Monday, January 13, 2020

प्रधानमंत्री ने कोलकाता के चार प्रमुख धरोहर भवन राष्‍ट्र को समर्पित किए

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज कोलकाता के पांच प्रमुख धरोहर भवनों को राष्‍ट्र को समर्पित किया। इस ऐतिहासिक इमारतों का जिर्णोद्धार किया गया है। इनमें ओल्‍ड करेंसी बिल्डिंग, बेलवेडियर हाउस, मेटकॉफ हाउस और विक्‍टोरिया मेमोरियल हॉल शामिल है। इस अवसर पर केन्‍द्रीय पर्यटन और संस्‍कृति राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री प्रहलाद सिंह पटेल तथा पश्चिम बंगाल के राज्‍यपाल श्री जगदीप धनकड़ भी उपस्थित थे।  


प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि आज का दिन एक विशेष अवसर है क्‍योंकि आज के दिन से देश की कला, संस्‍कृति, और धरोहर के संरक्षण के देशव्‍यापी प्रचार के साथ ही इन धरोहरों के महत्‍व को फिर से समझने,इन्‍हें नयी पहचान देने और नये रूप में लाने का काम शुरु हो रहा है। उन्‍होंने कहा कि भारत की हमेशा से अपने ऐहितासिक धरोहरों को संरक्षित रखने और उनको आधुनिक रूप देने की इच्‍छा रही है। इसी भावना के साथ केन्‍द्र सरकार ने दुनिया में भारत को ऐतिहासिक धरोहरों का पर्यटन केन्‍द्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने देश के पांच संग्रहालयों को अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर का बनाने के लिए उनके आधुनिकीकरण की योजना बनाई है। यह काम कोलकाता में विश्‍व के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक भारतीय संग्रहालय से शुरु किया गया है।


श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने इस अवसर पर कहा कि यह हमारे लिए बड़ी बात है कि प्रधानमंत्री कोलकाता में इन ऐतिहासिक और विरासत भवनों को राष्ट्र को समर्पित कर रहे हैं। उन्‍होंने इन भवनों के जिर्णोद्धार का काम निर्धारित समय में पूरा करने के लिए मंत्रालय के अधिकारियों के समर्पित प्रयासों की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि ये सभी भवन अब लोगों के लिए खुल गए हैं। श्री पटेल ने कहा ‘ हमारे संग्रहालय और उनमें रखी हुयी प्राचीन वस्‍तुएं हम सभी की धरोहर हैं। हम सभी को मिलकर इनकी देखभाल करनी चाहिए।‘  श्री पटेल ने ओल्‍ड करेंसी बिल्डिंग में घरे-बायरे नाम से बनायी गई कलाकृति की भी प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने ओल्‍ड करेंसी बिल्डिंग के इसी स्‍थान से कोलकाता की तीन अन्‍य ऐतिहासिक इमारतें , बेलवेडियर हाउस, विक्‍टोरिया मेमोरियल हॉल और मेटकॉफ हाउस राष्‍ट्र को समर्पित कीं।  



बेलुर मठ, कोलकत्ता में प्रधानमंभी के संबोधन का मूल पाठ

रामकृष्ण मठ के महासचिव श्रीमान स्‍वामी सुविरानंदा जी महाराज, स्‍वामी दिव्‍यानंद जी महाराज, यहां उपस्थित पूज्‍यसंतगण, अतिथिगण, मेरे युवा साथियो।


आप सभी को स्वामी विवेकानंद जयंती के इस पवित्र अवसर पर, राष्ट्रीय युवा दिवस पर, बहुत-बहुत शुभकामनाएं। देशवासियों के लिए बेलुड़ मठ की इस पवित्र भूमि पर आना किसी तीर्थयात्रा से कम नहीं है, लेकिन मेरे लिए तो हमेशा से ही ये घर आने जैसा ही है। मैं प्रेसीडेंट स्‍वामी का, यहां पर सभी व्‍यवस्‍थापकों का ह्दय से बहुत आभारी हूं कि मुझे कल रात यहां रहने के लिए इजाजत दी और सरकार का भी मैं आभारी हूं क्‍योंकि सरकार में प्रोटोकॉल, सिक्‍योरिटी ये भी इधर से उधर जाने नहीं देते। लेकिन मेरी Request को व्‍यवस्‍था वालों ने भी माना। और मुझे इस पवित्र भूमि में रात बिताने का सौभाग्‍य मिला। इस भूमि में, यहां की हवा में स्‍वामी राम कृष्‍ण परमहंस, मां शारदा देवी, स्‍वामी ब्रह्मानंद, स्‍वामी विवेकानंद सहित तमाम गुरुओं का सानिघ्‍य हर किसी को अनुभव हो रहा है। जब भी यहां बेलुड़ मठ आता हूं तो अतीत के वो पृष्‍ठ खुल जाते हैं। जिनके कारण आज मैं यहां हूं। और 130 करोड़ भारतवासियों की सेवा में कुछ कर्तव्‍य निभा पा रहा हूं।     


पिछली बार जब यहां आया था तो गुरुजी, स्वामी आत्मआस्थानंद जी के आशीर्वाद लेकर गया था। और मैं कह सकता हूं कि उन्‍होंने मुझे ऊंगली पकड़ कर जनसेवा ही प्रभुसेवा का रास्‍ता दिखाया। आज वो शारीरिक रूप से हमारे बीच विद्यमान नहीं हैं। लेकिन उनका काम, उनका दिखाया मार्ग, रामकृष्ण मिशन के रूप में सदा-सर्वदा हमारा मार्ग प्रशस्त करता रहेगा।


यहां बहुत युवा ब्रह्मचारी बैठे हैं मुझे उनके बीच कुछ पल बिताने का मौका मिला। जो मन:स्थिति आपकी है कभी मेरी भी हुआ करती थी। और आपने अनुभव किया होगा हममें से ज्‍यादा लोग यहां खींचे चले आते हैं उसका कारण विवेकानंद जी के विचार, विवेकानंद जी की वाणी, विवेकानंद जी का व्‍यक्तित्‍व हमें यहां तक खींचकर के ले आता है। लेकिन.... लेकिन.... इस भूमि में आने के बाद माता शारदा देवी का आंचल हमे बस जाने के लिए एक मां का प्‍यार देता है। जितने भी ब्रह्चारी लोग है सबको यही अनुभूति होती होगी। जो कभी मैं करता था।


साथियों, स्वामी विवेकानंद का होना सिर्फ एक व्यक्ति का होना नहीं है, बल्कि वो एक जीवन धारा का, जीवन शैली का नामरूप है। उन्होंने दरिद्रनारायण की सेवा और भारत भक्ति को ही अपने जीवन का आदि और अंत मान भी लिया, जी भी लिया और जीने के लिए आज भी करोड़ों लोगों को रास्‍ता भी दिखा दिया। 


आप सभी, देश का हर युवा और मैं विश्‍वास से कह रहा हूं। देश का हर युवा चाहे विवेकानंद को जानता हो या न जानता हो। जाने-अनजाने में भी उसी संकल्प का ही हिस्सा हैं। वक्‍त बदला है, दशक बदले हैं, सदी बदल गई है, लेकिन स्वामी जी के उस संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने का जिम्‍मा हम पर भी है, आने वाली पीढि़यों पर भी है। और ये काम कोई ऐसा नहीं है कि एक बार कर दिया तो हो गया। ये अभिरथ करने का काम है, निरंतर करने का काम है, युग-युग तक करने का काम है।


कई बार हम सोचने लगते हैं कि मेरे अकेले के करने से क्या होगा। मेरी बात कोई सुनता ही नहीं है। मैं जो चाहता हूं, मैं जो सोचता हूं, उस पर कोई ध्यान ही नहीं देता है और इस स्थिति से युवा मन को बाहर निकालना बहुत ज़रूरी है। और मैं तो सीधा-साधा मंत्र बता देता हूं। जो मैं भी कभी गुरुजनों से सीखा हूं। हम कभी अकेले नहीं है। कभी भी अकेले नहीं है। हमारे साथ एक और होता है जो हमें दिखता नहीं है वो ईश्‍वर का रूप होता है। हम अकेले कभी नहीं होते हैं। हमारा सर्जनहार हर पल हमारे साथ ही होता है। 


स्वामी जी की वो बात हमें हमेशा याद रखनी होगी जब वो कहते थे कि “अगर मुझे सौ ऊर्जावान युवा मिल जाएं, तो मैं भारत को बदल दूंगा”। स्‍वामी जी ने कभी ये नहीं कहा कि मुझे सौ लोग मिल जाएंगे तो मैं ये बन जाऊंगा... ऐसा नहीं कहा, उन्‍होंने ये कहा कि भारत बदल जाएगा। यानि परिवर्तन के लिए हमारी ऊर्जा, कुछ करने का जोश ही ये ज़ज्‍बा बहुत आवश्यक है।


स्वामी जी तो गुलामी के उस कालखंड में 100 ऐसे युवा साथियों की तलाश कर रहे थे। लेकिन 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए, नए भारत के निर्माण के लिए तो करोड़ों ऊर्जावान युवा आज हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में खड़े हुए हैं। दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी का खज़ाना भारत के पास है।


साथियों, 21वीं सदी के भारत की इस देश के युवाओं से ही नहीं, इस देश के युवाओं से सिर्फ भारत को ही नहीं पूरे विश्‍व को बहुत कुछ अपेक्षाएं हैं। आप सभी जानते हैं कि देश ने 21वीं सदी के लिए, नए भारत के निर्माण के लिए बड़े संकल्प लेकर कदम उठाए हैं। ये संकल्प सिर्फ सरकार के नहीं, ये संकल्प 130 करोड़ देशवासियों के हैं, देश के युवाओं के हैं।


बीते 5 वर्षों का अनुभव दिखाता है कि देश के युवा जिस मुहिम के साथ जुड़ जाते हैं, उसका सफल होना तय है। भारत स्वच्छ हो सकता है या नहीं, इसको लेकर 5 वर्ष पहले तक एक निराशा का भाव था, लेकिन देश के युवा ने कमान संभाली और परिवर्तन सामने दिख रहा है।


4-5 वर्ष पहले तक अनेक लोगों को ये भी असंभव लगता था कि भारत में डिजिटल पेमेंट का प्रसार इतना बढ़ सकता है क्या? लेकिन आज भारत दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था में अपनी मजबूती के साथ खड़ा है।


भ्रष्टाचार के विरुद्ध कुछ वर्ष पहले तक कैसे देश का युवा सड़कों पर था, ये भी हमने देखा है। तब लगता था कि देश में व्यवस्था को बदलना मुश्किल है। लेकिन युवाओं ने ये बदलाव भी कर दिखाया।


साथियों, युवा जोश, युवा ऊर्जा ही 21वीं सदी के इस दशक में भारत को बदलने का आधार है। एक प्रकार से 2020, ये जनवरी महीना, एक प्रकार से नव वर्ष की शुभकामनाओं से शुरू होता है। लेकिन हम ये भी याद रखें कि ये सिर्फ नववर्ष नहीं है ये नया दशक भी है। और इसलिए हमें अपने सपनों को इस दशक के संकल्‍प के साथ जोड़ करके सिद्धि प्राप्‍त करने की दिशा में और अधिक ऊर्जा के साथ, और अधिक उमंग के साथ, और अधिक समर्पण के साथ जुड़ना है।


नए भारत का संकल्प, आपके द्वारा ही पूरा किया जाना है। ये युवा सोच ही है जो कहती है कि समस्याओं को टालो नहीं, अगर आप युवा हैं तो समस्‍याओं को टालने की कभी सोच ही नहीं सकते हैं। युवा है मतलब समस्‍या से टकराव, समस्‍या को सुलझाओं, चुनौती को ही चुनौती दे डालो। इसी सोच पर चलते हुए केंद्र सरकार भी देश के सामने उपस्थित दशकों पुरानी चुनौतियों को सुलझाने के लिए प्रयास कर रही है।   


साथियों, बीते कुछ समय से देश में और युवाओं में बहुत चर्चा है सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट की। ये एक्ट क्या है, इसे लाना क्यों जरूरी था? युवाओं के मन में बहुत से सवाल भांति-भांति लोगों के द्वारा भर दिए गए हैं। बहुत से नौजवान जागरूक हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो अब भी इस भ्रम के शिकार हुए हैं, अफवाहों के शिकार हुए हैं। ऐसे हर युवा को समझाना भी हम सबका दायित्व है और उसे संतुष्ट करना भी हम सबकी ही जिम्मेदारी है।


और इसलिए आज राष्ट्रीय युवा दिवस पर मैं फिर से देश के नौजवानों को, पश्चिम बंगाल के नौजवानों को, नॉर्थ ईस्ट के नौजवानों को आज इस पवित्र धरती से और युवाओं के बीच खड़ा हो कर जरूर कुछ कहना चाहता हूं।


साथियों, ऐसा नहीं है कि देश की नागरिकता देने के लिए भारत सरकार ने रातो-रात कोई नया कानून बना दिया है। हम सबको पता होना चाहिए कि दूसरे देश से, किसी भी धर्म का कोई भी व्यक्ति, जो भारत में आस्था रखता है, भारत के संविधान को मानता है, भारत की नागरिकता ले सकता है। कोई दुविधा नहीं है इसमें...  मैं फिर कहूंगा, सिटिजनशिप एक्ट, नागरिकता छीन लेने का नहीं, ये नागरिकता देने का कानून है और सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट, उस कानून में सिर्फ एक संशोधन है। ये संशोधन, ये अमेंडमेंट क्या है? हमने बदलाव ये किया है कि भारत की नागरिकता लेने की सहूलियत और बढ़ा दी है। ये सहूलियत किसके लिए बढ़ाई है? उन लोगों के लिए, जिन पर बंटवारे के बाद बने पाकिस्तान में, उनकी धार्मिक आस्था की वजह से अत्याचार हुआ, जुल्‍म हुआ, जीना मुश्किल हो गया, बहन-बेटियों की इज्‍जत असुरिक्षत हो गई। जीवन जीना ही एक सवाल या निशान बन गया। अनेक संकटों से ये जीवन ही घिर गया।


साथियों, स्वतंत्रता के बाद, पूज्‍य महात्मा गांधी से लेकर तब के बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं का यही कहना था कि भारत को ऐसे लोगों को नागरिकता देनी चाहिए, जिन पर उनके धर्म की वजह से पाकिस्तान में अत्याचार किया जा रहा है।


अब मैं आपसे पूछता हूं मुझे बताइए कि ऐसे शरणार्थियों को हमें मरने के लिए वापस भेजना चाहिए क्‍या? भेजना चाहिए क्‍या? क्‍या हमारी जिम्‍मेवारी है कि नहीं है, उनको बराबरी में हमारा नागरिक बनाना चाहिए कि नहीं बनाना चाहिए। अगर वो कानून के साथ, बंधनों के साथ रहता है, सुख-चैन की जिंदगी जीता है तो हमें संतोष होगा कि नहीं होगा... ये काम पवित्र है कि नहीं है...हमें करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए। औरों की भलाई के लिए काम करना अच्‍छा है कि बुरा है? अगर मोदी जी ये करते हैं तो आपका साथ है न... आपका साथ है न... हाथ ऊपर उठा करके बताइए आपका साथ है न। 


हमारी सरकार ने देश को स्वतंत्रता दिलाने वाले महान सपूतों की इच्छा का ही सिर्फ पालन किया है। जो महात्‍मा गांधी कहकर गए उस काम को हमने किया है जी.... और सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट में हम नागरिकता दे ही रहे हैं, किसी की भी... किसी की भी... नागरिकता छीन नहीं रहे हैं।


इसके अलावा, आज भी किसी भी धर्म का व्यक्ति, भगवान को मानता हो या न मानता हो... जो व्‍यक्ति भारत के संविधान को मानता है, वो तय प्रक्रियाओं के तहत भारत की नागरिकता ले सकता है। ये आपको साफ-साफ समझ आया कि नहीं आया। समझ गए न... जो छोटे-छोटे विद्यार्थी है वो भी समझ गए न... जो आप समझ रहे है न वो राजनीतिक खेल खेलने वाले समझने को तैयार नहीं है। वे भी समझदार हैं लेकिन समझना चाहते नहीं है। आप समझदार भी हैं और देश का भला चाहने वाले युवा नौजवान भी हैं।


और हां, जहां तक नॉर्थ ईस्ट के राज्यों की सवाल है। हमारा गर्व है नॉर्थ ईस्ट हमारा गर्व है। नॉर्थ ईस्ट के राज्यों की संस्कृति, वहां की परंपरा, वहां की डेमोग्राफी, वहां के रीति-रिवाज, वहां के रहन-सहन, वहां का खान-पान, वहां की डेमोग्राफी इस पर इस कानून में जो सुधार किया गया है इसका कोई विपरित प्रभाव उन न पड़े, इसका भी प्रावधान केंद्र सरकार ने किया है।


साथियों, इतनी स्पष्टता के बावजूद, कुछ लोग अपने राजनीतिक कारणों से सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट को लेकर लगातार भ्रम फैला रहे हैं। मुझे खुशी है कि आज का युवा ही ऐसे लोगों का भ्रम भी दूर कर रहा है।


और तो और, पाकिस्तान में जिस तरह दूसरे धर्मों के लोगों पर अत्याचार होता है, उसे लेकर भी दुनिया भर में आवाज हमारा युवा ही उठा रहा है। और ये बात भी साफ है कि नागरिकता कानून में हम ये संशोधन न लाते तो न ये विवाद छिड़ता और न ये विवाद छिड़ता तो दुनिया को भी पता न चलता कि पाकिस्‍तान में minority पर कैसे-कैसे जुर्म हुए हैं। कैसे मानवधिकार का हनन हुआ है। कैसे बहन-बेटियों की जिंदगी को बरबाद किया गया है। ये हमारे initiative का परिणाम है कि अब पाकिस्‍तान को जवाब देना पड़ेगा कि 70 साल में आपने वहां पर minority के साथ ये जुर्म क्‍यों किया।  


साथियों, जागरूक रहते हुए, जागरूकता फैलाना, दूसरों को जागरूक करना भी हम सभी का दायित्व है। और भी बहुत से विषय हैं जिसको लेकर के समाज जागरण, जन-आंदोलन, जनचेतना आवश्‍यक है जैसे पानी को ही ले लो... पानी बचाना आज हर नागरिक का दायित्‍व बनता जा रहा है। सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान हो या फिर गरीबों के लिए सरकार की अनेक योजनाएं, इन सभी बातों के लिए जागरूकता बढ़ाने में आपका सहयोग देश की बहुत बड़ी मदद करेगा।


साथियों, हमारी संस्कृति और हमारा संविधान हमसे यही अपेक्षा करता है कि नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों को, अपने दायित्वों को हम पूरी ईमानदारी और पूरे समर्पण भाव से निभाएं। आजादी के 70 साल के दरम्‍यान हमने अधिकार... अधिकार... हमने बहुत सुना है। अधिकार के लिए लोगों को जागरूक भी किया है। और वो आवश्‍यक भी था। लेकिन अब अधिकार अकेला नहीं हर हिन्‍दुस्‍तानी का कर्तव्‍य भी उतना ही महत्‍वपूर्ण होना चाहिए। और इसी रास्ते पर चलते हुए हम भारत को विश्व पटल पर अपने स्वभाविक स्थान पर देख पाएंगे। यही स्वामी विवेकानंद की भी हर भारतवासी से अपेक्षा थी और यही इस संस्थान के भी मूल में है।


स्वामी विवेकानंद जी भी यही चाहते थे, वे भारत मां को भव्‍य रूप में देखना चाहते थे। और हम सब भी तो उन्‍हीं के सपनों को साकार करने के लिए संकल्‍प ले रहे हैं। आज फिर एक स्वामी विवेकानंद जी की पावन पर्व पर बेलुड़ मठ की इस पवित्र धरती पर पूज्‍य संतों के बीच बड़े मनोयोग से कुछ पल बिताने का मुझे सौभाग्‍य मिला। आज सुबह-सुबह बहुत देर तक पूज्‍य स्वामी विवेकानंद जी जिस कमरे में ठहरते थे वहां पर एक आध्‍यात्मिक चेतना है, स्‍पंदन है।  उस माहौल के अंदर आज के प्रात: काल का समय मुझे बिताने का मेरे जीवन का बहुत अमूल्‍य समय था वो जो मुझे आज बिताने का मौका मिला। ऐसा अनुभव कर रहा था जैसे पूज्‍य स्वामी विवेकानंद जी हमसे और अधिक काम करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, नई ऊर्जा दे रहे हैं। हमारे अपने संकल्‍पों में नया सामर्थ्‍य भर रहे हैं और इसी भाव के साथ, इसी प्रेरणा के साथ, इसी नई ऊर्जा के साथ आप सब साथियों के उत्‍साह के साथ इस मिट्टी के आशीर्वाद के साथ मैं फिर एक बार आज यहां से उसी सपनों को साकार करने के लिए चल पड़ूंगा, चलता रहूंगा कुछ-न-कुछ करता रहूंगा... सभी संतों के आशीर्वाद बने रहें। आप सबको भी मेरी तरफ से अनेक-अनेक शुभकामनाएं हैं और स्‍वामी जी ने हमेशा कहा था सब कुछ भूल जाओ मां भारती को ही अपनी देवी मान करके उसके लिए लग जाओ उसी भाव को लेकर के आप मेरे साथ बोलेंगे.... दोनों मुट्ठी हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बोलिए...


भारत माता की जय !


भारत माता की जय !


भारत माता की जय !


बहुत-बहुत धन्‍यवाद। 


 


वी.आर.आर.के./वंदना जाटव/ममता.



प्रधानमंत्री ने चार ऐतिहासिक इमारतें राष्‍ट्र को समर्पित कीं

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज कोलकाता में जिर्णोद्धार की जा चुकीं चार ऐतिहासिक इमारतें राष्‍ट्र को समर्पित कीं। इनमें प्रतिष्ठित ओल्‍ड करेंसी बिल्डिंग, बेलवेडियर हाउस, विक्‍टोरिया मेमोरियल हॉल और मेटकॉफ हाउस शामिल है।


प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि आज का दिन एक विशेष अवसर है क्‍योंकि आज के दिन से देश की  कला, संस्‍कृति, और धरोहर के संरक्षण के देशव्‍यापी प्रचार के साथ ही इन धरोहरों के महत्‍व को फिर से समझने,इन्‍हें नयी पहचान देने और नये रूप में लाने का काम शुरु हो रहा है।


ऐतिहासिक धरोहरों का केन्‍द्र


प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की हमेशा से अपने ऐहितासिक धरोहरों को संरक्षित रखने और उनको आधुनिक रूप देने की इच्‍छा रही है। इसी भावना के साथ केन्‍द्र सरकार ने दुनिया में भारत को ऐतिहासिक धरोहरों का पर्यटन केन्‍द्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने देश के पांच संग्रहालयों को अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर का बनाने के लिए उनके आधुनिकीकरण की योजना बनाई है। यह काम कोलकाता में विश्‍व के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक भारतीय संग्रहालय से शुरु किया गया है। उन्‍होंने कहा कि इस काम के लिए संसाधन जुटाने और राष्‍ट्रीय महत्‍व की इन ऐतिहासिक इमारतों के प्रबंधन के लिए  सरकार ने भारतीय धरोहर संस्‍थान स्‍थापित करने की योजना बनाई है जिसे डीम्‍ड यूनिवर्सिटी का दर्जा प्रदान किया जाएगा।


 प्रधानमंत्री ने कहा कि ओल्‍ड करेंसी बिल्डिंग, बेलवेडियर हाउस, विक्‍टोरिया मेमोरियल हॉल और मेटकॉफ हाउस जैसे ऐतिहासिक भवनों के जिर्णोद्धार का काम पूरा हो चुका है। इनमें से बेलेवेडियर हाउस को सरकार एक विश्‍वस्‍तरीय संग्रहालय बनाने की दिशा में प्रयास  कर रही है।
 


विप्‍लवी भारत:


 


प्रधानमंत्री ने कहा कि विक्‍टोरिया मेमोरियल की पांच दीर्घाओं मे से तीन दीर्घाएं काफी समय से बंद पड़ी हैं जो अच्‍छी बात नहीं है। हम इसे दोबार खुलवाने का प्रयास कर रहे हैं। मैं चाहता हूं कि इसमें कुछ जगह स्‍वतंत्रता सेनानियों के योगदान को प्रदर्शित करने के लिए भी होनी चाहिए और इसे विप्‍लवी भारत का नाम दिया जाना चाहिए। यहां ‘ हम सुभाष चंद्र बोस, अर‍बिंदो घोष, रास बिहारी बोस जैसे महान नेताओं और खुदी राम बोस,बाघा जतिन ,बिनय,बादल और दिनेश जैसे क्रांतिकारियों के बारे में काफी कुछ दिखा सकते हैं।‘   


बंगाल की संस्‍कृति और धरोहर अत्‍यंत समृद्ध है और संस्‍कृति ही हमें जोड़कर रखती है। श्री मोदी ने कहा कि हम 2022 में ईश्‍वरचंद विद्यासागर की 200 वीं जयन्‍ती मना रहे हैं। उसी वर्ष भारत अपनी स्‍वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ भी मनाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में नेताजी को लेकर दशकों से जुड़ी जनभावना को ध्‍यान में रखते हुए ही दिल्‍ली के लाल किले और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सुभाष चंद्र बोस के नाम से अलग से एक संग्रहालय बनाया गया है।



बंगाल के प्रतिष्ठित नेताओं को श्रद्धांजलि


प्रधान मंत्री ने बंगाल के स्‍वतंत्रता सेनानियों का जिक्र करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल की मिट्टी में जन्‍में और देश के लिए अपना सर्वस्‍व न्‍यौछावर करने वाले महाने नेताओं को आज सच्‍ची श्रद्धांजलि और उचित सम्‍मान देने का समय है। उन्‍होंने कहा कि ऐसे समय में जब " हम श्री ईश्वर चंद्र विद्यासागर की 200 वीं जयंती मना रहे हैं और  भारत अपनी आजदी की 75 वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है ऐसे समय में ही प्रसिद्ध समाज सुधारक और शिक्षाविद् श्री राजा मोहन राय की 250 वीं जयंती भी है। हमें देश के आत्मविश्वास को बढ़ाने  युवाओं महिलाओं और बालिकाओं के कल्याण को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों याद रखने की आवश्यकता है। हमें इस भावना के साथ ही उनकी 250 वीं जयंती मनानी चाहिए।  


भारतीय इतिहास का संरक्षण


प्रधान मंत्री ने कहा कि भारतीय विरासत, भारत के महान नेताओं का संरक्षण, भारत का इतिहास राष्ट्र निर्माण का एक मुख्य पहलू है।


"यह बहुत दुख की बात है कि ब्रिटिश शासन के दौरान लिखे गए भारत के इतिहास ने इसके कई महत्वपूर्ण पहलुओं को छोड़ दिया था। मैं 1903 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गए उद्धरण को उद्धृत करना चाहता हूं," भारत का इतिहास वह नहीं है जो हम अपने लिए अध्ययन करते हैं और याद करते हैं। परीक्षा। यह केवल इस बारे में बात करता है कि बाहर के लोगों ने हमें कैसे जीतने की कोशिश की है, कैसे बच्चों ने अपने पिता को मारने की कोशिश की और कैसे भाई आपस में सिंहासन के लिए लड़े। इस तरह के इतिहास के बारे में भारतीय नागरिक, भारतीय कैसे बात करते हैं। जी रहे थे। यह उन्हें कोई महत्व नहीं देता ''।


"गुरुदेव ने यह भी कहा, 'तूफान की ताकत जो भी हो सकती है, अधिक महत्वपूर्ण यह है कि जिन लोगों ने इसका सामना किया, वे इससे कैसे निपटते हैं।"


"दोस्तों, गुरुदेव का यह उद्धरण याद दिलाता है कि उन इतिहासकारों ने केवल बाहर से ही तूफान को देखा है। वे उन लोगों के घरों के अंदर नहीं गए हैं जो तूफान का सामना कर रहे थे। जो लोग इसे बाहर से देखते हैं उन्हें समझ में नहीं आता है कि लोग कैसे काम कर रहे थे। फिर वो"।


"देश के कई ऐसे मुद्दों को इन इतिहासकारों ने पीछे छोड़ दिया", उन्होंने कहा।


"अस्थिरता और युद्ध के उस दौर में, जो देश की अंतरात्मा को बनाए हुए थे, जो हमारी महान परंपराओं को अगली पीढ़ियों तक पहुंचा रहे थे"


"यह हमारी कला, हमारे साहित्य, हमारे संगीत, हमारे संतों, हमारे भिक्षुओं द्वारा किया गया था"


भारतीय परंपरा और संस्कृति को बढ़ावा देना


प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के हर कोने में विभिन्न प्रकार की कला और संगीत से संबंधित विशेष परंपराएं देखी जाती हैं। इसी तरह भारत के हर क्षेत्र में बुद्धिजीवियों और संतों का प्रभाव भी दिखाई देता है। इन व्‍यक्तियों, इन व्यक्तियों, उनके विचारों, कला और साहित्‍य के विभिन्‍न रूपों ने समृद्ध किया है। इतिहास की इन महान हस्तियों ने भारत के इतिहास मे कुछ सबसे बड़े सामाजिक सुधारों का नेतृत्‍व किया है। उनके द्वार दिखाया गया मार्ग आज भी अनुकरणीय है।


   श्री मोदी ने कहा  "भक्ति आंदोलन को कई समाज सुधारकों के गीतों और विचारों से समृद्ध किया । संत कबीर, तुलसीदास और कई अन्य लोगों ने समाज को जागृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।" "हमें याद रखना चाहिए कि स्वामी विवेकानंद ने मिशिगन विश्वविद्यालय में अपनी बातचीत के दौरान कहा था- 'वर्तमान सदी आपकी हो सकती है, लेकिन 21 वीं सदी भारत की होगी।' हमें उनके इस सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते रहना चाहिए।'


उन्‍होंने कहा कि देश की ऐतिहासिक धरोहरों , महान नेताओं तथा इतिहास को को संरक्षित रखना राष्‍ट्र निमार्ण का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि ब्रिटिश राज के समय लिखे गये देश के  इतिहास में कई अहम बातें छोड़ दी गई हैं। उन्‍होंने कहा ' मैं इस संबंध में गुरू रवीन्‍द्र नाथ टैगोर की उस बात को उद्धरण देना चाहता हूं जिसमें उन्‍होंने कहा था ' भारत का इतिहास वह नहीं है जो हम अपनी परीक्षाओं के लिए पढ़ रहे हैं। यह इतिहास सिर्फ यह बताता है कि किस तरह विदेशी बाहर से आए और उन्‍होंने हमपर शासन किया।इसमें यह बताया गया है कि किस तरह सत्‍ता पाने के लिए बेटों ने अपने पिता की हत्‍या की और किस तरह भाई भाई आपस में लड़ मरे। इस तरह के इतिहास में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि भारत के लोग उस समय कैसे जीते थे। उन्‍हें ऐसे इतिहास में कोई महत्‍व नहीं दिया गया है।


 प्रधानमंत्री ने कहा ' गुरुदेव का यह भी कहना था कि तूफानों की ताकत चाहे जैसी भी रही हो असली महत्‍व की बात यह है कि लोगों ने किस तरह इनका मुकाबला किया। '


उन्‍होंने कहा ' मित्रों गुरुदेव की यह बातें यह बताती हैं कि उस समय के इतिहासकारों ने सिर्फ तूफान को देखा। वे लोग उन घरों तक नहीं पहुंच पाए जिन लोगों ने इस तूफान को झेला था। जो सिर्फ बाहर देखते हैं उन्‍हें अदंर की असलियत कभी पता नहीं चलती। ' यही वजह है कि इन इतिहासकारों की नजर से देश की कई सच्‍चाई छूट गई। युद्ध और अशांति के उस दौर में जो लोग देश की सभ्‍यता और संस्‍कृति तथा मूल्‍यों को आने वाली पीढि़यों के लिए  संजोए रख सके उन्‍होंने ऐसा कला, साहित्‍य,संगीत और हमारें संतों तथा रिषियों के माध्‍यम से किया ।


भारतीय संस्‍क्‍ृति और परंपराओं को बढ़ावा


 प्रधानमत्री ने कहा कि देश के विभिन्‍न हिस्‍सों की अपनी कला और संगीत है । इस तरह से देश के अलग अलग हिस्‍सों में बुद्धिजीवियों और संतों का प्रभाव भी अलग अलग रहा है। ऐसे लोगों के विचारों, विभिन्‍न किस्‍म की कला और साहित्‍य ने ही हमारे इतिहास को समृद्ध बनाया है।उनके द्वारा दिखाया गया मार्ग आज भी हमें प्रेरणा देता है।'


उन्‍होंने कहा कि भक्‍ति आंदोलन एक ऐसा आंदोलन था जिसने अपने गीतों और विचारो से सामाजिक चेतना पैदा की थी। संत कबीन ,तुलसीदास और ऐसे ही कई अन्‍य संतों ने समाज में जागरुकता लाने का काम किया।


प्रधानमंत्री ने कहा ' हमें स्‍मरण रखनए चाहिए कि स्‍वामी विवेकानंद ने मिशिगन विश्‍वविद्यालय में दिए गए अपने भाषण में कहा  था ' वर्तमान सदी आपकी हो सकती है लेकिन 21 वीं सदी भारत की होगी।' हमें स्‍वामी विवेकानंद के इस सपने को पूरा करने के लिए अथक प्रयास जारी रखने चाहिए।'


Sunday, January 12, 2020

मतदान पुनरीक्षण कार्यक्रम के तहत जिलाधिकारी ने किया औचक निरीक्षण

रामपुर-जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह ने मतदाता पुनरीक्षण अभियान के अंतर्गत विशेष दिवस के दौरान शहर के खुर्शीद कन्या इंटर कॉलेज में स्थित बूथों सहित विभिन्न बूथों का स्थलीय निरीक्षण करके बीएलओ की उपस्थिति का सत्यापन किया। जिलाधिकारी ने बूथ संख्या 45 पर पहुंच कर निरीक्षण के दौरान पाया कि बीएलओ अनिल कुमार सागर अनुपस्थित हैं।पूछताछ के दौरान उनके स्थानांतरित होने की पुष्टि हुई।जिस पर जिलाधिकारी ने तत्काल दूसरे बीएलओ की तैनाती करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि मतदाता पुनरीक्षण अभियान के दौरान सभी बीएलओ भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार ससमय बूथों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं तथा निर्वाचन आयोग के निर्देशों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित कराएं। इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं होनी चाहिए। अन्यथा कठोरतम कार्यवाही सुनिश्चित कराई जाएगी।