Friday, January 10, 2020

उपराष्ट्रपति ने राजनीतिक दलों के भारी चुनावी खर्च और सरकारों के लोकलुभावन खर्चों के खिलाफ प्रभावी कानून बनाने का आह्वान किया

 


   उपराष्‍ट्रपति और राज्‍यसभा के सभापति श्री एम. वेंकैया नायडू ने पैसे की बढ़ती ताकत से देश की लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था में राजनीति की घटती विश्‍वसनीयता पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए इसे रोकने के लिए संसद में जल्‍दी प्रभावी कानून बनाने और एक साथ चुनाव कराने का आह्वान किया है। आज हैदराबाद में, हैदराबाद विश्वविद्यालय, भारत इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी तथा फाउंडेशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से ‘मनी पॉवर इन पॉलीटिक्‍स’ विषय पर आयोजित एक सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए श्री नायडू ने मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों और सरकारों द्वारा पैसे के बेलगाम खर्च के कारणों और परिणामों पर विस्‍तार से बात की।


      उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि आज सच्‍चाई यह है कि कम आमदनी वाले किसी ईमानदार और अधिक योग्‍य भारतीय नागरिक की कीमत पर  किसी लखपति के पास सांसद या विधायक बनने के मौके ज्‍यादा हैं। उन्‍होंने इस संदर्भ में मौजूदा लोकसभा के 475 सांसदों की जांच में पायी गयी करोड़ों रूपए की संपत्ति का जिक्र करते हुए कहा कि यह  533 सांसदों की कुल संपत्ति का 88 प्रतिशत है।   


      श्री नायडू ने कहा कि “ देश की लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था में राजनीतिक की दो भयावह विकृतियों का समाधान राजनीतिक व्‍यवस्‍था द्वारा तत्‍काल किए जाने की जरूरत है। इसमें पहला चुनाव और राजनीति में बेहिसाब पैसे की ताकत का दुरुपयोग है जो अक्‍सर अवैध और गैर कानूनी होता है,  और दूसरा बुनियादी सुविधाओं, बुनियादी ढांचे, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल, विकास और नौकरी के अवसरों को सुनिश्चित करने के दीर्घकालिक लक्ष्यों का प्रचार कर अल्पकालिक लाभ पाने के लिए सरकारों द्वारा मतदाताओं को लुभाने की बढ़ती कोशिश है।’  


      उपराष्‍ट्रपति ने "चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा किये जाने वाला बेहिसाब खर्च पर अफसोस जताते हुए कहा कि यह भ्रष्‍टाचार को बढ़ावा देता है, इससे चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता भी घटती है और शासन की गुणवत्‍ता को खतरा बना रहता है। उन्‍होंने राजनीति में ईमानदार तथा ज्‍यादा योग्‍य लोगों को आने से रोकने के लिए अमीरों द्वारा खड़ी की जाने वाली बाधाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इस समस्‍या से निबटने के लिए राजनीतिक दलों द्वारा चंदा जुटाने, अपने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने तथा अपने उम्‍मीदवारों के लिए चुनावी खर्च जुटाने जैसी गतिविधियों  को नियंत्रित करने के लिए सख्‍त आचार संहित बनाई जानी चाहिए।


            श्री नायडू ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के राजनीतिक दलों से आग्रह करते हुए कहा कि वे लोकतांत्रिक राजनीति की पारदर्शिता के हित में वित्तीय रूप से जवाबदेह होने से कतराएं नहीं। उन्‍होंने कहा  "मेरा सुझाव है कि संसद को राजनीतिक दलों के खातों को सार्वजनिक करने के लिए उचित और कार्रवाई योग्य नियामक उपायों के माध्यम से राजनीति में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक कानून बनाने के बारे में सोचना चाहिए।" उन्होंने आगे कहा कि कई अन्य लोकतांत्रिक देशों में ऐसी व्यवस्थाए जिसके तहत राजनीतिक दलों के खातों की नियमित रूप से लेखा जांच की जाती है।  


            उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि सरकारों द्वारा चुनावी लाभ के लिए अल्‍पअवधि की जो लोकलुभावनी घोषणाएं की जाती हैं वह दरअसल उनके मुख्‍य काम काज की कीमत पर की जाती हैं। इससे गरीब और मध्‍यमवर्ग को सबसे ज्‍यादा नुकसान उठाना पड़ता है। उन्होंने अर्थशास्त्रियों, सामाज शास्त्रियों, मीडिया और नागरिक समाज से आग्रह किया कि वे छोटे समय के लिए आमदनी बढ़ाने और दीर्घकालिक विकास और गरीबी उन्मूलन के उद्देश्यों के बीच एक उचित संतुलन खोजने के लिए सक्षम तंत्र विकसित करें।


      श्री नायडू ने कहा कि राजकोषीय घाटे पर लगाम लगाने वाले राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम की तर्ज पर उपयुक्त कानून बनाने पर विचार करने का समय आ गया है। यदि ऐसा हो सका तो शायद, सभी राजनीतिक दलों को समान अवसर मिल सकेगा जिससे लोकलुभावन घोषणाओं पर लगाम लगायी जा सकेगी।


         वर्ष 1967 के बाद से देश में आमतौर पर बार-बार कराए जाने वाले चुनावों को देखते हुए  चुनाव सुधारों के नाम पर सरकार द्वारा चुनावों का खर्च उठाने और एक साथ चुनाव कराए जाने के प्रस्‍ताव तथा पर उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने पर गंभीरता से विचार करने का समय आ गया है।  उन्‍होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दलों को ऐसी आंशका है कि एक साथ चुनाव कराए जाने से ऐसे राजनीतिक दलों को लाभ हो सकता है जिनके पास करिश्‍माई नेतृत्‍व  और बड़ा जनाधार है। उन्‍होंने कहा कि ऐसी आशंका निराधार है क्‍योंकि भारतीय मतदाता अब काफी परिपक्‍व हो चुका है।


           उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि सरकार द्वारा चुनाव का खर्च उठाने का प्रस्‍ताव दोधारी तलवार की तरह है। इसे लागू करने के पहले कई पहलुओं पर गंभीरता से विचार करने की आवश्‍यकता है।


             श्री नायडू ने कहा कि पिछले 70 वर्षों में लोकतंत्र ने देश में गहरी जड़ें जमा ली है, लेकिन इसमें ‘गुणवत्‍ता की कमी’ देखी जा रही है। इसे दूर करने के लिए चुनाव में पैसे के दुरूपयोग और जाति तथा धर्म के आधार पर मतदान जैसी खराबियों से निपटना होगा। उन्होंने मतदाताओं से पैसे के लालच में आकर मतदान न करने का आह्वान करते हुए कहा कि यह अपने मूल्‍यों के साथ समझौता करने जैसा है। साथ ही यह चुनावी प्रक्रिया की विश्‍वसनीयता को खत्‍म करता है।


      उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि 2022 में  देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाये जाने के पहले राजनीति में पैसे की ताकत के इस्‍तेमाल को रोकने के लिए प्रभावी उपाय कर लिये जाएंगे। उन्‍होंने लोगों से अपील की कि वे चरित्र, स्‍वभाव, क्षमता और योग्‍यता के आधार पर अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करें।


         सम्‍मेलन में फाउंडेशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म के महासचिव डॉ. जयप्रकाश नारायण, भारत इंस्‍टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी तथा हैदराबाद विश्‍वविद्यालय के प्रतिनिधियों के अलावा कई गणमान्‍य लोग भी उपस्थित थे।   



वर्षांत समीक्षा-2019– सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय

 


     यह वर्ष पिछले पांच वर्षों के दौरान लिए गए प्रमुख नीतिगत निर्णयों से अर्जित लाभ को मजबूत करने, चालू परियोजनाओं की निगरानी करने और रोड़ ब्लॉक से निपटने तथा पहले से प्रभावी कार्य गति को बढ़ावा देने में पिछले वर्षों के दौरान हासिल किए गए पहले से ही प्रभावशाली कार्यों को अधिक गति प्रदान करने का वर्ष था। वर्ष 2018-19 के दौरान लगभग 5,494 किमी लंबाई की परियोजनाएं सौंपी गई और लगभग 10,855 किलोमीटर लम्‍बी सड़कों का निर्माण कार्य पूरा किया गया। सड़कों के विकास की दर  जो 2013-14 के दौरान लगभग 11.7 किमी थी। इसमें महत्‍वपूर्ण वृद्धि हुई और अब यह बढ़कर लगभग 30 किमी हो गई है। चालू वर्ष के दौरान 3211 किमी लंबाई की परियोजनाओं का निर्माण कार्य सौंपा गया तथा नवंबर 2019 तक 5958 किमी लंबी सड़कों का निर्माण हुआ है।


      वर्ष के दौरान मंत्रालय और इससे संबद्ध संगठनों ने पिछले वर्षों में किए गए अच्छे काम को आगे बढ़ाया,  देश में राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का विस्तार किया है, इन राजमार्गों को यात्रियों के लिए सुरक्षित बनाने के लिए विभिन्‍न  कदम उठाए और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को कम से कम करने के लिए बेहतर प्रयास किए। परिणामस्‍वरूप राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) की लंबाई अप्रैल, 2014 में 91,287 किमी थी जो 31 दिसंबर, 2019 को बढ़कर लगभग 1,32,500 किमी हो गई है।


राष्‍ट्रीय राजमार्गों का निर्माण









































वर्ष



ठेका   (किलोमीटर)



निर्माण (किलोमीटर)



2019-20*



3211



5958



2018-19



5493



10855



2017-18



17055



9829



2016-17



15948



8231



2015-16



10098



6061



2014-15



7972



4410



 


 


 


 


 


 


 


 


 


 


 


 


 


*नवबंर 2019 तक उपलब्धि


2019-20 के लिए लक्ष्‍य –


       ठेका दिया गया       -     10,000 किलोमीटर


   निर्माण –    11,000 किलोमीटर


 


       टीओटी मोड के तहत  इस‍ वित्‍तीय वर्ष के दौरान  566 किमी की कुल लंबाई वाली 9 परियोजनाओं के एक समूह का टीओटी मोड के तहत निर्माण ठेका 4,998.71 करोड़ रूपये  आरक्षित मूल्‍य के सापेक्ष में 5,011 करोड़ रुपये के रियायती शुल्क पर प्रदान किया गया।  इसके अलावा इस वित्तीय वर्ष के दौरान टीओटी मोड के तहत अधिक परियोजनाओं की ठेके की बोली आयोजित करने के लिए पहल की जा रही हैं।


 


राजमार्गों का त्वरित विकास


 


      मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों के लिए अतिरिक्त 60,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास का प्रस्ताव किया है। इनमें 2500 किलोमीटर एक्सप्रेस वे/एक्सेस कंट्रोल्ड हाईवे, 9000 किलोमीटर आर्थिक गलियारे,  2000 किलोमीटर तटीय और बंदरगाह जुड़ाव राजमार्ग तथा 2000 किलोमीटर सीमा सड़क/रणनीतिक राजमार्ग हैं। मंत्रालय इस अवधि के दौरान 100 पर्यटन स्थलों के लिए जुड़ाव में सुधार और 45 कस्बों/शहरों के लिए बायपास बनाने का भी इरादा रखता है।


 


      मंत्रालय का व्‍यय जो 2013-14 में 33,745 करोड़ रूपये था जो  2018-19 में बढ़कर 1,37,354 करोड़ रूपये हो गया। चालू वर्ष के दौरान नवंबर 2019 तक एनएचएआई के आईईबीआर सहित 85,275 करोड़ रुपये का खर्च पहले ही हो चुका है।


 


नवाचार उपकरणों के माध्यम से वित्त पोषण में बढ़ोतरी


 


      राष्‍ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के वित्‍त पोषण के संसाधनों में बढ़ोतरी करने के उद्देश्य से एनएचएआई ने अगले पांच वर्षों में परिसंपत्ति मुद्रीकरण के मॉडल टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (टीओटी) के माध्यम से एक लाख करोड़ रुपये जुटाने का इच्‍छुक है। टोल राजस्व के प्रतिभूतिकरण के साथ-साथ इंफ्रा इंवेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट) की स्थापना से भी वित्‍त जुटाने की संभावना है। एनएचएआई द्वारा उठाए जा रहे अन्य कदमों में एसपीवी के माध्यम से राष्ट्रीय निवेश एवं बुनियादी ढांचा कोष (एनआईआईएफ) द्वारा नई परियोजनाओं का वित्‍त पोषण भी शामिल है।


 


टोल ऑपरेट ट्रांसफर (टीओटी) और राष्‍ट्रीय राजमार्ग की उपयोगकर्ता शुल्क प्राप्तियों का प्रतिभूतिकरण


 


      प्रतिभूतिकरण के माध्यम से पहचान की गई सार्वजनिक वित्त पोषित/हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल (एचएएम) परियोजनाओं से टोल प्राप्तियों के सापेक्ष वित्त जुटाने के लिए  टीओटी मोड के तहत मुद्रीकरण के लिए एनएचएआई के पास उपलब्ध परियोजना के आधार का विस्तार करने की आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने पुष्टि की है। समिति ने (संदेश संख्‍या सीसीईए/ 20/2019 (i) दिनांक 25 नवंबर, 2019 के द्वारा): निम्नलिखित अनुमोदन प्रदान किया है-


 


      एनएचएआई सार्वजनिक वित्तपोषित राष्‍ट्रीय राजमार्ग उन परियोजनाओं का मुद्रीकरण करने के लिए अधिकृत है, जो परिचालित हैं और मामले दर मामले आधार पर टोल ऑपरेट ट्रांसफर (टीओटी) के माध्यम से सीओडी के बाद कम से कम एक साल से टोल एकत्र कर रही हैं।


      एनएचएआई परियोजना की विशेषताओं के आधार पर 15 से 30 वर्षों के बीच रियायत अवधि में परिवर्तन करने के लिए अधिकृत है।


 


      प्रत्येक टीटी बंडल के लिए विस्‍तृत प्रस्‍ताव, जिसमें प्रस्तावित परियोजना खंड भी शामिल है;  अनुमानित रियायत मूल्य और प्रस्तावित रियायत अवधि एनएचएआई बोर्ड (प्राधिकरण) द्वारा अनुमोदित की जाएगी।


 


      एनएचएआई को परिसंपत्ति मुद्रीकरण के वैकल्पिक मोड के रूप में शुल्क प्लाजा से उपयोगकर्ता शुल्क प्राप्तियों का मुद्रीकरण करके बैंकों से दीर्घकालिक वित्त जुटाने की भी अनुमति है।


 


      प्रतिभूतिकरण पहचान किए गए सार्वजनिक वित्‍त पोषित/एचएएम परियोजनाओं से टोल प्राप्तियों के सापेक्ष वित्त जुटाने के लिए एक वैकल्पिक मोड का प्रस्‍ताव करेगा। एक मॉडल के रूप में प्रतिभूतिकरण कुछ परिसंपत्तियों द्वारा जुटाए गए आगामी नकदी प्रवाह के सापेक्ष अग्रिम निधि का सृजन करने के मॉडल को आवश्‍यक बना देता है।


 


बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्‍ट


 


      एनएचएआई के संसाधनों में वृद्धि करने के लिए मंत्रिमंडल ने (संदेश 39/सीएम/2019 (i) दिनांक 13 दिसंबर, 2019 के द्वारा) निम्नलिखित मंजूरी दी हैं- 


 


      एनएचएआई सेबी द्वारा जारी इनविट दिशानिर्देशों के अनुसार संपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्गों को मुद्रीकरण करनेके लिए बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्‍ट स्थापित करने के लिए अधिकृत है, लेकिन राष्‍ट्रीय राजमार्गों का टोल संग्रह ट्रैक रिकॉर्ड कम से कम एक वर्ष का होना चाहिए। एनएचएआई के पास पहचान किए गए राजमार्गों पर टोल लगाने का अधिकार सुरक्षित है।  एनएचएआई एसपीवी (एस) को शामिल करने के लिए अधिकृत है जो पूरे इनविट ढांचे का आवश्यक और अभिन्न अंग हैं।


 


      एनएचएआई बोर्ड द्वारा अनुमोदित संरचना के अनुसार पहला इनविट स्थापित करने के लिए तथा इनविट संरचना के आवश्यक और अभिन्न अंग दो एसपीवी को शामिल करने के लिए अधिकृत है:-


 



  • एसपीवी में एक इनविट में रखी जाने वाली सभी पहचान की गई सार्वजनिक वित्त पोषित परियोजनाओं को रखा जाता है

  • एक एसपीवी प्रस्तावित इनविट में एक निवेश प्रबंधक के रूप में काम करती हैं


 


      एनएचएआई इनविट से प्राप्त रकम से आरक्षित निधि का सृजन करने के लिए अधिकृत है। य‍ह निधि ऋण चुकाने के लिए एक अलग खाते में रखी जाएगी।


 


मुख्‍य कार्यक्रमों/महत्‍वपूर्ण परियोजनाओं की प्रगति


 


      शरावती बैकवाटर के लिए प्रमुख पुल का कार्य  कर्नाटक में अंबरगोडु और कलासवाली के बीच पहुंच गया है। ट्रांस राजस्थान राजमार्ग परियोजना के 16 पैकेजों का ठेका दे दिया गया है।


 


      नई दिल्ली में 12 जुलाई, 19 को एनएच-8 पर मानेकशॉ केंद्र के पास परेड रोड जंक्शन पर एक तीन लेन के अंडरपास का उद्घाटन किया गया। इस अंडरपास के खुलने से एयरपोर्ट से धौला कुआं तक यातायात की आवाजाही सिग्नल फ्री हो गई है।


 


      उत्तर प्रदेश के पिलखुवा में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (पैकेज-3) के डासना-हापुड़ खंड का माननीय मंत्री श्री नितिन गडकरी द्वारा 30 सितंबर, 2019 को उद्घाटन किया गया है।  इस खंड का काम पूरा होने से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भीड़ को और कम करने में मदद  मिलेगी। इसके अलावा प्रदूषण का स्तर कम करने और यात्रा के समय में कटौती करने में भी मदद मिलेगी। कटक (ओडिशा) और बद्दी (हिमाचल प्रदेश) में एकीकृत बस पोर्ट के निर्माण की मंजूरी दे दी गई है और इन पर डीपीआर किए जा रहे हैं।


 


राष्‍ट्रीय इलेक्‍ट्रोनिक टोल संग्रह (एनईटीसी) कार्यक्रम


      सड़क और राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय इलेक्ट्रोनिक टोल संग्रह (एनईटीसी) कार्यक्रम शुरू किया है। यह कार्यक्रम आरएफआईडी प्रौद्योगिकी पर आधारित फास्‍ट टैग के माध्‍यम से उपयोगकर्ता शुल्‍क का संग्रह करने का प्रावधान उपलब्‍ध कराता है। ईंधन, समय और प्रदूषण से बचाव तथा यातायात की इस सहज आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए फास्‍ट टैग्स के माध्‍यम से इलेक्‍ट्रोनिक टोल संग्रह कार्यक्रम के लिए शुल्‍क प्‍लाजा में सभी लेन को समर्थ बनाने का निर्णय लिया गया है। यह टोल प्रणाली सभी राजमार्ग उपयोगकर्ताओं के लिए सहज टोल संग्रह का डिजिटल अनुभव उपलब्‍ध कराएगी।


 


       मंत्रालय ने अपने पत्र दिनांक 29 नवंबर, 2019 के द्वारा सभी लेन को ‘फास्टैग लेन ऑफ फी प्लाजा’ घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की। इसका 15 दिसंबर, 2019 से अनुपालन किया जाना था। हालांकि, एनएचएआई के अनुरोध पर विचार करते हुए कि इस शर्त से  नागरिकों को असुविधा होगी इस शर्त को अगले 30 दिनों के लिए हटा दिया गया। तदनुसार यह निर्णय लिया गया 25% से कम फास्ट लेन शुल्क प्लाजा वाले उच्च यातायात वाले फी प्लाजा पर भारी ट्रैफिक को देखते हुए इन्‍हें अस्थायी रूप से हाइब्रिड लेन में परिवर्तित किया जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कम से कम संख्‍या में लेनों को हाइब्रिड लेन में परिवर्तित किया जाए,  ताकि हर फी प्‍लाजा की कम से कम 75% लेनों को ‘फास्टैग लेन फी प्लाजा’ घोषित और परिचालित किया जा सके और फास्टैग वाले वाहनों को आसानी रहे। 26 दिसंबर, 2019 तक कुल 1,11,70,811 फास्टैग जारी किए गए हैं।


 


      मंत्रालय राज्य सरकारों के साथ फास्टैग की अंतर-परिचालनता लाने की कोशिश कर रहा है ताकि एक ही फास्टैग का राज्य राजमार्ग राजमार्ग प्लाजा और राष्ट्रीय राजमार्ग टोल प्लाजा दोनों पर उपयोग किया जा सके। एक एनएचएआई प्रीपेड वॉलेट की शुरूआत की गई है जिसमें ग्राहकों को अपने फास्टैग को अपने बैंक खातों से न जोड़ने का विकल्प दिया गया है। इसमें यूपीआई रिचार्ज की सुविधा भी शामिल है।


 


'एकल-उपयोग प्लास्टिकके उपयोग को निरुत्साहित करना


 


      सरकार ने सभी कार्यालयों/अधिकारियों/कर्मचारियों को कार्यालय परिसर में एकल उपयोग प्‍लास्टिक का प्रयोग करने से मना किया है। इसके अलावा पर्यावरण अनुकूल उत्‍पादों जैसे कुल्हड़, मिट्टी के गिलास और प्‍लेट आदि का नुकसानदेह प्‍लास्टिक उत्‍पादों की जगह उपयोग करने का भी सुझाव दिया है।


 


स्‍वच्‍छता ही सेवा अभियान (एसएचएस)


 


      सरकार ने निर्णय लिया कि 2019-20 में 11 सितंबर, 2019 से 27 अक्टूबर, 2019 के बीच स्वच्‍छता ही सेवा अभियान आयोजित किया जाए। इसमें मुख्य विषय के रूप में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्‍यान केंद्रित किया गया। इस अभियान के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने विस्तृत कार्य योजना तैयार की और कर्मचारियों ने श्रमदान किया। यह भी सुनिश्चित किया गया कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर और उसके आसपास सभी प्लास्टिक कचरे का संग्रह सुनिश्चित किया जाए। जागरूकता पैदा करने के भी सफल प्रयास किए गए। मोटे तौर पर इस अभियान के दौरान लगभग 69000 व्‍यक्तियों को प्रोत्‍साहित किया गया और 2,22,226 लाख मानव घंटे का श्रमदान किया गया। नवंबर, 2019 तक प्लास्टिक कचरे का 56.96 किलोमीटर लंबी सड़क में उपयोग किया गया। प्लास्टिक कचरे का इस्‍तेमाल करके अन्‍य सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। 


 


सड़क सुरक्षा


राज्य सहायता कार्यक्रम


 


      राज्य सहायता कार्यक्रम का उद्देश्य राज्यों को अपनी सड़क सुरक्षा कार्य में सुधार लाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसके अलावा 2024 तक सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु दर में 25% तक कमी लाने का भी प्रस्ताव है। दुर्घटना के विवरण सही ढंग से दर्ज करने की दृष्टि से "इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस (आईआरएडी)" के तहत एक जियो-टैगेड दुर्घटना डेटा संग्रह कार्यक्रम शुरू किया गया, ताकि समय पर सुधारात्मक कार्रवाई की जाए। सभी राजमार्गों के चार लेन पर आईटी आधारित सड़क सुरक्षा ढांचा खड़ा किया जाएगा। ऐसे सभी राजमार्गों पर दुर्घटना प्रबंधन प्रणाली भी उपलब्‍ध कराई जाएगी।


 


 


मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम2019


 


      मोटर वाहन अधिनियम, 1988 एक प्रमुख साधन है जिसके माध्यम से देश में सड़क परिवहन को नियंत्रित किया जाता है। इसे पहली बार एक व्यापक तरीके से मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 द्वारा तीस वर्षों के बाद संशोधित किया गया है।  इसे संसद द्वारा पारित किया था और 9 अगस्त, 2019 को भारत के राजपत्र में प्रकाशित किया गया था।


 


      यह अधिनियम सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में सुधार, नागरिक सुविधा, पारदर्शिता लाने के अलावा सूचना प्रौद्योगिकी की सहायता से भ्रष्टाचार को दूर करने और बिचौलियों को दूर रखने में मदद करेगा। यह अधिनियम सार्वजनिक परिवहन को मजबूत बनाएगा और लोगों की सुरक्षा करेगा तथा बीमा और क्षतिपूर्ति व्यवस्था में सुधार करेगा। यह चालक रहित वाहनों जैसे नवाचार और नई प्रौद्योगिकियों को सहमति देगा और परीक्षण और अनुसंधान में


मदद करेगा। यह अधिनियम मोटर वाहनों को दिव्यांग के कार्योंत्‍तर अनुमोदन से वाहनों को  अनुकूलित बनाने तथा इन अनुकूलित वाहनों को चलाने के लिए लाइसेंस दिलाने में मदद करेगा। क्षतिपूर्ति और दुर्घटना के बाद के उपचार के प्रावधानों में संशोधन किया गया है और दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार प्रदान करने के उपाय किए जाएंगे।


 


सड़क सुरक्षा प्रावधान और दंड



  • यह यातायात नियमों को लागू करने के लिए वाहनों की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की सुविधा प्रदान करता है।

  • ओवर स्‍पीडिंग/शराब पीकर गाड़ी चलाने जैसे कुछ अपराधों के लिए लाइसेंस निलंबन या निलंबन या रिवोकेशन के बाद लाइसेंस प्राप्त करने के लिए एक रिफ्रेशर प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का प्रावधान।

  • नए अपराधों के लिए दंड की शुरूआत की गई है और मौजूदा अपराधों के लिए दंड बढ़ाया गया है।

  • किशोरों द्वारा किए गए अपराधों के लिए-

  • मालिक/अभिभावक को 25000 रुपये का जुर्माना और 3 वर्ष तक का कारावास।

  • डिजिटल मध्यस्थ और एग्रीगेटर (ओला और उबर) भी केंद्र द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे।

  • सड़क सुरक्षा और यातायात प्रबंधन के बारे में पर सलाह देने के लिए राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड का गठन।


 


 


नागरिक सुविधापारदर्शिता और भ्रष्टाचार में कमी


 



  • इस अधिनियम के तहत मानवीय हस्तक्षेप रोकने के लिए सभी फॉर्म, शुल्क और दस्तावेज ऑनलाइन जमा किए जा सकते हैं।

  • डीलर प्वाइंट पंजीकरण - नए मोटर वाहनों के पंजीकरण के लिए, पंजीकरण हेतु आवेदन करने का काम डीलर को स्थानांतरित कर दिया गया है और प्राधिकरण के सामने वाहनों को प्रस्‍तुत करने की जरूरत को हटा दिया गया है।

  • पारदर्शिता लाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस और पंजीकरण के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर का गठन किया गया है।

  • स्वचालित परीक्षण।

  • ड्राइविंग लाइसेंसों की वैधता अवधि बढ़ा दी गई है।

  • ड्राइविंग लाइसेंसों का नवीनीकरण लाइसेंस की अवधि समाप्‍त होने से 1 वर्ष पहले या 1 वर्ष बाद तक कराया जा सकता है, ताकि घर से दूर गए या विदेश गए और पुराने रोगियों आदि की मदद की जा सके।  


 


रोजगार की सुविधा



  • परिवहन वाहनों को चलाने के लिए लाइसेंस बनवाने हेतु न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता को हटा दिया गया है।

  • केंद्रीय सहायता से ड्राइविंग स्कूल स्थापित करने की योजना।


 


मोटर वाहनों के निर्माताओं की जवाबदेही बढ़ी



  • केंद्र किसी भी दोष के लिए मोटर वाहनों को पेश करने का आदेश दे सकता है।


 


बीमा और मुआवजा



  • मोटर वाहन दुर्घटना निधि का गठन।

  • हिट एंड रन मामलों के लिए मुआवजा।

  • महत्‍वपूर्ण घंटे के दौरान सड़क दुर्घटना पीड़ितों को कैशलेस इलाज।

  • बीमा के उद्देश्य से ड्राइवर और सह-चालक/सहायक को तीसरे पक्ष के रूप में शामिल किया गया है।


 


मोटर वाहन अधिनिमय2019 की कार्यान्वयन स्थिति


      केंद्र सरकार ने पूरे भारत में 1 सितंबर, 2019 से शुरू होने वाले नए मोटर वाहन संशोधन अधिनियम के लगभग 60 प्रावधानों को शुरू कर दिया है।


 



  • इन प्रावधानों के संचालन के लिए नियमों में संशोधन की कोई आवश्यकता नहीं है।

  • 1 सितंबर से लागू किए गए प्रावधानों में निम्नलिखित से संबंधित प्रावधान शामिल हैं-



  • मोटर वाहन अधिनियम के तहत अपराधों के लिए दंड बढ़ाया गया।  

  • लाइसेंस देने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाया, ताकि कोई भी नागरिक राज्य में लर्नर लाइसेंस, ड्राइविंग लाइसेंस या उसका नवीकरण प्राप्त करने के लिए कहीं भी आवेदन कर सके।

  • ड्राइविंग लाइसेंस धारकों को लाइसेंस की  अवधि समाप्त होने के एक वर्ष के पहले या एक वर्ष के बाद किसी भी समय लाइसेंस का नवीकरण के लिए आवेदन करने की अनुमति देना। इससे विदेशों में काम करने और रहने वाले नागरिकों को बहुत मदद मिलेगी।

  • वाहनों के पंजीकरण प्रक्रिया की सुविधा ताकि नागरिक अपने वाहनों का राज्य में कहीं भी पंजीरण कराने या किसी अन्य परिवर्तन को दर्ज कराने के लिए आवेदन कर सके।

  • नियमों को लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को अधिकार उपलब्‍ध कराने के प्रावधान।

  • गंभीर अपराधों के लिए वसूल की जाने वाली राशि के संबंध में राज्‍य अधिसूचना जारी करने की प्रक्रिया में हैं।



  • जैसे ही उनके लिए नियमों का मसौदा तैयार  होगा शेष प्रावधान भी संचालित होंगे। नियमों के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है और हम उम्मीद हैं कि अगले 2 से 4 महीनों में नियम लागू हो जाएंगे। 


 


परिवहन क्षेत्र


      मंत्रालय ने जीएसआर 886 (ई) दिनांक 29 नवंबर, 2019 को अधिसूचित किया है ताकि वाहनों के पंजीकरण से संबंधित किसी भी सेवा का लाभ उठाते समय मालिकों के मोबाइल नंबरों का पता चल सके। “दिल्ली में बिगड़ते यातायात के प्रबंधन” विषय की जाँच के लिए विभागीय संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने भी यह पाया है कि  वाहन डेटा बेस के वाहनों में मोबाइल नंबर नहीं होते। उपरोक्त को ध्‍यान में रखते हुए और इस मुद्दे की  तात्कालिकता पर विचार करते हुए केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम, 1989 के संबंधित फार्मों को जारी करने की जरूरत पर विचार करते हुए किया गया है। ये फॉर्म मोटर वाहनों की सेवा से संबंधित है। इन सेवाओं में पंजीकरण, स्थानांतरण, मोटर वाहन का पंजीकरण, नवीकरण, डुप्लीकेट कॉपी, एनओसी प्रदान करना, पते में परिवर्तन, प्रवेश या किराया/खरीद/हाइपोथेकेशन की प्रविष्टि में संशोधन करने का प्रस्ताव है। इसमें सेवाओं का लाभ उठाने के लिए मालिक द्वारा की गई कॉल से मोबाइल नंबर का पता लगाना शामिल करने का प्रस्‍ताव है


 


      आरटीओ में कारोबार करने में आसानी सुनिश्चित करने के लिए, यह प्रस्ताव किया गया है कि 2020 से लर्निंग लाइसेंस ऑनलाइन जारी किए जाएंगे और वाहनों का पंजीकरण भी उसी दिन किया जाएगा तथा लाइसेंस के स्थानांतरण एवं पंजीकरण को ऐप द्वारा संभावित बनाया जाएगा।


 


मंत्रालय ने 12 नवंबर, 2008 को जीएसआर 784 (ई) संख्‍या की अधिसूचना जारी की थी जिसके द्वारा यह अनिवार्य कर दिया गया था कि अप्रैल 2009 के बाद निर्मित सभी वाणिज्यिक वाहनों पर रेट्रो-रिफ्लेक्टिव टेप लगाना आवश्‍यक होगा। यह सीएमवीआर के नियम 104 के अनुसार है। सरकार की यह जानकारी में आया है कि  अधिकांश पुराने वाहन इस अधिसूचना का लाभ उठाकर अपने वार्षिक फिटमेंट टेस्ट के दौरान छूट प्राप्‍त कर रहे हैं। इस संबंध में इस मंत्रालय ने जीएसआर 80 (ई) दिनांक 23 अक्टूबर, 2019 के द्वारा रेट्रो-परावर्तक टेप का वाहनों पर निर्धारण जरूरी बना दिया है। चाहे वाहनों के निर्माण की कोई भी तारीख हो। इस विनिर्देश को भी अधिसूचित किया है। इससे सड़क सुरक्षा में वृद्धि होने की उम्मीद है।


 


      आर्थिक रूप से पिछड़े और बेरोजगार लोगों की मांग को ध्यान में रखते हुए इस मंत्रालय ने जीएसआर 681 (ई) दिनांक 23 सितंबर, 2019 की अधिसूचना के द्वारा सीएमवीआर 1989 के नियम 8 को हटाने का निर्णय लिया है। इस नियम में ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए शैक्षिक योग्यता निर्धारित की गई है।


 


      मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करने के लिए 23 सितंबर, 2019 को सभी राज्यों केंद्रशासित प्रदेशों को एक सलाह जारी की गई है ताकि नागरिकों को सुविधा प्रदान की जा सके कि वे ड्राइविंग लाइसेंस पंजीकरण प्रमाण-पत्र इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में दिखाने के लिए डिजिलॉकर या एमपाइवाहन ऐप का उपयोग कर सकें। राज्यों से यह भी अनुरोध किया गया था कि अपेक्षित एमपरिवहन या ई-चालान के लिए  हाथ में लेने वाले उपकरणों के लिए प्रवर्तन अधिकारियों को पर्याप्‍त मात्रा पीओएस मशीनें  उपलब्ध कराई जाएं।


 


मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में जीएसआर 527 (ई) दिनांक 6 जून, 2018 के द्वारा संशोधन किया है जिसमें वाहन डेटाबेस के साथ पीयूसी प्रमाण-पत्र का ऑनलाइन आईटी आधारित लिंकेज प्रावधान किया गया है। राज्यों को 23 सितंबर, 2019 को एक परामर्श के माध्यम से यह अनुरोध किया गया है कि पीयूसी निरीक्षण से संबंधित जानकारी मंत्रालय द्वारा उपलब्‍ध कराई जा रही ऑनलाइन प्रणाली का उपयोग करके दर्ज की जाए और यह डेटा एम-परिवहन मंच पर भी 'इलेक्ट्रॉनिक रूप' में नागरिकों को उपलब्ध कराया जाए।


 


      वाहन में सुरक्षा सुविधाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से इस मंत्रालय ने जीएसआर 521 (ई) दिनांक 24 जुलाई, 2019 अधिसूचना का मसौदा जारी किया जिसमें मोटर वाहनों, उनके पुर्जों, घटकों, एसेम्बिलयों, उप-एसेम्बिलयों को स्थायी रूप से और लगभग अदृश्य माइक्रोडॉट्स में स्‍थापित किया जाए ताकि माइक्रोस्कोप की सहायता से भौतिक रूप से से पढ़ा जा सके।


 


      कम प्रदूषित ईंधन के प्रयोग को बढ़ावा देकर प्रदूषण के मुद्दे से निपटने के लिए मंत्रालय ने अतिरिक्‍त वै‍कल्पिक ईंधनों के लिए उत्‍सर्जन मानकों के संबंध में मसौदा अधिसूचना जीएसआर 522 (ई) दिनांक 24 जुलाई, 2019 जारी किया।


 


      मंत्रालय ने आर्थिक रूप से पिछड़े और बेरोजगार लोगों की मांग को ध्यान में रखते हुए सीएमवीआर 1989 के नियम 8 को सामप्‍त करने के लिए अधिसूचना जीएसआर 681 (ई) दिनांक 23 सितंबर, 2019 को जारी की है।  


 


      बैटरी-ऑपरेटेड वाहनों/इलेक्ट्रिक वाहनों को पंजीकरण शुल्क का भुगतान करने में छूट देने के लिए 19 जून, 2019 को ड्राफ्ट अधिसूचना जारी की गई है।


 


      इस मंत्रालय ने वाहनों के परीक्षण के लिए एक और वाहन परीक्षण एजेंसी को अधिकृत किया है। 18 जुलाई, 2019 की अधिसूचना जीएसआर 511 (ई) के अनुसार मंत्रालय ने मोटर वाहन संशोधन नियम, 1989 के नियम 126 में संशोधन के माध्यम से राष्ट्रीय ऑटोमोटिव टेस्ट ट्रैक्स (नेटरेक्‍स) इंदौर को जोड़ा है। इससे मौजूदा वाहन परीक्षण एजेंसियों जैसे एआरएआई, आईसीएटी, एआरएआई, जीएआरसी, आदि पर काम का बोझ और दबाव कम हो जाएगा।


 


"2018 में भारत में सड़क दुर्घटनाएँ" पर डेटा


 


      सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने भारत में सड़क दुर्घटनाएं 2018 पर अपना वार्षिक प्रकाशन जारी किया है। यह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस विभाग द्वारा उपलब्‍ध की गई जानकारी के आधार पर वर्षवार दुर्घटना से संबंधित मौतों और चोटों के बारे में डेटा उपलब्‍ध कराता है। रिपोर्ट के अनुसार  देश में सड़क दुर्घटनाओं वर्ष 2018 के दौरान 0.46% की मामूली वृद्धि हुई है। वर्ष 2017 में हुई 4,64,910 की तुलना में इस वर्ष 4,67,044 सड़क दुर्घटनाएं देखने को मिली हैं। इसी अवधि के दौरान मृत्यु दर में भी लगभग 2.37% और की वृद्धि हुई है।  2018 में 51,471 लोग मारे गए जबकि 2017 में 1,47,913 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए थे। सड़क दुर्घटना में लगने वाली चोटों में 2017 के मुकाबले 2018 में 0.33% की कमी दर्ज हुई।


 


 


 


नवगठित केंद्रशासित प्रदेशलद्दाख के लिए पंजीकरण मार्क


 


      मंत्रालय ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 सेक्‍शन के 41 (6) के तहत वाहनों के पंजीकरण के लिए नवगठित केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख को एसओ 4262 (ई) दिनांक 25 नवंबर, 2019 के तहत ‘एलए’ के रूप में नया पंजीकरण मार्क प्रदान किया है। यह इस अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से लागू हो गया है।



नेचर इंडिया के साथ सीएसआईआर ‘नेचर इंडिया’ निबंध प्रतियोगिता 2020 का आयोजन करेगा

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और नेचर इंडिया मिलकर ‘नेचर इंडिया’ निबंध प्रतियोगिता 2020 का आयोजन करेंगे। इस आयोजन के तहत भारत के युवा और अनुभवी वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और लेखकों को मंच प्रदान किया जाएगा, जिसमें वे सामाजिक रूप से प्रभावी विज्ञान संबंधी विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।


‘नेचर इंडिया’ निबंध प्रतियोगिता 25 से 50 वर्षीय पाठकों के लिए खुली है। निबंधकार विज्ञान संबंधी वृतांतों पर लेखन करेंगे, ताकि भारत के वैज्ञानिक भविष्य का रोडमैप तैयार करने में मदद मिले। निबंध एक हजार शब्दों तक के होने चाहिए और विषय के तौर पर भारत में विज्ञान के सामाजिक प्रभावों पर विचार व्यक्त किए जाएं। निबंधों को प्रेरक और कहानी के रूप में लिखा जाना है।


निबंध प्रतियोगिता को शुरू करते हुए सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे ने कहा कि विज्ञान को समाज के लिए उपयोगी होना चाहिए। इस दिशा में नेचर इंडिया निबंध प्रतियोगिता भारतीय वैज्ञानिकों को अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करेगी।


निबंधों का मूल्यांकन सम्पादकों, वैज्ञानिकों और विज्ञान से जुड़े व्यक्तियों का एक पैनल करेगा। निबंध जमा करने की अंतिम तिथि 9 मार्च, 2020 की मध्यरात्रि होगी। विजेताओं के निबंध नेचर इंडिया के वार्षिक अंक और नेचर इंडिया के ब्लॉग ‘इंडीजेनस’ में प्रकाशित किया जाएगा। सर्वोच्च तीन निबंधों के लिए 40 हजार रुपये, 30 हजार रुपये और 20 हजार रुपये या उसके समकक्ष का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। इसके अलावा तीन वर्षों के लिए ‘नेचर’ अंक का सब-क्रिप्शन, ट्रॉफी और प्रमाणपत्र भी दिए जाएंगे।



वर्ष 2019 के दौरान कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेशन मंत्रालय की ओर से की गई पहलें

 


‘सुशासन दिवस पर सुशासन सूचकांक की शुरुआत’


 कार्मिक लोकशिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सुशासन दिवस 25 दिसंबर, 2019 के अवसर पर कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में 'सुशासन सूचकांक' (जीजीआई)का शुभारंभ किया। जीजीआई राज्यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों में शासन की स्थिति तथा ऐसी सरकारों द्वारा किए गए प्रशासनिक हस्‍तक्षेपों के प्रभाव का आकलन करने की एक व्‍यवस्‍था है।  जीजीआई का उद्देश्य सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के शासन की तुलना करने के लिए मात्रात्मक डेटा प्रदान करना, इसके माध्‍यम से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को परिणामोन्मुखी दृष्टिकोण और प्रशासन में बदलाव के लिए उपयुक्त रणनीति लागू करने में सक्षम बनाना है। सूचकांक के संकेतकों का चयन करते समय इन बातों को ध्‍यान में रखा गया कि इनको समझने और इनकी गणना करना आसान हो, यह नागरिकों पर केन्द्रित होने के साथ परिणामोन्‍मुखी हो तथा इन्‍हें सभी राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों पर समान रूप से लागू किया जा सके।


सूचकांक तैयार करने से पहले क्षेत्र के विशेषज्ञों, मंत्रालयों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ ही हितधारकों के साथ विभिन्न परामर्श बैठकें आयोजित की गईं। जीजीआई में दस क्षेत्रों को ध्यान में रखा गया  हैं जिनमें 1) कृषि और संबद्ध क्षेत्र, 2) वाणिज्य और उद्योग, 3) मानव संसाधन विकास, 4) सार्वजनिक स्वास्थ्य, 5) सार्वजनिक अवसंरचना और उपयोगिताएँ, 6) आर्थिक शासन, 7) समाज कल्याण और विकास, 8) न्यायिक और सार्वजनिक सुरक्षा, 9) पर्यावरण और 10) नागरिक केन्द्रित शासन शामिल हैं।


इस अवसर पर पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों सहित सेवानिवृत्त केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए एक पुस्तिका भी जारी की, ताकि उन्हें और उनके परिवारों को उनके अधिकारों तथा सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्‍त करने की प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं की जानकारी दी जा सके।


मंत्री ने केंद्रीय सचिवालय कार्यालय पद्धति नियम पुस्तिका के 15 वें संस्करण का भी विमोचन किया।


केन्‍द्र शासित प्रदेश जम्‍मू–कश्‍मीर और लद्दाख के लिए प्रशासनिक सुधार और लोक शि‍कायत विभाग (डीएआरपीजी) की पहल :


· केन्‍द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सुशासन के बारे में दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन (15-16 नवंबर, 2019) जम्मू में आयोजित किया गया था। सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर श्री जी.सी. मुर्मू, डीओपीटी और डीएआरपीजी के सचिव डॉ. सी. चंद्रमौली तथा जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव श्री बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम की उपस्थिति में की।



  • समापन सत्र की अध्यक्षता जम्‍मू-कश्‍मीर के उप-राज्‍यपाल के सलाहकार श्री के.के. शर्मा ने की। गहन विचार-विमर्श के बाद, ‘सुशासन संकल्प: जम्मू घोषणा’ को अपनाया गया। सम्मेलन में संकल्प लिया गया कि भारत सरकार और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश मिलकर जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख को प्रशा‍सनिक उत्‍कृष्‍टता के मॉडल के रूप में विकसित करने में सहयोग करेंगे। इसके लिए केन्‍द्र शासित प्रदेशों के वास्‍ते बनाये गये  कल्याणकारी कार्यक्रमों को लागू करने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल किया जाएगा। क्षेत्रीय सम्मेलन में 19 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। इसके अलावा, सम्‍मेलन में जम्मू-कश्मीर सरकार के 450 अधिकारियों ने भी भाग लिया।30 नवम्‍बर से 1 दिसम्‍बर, 2019 तक जम्‍मू में जल शक्ति तथा आपदा प्रबंधन पर केन्द्रित ‘एक भारत, श्रेष्‍ठ भारत’ की थीम पर दो दिवसीय सम्‍मेलन आयोजित किया गया। इस सम्‍मेलन में तमिलनाडु तथा जम्‍मू-कश्‍मीर के अधिकारियों ने जल शक्ति और आपदा प्रबंधन के तौर-तरीकों पर आयोजित तकनीकी सत्र में भाग लिया।

  • तकनीकी सत्र में कावेरी और झेलम नदियों के संरक्षण, कृषि में जल की कमी को दूर करना, शहरी क्षेत्रों में बाढ़, जिला कलेक्टरों और लाइन विभागों द्वारा अनुभव साझा करने और जल प्रबंधन प्रथाओं के बारे में विशेषज्ञों से बातचीत शामिल थी। क्षेत्रीय सम्मेलन का उद्घाटन 30 नवंबर, 2019 को जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल श्री जी.सी. मुर्मू की उपस्थिति में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने किया था। इस सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर के 350 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।

  • परस्‍पर सहयोग बढाने के लिए डीएआरपीजी के तीन प्रतिनिधिमंडल ने सितंबर - अक्टूबर 2019 में श्रीनगर का दौरा किया1 डीएआरपीजी के अतिरिक्‍त सचिव श्री वी.पी श्रीनिवास के नेतृत्‍व में पहले प्रतिनिधिमंडल ने 4-5 सितंबर, 2019 को जम्मू-कश्मीर का दौरा किया था। इसके बाद डीएआरपीजी के संयुक्‍त सचिव श्री वी. शशांक शेखर के नेतृत्‍व में दो प्रतिनिधिमंडलों ने जम्‍मू कश्‍मीर की यात्रा की। इसके बाद  अतिरिक्त सचिव ने जम्मू और कश्मीर के मुख्य सचिव और लाइन विभागों के प्रमुख सचिवों / सचिवों के साथ सहयोग रोडमैप का खाका तैयार करने के लिए  विचार-विमर्श किया।


ई-गवर्नेंस पर 22 वां राष्‍ट्रीय समम्‍मेलन तथा शिलांग घोषणापत्र को अंगीकार किया जाना


डीएआरपीजी ने  इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और मेघालय सरकार के सहयोग से, शिलांग में 8-9 अगस्त, 2019 को ई-गवर्नेंस 2019 पर 22 वां राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया। इस सम्मेलन का विषय "डिजिटल इंडिया: सफलता से उत्कृष्टता" था। दो दिनों तक आयोजित सत्र के दौरान गहन विचार-विमर्श के बाद ऐतिहासिक  ‘ शिलांग घोषणा पत्र ’को राष्ट्र के ई-शासन पर रोडमैप के रूप में रेखांकित किया गया।


डीएआरपीजी ने केरल सरकार के प्रशासनिक सुधार आयोग के साथ मिलकर 27-28 अगस्त, 2019 को तिरुवनंतपुरम में ई-गवर्नेंस पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय नागरिकों का डिजिटल सशक्तीकरण था।


 ‘नागपुर संकल्‍प –नागरिकों को सशक्‍त बनाने का एक समग्र दृष्टिकोण’


नागपुर में 22 दिसंबर, 2019 को 'लोक सेवाओं में सुधार - सरकारों की भूमिका' विषय पर आयोजित दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान 'नागपुर संकल्प- नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण' को अपनाया गया। सम्‍मेलन में संकल्‍प लिया गया कि भारत सरकार, महाराष्ट्र सरकार, महाराष्ट्र राज्य आयोग और प्रतिभागी राज्य सरकारें नागरिकों के चार्टरों को समय पर अपडेट करने, अधिनियमों को लागू करने और बेंचमार्क मानकों के माध्यम से बेहतर सेवा वितरण के लिए नीतिगत हस्तक्षेप द्वारा नागरिकों को सशक्त बनाने में सहयोग करेंगी।


अध्‍यक्ष तथा लोकपाल और आठ सदस्‍यों ने पद की शपथ ली :


अध्‍यक्ष तथा लोकपाल न्‍यायमूर्ति पी सी घोष ने आठ सदस्‍यों को पद की शपथ दिलाई । इस मौके पर लोकपाल का लोगो, आदर्श वाक्‍य और वेबसाइट जारी की गई।


चार सूचना आयुक्तों ने सूचना आयुक्त के पद की शपथ


01 जनवरी 2019 को मुख्‍य सूचना आयुक्‍त श्री सुधीर भार्गव ने श्री यशवर्धन कुमार सिन्‍हा, श्रीमती वनजा एस सरना, श्री नीरज कुमार गुप्‍ता और श्री सुरेश चंद्र को सूचना आयुक्‍त के पद की शपथ दिलाई। इनके साथ ही केन्‍द्रीय सूचना आयोग में सूचना आयुक्‍तों की कुल संख्‍या बढ़कर 7 हो गई है।


सूचना का अधिकार (संशोधन)  विधेयक 2019 पारित


लोकसभा में पारित होने के बाद, सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 25 जुलाई, 2019 को राज्य सभा से पारित कर दिया गया।  लोकसभा से यह 22 जुलाई 2019 पारित कर दिया गया था।  इस विधेयक में  सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में संशोधन करने का प्रस्ताव है। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों तथा राज्‍य के सूचना आयुक्‍तों की सेवा की अवधि, और वेतन, भत्ते और सेवा के अन्य नियम और शर्तें केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किए जा सकें।


केन्द्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली( सीपीजीआरएएमएस)


प्रशासनिक सुधार और लोकशिकायत विभाग(डीएआरपीजी) की ओर से केन्‍द्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) सुधार पर 05 नवम्‍बर, 2019 को एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। सीपीजीआरएएमएस इस अवसर पर वित्‍तीय सेवा और दूरसंचार (डीओटी) तथा लोक शिकायतों को नये तरीके से निपटाने के लिए डेटा आधारित ‘ऑनलाइन हेकेथॉन’ शुरू किया गया।  डाक विभाग के लिए सीपीजीआरएएमएस सुधार 25 सितम्‍बर, 2019 को शुरू किये गये। ये डीएआरपीजी के 100 दिन के एजेंडे के रूप में लागू किये गये। सीपीजीआरएएमएस का नया 7.0 संस्‍करण लोक शिकायतों को गुणवत्‍ता के साथ जल्‍दी निपटाने में मदद करेगा।


राष्‍ट्रीय सुशासन केन्‍द्र (एनसीजीजी) का प्रशिक्षण कार्यक्रम :


भारत के राष्‍ट्रीय सुशासन केन्‍द्र (एनसीजीजी) ने मालदीव की प्रशासनिक सेवा  के 1000 अधिकारियों को अगले पांच तक क्षमता विकास का प्रशिक्षण देने के लिए मालदीव सरकार के साथ सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर किये। सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की 8 जून, 2019 को माले की यात्रा के दौरान किये गये थे।


दो सप्‍ताह तक चलने वाला यह विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम राष्‍ट्रीय सुशासन केन्‍द्र की मसूरी और दिल्‍ली की शाखा में आयोजित किया गया। राष्‍ट्रीय सुशासन केन्‍द्र में बांग्‍लादेश के प्रशासनिक सेवा के 1800 अधिकारियों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए भारत-बांग्‍लादेश के बीच सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर किये गये है। विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में मालदीव के 33 और बांग्‍लादेश के 31 अधिकारियों ने भाग लिया।


प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन सत्र 27 सितम्‍बर, 2019 को नई दिल्‍ली में आयोजित किया गया, जिसे केन्‍द्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्‍य मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने संबोधित किया।


मालदीव के महासचिवों और स्‍थायी सचिवों के लिए क्षमता विकास कार्यक्रम का आयोजन


क्षमता निर्माण कार्यक्रम 6 दिसंबर से 13 दिसंबर, 2019 तक राष्‍ट्रीय सुशासन केन्‍द्र द्वारा आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में मालदीव गणराज्य के 15 स्थायी सचिवों और महासचिवों ने भाग लिया। यह मालदीव गणराज्य के शीर्ष प्रबंधन अधिकारियों के लिए भारत में राष्ट्रीय सुशासन केंद्र द्वारा संचालित पहला क्षमता निर्माण कार्यक्रम था। भारत और मालदीव गणराज्य के बीच समझौता ज्ञापन के तहत, मालदीव के 1000 प्रशासनिक अधिकारियों को राष्ट्रीय सुशासन केंद्र में प्रशिक्षित किया जाना है। अब तक, 100 अधिकारियों के लिए 3 क्षमता निर्माण कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किए गए हैं।


यूपीएससी और मंगोलिया की सिविल सेवा परिषद के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर :


दोनों देशों के लोक सेवा आयोगों के बीच सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए 3 जुलाई को नई दिल्ली में संघ लोक सेवा आयोग और मंगोलिया की सिविल सेवा परिषद के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। केंद्रीय लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, श्री अरविंद सक्सेना और मंगोलिया की सिविल सेवा परिषद के अध्यक्ष, श्री बी. बाटारज़ोरिग ने विदेश मंत्रालय और कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। ।


12 अक्टूबर को केंद्रीय सूचना आयोग के 14 वें वार्षिक अधिवेशन का आयो‍जन


केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने 12 अक्टूबर, 2019 को केंद्रीय सूचना आयोग के 14 वें वार्षिक सम्मेलन की मुख्य अतिथि के रूप में अध्यक्षता की। श्री शाह ने शासन प्रणाली से अन्याय और भ्रष्टाचार को दूर करने और दक्षता बढ़ाने के लिए एक बड़े कदम के रूप में आरटीआई की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आरटीआई शासन से मनमानी को दूर करता है और एक प्रमुख शिकायत निवारण उपकरण के रूप में कार्य करता है। उन्होंने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंस और आरटीआई फाइलों के डिजिटलीकरण जैसी उच्च प्रौद्योगिकी विधियों का उपयोग वादी के जीवन को आसान बनाता है।


सीबीआई ने साइबर अपराध जांच और फोरेंसिक पर पहला राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया


केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा 4 -5 सितंबर, 2019 को साइबर अपराध जांच और फोरेंसिक पर पहला राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया । राज्यों  और केंद्रशासित प्रदेशों में साइबर अपराधों  से निपटने के लिए काम पर लगे पुलिस महानिदेशकों, उपपुलिस महानिदेशकों, सहायक पुलिस महानिदेशकों, पुलिस महानिरीक्षकों , उप पुलिस महानिरीक्षकों तथा पुलिस अधिक्षकों सहित केन्‍द्रीय एजेसिंयों ,गृह मंत्रालय,इलेक्‍ट्रानिक्‍स और सूचना मंत्रालय, अन्‍य मंत्रालय के लगभग 50 बडे़ अधिकारियों ने भाग लिया। सम्‍मेलन में शिक्षाविदों और विशेषज्ञों ने भी शिकरकत की।


राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्‍कार, 2019 दिए गए :


डॉ. जितेंद्र सिंह ने 27 फरवरी को नई दिल्ली में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग , कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा आयोजित एक समारोह में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्‍कार, 2019 प्रदान किये। ई-गवर्नेंस पहल के कार्यान्वयन में उत्कृष्टता को पहचानने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से, भारत सरकार हर साल ई-गवर्नेंस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करती है। ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में उपलब्धियों को पहचानने के लिए 6 श्रेणियों में 14 पुरस्कार दिए गए, प्रत्येक श्रेणी में स्‍वर्ण और रजत पुरस्‍कार दिए गए।  आईआरटीसी के रेल कनेक्‍ट मोबाइल एप के लिए श्रेणी -1 में एक विशेष जूरी पुरस्कार भी प्रदान किया गया।


केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों में सहायक सचिवों की नियुक्ति :


2 जुलाई को, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2017 बैच के लगभग 160 युवा आईएएस अधिकारियों के साथ बातचीत की, जिन्हें भारत सरकार में सहायक सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। 01 अक्टूबर, 2019 को इन अधिकारियों के प्रशिक्षण पूरा होने का विदाई समारोह आयोजित किया गया था। प्रधान मंत्री ने अधिकारियों को नए विचारों, नई अवधारणाओं और दृष्टिकोणों के प्रति ग्रहणशील होने के लिए प्रोत्साहित किया। अधिकारियों के साथ बातचीत करते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि एक सिविल सेवक के लिए सेवा अभिविन्यास बनाए रखना सर्वोपरि है क्योंकि इससे उसके काम में निष्‍पक्षता आएगी।  


पेंशनरों के लिए एकीकृत शिकायत प्रकोष्ठ और कॉल सेंटर:


पेंशनरों के लिए 20 जून, 2019 को एक एकीकृत शिकायत प्रकोष्ठ और कॉल सेंटर का उद्घाटन किया गया, जिसका उद्देश्य पेंशनरों को उनकी शिकायतें दर्ज करने और त्वरित समाधान प्राप्त करने के लिए आसान पहुँच प्रदान करना था। यह केंद्र टीम के रूप में भी काम कर रहा है जो बुजुर्ग पेंशनरों की समस्याओं को हल करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों / विभागों के साथ समन्वय करता है।


अखिल भारतीय पेंशन अदालत


23.08.2019 को अखिल भारतीय पेंशन अदालत का आयोजन देश भर के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को साथ लेकर किया गया। डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिल्ली के दूरदराज के स्थानों पर इन पेंशन अदालतों में मौजूद नोडल अधिकारियों और पेंशनभोगियों के साथ बातचीत की। दिल्ली में आयोजित होने वाले कार्यक्रम के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 50 से अधिक केंद्र जुड़े थे। एक ही दिन में लगभग 4,000 पेंशनभोगियों के मामलों को हल किया गया।


पारिवारिक पेंशन नियम, 1964 के नियम 54 (3) में संशोधन किया गया


पारिवारिक पेंशन नियम, 1964 के नियम 54 (3) में 20.09.2019 के अतिरिक्त साधारण गजट नोटिफिकेशन में संशोधन किया गया, जिसका उद्देश्य ऐसे दिवंगत सरकारी कर्मचारी के आश्रित को बढ़ी हुई पारिवारिक पेंशन प्रदान करना है, जिसकी मृत्‍यु 7 वर्ष की सेवा पूरी करने से पहले हो चुकी हो। पहली  अक्टूबर 2019 से सेवा के वर्षों की संख्या का यह अंतर हटा दिया गया  और अब सभी ऐसे सरकारी कर्मचारियों के लिए जिनकी मृत्‍यु 7 वर्षों की सेवा पूरी करने से पहले हो जाती है उनके आश्रित को बढ़ हुआ पेंशन  स्वीकार्य होगा।





    1. वृद्ध पेंशनभोगियों के लिए जीवनयापन को आसान बनाने के लिए  18.7.2019 को आदेश जारी किए गए  ताकि उन्हें जीवन प्रमाण पत्र जमा करने की अनुमति दी जा सके। इसकी अवधि 1 नवंबर से बढ़ाकर 30 नवंबर की गई।

    2. जम्मू में इस विभाग की विशेष पहल पर, सुशासन प्रथाओं को अपनाने के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन को एक प्रस्तुति दी गई। इसके बाद जम्मू में भविष्य पर एक कार्यशाला आयोजित की गई जो 25 सितंबर, 2019 को सीमा सचिव बल जम्मू के कर्मियों के लिए आयोजित की गई थी।