Saturday, January 11, 2020

प्रोफेसर एमएस स्‍वामिनाथन और डा. जी मुनिरत्‍नम को मुप्‍पावरापु वेंकैया नायडू राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार

प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम एस स्वामीनाथन और जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता, डॉ. गुट्टा मुनिरत्नम को क्रमशः मुप्पावरप्पु वेंकैया नायडू नेशनल अवार्ड फॉर एक्सीलेंस और  समाज सेवा के लिए मुप्पावरापु राष्ट्रीय पुरस्कार’ के लिए चुना गया।


नेशनल अवार्ड फॉर एक्सीलेंस की शुरुआत मुप्पावरापू फाउंडेशन द्वारा की गई थी, जबकि समाज सेवा के लिए मुप्‍पावरापू राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार आज स्वर्ण भारत ट्रस्ट द्वारा हैदराबाद में शुरु किया गया।


प्रो. एम.एस. स्वामीनाथन को कृषि के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया जा रहा है जबकि  जबकि डॉ. जी मुनिरत्नम को समाज सेवा के माध्यम से लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में उनके असाधारण योगदान के लिए पुरस्‍कार  दिया जा रहा है।


पादप आनुवांशिकी में प्रशिक्षण प्राप्‍त प्रो. स्‍वामिनाथन के देश के कृषि क्षेत्र में योगदान ने एक नयी क्रांति का सूत्रपात किया जिसके कारण उन्‍हें हरित क्रांति का जनक कहा जाने लगा।  डा. मुनिरत्‍नम तिरुपति स्थित राष्‍ट्रीय सेवा समिति के संस्‍थापक सचिव और एक जाने माने समाज सेवी हैं। उन्‍होंने अपना सारा जीवन ग्रामीण क्षेत्रों के सशक्तिकरण के लिए समर्पित कर दिया।


पुरस्‍कारों की घोषणा आज हैदराबाद में मुप्‍पावरपु फाउंडेशन की दसर्वी वर्षगांठ और संक्रांति उत्‍सव के उपलक्ष्‍य में की गई।डा. स्‍वामिनाथन समारोह में भाग नहीं ले सके जबकि डा. मुनिरत्‍नम ने उपराष्‍ट्रपति के हाथों पुरस्‍कार प्राप्‍त किया। पुरस्‍कार के रूप में पांच लाख नकद और एक प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।


उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि कहा कि प्रतिभा और ज्ञान का सम्मान करना और उसे पहचान देना भारतीय संस्कृति में निहित है। उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार अन्य लोगों को पुरस्कृत व्‍यक्तियों से प्रेरणा लेने के लिए दिया गया है।


संस्कृति और परंपराओं के प्रचार में मातृभाषा के महत्व का उल्लेख करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि वह चाहते हैं कि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा का माध्‍यम मातृभाषा हो।


श्री नायडू ने कहा कि मकर संक्रांति जैसे त्यौहार लोगों को प्रकृति के साथ जोड़ने और प्रकृति तथा भारतीय संस्कृति के बीच जुड़ाव को दर्शाने का अवसर होते हैं। उन्‍होने कहा कि  यह समय अपने बुजुर्गों का स्‍मरण करने  और उन्‍हे सम्मान देने का भी है।


इस अवसर पर तेलंगाना के राज्यपाल, डॉ. तमिलिसाई सौंदरराजन, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल, श्री बंडारू दत्तात्रेय, तेलंगाना उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, राघवेंद्र सिंह चौहान, केन्‍द्रीय गृह राज्य मंत्री, जी किशन रेड्डी और तेलंगाना के पर्यटन और संस्कृति तथा पुरातत्व मंत्री, तेलंगाना के गवर्नर श्री विरसानोला श्रीनिवास गौड़ भी उपस्थित थे।


इसके अलावा इस मौके पर तेलुगु फिल्म अभिनेता श्री वेंकटेश, श्री महेश बाबू और फिल्म निर्देशक, श्री राघवेन्द्र राव सहित विभिन्न क्षेत्रों के कई प्रमुख लोग भी मौजूद थे।


उपराष्‍ट्रपति की पत्‍नी श्रीमती उषाम्‍मा, मुप्‍पावरापु फाउंडेशन के प्रबंध न्‍यासी श्री हर्षवर्धन और स्‍वर्ण भारत ट्रस्‍ट की प्रबंध न्‍यासी श्रीमती दीपा वेंकेट भी इस अवसर पर उपस्थि‍ थीं।


भारत की ऊर्जा नीति रिपोर्ट की समीक्षा लॉन्च की गई

केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान, केन्द्रीय कोयला, खान और संसदीय मामलों के मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी, केन्द्रीय ऊर्जा और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राज कुमार सिंह, नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री राजीव कुमार, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के कार्यकारी निदेशक एवं राजदूत डॉ. फतेह बिरोल तथा नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत ने आज नई दिल्ली में संयुक्त रूप से भारत की ऊर्जा नीति रिपोर्ट की समीक्षा लॉन्च किया। यह समीक्षा रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) द्वारा तैयार की गई है।


श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने डॉ. फतेह बिरोल और  उनकी आईईए की टीम को भारत के ऊर्जा क्षेत्र के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट बनाने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि कि रिपोर्ट में कही गई बातें प्रधानमंत्री के ऊर्जा विजन को हासिल करने की दिशा में किए गए महत्वपूर्ण कार्यों की पुष्टि करती हैं। ऊर्जा विजन के महत्वपूर्ण घटक हैं – ऊर्जा तक पहुंच, ऊर्जा दक्षता, ऊर्जा का दीर्घावधि प्रयोग और ऊर्जा सुरक्षा। ऊर्जा न्याय, ऊर्जा विजन के केन्द्र में है।


श्री प्रधान ने कहा कि भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है। भारत अपने ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़े बदलाव के दौर में है। सरकार की ऊर्जा नीतियां स्पष्ट रूप से दिखाती हैं कि हम जिम्मेदारी के साथ तथा दीर्घावधि उपयोग को ध्यान में रखते हुए इस ऊर्जा बदलाव को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है।


श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि 2015 से भारत सरकार द्वारा शुरू की गई कई पहलों ने भारत की स्थायी ऊर्जा के प्रति प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया है। “एक विकासशील देश के रूप में हमारी प्रमुख चुनौती ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करना है। देश की प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत वैश्विक औसत से कम है। भारत ने हाल के वर्षों में आधुनिक ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच प्राप्त करने की दिशा में काफी प्रगति की है। इसमें शामिल है – लोगों के लिए खाना पकाने का स्वच्छ ईंधन, बिजली एवं किफायती, सुरक्षित और स्वच्छ ऊर्जा की उपलब्धता। सभी के  लिए ऊर्जा संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 7 (एसडीजी-7) है। इस दिशा में देश में हुई प्रगति को समीक्षा रिपोर्ट में उचित स्थान दिया गया है। रिपोर्ट में आने वाले दिनों की मुख्य चुनौतियों को भी स्पष्ट किया गया है।


उज्ज्वला योजना के बारे में श्री प्रधान ने कहा कि देश के सुदूर क्षेत्रों में भी स्वच्छ ईंधन उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। एलपीजी को प्रोत्साहन देने से संबंधित अपने अनुभव को हम अफ्रीका और एशिया के देशों के साथ साझा कर रहे हैं। हमें लंबी दूरी तय करनी है और हमें यह सुनिश्चित करना है कि योजनाओं का क्रियान्वयन देश के सभी हिस्सों तक समान रूप से हो।


श्री प्रधान ने कहा कि भारत का गैस आधारित अर्थव्यवस्था में बदलाव, स्वदेश में उत्पादित जैव ईंधन, नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता उपायों से कार्बन उत्सर्जन की मात्रा में महत्वपूर्ण कमी आएगी। हमारा प्रयास है कि तेल और गैस आधारित अवसंरचना का निर्माण किया जाए और सभी नागरिकों को किफायती ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। रिपोर्ट में इस बात की तस्दीक की गई है कि भारत गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है।


श्री प्रधान ने कहा कि तेल और गैस ढांचागत संरचना के लिए 100 बिलियन डॉलर के निवेश की योजना तैयार की गई है। गैस पाइपलाइन नेटवर्क देश के एक कोने को दूसरे कोने - पश्चिमी भारत के कच्छ से पूर्वी भारत के कोहिमा तक और उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक - से जोड़ेगी। पूर्वोत्तर क्षेत्र के 8 देशों में 1656 किलोमीटर लंबी गैस पाइप लाइन बिछाई जाएगी। पूर्वोत्तर गैस ग्रिड परियोजना के तहत तैयार होने वाली इस गैस पाइप लाइन का अनुमानित लागत 9265 करोड़ रुपये है और सरकार ने पूंजीगत अनुदान/ संभावना अंतर कोष के रूप में लागत की 60 प्रतिशत धनराशि देने की मंजूरी दी है।


श्री प्रधान ने कहा कि 400 से अधिक जिलों में सरकार सिटी गैस वितरण नेटवर्क का निर्माण करेगी। यह नेटवर्क भारत के 50 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र को कवर करेगा और इस नेटवर्क से 72 प्रतिशत आबादी को स्वच्छ और किफायती गैस की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। प्राकृतिक गैस पर एक कार्यशाला का आयोजन 23 जनवरी को नई दिल्ली में होगा। इस कार्यशाला में सभी हितधारक भाग लेंगे। श्री प्रधान ने कहा कि इन पहलों से मुझे विश्वास है कि भारत के गैस क्षेत्र का परिदृश्य बदल जाएगा।


श्री प्रधान ने कहा कि रिपोर्ट में ऊर्जा सुरक्षा को महत्वपूर्ण नीति प्राथमिकता के रूप में सरकार द्वारा मान्यता देने की बात कही गई है। आईईए ने भारत की तेल आपात्त प्रतिक्रिया नीति को लागू करने के लिए अनुशंसाएं की है। वैश्विक तेल सुरक्षा के मामलों पर देश अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। ऊर्जा विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के केन्द्र में रही है। वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में भारत एक महत्वपूर्ण रणनीतिक देश के रूप में स्थापित हुआ है। 


तेल स्रोतों की विभिन्नताओं और ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के विकास के बारे में श्री प्रधान ने कहा कि हम तेजी से इस रास्ते पर बढ़ रहे हैं। देश 2030 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित करने और डीजल में 5 प्रतिशत बायो-डीजल मिश्रित करने का लक्ष्य हासिल कर लेगा। राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति में अपशिष्ट से संपत्ति निर्माण को विशेष महत्व दिया गया है। हमारा लक्ष्य कृषि अवशेषों एवं घरों से निकलने वाले अपशिष्टों से विभिन्न प्रकार के जैव ईंधन तैयार करना है।


उन्होंने कहा कि हमने निवेश अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए हैं। आईईए ने उल्लेख किया है कि 2015 से 2018 के दौरान भारत के ऊर्जा क्षेत्र में किया गया निवेश दुनिया का दूसरा सबसे अधिक निवेश है। हमें इस बात की खुशी है कि विश्व की जानी-मानी तेल व गैस कंपनियों जैसे – साउदी अरामको, एडीएनओसी, बीपी, शेल, टोटल, रोजनैफ्ट, एक्जॉन मोबिल की भारत में महत्वपूर्ण उपस्थिति है।


भारतीय रेलवे वर्ष 2021-22 तक लगभग 1000 मेगावाट सौर ऊर्जा हासिल करेगी

भारतीय रेलवे ने समस्‍त जोनल रेलवे और उत्‍पादन यूनिटों में वर्ष 2021-22 तक क्रमबद्ध रूप से लगभग 1000 मेगावाट सौर ऊर्जा और तकरीबन 200 मेगावाट पवन ऊर्जा हासिल करने की योजना बनाई है। इनमें से 500 मेगावाट की क्षमता वाले सौर संयंत्र रेलवे की इमारतों की छतों पर लगाए जाएंगे, जिनका इस्‍तेमाल रेलवे स्‍टेशनों पर गैर-कर्षण भार की पूर्ति करने में किया जाएगा। जमीन पर अवस्थित लगभग 500 मेगावाट की क्षमता वाले सौर संयंत्रों का उपयोग कर्षण एवं गैर-कर्षण दोनों ही तरह की आवश्‍यकताओं को पूरा करने में किया जाएगा।


दक्षिण मध्‍य रेलवे दरअसल उन कई उपायों को सक्रियतापूर्वक कार्यान्वित करने वाले विभिन्‍न रेलवे जोन में से एक है जिनका उद्देश्‍य नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग कर ऊर्जा संरक्षण करना है। इस दिशा में उठाए गए प्रमुख कदमों के तहत समस्‍त जोन में अवस्थित स्‍टेशनों, सर्विस बिल्डिंग, एलसी गेट पर सोलर पैनल लगाए गए हैं। इस कदम को अगले स्‍तर पर ले जाने के लिए पहली बार दक्षिण मध्‍य रेलवे के किसी विशेष अनुभाग में आने वाले सभी स्‍टेशनों को एक खंड पर सोलर पैनल उपलब्‍ध कराए गए हैं, ताकि प्राकृतिक ऊर्जा का दोहन हो सके।


गुंटकल डिवीजन के नांदयाल-येरागुंटला अनुभाग को दक्षिण-मध्य रेलवे का प्रथम सौर अनुभाग घोषित किया गया है। नांदयाल-येरागुंटला अनुभाग दरअसल रेलवे द्वारा बिछाई गई एक नई रेल लाइन है, जिसे वर्ष 2016 में यात्रियों के आवागमन के लिए खोला गया है, ताकि रेल कनेक्टिविटी मुहैया कराते हुए अंदरूनी इलाकों को रेलवे के मानचित्र पर लाया जा सके। इस अनुभाग के सभी 8 स्‍टेशनों यथा मद्दुरू, बानगानापल्ले, कोइलाकुंटला, संजमला, नौसाम, एस. उप्पलापाडु, जम्‍मालामाडुगु और प्रोडदुतुर को सोलर पैनल उपलब्‍ध करा दिए गए हैं जो इन रेलवे स्‍टेशनों की समस्‍त ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति करने में सक्षम हैं।  


सौर संयंत्रों पर आपस में संबद्ध कुल भार औसतन 30 केडब्‍ल्‍यूपी है। कुल मिलाकर इन सभी स्‍टेशनों पर 152 सोलर पैनल लगाए गए हैं।


भारतीय रेलवे के अंतर्गत 16 स्‍टेशनों को पहले ही ग्रीन रेलवे स्‍टेशनों के रूप में घोषित किया जा चुका है, जो या तो सौर ऊर्जा या पवन ऊर्जा के जरिए ऊर्जा संबंधी जरूरतों की पूर्ति कर रहे हैं। ये स्टेशन मध्य रेलवे में रोहा, पेन, अप्टा; पूर्वी मध्य रेलवे में नियामतपुर हाल्ट, कन्हाईपुर हाल्ट, टेका बीघा हाल्ट, माई हाल्ट, गरसंडा हाल्‍ट, नियाजीपुर हाल्ट, धमरघाट; उत्तरी रेलवे में श्री माता वैष्णो देवी, शिमला और पश्चिमी रेलवे में उन्हेल, खंडेरी, बाजुद, अंबली रोड, सदनपुरा तथा सचिन हैं, जो 100 प्रतिशत हरित ऊर्जा संचालित स्‍टेशन हैं।      



निर्यातकों की चुनौतियों के समाधान के लिए एसईजेड नीति को नया रूप

वाणिज्‍य और उद्योग तथा रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कल नई दिल्‍ली में विशेष आ‍र्थिक क्षेत्र (एसईजेड) नीति पर बाबा कल्‍याणी समिति की रिपोर्ट की शेष सिफारिशों की समीक्षा के लिए हुई बैठक की अध्‍यक्षता की। बैठक में बाबा कल्‍याणी समिति के सदस्‍य तथा राजस्‍व विभाग, विधि विभाग तथा विधि प्रतिष्‍ठानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।


      वाणिज्‍य और उद्योग मंत्री ने भारतीय निर्यातकों की वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए एसईजेड नीति को नया रूप देने की समीक्षा की। बैठक में वर्तमान वैश्विक बाजार की स्थिति को देखते हुए व्‍यावसायिक सुगमता को सहज बनाने के उद्देश्‍य से शेष सिफारिशों को लागू करने के तरीकों पर भी चर्चा हुई।


      सिफारिशों में ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के मद्देनजर एनएफई की गणना में विशेषताओं की समीक्षा, विशेष स्‍वीकृति के बदले अनुमति दी गई इकाइयों के बीच शुल्‍क मुक्‍त परिसंपत्तियों/अवसंरचना को साझा करन, इन्‍क्‍लेवों के लिए गैर-अधिसूचना प्रक्रिया को औपचारिक बनाना तथा इसे एसईजेड के विशेष प्रायोजन के वर्तमान प्रावधान से अलग करना शामिल है। क्रियान्‍वयन की अन्‍य सिफारिशों में मैन्‍युफैक्‍चरिंग जोन की सर्विस को समर्थन, मैन्यु्फैक्चरिंग सक्षम सेवा कंपनियों को अनुमति, विविध सेवाओं को अनुमति के लिए सेवा की परिभाषा को व्‍यापक बनाना, राज्‍य की नीतियों के अनुसार जोन के हितधारकों के साथ दीर्घकालिक पट्टा समझौता करने में लचीलापन तथा एसईजेड की अधिसूचना की तिथि से 10 वर्ष से आगे की अवधि में डेवलपर या को-डेवलपर द्वारा बिल्‍डअप एरिया में कम से कम निर्माण के लिए आवेदन शामिल हैं।


        एसईजेड के लिए अन्‍य कदमों में एक जोन से हटाकर एसईजेड इकाई को दूसरे जोन में जाने के लिए विकास आयुक्‍त को शक्तियां प्रदान की गईं। विदेशी मुद्रा या एनएफई में गिनती किए गए भारतीय रुपये के बदले डीटीए में सर्विस सप्‍लाई, एसईजेड में इकाई लगाने की अनुमति, कैफेटेरिया, जिम्नेज़ीअम, क्रेच तथा अन्‍य सुविधाओं के लिए विश्‍वास का माहौल बनाना।


      वाणिज्‍य और उद्योग मंत्रालय ने बाबा कल्‍याणी समिति का गठन किया था। इसका उद्देश्‍य भारत की एसईजेड नीति का अध्‍ययन करना था। समिति ने नवम्‍बर, 2018 में अपनी सिफारिशें प्रस्‍तुत कीं। समिति का उद्देश्‍य एसईजेड नीति का मूल्‍यांकन करना और इसे डब्‍ल्‍यूटीओ मानकों के अनुरूप बनाना, एसईजेड में खाली पड़ी जमीन के अधिकतम उपयोग के उपाय सुझाना, अंतर्राष्‍ट्रीय अनुभवों के आधार पर एसईजेड नीति में परिवर्तन का सुझाव देना तथा तटीय आर्थिक क्षेत्रों, दिल्‍ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर, राष्‍ट्रीय औद्योगिक मैन्‍युफैक्‍चरिंग क्षेत्र तथा फूड और टेक्‍सटाइल पार्क जैसी सरकार की योजनाओं के साथ एसईजेड नीति का विलय करना था।


      यदि भारत को 2025 तक पांच ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनना है तो मैन्यु्फैक्चरिंग स्‍पर्धा तथा सेवाओं के वर्तमान माहौल को बुनियादी रूप में बदलना होगा। स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल, वित्‍तीय सेवाओं, विधि, मरम्‍मत तथा डिजाइन सेवाओं जैसे क्षेत्रों में आईटी तथा आईटीई जैसे सेवा क्षेत्र की सफलताओं को प्रोत्‍साहित करना होगा।


      भारत सरकार ने अग्रणी मेक इन इंडिया कार्यक्रम के हिस्‍से के रूप में 2022 तक 100 मिलियन रोजगार सृजन करने तथा मैम्‍युफैक्‍चरिंग क्षेत्र से जीडीपी का 25 प्रतिशत प्राप्‍त करने का लक्ष्‍य तय किया है। सरकार की योजना 2025 तक मैन्यु्फैक्चरिंग मूल्‍य को बढ़ाकर 1.2 ट्रिलियन डॉलर करना है। यद्यपि यह योजना भारत को विकास पथ पर ले जाएंगी, लेकिन मैन्‍युफैक्‍चरिंग क्षेत्र को गति देने के लिए वर्तमान नीति रूपरेखा का मूल्‍यांकन आवश्‍यक है। साथ-साथ नीति को डब्‍ल्‍यूटीओ विनियमों के अनुरूप बनाना होगा।