Saturday, January 11, 2020

प्रधानमंत्री 11 और 12 जनवरी को कोलकाता के आधिकारिक दौरे पर रहेंगे

 


प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी 11 और 12 जनवरी 2020 को कोलकाता के दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर रहेंगे।


ऐतिहासिक इमारतों को राष्‍ट्र को समर्पित किया जाना


प्रधानमंत्री 11 जनवरी को कोलकाता में जीर्णोद्धार वाली चार ऐतिहासिक इमारतें राष्‍ट्र को समर्पित करेंगे।


इन इमारतों में पुराना करेंसी भवन, बेल्‍वेडिअर हाउस, मेटकाफ हाउस और विक्‍टोरिया मेमोरियल हॉल शामिल है। केन्‍द्रीय संस्‍कृति मंत्रालय ने इन चार ऐतिहासिक इमारतों का जीर्णोद्धार किया है। इस प्रक्रिया में इन इमारतों के ऐतिहासिक स्‍वरूप को ज्‍यों का त्‍यों बनाये रखा गया है। 


मंत्रालय, प्रधानमंत्री के निर्देश पर देश भर में महानगरों की प्रमुख ऐतिहासिक इमारतों के आस-पास सांस्‍कृतिक आयोजनों के लिए स्‍थान बना रहा है। इसकी शुरुआत कोलकाता,दिल्‍ली,मुंबई,अहमदाबाद और वाराणसी से की गई है।


कोलकाता पोर्ट ट्रस्‍ट के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्‍य में समारोह का आयोजन


प्रधानमंत्री 11 और 12 जनवरी को कोलकाता पोर्ट ट्रस्‍ट के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्‍य में आयोजित समारोह में भाग लेंगे। इस अवसर पर वे ट्रस्‍ट के मौजूदा और सेवानिवृत कर्मचारियों के पेंशन कोष में कमी की भरपाई के लिए 501 करोड़ रूपये का चेक देंगे। 


एक यादगार कार्यक्रम में प्रधानमंत्री कोलकाता पोर्ट ट्रस्‍ट के 105 और 100 वर्ष आयु के दो वयोवृद्ध कर्मचारी श्री नगीना भगत और श्री नरेश चन्‍द्र चक्रबर्ती को सम्‍मानित करेंगे। वे इस अवसर पर पोर्ट ट्रस्‍ट से जुड़ा एक विशेष गीत भी जारी करेंगे। प्रधानमंत्री पोर्ट ट्रस्‍ट के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्‍य में उसकी पुरानी जेट्टी के स्‍थान पर एक प‍ट्टिका का अनावरण करेंगे। श्री मोदी नेताजी सुभाष ड्राई डाक पर जहाज निर्माण और मरम्‍मत केन्‍द्र का भी उद्धाटन करेंगे जिसे हाल ही में नया रूप दिया गया है।     


श्री मोदी सामानों की सुगम आवाजाही के लिए पोर्ट में फुल रेक हैंडलिंग सुविधा का उद्धाटन और उन्‍नत बनायी गयी रेलवे अवसंरचना राष्‍ट्र को समर्पित करेंगे। प्रधानमंत्री हल्दिया डॉक परिसर में बर्थ नबंर 3 में मशीन संचालित सुविधाओं और एक प्रस्‍तावित रिवरफ्रंट विकास योजना का भी शुभारंभ करेंगे।


   श्री मोदी सुंदरबन की 200 आदिवासी छात्राओं के लिए प्रीतिलता छत्री में एक कौशल विकास केन्‍द्र का उद्धाटन करेंगे। यह कोलकाता पोर्ट ट्रस्‍ट और पूर्वांचल कल्याण आश्रम, गोसाबा की संयुक्‍त परियोजना है।



आरओसी स्‍टार इन्‍वेस्‍टमेंट ट्रस्‍ट ने स्‍नोड्रॉप कैपिटल पीटीई लिमिटेड से स्‍टार हेल्‍थ एंड एलायड इंश्‍योरेंस कंपनी लिमिटेड के इक्विटी शेयर खरीदे  

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने निम्नलिखित ग्रीन चैनल संयोजन प्राप्त किया है जिसे प्रतिस्‍पर्धा अधिनियम, 2002 (अधिनियम) की धारा 6 की उप-धारा (2) के तहत दाखिल किया गया है और जिसे भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (संयोजन से संबंधित कारोबारी सौदे के संबंध में प्रक्रिया) नियमन, 2011  (संयोजन नियमन) के नियम 5ए के साथ पढ़ें: आरओसी स्टार इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (अधिग्रहणकर्ता/आरओसी) द्वारा स्नोड्रॉप कैपिटल पीटीई लिमिटेड (प्रस्‍तावित संयोजन) से स्टार हेल्थ एंड एलायड इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की इक्विटी शेयर पूंजी का अधिग्रहण। यह अधिसूचना आरओसी स्टार इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (अपनी अभिरक्षक पर्पेचुअल कॉरपोरेट ट्रस्‍ट लिमिटेड के जरिए कार्यरत) द्वारा स्‍टार हेल्‍थ के 2.39 प्रतिशत इक्विटी शेयरों का अधिग्रहण किए जाने से संबंधित है। प्रस्‍तावित संयोजन हो जाने के बाद आरओसी को स्‍टार हेल्‍थ में कुछ विशेष अधिकार प्राप्‍त होंगे जिनमें गैर-नियंत्रणकारी वीटो अधिकार भी शामिल होंगे।


      अधिग्रहणकर्ता एक निवेश उद्यम या कंपनी है जिसका प्रबंधन आरओसी कैपिटल पीटीवाई लिमिटेड कर रही है, जो एक ऑस्‍ट्रेलियाई निवेश प्रबंधन कंपनी है।  यहां जो लक्ष्‍य है उसे सामान्‍य बीमा व्‍यवसाय के संचालन के लिए भारत के बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) से एक सामान्‍य बीमा कंपनी के रूप में लाइसेंस प्राप्‍त है। यह वर्तमान में स्‍वास्‍थ्‍य बीमा के व्‍यवसाय में संलग्‍न है और व्‍यक्तिगत दुर्घटना बीमा एवं मेडिक्‍लेम के साथ-साथ विदेश यात्रा बीमा भी करती है।


      प्रस्‍तावित शेयर अधिग्रहण का सार  https://www.cci.gov.in/sites/default/files/notice_order_summary_doc/C-2020-1-716.pdf पर उपलब्‍ध है। 


      अधिनियम की धारा 6 की उप-धारा (2) के तहत दाखिल, जिसे संयोजन नियमन (अर्थात ग्रीन चैनल के तहत प्रस्‍तावित संयोजन को मंजूरी के लिए नोटिस) के साथ पढ़ें, किए जाने वाले प्रस्‍ताव के बारे में यह माना जाएगा कि इसे दाखिल करने एवं इससे जुड़ी पावती प्राप्‍त होने पर मंजूरी मिल गई है।



दिल्‍ली-राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र विधानसभा चुनाव, 2020 - जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 में निर्दिष्ट अवधि के दौरान मीडिया कवरेज

दिल्‍ली-राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) विधानसभा चुनाव 2020 कराने का कार्यक्रम 06 जनवरी, 2020 को घोषित कर दिया गया है। यहां मतदान एक ही चरण में 08 फरवरी, 2020 को आयोजित किया जाना है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के तहत किसी निर्वाचन क्षेत्र में मतदान समापन के लिए निर्धारित समय से 48 घंटे पहले की अवधि के दौरान टेलीविजन या इसी तरह के इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरण के माध्यम से किसी भी तरह की चुनावी सामग्री को प्रदर्शित करने की मनाही है। उक्त धारा 126 के संबंधित अंश नीचे पुन: प्रस्‍तुत किए गए हैं :


(126. मतदान के समापन के लिए निर्धारित 48 घंटे की अवधि के दौरान सार्वजनिक बैठक की मनाही -



  1. कोई भी व्यक्ति -


(क).....................


(ख) सिनेमैटोग्राफ, टेलीविजन या इसी तरह के अन्य इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरण के माध्यम से जनता के समक्ष किसी भी चुनावी सामग्री को प्रदर्शित नहीं करेगा।


(ग)........................


मतदान क्षेत्र में किसी भी चुनाव के लिए मतदान के समापन के लिए निर्धारित समय के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटे की अवधि के दौरान किसी भी मतदान क्षेत्र में।



  1. कोई भी व्यक्ति जो उप-धारा (1) के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, उसे उतनी अवधि के लिए जेल की सजा दी जाएगी, जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों एक साथ हो सकते हैं।

  2. इस धारा में, "चुनावी सामग्री" का अर्थ है किसी चुनाव के नतीजे को प्रभावित करने के उद्देश्‍य वाली सामग्री)

  3. चुनावों के दौरान टीवी चैनलों द्वारा अपनी पैनल परिचर्चा/बहस और अन्य समाचारों और समसामयिक कार्यक्रमों के प्रसारण में कभी-कभी जनप्रतिनिधित्व (आरपी) अधिनियम, 1951 की धारा 126 के प्रावधानों के उल्लंघन के आरोप लगाए जाते हैं। आयोग ने अतीत में स्पष्ट किया है कि उक्त धारा 126 के तहत टेलीविजन या इसी तरह के इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरण के माध्यम से किसी निर्वाचन क्षेत्र में मतदान के समापन के लिए निर्धारित समय के साथ समाप्त होने वाली 48 घंटों की अवधि के दौरान किसी भी चुनावी सामग्री को प्रदर्शित करने की मनाही है। इस धारा में दी गई परिभाषा के अनुसार "चुनावी सामग्री" से आशय ऐसी सामग्री से है, जिसका उद्देश्‍य चुनाव के नतीजे को प्रभावित करना है। धारा 126 के उपर्युक्‍त प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दो वर्ष की अवधि तक कारावास या जुर्माना या दोनों एक साथ हो सकते हैं।

  4. आयोग ने एक बार फिर दोहराया है कि टीवी/रेडियो चैनल और केबल नेटवर्क/इंटरनेट वेबसाइट/सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि धारा 126 में निर्दिष्‍ट 48 घंटे की अवधि के दौरान उनके द्वारा प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रमों में पैनलिस्ट/प्रतिभागियों के विचार/अपील सहित ऐसी कोई भी सामग्री शामिल नहीं है, जिसका उद्देश्‍य किसी विशेष पार्टी या उम्मीदवार की संभावना को बढ़ावा देना/उसके प्रति पूर्वाग्रह या चुनाव के नतीजे को प्रभावित करना है। इसमें अन्य बातों के अलावा किसी भी जनमत सर्वेक्षण और मानक वाद-विवाद, विश्लेषण, दृश्य और साउंड-बाइट का प्रदर्शन करना शामिल होगा।

  5. इस संबंध में, आरपी अधिनियम 1951 की धारा 126ए की ओर भी ध्यान आकृष्‍ट किया गया है, जिसके तहत एक्जिट पोल कराने और दोनों राज्यों में निर्धारित अवधि अर्थात मतदान शुरू होने के लिए तय समय और मतदान समापन के लिए निर्धारित समय के बाद आधे घंटे की अवधि के दौरान इसके नतीजों का प्रचार-प्रसार करने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

  6. जो अवधि धारा 126 द्वारा कवर नहीं की गई है, उस अवधि के दौरान संबंधित टीवी/रेडियो/केबल/एफएम चैनल/इंटरनेट वेबसाइट/सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म प्रसारण/टेलीकास्ट से संबंधित किसी भी ऐसे आयोजन (एक्जिट पोल के अतिरिक्‍त) के संचालन हेतु आवश्यक अनुमति के लिए राज्य/जिले/स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र हैं, जो आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा केबल नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम के तहत शालीनता, सांप्रदायिक सद्भाव बनाये रखने इत्‍यादि के संबंध में निर्धारित कार्यक्रम कोड के अनुरूप होना चाहिए। सभी इंटरनेट वेबसाइटों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को भी अपने प्लेटफॉर्म पर सभी राजनीतिक सामग्री के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और ईसीआई दिशा-निर्देश संख्‍या-491/एसएम/2013/पत्र व्‍यवहार, दिनांक 25 अक्टूबर 2013, के प्रावधानों का भी पालन करना चाहिए। जहां तक राजनीतिक विज्ञापन का सवाल है, इन्‍हें आयोग की आदेश संख्या 509/75/2004/जेएस-1, दिनांक 15 अप्रैल, 2004 के अनुसार राज्य/जिला स्तर पर गठित समितियों से पूर्व-प्रमाणन लेने की आवश्यकता है।

  7. चुनाव के दौरान पालन करने के लिए भारतीय प्रेस परिषद द्वारा जारी किए गए निम्नलिखित दिशा-निर्देशों की ओर सभी प्रिंट मीडिया का भी ध्यान आकृष्‍ट किया गया है:


1) चुनाव और उम्मीदवारों के बारे में वस्तुनिष्ठ रिपोर्ट देना प्रेस का कर्तव्य होगा। समाचार पत्रों से अनुचित चुनाव अभियानों में शामिल होने, चुनाव के दौरान किसी भी उम्मीदवार/पार्टी या घटना के बारे में अतिरंजित रिपोर्ट दिए जाने की अपेक्षा नहीं की जाती है। व्यावहारिक रूप से ऐसे दो या तीन उम्मीदवार सभी मीडिया का ध्यान आकर्षित करते हैं जिनके बीच कांटे की टक्‍कर होती है। किसी भी समाचार पत्र को वास्तविक चुनाव अभियान पर रिपोर्टिंग करते समय किसी उम्मीदवार द्वारा उठाए गए किसी भी महत्वपूर्ण बिंदु को नहीं छोड़ना चाहिए और उसके प्रतिद्वंद्वी पर हमला करना चाहिए।


2) चुनाव नियमों के तहत सांप्रदायिक या जातिगत तरीके से चुनाव प्रचार करने पर प्रतिबंध लगाया जाता है। इसलिए, प्रेस को उन रिपोर्टों से बचना चाहिए, जो धर्म, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर लोगों के बीच दुश्मनी या नफरत की भावनाओं को बढ़ावा देती हैं।


3) चुनाव में किसी भी उम्मीदवार के व्यक्तिगत चरित्र और आचरण के संबंध में या किसी भी उम्मीदवार या उसकी उम्मीदवारी को वापस लेने या चुनाव में उस उम्मीदवार की संभावनाओं के प्रति पूर्वाग्रह के संबंध में प्रेस को गलत या आलोचनात्मक बयान प्रकाशित करने से बचना चाहिए। प्रेस को किसी भी उम्मीदवार/पार्टी के खिलाफ गैर सत्‍यापित आरोपों को प्रकाशित नहीं करना चाहिए।


4) प्रेस को किस उम्मीदवार/पार्टी को उभारने के लिए किसी भी प्रकार का वित्‍तीय या अन्‍य कोई प्रलोभन स्वीकार नहीं करना चाहिए। प्रेस को किसी भी उम्मीदवार/पार्टी की ओर से प्रस्‍तावित आतिथ्य या अन्य सुविधाओं को स्वीकार नहीं करना चाहिए।


5) प्रेस से किसी विशेष उम्मीदवार/पार्टी के प्रचार में शामिल होने की अपेक्षा नहीं की जाती है। यदि ऐसा होता है, तो यह दूसरे उम्मीदवार/पार्टी को जवाब देने के अधिकार की अनुमति देगा।


6) प्रेस को किसी पार्टी/सत्‍तारूढ़ सरकार की उपलब्धियों के बारे में सरकारी खर्च पर किसी भी विज्ञापन को स्वीकार/प्रकाशित नहीं करना चाहिए।


7) प्रेस को निर्वाचन आयोग/रिटर्निंग अधिकारियों या मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा समय-समय पर जारी किए जाने वाले सभी दिशा-निर्देशों/आदेशों/निर्देशों का पालन करना चाहिए।


7. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का ध्यान एनबीएसए द्वारा दिनांक 3 मार्च, 2014 को जारी किए गए "चुनाव प्रसारण के लिए दिशानिर्देशों" की ओर आकर्षित किया जाता है।


1) समाचार प्रसारकों को प्रासंगिक या संबंधित चुनावी सामग्री, राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों, अभियान के मुद्दों के साथ-साथ उन मतदान प्रक्रियाओं के बारे में निष्पक्ष तरीके से जनता को सूचित करने का प्रयास करना चाहिए, जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत और भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित नियमों और विनियमों के अनुसार तय की जाती हैं।


2) समाचार चैनल किसी भी राजनीतिक संबद्धता, चाहे वह किसी भी पार्टी या उम्मीदवार के प्रति हो, का खुलासा करेंगे। जब तक वे सार्वजनिक रूप से किसी विशेष पार्टी या उम्मीदवार का समर्थन नहीं करते हैं, तब तक समाचार प्रसारकों का कर्तव्य है कि वे खासकर अपनी चुनावी रिपोर्टिंग में संतुलित और निष्पक्ष हों।


3) समाचार प्रसारकों को अफवाह, आधारहीन अटकलों और दुष्प्रचार के सभी रूपों से बचने का प्रयास करना चाहिए, खासकर जब ये विशिष्ट राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों से संबंधित हों। किसी भी उम्मीदवार/राजनीतिक पार्टी, जिसे बदनाम किया गया हो या गलतबयानी या गलत सूचना का शिकार हुआ हो अथवा सूचना प्रसारण के जरिए इसी तरह के अन्‍य आघात का सामना किया हो, को तत्‍काल गलती सुधारनी चाहिए और आवश्‍यकता पड़ने पर अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाना चाहिए।


4) समाचार प्रसारकों को उन सभी राजनीतिक और वित्तीय दबावों का विरोध करना चाहिए जो चुनाव और चुनाव संबंधी मामलों की कवरेज को प्रभावित कर सकते हैं।


5) समाचार प्रसारकों को अपने समाचार चैनलों पर प्रस्‍तुत किए गए संपादकीय और विशेषज्ञ राय के बीच स्पष्ट अंतर को बनाए रखना चाहिए।


8. इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) ने भी लोक सभा के लिए आम चुनाव 2019 के दौरान चुनावी प्रक्रिया में सत्‍यनिष्‍ठा को बनाए रखने के उद्देश्‍य से अपने प्लेटफॉर्मों का स्वतंत्र, निष्पक्ष और नैतिक उपयोग सुनिश्चित करने हेतु इसमें भाग लेने वाले सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के लिए "स्वैच्छिक आचार संहिता" बनाई है। जैसा कि आईएएमएआई द्वारा सहमति व्यक्त की गई है, दिनांक 23.09.2019 का पत्र देखें, सभी चुनावों के दौरान "स्वैच्छिक आचार संहिता" का पालन किया जाएगा। तदनुसार, यह संहिता हरियाणा एवं महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों और विभिन्न संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों तथा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए एक साथ हो रहे उपचुनावों और सभी भावी चुनावों में भी लागू होगी। सभी संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का ध्यान "स्वैच्छिक आचार संहिता" दिनांक 20 मार्च, 2019 की ओर आकृष्‍ट किया गया है:-



  1. जहां तक उपयुक्त और संभव हो, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए प्रतिभागी अपने उत्पादों और/या सेवाओं पर चुनावी सामग्री के बारे में जानकारी को सुविधाजनक बनाने के लिए उपयुक्त नीतियों और प्रक्रियाओं को अपनाने का प्रयास करेंगे।

  2. प्रतिभागी चुनावी कानूनों और अन्य संबंधित निर्देशों सहित जागरूकता पैदा करने के लिए स्वेच्छा से सूचना, शिक्षा और संचार अभियान शुरू करने का प्रयास करेंगे। प्रतिभागी उत्पादों/सेवाओं पर ईसीआई के नोडल अधिकारी को प्रशिक्षण देने का भी प्रयास करेंगे, जिसमें कानूनी प्रक्रिया के अनुसार अनुरोध भेजने की व्‍यवस्‍था भी शामिल है।

  3. प्रतिभागियों और भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने एक अधिसूचना तंत्र विकसित किया है जिसके द्वारा ईसीआई, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के संभावित उल्लंघनों और स्थापित प्रक्रियाओं के अनुसार अन्य लागू चुनावी कानूनों के प्रासंगिक प्लेटफार्मों को अधिसूचित कर सकता है। सिन्‍हा समिति की सिफारिशों के अनुसार धारा 126 के तहत किसी भी तरह के उल्‍लंघन के बारे में जानकारी मिलने के 3 घंटे के भीतर इन वैध कानूनी आदेशों को माना जाएगा और/अथवा प्रोसेसिंग की जाएगी। संबंधित उल्‍लंघन के स्‍वरूप को ध्‍यान में रखते हुए प्रतिभागियों द्वारा सभी अन्‍य वैध कानूनी अनुरोधों पर त्‍वरित कार्रवाई की जाएगी।

  4. प्रतिभागी ईसीआई के लिए उच्च प्राथमिकता वाले समर्पित रिपोर्टिंग तंत्र का निर्माण/कार्यान्‍वयन कर रहे हैं और निर्धारित कानूनी प्रक्रिया के बाद ईसीआई से इस तरह के वैध अनुरोध प्राप्त होने पर त्वरित कार्रवाई करने में सहायता के लिए आवश्‍यक जानकारियों के आदान-प्रदान हेतु आम चुनावों की अवधि के दौरान समर्पित व्यक्तियों की नियुक्ति/टीमों का गठन करते हैं।

  5. इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) के माध्यम से प्रतिभागियों को ईसीआई से प्राप्त वैध अनुरोध के अनुरूप प्रतिभागी अपने-अपने प्लेटफॉर्मों के दुरुपयोग को रोकने के लिए अपने द्वारा किए गए उपायों पर अद्यतन प्रस्‍तुत करेंगे।

  6. आईएएमएआई इस संहिता के तहत उठाये गये कदमों पर प्रतिभागियों के साथ समन्‍वय करेगी और आईएएमएआई के साथ-साथ प्रतिभागी भी चुनाव अवधि के दौरान ईसीआई के साथ निरंतर संचार जारी रखेंगे।


सभी संबंधित मीडिया को उपर्युक्त दिशा-निर्देशों का विधिवत अनुपालन करना चाहिए।



भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अधिकृत शाखाओं पर चुनावी बॉण्डों की बिक्री

भारत सरकार ने 02 जनवरी, 2018 को राजपत्र अधिसूचना संख्‍या 20 के जरिए चुनावी बॉण्ड योजना 2018 को अधिसूचित किया है। योजना के प्रावधानों के अनुसार चुनावी बॉण्‍ड की खरीद ऐसे व्‍यक्ति [जैसा कि राजपत्र अधिसूचना के आइटम नम्‍बर 2 (डी) में परिभाषित किया गया है] द्वारा की जा सकती है, जो भारत का नागरिक हो या भारत में निगमित या स्‍थापित हो। व्‍यक्तिगत रूप में कोई भी एक व्‍यक्ति एकल रूप से या अन्‍य व्‍यक्तियों के साथ संयुक्‍त रूप से चुनावी बॉण्‍डों को खरीद सकता है। केवल ऐसे राजनीतिक दल, जो जन प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 (1951 का 43) की धारा 29ए के तहत पंजीकृत हों और जिन्‍होंने पिछले आम लोकसभा चुनावों या राज्‍य विधानसभा चुनावों में डाले गये कुल मतों के एक प्रतिशत से कम मत प्राप्‍त नहीं किये हों, चुनावी बॉण्‍ड प्राप्‍त करने के पात्र होंगे। चुनावी बॉण्‍डों को कोई भी पात्र राजनीतिक दल केवल अधिकृत बैंक के किसी बैंक खाते के माध्‍यम से ही भुना सकेगा।


बिक्री के 13वें चरण में भारतीय स्‍टेट बैंक को अपनी 29 अधिकृत शाखाओं (सूची संलग्न) के माध्‍यम से चुनावी बॉण्‍डों को जारी करने तथा भुनाने के लिए अधिकृत किया गया है, जिसके लिए 13 जनवरी, 2020 से 22 जनवरी, 2020 तक की अवधि तय की गई है।


उल्‍लेखनीय है कि चुनावी बॉण्ड जारी होने की तारीख से लेकर पंद्रह कैलेंडर दिनों के लिए मान्य होंगे और यदि वैधता अवधि समाप्त होने के बाद चुनावी बॉण्ड जमा किया जाता है तो किसी भी भुगतान प्राप्‍तकर्ता राजनीतिक पार्टी को कोई भुगतान नहीं किया जाएगा। किसी भी पात्र राजनीतिक दल द्वारा अपने खाते में जमा किए गए चुनावी बॉण्ड को उसी दिन उसके खाते में डाल दिया जाएगा।