Saturday, January 11, 2020

श्री अमित शाह ने नई दिल्ली में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र का उद्घाटन किया और राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल राष्ट्र को समर्पित किया

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र का उद्घाटन किया और राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल भी राष्ट्र को समर्पित किया। यह अत्याधुनिक केंद्र नई दिल्ली में स्थित है।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की स्थापना की  योजना अनुमानित लागत 415.86 करोड़ रुपये के साथ अक्टूबर 2018 में अनुमोदित की गई थी । यह योजना व्यापक और समन्वित तरीके से सभी प्रकार के साइबर अपराध से निपटने के लिए है। इस योजना के सात घटक हैं, जैसे कि नेशनल साइबर क्राइम थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट, नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल, नेशनल साइबर क्राइम ट्रेनिंग सेंटर, साइबर क्राइम इकोसिस्टम मैनेजमेंट यूनिट, नेशनल साइबर क्राइम रिसर्च एंड इनोवेशन सेंटर, नेशनल साइबर क्राइम फॉरेंसिक लैबोरेट्री ईको सिस्टम और प्लेटफॉर्म फॉर ज्वाइंट साइबर अपराध जांच दल। केंद्रीय गृह मंत्रालय की पहल पर, 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने संबंधित राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में क्षेत्रीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र स्थापित करने के लिए अपनी सहमति दी है।

राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) एक नागरिक-केंद्रित पहल है जो पोर्टल के माध्यम से नागरिकों को साइबर अपराधों की ऑनलाइन रिपोर्ट करने में सक्षम बनाएगी। सभी साइबर अपराध से संबंधित शिकायतों को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा कानून के अनुसार कार्रवाई करने के लिए एक्सेस उपलब्ध है । यह पोर्टल 30 अगस्त, 2019 को पायलट आधार पर शुरू किया गया था। यह महिलाओं, बच्चों, विशेष रूप से बाल पोर्नोग्राफी, बाल यौन शोषण सामग्री, रेप/गैंग रेप से संबंधित ऑनलाइन सामग्री, आदि के खिलाफ अपराधों पर विशेष ध्यान देने के साथ सभी साइबर अपराधों को दर्ज करने में सक्षम बनाता है। 

अब तक, इस पोर्टल के साथ 700 से अधिक पुलिस जिले और 3,900 से अधिक पुलिस स्टेशन जुड़े हुए हैं। सफल कार्यान्वयन के बाद, यह पोर्टल मामलों की जांच करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता में सुधार कर सकता है और अभियोजन की  सफलता में सुधार करेगा। यह पोर्टल वित्तीय अपराधों और सोशल मीडिया से संबंधित अपराधों जैसे कि स्टाकिंग, साइबर बुलीइंग आदि जैसे अपराधों पर भी ध्यान केंद्रित करता है। यह पोर्टल एक समन्वित तरीके से साइबर अपराधों से निपटने के लिए विभिन्न राज्यों, जिलों और पुलिस स्टेशनों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय में और प्रभावी तरीके से सुधार करेगा। गृह मंत्रालय एक व्यापक और समन्वित तरीके से साइबर अपराधों से निपटने के लिए एक इको सिस्टम प्रदान करने और बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

भविष्य में, यह पोर्टल साइबर क्राइम की रोकथाम और पोर्टल पर घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए जनता को स्वचालित इंटरैक्टिव सहायता प्रणाली के लिए चैटबॉट प्रदान करेगा।


मानव संसाधन विकास सचिव श्री अमित खरे ने जेएनयू प्रशासन तथा जेएनयू के विद्यार्थियों से बातचीत की

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव श्री अमित खरे ने आज नई दिल्‍ली के शास्‍त्री भवन में सवेरे साढ़े 11 बजे जवाहलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय के कुल‍पति प्रो. एम. जगदीश कुमार और विश्‍वविद्यालय के रेक्‍टरों तथा रजिस्‍ट्रार के साथ बैठक की। बाद में उन्‍होंने अपराह्न साढ़े तीन बजे जवाहलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय छात्र संघ की अध्‍यक्ष सुश्री आइशी घोष के नेतृत्‍व में जेएनयू के विद्यार्थियों के शिष्‍टमंडल से भी बातचीत की।


          विश्‍वविद्यालय के अधिकारियों ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव को बताया कि मंत्रालय के  10 और 11 दिसंबर, 2019 के चर्चा रिकॉर्ड के अनुसार लिए गए निर्णयों को लागू करने के लिए  प्रशासन सभी कदम उठा रहा है।


            प्रो. जगदीश कुमार ने यह भी बताया कि 9 जनवरी, 2020 को जेएनयू द्वारा एक सर्कुलर जारी किया गया है, जिसमें स्‍पष्‍ट किया गया है कि विद्यार्थियों से छात्रावास के निवासियों के लिए सेवा और उपयोगिता शुल्‍क नहीं लिए जा रहे हैं। यूजीसी से इन शुल्‍कों को वहन करने का अनुरोध किया गया है। विद्यार्थियों को यह बात मंत्रालय के सचिव के साथ हुई बातचीत में भी बताई गई है।


            मानव संसाधन विकास सचिव ने यूजीसी के अध्‍यक्ष डॉ. डी.पी. सिंह से भी बातचीत की। मंत्रालय ने यूजीसी से इस संबंध में आवश्‍यक धन उपलब्‍ध कराने को कहा है।


            इन घटनाओं के मद्देनजर श्री अमित खरे ने विद्यार्थियों से आंदोलन वापस लेने की अपील की।   



लोगों को सीखने के लिए संस्कृत को आसान बनाया जाना चाहिए

उप-राष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि संस्कृत के प्रयोग को लोकप्रिया बनाया जाना चाहिए और इसके लिए शब्दों को सरल बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यदि कोई भाषा विलुप्त होती है तो वह संस्कृति और इतिहास भी भविष्य में विलुप्त हो जाएगा, जिनसे यह भाषा जुड़ी हुई है।



आज नागपुर में ऑल इंडिया ओरियंटल कॉन्फ्रेंस के 50वें सत्र को संबोधित करते हुए उप-राष्ट्रपति ने कहा कि संस्कृत को सरल बनाया जाना चाहिए ताकि आम आदमी इसे समझ सके। आवश्यकतानुसार नए शब्दों को भी जोड़ा जाना चाहिए।


श्री नायडू ने कहा कि किसी भी भाषा को धर्म और समुदाय के नजर से नहीं देखना चाहिए। वेद, उपनिषद और संस्कृत पूरे देश के हैं। प्रत्येक व्यक्ति को भाषा सीखने की सुविधा होनी चाहिए।


उन्होंने कहा कि सभी प्राचीन ग्रंथों का अनुवाद विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में किया जाना चाहिए ताकि युवा पीढ़ी भारत की संस्कृति, परंपरा और इसके इतिहास को समझ सकें।


इस संदर्भ में श्री नायडू ने कहा कि जर्मनी में संस्कृत पर विस्तृत शोध व अनुसंधान किए जा रहे हैं, जबकि भारत संस्कृत के विकास और प्रोत्साहन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रहा है।


इतिहास लेखन में साहित्य और भाषायी स्रोतों के महत्व के बारे में श्री नायडू ने कहा कि भाषा सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि यह एक पूरी संस्कृति - पूरी सभ्यता का प्रतिनिधित्व करती है। हमारी भाषाएं एक साझा सूत्र हैं, जो हमें अपने भूत और भविष्य से जोड़ती हैं।


उप-राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में 19,500 भाषाएं और बोलियां हैं। 196 भाषाएं विलुप्ति की कगार पर हैं। श्री नायडू ने कहा कि कोई देश प्रगति नहीं कर सकता यदि वह अपने इतिहास की अवहेलना करता है। भारत के वास्तविक इतिहास को शामिल करने के लिए शिक्षा व्यवस्था में बदलाव किया जाना चाहिए और तुकाराम, ज्ञानेश्वर, नारायण गुरु, अल्लूरी सीताराम राजू, वीरापांडियन कट्टाबोम्मन तथा अन्य महान विभूतियों की कहानियों को भी पाठ्य पुस्तकों में शामिल किया जाना चाहिए।


श्री नायडू ने शिक्षा, प्रशासन और दैनिक जीवन में भारतीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने हाई-स्कूल तक की शिक्षा मातृभाषा में देने के लिए सभी केन्द्र और राज्य सरकारों से आग्रह किया।


केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नीतिन गडकरी, महाराष्ट्र सरकार के ऊर्जा मंत्री श्री नीतिन राउत, कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास  वाराखेडी, ऑल इंडिया ओरियंटल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष प्रोफेसर गौतम पटेल व अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।




प्रोफेसर एमएस स्‍वामिनाथन और डा. जी मुनिरत्‍नम को मुप्‍पावरापु वेंकैया नायडू राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार

प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम एस स्वामीनाथन और जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता, डॉ. गुट्टा मुनिरत्नम को क्रमशः मुप्पावरप्पु वेंकैया नायडू नेशनल अवार्ड फॉर एक्सीलेंस और  समाज सेवा के लिए मुप्पावरापु राष्ट्रीय पुरस्कार’ के लिए चुना गया।


नेशनल अवार्ड फॉर एक्सीलेंस की शुरुआत मुप्पावरापू फाउंडेशन द्वारा की गई थी, जबकि समाज सेवा के लिए मुप्‍पावरापू राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार आज स्वर्ण भारत ट्रस्ट द्वारा हैदराबाद में शुरु किया गया।


प्रो. एम.एस. स्वामीनाथन को कृषि के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया जा रहा है जबकि  जबकि डॉ. जी मुनिरत्नम को समाज सेवा के माध्यम से लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में उनके असाधारण योगदान के लिए पुरस्‍कार  दिया जा रहा है।


पादप आनुवांशिकी में प्रशिक्षण प्राप्‍त प्रो. स्‍वामिनाथन के देश के कृषि क्षेत्र में योगदान ने एक नयी क्रांति का सूत्रपात किया जिसके कारण उन्‍हें हरित क्रांति का जनक कहा जाने लगा।  डा. मुनिरत्‍नम तिरुपति स्थित राष्‍ट्रीय सेवा समिति के संस्‍थापक सचिव और एक जाने माने समाज सेवी हैं। उन्‍होंने अपना सारा जीवन ग्रामीण क्षेत्रों के सशक्तिकरण के लिए समर्पित कर दिया।


पुरस्‍कारों की घोषणा आज हैदराबाद में मुप्‍पावरपु फाउंडेशन की दसर्वी वर्षगांठ और संक्रांति उत्‍सव के उपलक्ष्‍य में की गई।डा. स्‍वामिनाथन समारोह में भाग नहीं ले सके जबकि डा. मुनिरत्‍नम ने उपराष्‍ट्रपति के हाथों पुरस्‍कार प्राप्‍त किया। पुरस्‍कार के रूप में पांच लाख नकद और एक प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।


उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि कहा कि प्रतिभा और ज्ञान का सम्मान करना और उसे पहचान देना भारतीय संस्कृति में निहित है। उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार अन्य लोगों को पुरस्कृत व्‍यक्तियों से प्रेरणा लेने के लिए दिया गया है।


संस्कृति और परंपराओं के प्रचार में मातृभाषा के महत्व का उल्लेख करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि वह चाहते हैं कि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा का माध्‍यम मातृभाषा हो।


श्री नायडू ने कहा कि मकर संक्रांति जैसे त्यौहार लोगों को प्रकृति के साथ जोड़ने और प्रकृति तथा भारतीय संस्कृति के बीच जुड़ाव को दर्शाने का अवसर होते हैं। उन्‍होने कहा कि  यह समय अपने बुजुर्गों का स्‍मरण करने  और उन्‍हे सम्मान देने का भी है।


इस अवसर पर तेलंगाना के राज्यपाल, डॉ. तमिलिसाई सौंदरराजन, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल, श्री बंडारू दत्तात्रेय, तेलंगाना उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, राघवेंद्र सिंह चौहान, केन्‍द्रीय गृह राज्य मंत्री, जी किशन रेड्डी और तेलंगाना के पर्यटन और संस्कृति तथा पुरातत्व मंत्री, तेलंगाना के गवर्नर श्री विरसानोला श्रीनिवास गौड़ भी उपस्थित थे।


इसके अलावा इस मौके पर तेलुगु फिल्म अभिनेता श्री वेंकटेश, श्री महेश बाबू और फिल्म निर्देशक, श्री राघवेन्द्र राव सहित विभिन्न क्षेत्रों के कई प्रमुख लोग भी मौजूद थे।


उपराष्‍ट्रपति की पत्‍नी श्रीमती उषाम्‍मा, मुप्‍पावरापु फाउंडेशन के प्रबंध न्‍यासी श्री हर्षवर्धन और स्‍वर्ण भारत ट्रस्‍ट की प्रबंध न्‍यासी श्रीमती दीपा वेंकेट भी इस अवसर पर उपस्थि‍ थीं।