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण होम्योपैथी स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं पर गंभीर नुकसानदेह प्रभाव पड़ा है। 



Wednesday, January 29, 2020

भारतीय राजमार्ग इंजीनियर अकादमी में व्‍यापक बदलाव के लिए गठित समिति की रिपोर्ट में इंजीनियरों का ज्ञान, कौशल एवं विशेषज्ञता बढ़ाने की सिफारिश की गई है

     भारतीय राजमार्ग इंजीनियर अकादमी (आईएएचई) को राजमार्ग क्षेत्र के एक विश्‍व स्‍तरीय प्रमुख संस्‍थान में तब्‍दील करने के लिए गठित समिति का यह मानना है कि इंजीनियरों का ज्ञान, कौशल एवं विशेषज्ञता बढ़ाना अपरिहार्य है, ताकि भारत के व्‍यापक सड़क नेटवर्क को अपेक्षाकृत कम लागत पर निरंतर बेहतरीन, पर्यावरण अनुकूल एवं सुरक्षित रखा जा सके। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट कल (28 जनवरी, 2020) रात पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रशिक्षण से जुड़ी मौजूदा बुनियादी ढांचागत सुविधाओं एवं प्रशिक्षण कार्य प्रणाली में सुधार लाने, विश्‍व स्‍तर पर प्रख्‍यात अंतर्राष्‍ट्रीय संस्‍थानों से जुड़ाव सुनिश्चित करने और व्‍यावहारिक अनुसंधान एवं संबंधित कार्य करने की जरूरत है। 

  • आईएएचई के कार्य क्षेत्र का विस्‍तार कर इसमें तीन विशिष्‍ट कार्यों अर्थात (i) प्रशिक्षण (ii) राजमार्ग एवं सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र में प्रायोगिक अनुसंधान व विकास कार्य (iii) सड़क सुरक्षा एवं नियमन को शामिल किया जाए।

  • मंत्रालय के एईई और एनएचएआई के उप प्रबंधकों के लिए एक वर्षीय फाउंडेशन प्रशिक्षण दिया जाए, जिसमें विदेश में 15 दिनों का प्रशिक्षण भी शामिल है। सेवा में निरंतरता के लिए फाउंडेशन प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करना अत्‍यंत जरूरी है।

  • अगले उच्‍च स्‍तर पर पदोन्‍नति के लिए करियर के मध्‍य में प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करना अनिवार्य किया जाए।

  • ठेकेदारों एवं सलाहकारों के साथ कार्य करने वाले इंजीनियरों के लिए विशिष्‍ट प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जाए।

  • राज्‍यों के राजमार्गों, एमडीआर और ग्रामीण सड़कों हेतु राज्‍यों के पीडब्‍ल्‍यूडी अधिकारियों के लिए आईएएचई को विशिष्‍ट प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की पेशकश करनी चाहिए।

  • सामग्री परीक्षण प्रक्रियाओं से जुड़े सलाहकारों एवं ठेकेदारों के गुणवत्‍ता नियंत्रण एवं सहायक गुणवत्‍ता नियंत्रण इंजीनियरों के लिए आईएएचई को प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने चाहिए और समुचित दिशा-निर्देशों के जरिए इस तरह की प्रशिक्षण आवश्‍यकताओं को अनिवार्य किया जाना चाहिए।

  • विशिष्‍ट क्षेत्रों जैसे कि सुरंग बनाने, बहुस्‍तरीय क्रॉसिंग की व्‍यवस्‍था करने, इत्‍यादि के लिए आईएएचई को अग्रणी विदेशी संस्‍थानों/उद्योग जगत के साथ सहयोग करना चाहिए।

  • आईएएचई को मंत्रालय के थिंक-टैक के रूप में काम करना चाहिए और विशिष्‍ट संदर्भों में परामर्श देना चाहिए।

  • यातायात के सुचारू संचालन एवं अनुकरण के लिए आईएएचई में उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र बनाना चाहिए।

  • राजमार्गों के निर्माण में व्‍यावहारिक अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाए, जिसमें बेकार सामग्री, वस्‍त्र एवं प्‍लास्टिक के उपयोग, नई सामग्री, रिसाइक्‍लिंग को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय परीक्षण करना भी शामिल हैं।

  • आईएएचई की मौजूदा प्रयोगशाला का उन्‍नयन किया जाए और इसके साथ ही एनएबीएल से प्रमाण-पत्र लिया जाना चाहिए, ताकि राष्‍ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं पर इस्‍तेमाल होने वाली सामग्री का परीक्षण किसी अन्‍य पक्ष के जरिए कराया जा सके।

  • सड़क से संबंधित सभी तरह के आंकड़ों जैसे कि यातायात, तैयार सामग्री और सड़कों एवं पुलों की स्थिति से जुड़े डेटा का संग्रहण आईएएचई में किया जाए।

  • दुघर्टनाओं से बचाव के लिए आईएएचई को एसओपी तैयार करना चाहिए और यातायात इंजीनियरिंग, डेटा प्रभाग एवं दुर्घटनाओं के विश्‍लेषण के लिए एक केन्‍द्र स्‍थापित करना चाहिए, ताकि भावी अध्‍ययन कराए जा सकें और इसके साथ ही सड़क सुरक्षा को बेहतर किया जा सके।

  • आईएएचई को सड़क सुरक्षा ऑडिटरों के प्रशिक्षण एवं प्रमाणन से संबंधित समस्‍त गति‍विधियों की जिम्‍मेदारी सौंपनी चाहिए।

  • आईएएचई के व्‍यापक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए समुचित योजना बनाई जाए।

  • संगठनात्‍मक ढांचे में समुचित बदलाव किए जाएं, ताकि उपर्युक्‍त उद्देश्‍यों की प्राप्ति हो सके।


    सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक समिति का गठन किया था, जिसमें श्री वाई.एस. मलिक, पूर्व सचिव,  सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (चेयरमैन), श्री बी.एन. सिंह, पूर्व डीजी (आरडी) एवं एसएस, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (सदस्‍य), श्री एम.पी. शर्मा, पूर्व एडीजी, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (सदस्‍य) और श्री एस.पी. सिंह, संयुक्‍त सचिव, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (सदस्‍य सचिव) शामिल थे। इस समिति के गठन का उद्देश्‍य विभिन्‍न महत्‍वपूर्ण मुद्दों की पहचान करना और भारतीय राजमार्ग इंजीनियर अकादमी (आईएएचई) को राजमार्ग क्षेत्र के एक ऐसे विश्‍व स्‍तरीय प्रमुख संस्‍थान में तब्‍दील करने के तरीकों के बारे में सिफारिशें पेश करना था, जिसके पास राजमार्ग क्षेत्र से जुड़ी पूर्ण/व्‍यापक विशेषज्ञता हो।


     आईएएचई का गठन मंत्रालय ने वर्ष 1983 में एक सोसाएटी के रूप में किया था, ताकि केन्‍द्र सरकार, राज्‍य सरकारों, स्‍थानीय निकायों इत्‍यादि के राजमार्ग इंजीनियरों को प्रवेश स्‍तर के साथ-साथ करियर के मध्‍य में विभिन्‍न स्‍तरों पर भी प्रशिक्षण दिया जा सके। यह राजमार्गों के नियोजन, डिजाइनिंग, निर्माण, परिचालन, रख-रखाव एवं प्रबंधन सहित विभिन्‍न विषयों पर प्राप्‍त अनुभवों को संयोजित करने एवं इनसे जुड़े ज्ञान को साझा करने का प्रमुख संस्‍थान है।


    आईएएचई 1 अक्‍टूबर, 2001 से ही नोएडा (उत्‍तर प्रदेश) के संस्‍थागत क्षेत्र के सेक्‍टर 12 के ए-5 में अवस्थित 10 एकड़ की भूमि पर बनाए गए विशाल परिसर में कार्यरत है। इस अकादमी में प्रशिक्षण से संबंधित आवश्‍यक बुनियादी ढांचागत सुविधाएं हैं, जिनमें व्‍याख्‍यान हॉल, कम्‍प्‍यूटर लैबोरेटरी, सामग्री परीक्षण प्रयोगशाला, पुस्‍तकालय एवं डिस्‍प्‍ले सेंटर, प्रशिक्षुओं के लिए छात्रावास इत्‍यादि शामिल हैं।


     आईएएचई ने अपनी शुरुआत से लेकर अब तक 1494 प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित किए हैं और भारत के साथ-साथ 59 अफ्रीकी-एशियाई देशों के 35,988 प्रोफेशनलों को प्रशिक्षित किया है। वर्ष 2019-20 के दौरान आईएएचई ने 85 प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित किए हैं और 2577 राजमार्ग प्रोफेशनलों को प्रशिक्षित किया है। आईएएचई के पास 100 सड़क सुरक्षा अभियंता एवं ऑडिटर हैं।   



दिल्ली विधानसभा चुनाव, 2020- एग्जिट पोल पर प्रतिबंध

निर्वाचन आयोग ने जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 126ए की उपधारा (1) के तहत मिले अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव, 2020 के लिए तय मतदान के दिन 8 फरवरी, 2020 (शनिवार) को सुबह 8 बजे से शाम 6:30 बजे तक किसी तरह का एग्जिट पोल करने और एग्जिट पोल के नतीजे को प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या किसी अन्य माध्यम से प्रकाशित या प्रसारित करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।


इसके साथ ही, जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 126(1) (ब) के तहत दिल्ली विधानसभा चुनाव संपन्न होने के लिए तय समय से पहले के 48 घंटे के दौरान ओपिनयन पोल के नतीजे या कोई अन्य चुनाव सर्वेक्षण जैसे चुनाव से संबंधित किसी भी सामग्री का किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रदर्शित करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। 


24 जनवरी, 2020 को इससे संबंधित जारी अधिसूचना सभी संबंधित पक्षों की जानकारी के लिए यहां संलग्न कर दिया गया है।


अधिसूचना के लिए कृप्या यहां क्लिक करें


 


(निर्वाचन आयोग ने 28 जनवरी, 2020 को प्रेस नोट संख्या ईसीआई/पीएन/15/2020 के तहत पहले ही जारी कर दिया है।)