Friday, January 10, 2020

अपने मूल-संस्कारों को अपनाओ!!!

संभलने की जरूरत है !!


1. चोटियां छोड़ी ,
2. टोपी, पगड़ी छोड़ी ,
3. तिलक, चंदन छोड़ा
4. कुर्ता छोड़ा ,धोती छोड़ी ,
5. यज्ञोपवीत छोड़ा ,
6. संध्या वंदन छोड़ा ।
7. रामायण पाठ, गीता पाठ छोड़ा ,
8. महिलाओं, लड़कियों ने साड़ी छोड़ी, बिछिया छोड़े, चूड़ी छोड़ी , दुपट्टा, चुनरी छोड़ी, मांग बिन्दी छोड़ी।
9. पैसे के लिये, बच्चे छोड़े (आया पालती है)
10. संस्कृत छोड़ी, हिन्दी छोड़ी,
11. श्लोक छोड़े, लोरी छोड़ी ।
12. बच्चों के सारे संस्कार (बचपन के) छोड़े ,
13. सुबह शाम मिलने पर राम राम छोड़ी ,
14. पांव लागूं, चरण स्पर्श, पैर छूना छोड़े ,
15. घर परिवार छोड़े (अकेले सुख की चाह में संयुक्त परिवार)।
अब कोई रीति या परंपरा बची है? ऊपर से नीचे तक गौर करो, तुम कहां पर हिन्दू हो, भारतीय हो, सनातनी हो, ब्राह्मण हो, क्षत्रिय हो, वैश्य होया कुछ और हो 
कहीं पर भी उंगली रखकर बता दो कि हमारी परंपरा को मैंने ऐसे जीवित रखा है।
जिस तरह से हम धीरे धीरे बदल रहे हैं- जल्द ही समाप्त भी हो जाएंगे।


बौद्धों ने कभी सर मुंड़ाना नहीं छोड़ा!
सिक्खों ने भी सदैव पगड़ी का पालन किया!
मुसलमानों ने न दाढ़ी छोड़ी और न ही 5 बार नमाज पढ़ना!
ईसाई भी संडे को चर्च जरूर जाता है!
फिर हिन्दू अपनी पहचान-संस्कारों से क्यों दूर हुआ? 
कहाँ लुप्त हो गयी- गुरुकुल की शिखा, यज्ञ, शस्त्र-शास्त्र, नित्य मंदिर जाने का संस्कार ?
हम अपने संस्कारों से विमुख हुए, इसी कारण हम विलुप्त हो रहे हैं।


अपनी पहचान बनाओ! 
 


इंस्पायर अवार्ड मानक योजना अंतर्गत जनपद स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन

उरई जालौन 


रिपोर्टर रविकांत गौतम जालौन 



 राजकीय इंटर कॉलेज उरई में संपन्न हुआ जिसमें मुख्य रुप से डॉक्टर रईस खान वैज्ञानिक आई0एम0एफ0 अहमदाबाद उपस्थित हुए इस कार्यक्रम में जनपद स्तर पर प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के 227 विद्यार्थियों का चयन किया गया चयनित सभी प्रतिभागी विद्यार्थियों ने विज्ञान के मॉडल प्रस्तुत किए इन सभी प्रतिभागी छात्र-छात्राओं के खातों में विज्ञान मॉडल बनाने प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा प्रत्येक खातों में दस-दस हजार रुपये की धनराशि स्थानांतरित की गई उक्त कार्यक्रम मे जिला विद्यालय निरीक्षक एवं बेसिक शिक्षा अधिकारी भगवत पटेल ,मुख्यकोषा अधिकारी आशुतोष चतुर्वेदी ,अधिशाषी अधिकारी नगर पालिका संजय कुमार, महिला थाना अध्यक्ष  श्रीमती नीलेश कुमारी, एवं  विज्ञान एवं  प्रौद्योगिकी परिषद औरैया उत्तर प्रदेश मनीष यादव सहायक, बेसिक शिक्षा अधिकारी आनंद भूषण, डी0पी0आर0ओ अभययादव, एलड्रिच पब्लिक स्कूल के प्रबंधक अजय इटौदिया , अलीम सर  ,सहित  एवं  निर्णाक मंडल विज्ञान संचारक  मेंटर शिक्षक अभिभावक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे यह कार्यक्रम प्रदेश में प्रतिशतता की दृष्टि की प्रथम स्थान पर है  इस आयोजन में गठित निर्णायक मंडल के सदस्यों द्वारा प्रत्येक मॉडल पर जाकर उसका अवलोकन किया गया और प्रतिभाग करने वाले विद्यार्थियों से मॉडल से संबंधित तार्किक प्रश्न पूछे और मॉडल को अधिक से अधिक कैसे उपयोगी बनाया जा सकता है इस पर प्रकाश डाला गया योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब बिछड़े प्रतिभावन बच्चों का विकास करना है इसके लिए जनपद के शिक्षा विभाग के मुखिया श्री भगवत पटेल ,अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य सुश्री अर्चना त्रिपाठी ,सारिका आनंद, जिला विज्ञान समनयवक अनिल  गुप्ता,  सहायक समनयवक शैलेन्द्र निरंजन, एवंअतुल दीक्षित, सुमेन्द्र पान्डेय, पुश्पेन्द्र सिह ,नरेश श्रीवास, धीरेन्द यादव, अनरुद कुशवा  अनिल श्रीवास्तव  राजेन्द्र कुमार गुप्ता व जनता इंटर कॉलेज  एट के छात्र देवेंद्र सिंह ने इलेक्ट्रिक साइकिल बनाकर एक जनपद में अपना अच्छा नाम रोशन किया है छात्र देवेंद्र सिंह का कहना है कि आने वाले समय में पेट्रोल खत्म हो सकता है तो इलेक्ट्रॉनिक का जमाना है और इस साइकिल को हम सोलर ऊर्जा के द्वारा चार्ज करके इस्तेमाल कर सकते हैं |



रविकांत गौतम दैनिक अयोध्या टाइम


उ0 प्र0 खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के सौजन्य से 10 दिवसीय मण्डलीय खादी ग्रामोद्योग प्रदर्षनी में आज दिनांक 09/01/2020 को आयोजित सांस्कृतिक प्रोग्राम


         उ0प्र0खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के सौजन्य से मोतीझील कानपुर नगर में दस दिवसीय मण्डलीय खादी ग्रामोद्योग प्रदर्षनी में आज दिनांक 09.01.2020 को सायं 6ः00 बजे सरिता यादव के निर्देषन में लखनऊ की रासरंग संस्था  द्वारा मूल मराठी लेखक- श्री बसन्त सबनीस द्वारा रचित हास्य नाटक  ”कहानी राजदरबार“ का मंचन किया गया। नाटक में  राजा एवं साख्या का किरदार षुभम षर्मा, कोतवाल एवं प्रधान का किरदार-अभिशेक ने,ं हवलदार का किरदार - धीरेन्द्र पाण्डेय, सिपाही  का-राज यादव, मैनाबाई- सरिता यादव ने भावपूर्ण किरदार निभाया। ”कहानी राजदबार की“ नाटक में देष में हो रहे भश्टाचारा को  हास्य रूप में अभिनीत करके दर्षकों की खूब वाह-वाही लूटी। 
         श्री अभय त्रिपाठी परिक्षेत्रीय ग्रामोद्योग अधिकारी ने बताया कि  कल दिनांक-10.01.2020 को विषेश कार्यक्रम संविधान षिल्पी बाबा साहब अम्बेडकर के संविधान निर्माण में योगदान एवं भारतीय संविधान के आदर्षो पर चर्चा हेतु विशय विषेशज्ञ एवं वरिश्ठ अधिवक्ताओं द्वारा विचार गोश्ठी व संविधान में उल्लेखित मूल कर्तव्यों के प्रति जागरूकता कार्यक्रम षाम-5ः30 बजे किया जा रहा है।
श्री हरिष्चन्द्र मिश्रा जिला ग्रामोद्योग अधिकारी ने बताया कि दिनांक- 10.01.2020 को सांस्कृतिक कार्यक्रम में स्थानीय प्रसिद्व कवि श्री हेमन्त पाण्डेय के नेतृत्व में कवि सम्मेलन का आयोजन सांय- 7ः00 बजे किया जायेगा जिसमें सुश्री नीरू श्रीवास्तव, डा0 अरूण तिवारी गोपल, श्री ओम नारायण षुक्ला, सुश्री षिखा सिंह एवं अन्य कवियों द्वारा प्रतिभाग किया जायेगा। 
       मण्डल स्तरीय प्रदर्षनी में दर्षकों व क्रेताओ की अच्छी भीड़ देखी गयी । खादी एवं ग्रामोद्योग स्टालो में विषेश रूप से स्वराज आश्रम कानपुर, ग्राम सेवा संस्थान, मनोज पाल हरिद्वार, पवन गुप्ता औशधी संस्थान आदि में अच्छी बिक्री दर्ज की गयी
      प्रदर्षनी में श्री सुरेष गुप्ता अध्यक्ष उ0प्र0 खादी ग्रामोद्योग महासंघ, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के सहयोगी राजीव द्विवेदी,मनोज पाठक, मनोज षुक्ला मो0षारिब, उर्मिला देवी मजीद अहमद,टोनी सक्सेना,ओम प्रकाष आदि उपस्थित थे।                      


Wednesday, January 8, 2020

 ऐ नये साल तेरे झूठे दिलाशो की कसम?

 ऐ नये साल तेरे झूठे दिलाशो की कसम?
फिर कदम हमने उठाया है बहकने के लिये।
जिन्दगी हार के फिर तेरे करीब आया हूँ,?
अपने सपने तेरे तलवों से मसलने के लिये।।
सियासत के तुगलकी फरमान पर भरोशा कर खून का आसू रो रहा है किसान?जब यू पी में भाजपा की सरकार बनी एक लाख तक किसानो का कर्ज माफ कर दिया गया। छुट्टा पशुओं से निजात के लिये वादा किया गया। लेकीन दोनो फैसला सियासी खेल हो गया।बैंक वसूली  की नोटिस दे रहा,छूट्टा पशु खेतो में धमाल मचा रहे है। सङको पर बवाल कर रहें ह हँसते खेलती जिन्दगी को रोज हलाल कर रहें है।
बर्तमान परिवेश में किसान तबाही के आलम मे खून का आंसू रोने को मजबूर कर दिया गया? नहरों मे पानी नही? गन्ना कि खरीद्दारी नही? धान कि ऊपज बेचने के लिये दरहदर ठोकरे खा रहा है किसान।भारी वर्षात के चलते अधिकतर खेतो में गेहूं बोया नहीं गया?मंहगाई चरम पर है। हर तरफ तबाही है कैसे जियेगा किसान? छूट्टा पशु बिरान कर रहें है खेतऔर खलिहान? बे मौत मर जायेगा इन्सान?।अवारा पशुओं की खेतों में धमाचौकङी को रोकने के लिये दिन रात खेतो की रखवाली कर रहा है इस देश का अन्नदाता? गावों मे हर तरफ मायूसी कीसानो के चेहरो से गायब है खुशी? खेत बिरान है बुआई केअभाव सुना पङा सिवान है।? एक तरफ प्रकृति तो दुसरी तरफ सरकार की दोगली नीति से परेशान किसान है। तबाही के आलम में गांव के गांव हो गये सुनशान सारी सरकारी ब्यवस्था कागजी किसी का कोई सुनने वालानही।भरष्टाचार के चलते चारों तरफ हाहाकार , हर तरफ मायूसी | बैंक के कर्ज बिजली  बिल के बढते दाम,के चलते थाम कर बैठ गया है किसान दिल?कैसे कटेगी जिन्दगी? हर तरफ मिल रही है शर्मिनदगी?यह सरकार भी किसानो की हितैशी नही कही कोई सुनवाई नही। आज उदासी के माहौल लोग कह रहे है भगवान क्या तेरी माया है? सियासत के आसमान में दर्द का  बादल छाया है। न जाने कब हो जाये बगावत की बारिश?न खेती बची न बारी हर तरफ लाचारी! किसान तबाह परेशान ब्यापारी। आखिर कैसे जियेगा किसान? खेत बन गये शमशान? इस सवाल का जबाबआखिर देगा कौन ? मुर्दे सियासत बाज आखिर क्यों हो गयें है मौन?। हर तरफ लूट मची है। लोकतन्त्र की दुल्हन का चीरहरण हो रहा है ।भ्रष्टाचार का दानव रोजाना इन्सानियत का अपहरण कर रहा है। मच्छर के तरह घङियालू आंसू  बहाने वाले वादा फरोश नेता ढपोर शंखी वादों के सहारे सियासत की बैतरणी पार कर लखनऊ व दिल्ली की रंगीन रियासत में आराम फरमा रहे है। जाति बाद का फार्मूला फैलाकर सियासत को रोज गर्मा रहे है।
इस देश का अन्नदाता कराह रहा है ।आहे भर रहा है। दर्द की हवा अब धीरे धीरे सियासी आँधी बनकर बदलाव की दरिया में सुनामी लाने के तरफ बढ रही है।यह देश की मजबूरी है। सियासत को रखैल समझने वालों के लिये एक झटका जरूरी है? खुद अब अन्न पैदा करने वाले का ही नहीँ भर पा रहा पेट है?महंगाई के चलते बोये नहीं गये खेत है?।कल तक बर्तमान सरकार का गुण गान करने वाला देश का किसान मन मसोस कर अफसोस कर रहा है।यह कहने को मजबूर हो गया कोई नृप होही हमें क्या हानी?आज का परिवेश भौतिकता की कसौटी पर वास्तविकता को नकार रहा है। मजबूर किसानो की लाचारी को ही ललकार रहा है।वादो की सलीब पर लटका कीसान परेशान है कि कब जिन्दगी के हौसले में सरकारी फैसले का समागम होगा?कब धरातल पर उतरेगी  बिकाश की गंगा? कब रूकेगा इस देश मे सियासी दंगा?रोटी कपङा मकान के लिये हलकान है इस देश का आन्नदाता ? उसके जीवन चक्र मे केवल तूफान है? जब तक दुखी किसान रहेगा धरती पर तुफान रहेगा के गगन भेदी नारों को लगाते लगाते थक गया है। किसान आन्दोलन भी अब दम तोङ चुका है। कार्पोरेट घरानो की बन्धक बनती जा रही है कृषि ब्यवस्था। रोज़मर्रा की जिन्दगी में मानसिक गुलामी का दौर शुरू है। आर्थिक शोषण का पोषण करा रही है बर्तमान सरकार?, जिसके जङ में सियासत के प्रदुषित पानी को पाकर दिन रात बढ रहा है भरष्टाचार?। गुजरा साल तो केवल तबाही की निशानी छोङ गया आहे भरते लोगो का दिल तोङ गया?। कभी  सूखा ने तबाही मचाया तो कभी भयंकर वारिश ने जीवन को आत्मसात कर दिया। लावारिश कर दिया?। सरकारी खेमों में काम करने वाले अहलकार फर्जी आकङो की खेल खलते रहे?। गांवो  की दुर्दशा को सरकारी फाइलों में गुलाबी बयाँ  करते रहे।जब की आज के दौर में यह चन्द लाईने एक दम सही सटीक लग रहीं है कि तुम्हारे फाईलो में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आकङे झूठे है वादा खिलाफी है?। सरकारी तन्त्र  लोकतन्त्र  के मूल मन्त्र को ही प्रदुषित कर दिये।सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाकर अपनी झोली भर लिये।दम तोङती ब्यवस्था में किसान सिसक सिसक कर जिन्दगी बशर कर रहा है। इस आस व उम्मिद में की सरकार किसान नीतियाँ  बनायेगी ऊपज के वाजीब कीमत दिलायेगी?, किसानो की समस्याओ का समाधान करायेगी? लेकीन सब कुछ फर्जी दिलाशा ही साबित हुआ।,हताशा मे तमाशा बनकर सब कुछ सियासी बवन्ङर में समा गया। न तकदीर बदली न समस्या का हुआ समाधान ।जैसे कल था वैसे ही बेमौत मर रहा है आज भी किसान?सर पर कर्ज का बढता मर्ज गृहस्थी सम्हालने के लिये हाँफ हाँफ कर पूरा कर रहा है फर्ज,? लेकीन इस दर्द को किसी ने नही समझा।मानसिक दबाव में  कहीं किसान आत्म हत्या कर रहा है तो कहीं खुदकसी?घर पर कहीं खेतों में सिचाई के पानी की लगान तो कहीं बिजली की पहुँच रहीं है आरसी?चारो तरफ अन्धेरा ही अन्धेरा।दर्द की दरिया में ङूबते उपराते तबाही की घनघोर निशा में कब होगा सबेरा? यह सवाल मुँह बाये बर्तमान ब्यवस्था के आस्था पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है?।किसानो के अरमानो  पर तुषारापात कर देश को सुखी रखने की कल्पना करना भी  बेमानी होगी। देखते जाईये आने वाला कल बिकल भाव से गुजरे बर्ष से निकल कर नये साल में  क्या कमाल करता है।वख्त सुधरता है या अगले साल की ही तरह मन की बात सुनकर केवल फिसलता है।कभी गर्व से इस देश में यह लगने  वाला नारा जय जवान जय किसान भी अब  बेमानी लग रहा है।झूठे आकङो  के दौर मे सारा बिकाश जबानी लग रहा है।