Friday, January 10, 2020

कैबिनेट ने भारत तथा बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) के बीच स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में सहयोग के समझौता ज्ञापन को पूर्व प्रभाव से मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय तथा बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के बीच समझौता ज्ञापन को पूर्व प्रभाव से मंजूरी दे दी है। इस समझौता ज्ञापन पर बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के न्‍यासी और सह अध्‍यक्ष श्री बिल गेट्स की भारत यात्रा के दौरान नवंबर 2019 में हस्‍ताक्षर किए गए थे।


समझौता ज्ञापन के तहत निम्‍नलिखित क्षेत्रों में सहयोग की व्‍यवस्‍था की गई है:- 


1.  माताओं, नवजात शिशुओं तथा बच्‍चों की मृत्‍यु दर में कमी लाने और पोषण सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए टीकाकरण तथा गुणवत्‍ता युक्‍त प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की सभी तक पहुंच को आसान और सुगम बनाना।


2.  परिवार नियोजन के तौर तरीकों और गुणवत्‍ता वाले विकल्‍प बढ़ाना । विशेष रूप से युवा महिलाओं तक ऐसे विकल्‍प उपलब्‍ध कराना जिन्‍हें आसानी से बदला जा सके।


3.  टीबी और वीएल और एलएफ जैसे संक्रामक रोगों के मामलों में कमी लाना।


4.  आबंटित बजट के इस्‍तेमाल के साथ  स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में कार्यरत मानव संसाधन के कौशल और प्रबंधन, मजबूत आपूर्ति श्रृंखला और निगरानी तंत्र के माध्‍यम से स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली को सशक्‍त बनाना।


समझौता ज्ञापन की व्‍यवस्‍थाओं को लागू करने और सहयोग के क्षेत्रों का विस्‍तृत ब्‍यौरा तय करने के लिए एक कार्यक्रम क्रियान्‍वयन समिति का गठन किया जाएगा।


कैबिनेट ने ओडिशा सरकार के दो पीएसयू के साथ गठित संयुक्‍त उद्यम कंपनी नीलांचल इस्‍पात निगम लिमिटेड में एमएमटीसी, एनएमडीसी, मेकॉन और भेल की इक्विटी हिस्‍सेदारी के रणनीतिक विनिवेश को ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने नीलांचल इस्‍पात निगम लिमिटेड (एनआईएनएल) में खनिज एवं धातु व्यापार निगम लिमिटेड (एमएमटीसी) (49.78 प्रतिशत), राष्‍ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) (10.10 प्रतिशत), मेकॉन (0.68 प्रतिशत) तथा भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्‍स लिमिटेड (भेल) (0.68 प्रतिशत) और ओडिशा सरकार के दो सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (पीएसयू) यथा ओडिशा औद्योगिक संवर्धन व निवेश निगम लिमिटेड (आईपीआईसीओएल) (12.00 प्रतिशत) एवं ओडिशा खनन निगम (ओएमसी) (20.47 प्रतिशत) की इक्विटी हिस्‍सेदारी का रणनीतिक विनिवेश एक ऐसे रणनीतिक खरीदार को करने को ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दे दी है, जिसकी पहचान दो चरणों वाली नीलामी प्रक्रिया के जरिए की गई है। एनआईएनएल एक संयुक्‍त उद्यम कंपनी है, जिसमें चार सीपीएसई (केन्‍द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम) यथा एमएमटीसी, एनएमडीसी, भेल तथा मेकॉन और ओडिशा सरकार के दो एसपीएसयू (राज्‍य सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम) यथा आईपीआईसीओएल तथा ओएमसी शेयरधारक हैं।


      एनआईएनएल के प्रस्‍तावित रणनीतिक विनिवेश से इसमें निहित संसाधन मुक्‍त होंगे, जिसका इस्‍तेमाल सरकार के सामाजिक क्षेत्र/विकास कार्यक्रमों का वित्‍त पोषण करने में होगा। इससे आम जनता लाभान्वित होगी। यह भी उम्‍मीद की जा रही है कि सफल रणनीतिक खरीदार इस कंपनी के विकास के लिए नया प्रबंधन/प्रौद्योगिकी/निवेश ला सकता है और इसके साथ ही यह खरीदार इस कंपनी के व्‍यावसायिक परिचालनों के विकास के लिए अभिनव तरीकों का इस्‍तेमाल कर सकता है, जिससे और भी अधिक रोजगार अवसर सृजित हो सकते हैं।  


गणतंत्र दिवस परेड के लिए तैयार भारतीय नौसेना की झांकी का अनावरण किया गया

नयी दिल्‍ली में 26 जनवरी को राजपथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में हिस्‍सा लेने वाली भारतीय नौसनो की झांकी का आज यहां  अनावरण किया गया । इस बार इस झांकी का विषय नौसेना की मूल भावना के अनुरूप ‘ इंडियन नेवी- साइलेंट, स्‍ट्रांग और स्विफ्ट’’  रखा गया है।


झांकी के अग्रिम भाग में भारतीय नौसेना की जमीन,हवा तथा पानी तीनों दिशाओं में प्रहार क्षमता को दर्शाया गया है। इसे हार्पून मिसाइलों, समुद्र में दूर तक गश्‍त लगाने वाले विमान बोइंग पी आठ, स्‍टील्‍थ डेस्‍ट्रायर , ब्रह्मोस मिसाइल , एक्‍सोसेट मिसाइल और कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी की प्रतिकृति के माध्‍यम से दर्शाया गया है।  झांकी के पिछले हिस्‍से में स्‍वदेश  निर्मित विमान वाहक पोत विक्रांत के मॉडल को कोच्चि शिपयार्ड में निर्माणाधीन अवस्‍था में दिखाया गया है। इसके साथ ही झांकी में मिग 29 लड़ाकू विमानों के मॉडल भी प्रदर्शित किए गए हैं। ये जहाज,पोत तथा हथियार नौसेना की ताकत को ही नहीं द‍र्शा रहे बल्कि मेक इन इंडिया अभियान के प्रति नौसेना की प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित कर रहे हैं।


 झांकी में अपतटीय आर्थिक संपत्तियों के संरक्षण के साथ-साथ मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) प्रदान करने के मामले में नौसेना की भूमिका को  भित्ति चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। इसमें जुलाई 2014 में महालक्ष्मी एक्सप्रेस द्वारा महाराष्ट्र में चलाए गए  बाढ़ राहत अभियान, फारस की खाड़ी (ओपी संकल्प) में किए गए एस्कॉर्ट ऑपरेशन तथा समुद्र में देश के तेल रिगों का फास्ट अटैक क्राफ्ट के माध्‍यम से सुरक्षा प्रदान किया जाना दिखाया गया है।


कुल मिलाकर, झांकी का उद्देश्य नौसेना को एक विश्वसनीय और किसी भी समय देश की रक्षा के लिए तैयार  सैन्य बल के रूप में प्रदर्शित करना है, जो राष्ट्र की सेवा करने के साथ ही देश की आर्थिक संपत्ति की रक्षा करता है और संकट और प्राकृतिक आपदाओं के समय में अपने लोगों को बचाने के लिए तत्‍पर रहता है।


गणतंत्र दिवस परेड में नौसेना की इस झांकी का नेतृत्‍व करने वाले अधिकारियों से भी आज प्रेस वार्ता के दौरान सबका परिचय कराया गया।


कैबिनेट ने शांतिपूर्ण और नागरिक उद्देश्यों के लिए बाह्य अंतरिक्ष के इस्‍तेमाल और वहां खोज गतिविधियों के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और मंगोलिया के बीच समझौते को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने शांतिपूर्ण और असैन्‍य उद्देश्‍यों के लिए बाह्य अंतरिक्ष के इस्‍तेमाल और वहां खोज गतिविधियों के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत और मंगोलिया के बीच हुए समझौते को मंजूरी दे दी है।


  इस समझौते पर मंगोलिया के राष्‍ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान 20 सितंबर 2019 को नयी दिल्‍ली में हस्‍ताक्षर किए गए थे।


विवरण:-


·         इस समझौते के तहत दोनों पक्ष अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा पृथ्‍वी के बारे में जानकारियां प्राप्‍त करने के लिए दूरसंवेदी प्रणाली का उपयोग, उपग्रह संचार तथा उपग्रह आधारित दिशासूचक प्रणाली, अंतरिक्ष विज्ञान और ग्रहों की खोज,अंतरिक्ष यानों, अंतरिक्ष प्रणाली तथा भू प्रणाली का उपयोग तथा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल के लिए सहयोग कर सकेंगे।


·         इस समझौते के तहत दोनों पक्ष एक संयुक्‍त कार्य समूह गठित कर सकेंगे। जिसमें भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के सदस्‍य और मंगोलिया के संचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी प्राधिकरण के सदस्‍य शामिल होंगे। यह कार्य समूह समझौते की व्‍यवस्‍थाएं लागू करने के तौर तरीकों और उनके लिए समय सीमा का निर्धारित करेगा।


वित्‍तीय प्रभाव :-


समझौते के तहत सहयोग की गतिविधियों पर होने वाले खर्च का फैसला दोनों पक्ष उपलब्‍ध वित्‍तीय संसाधनों और आवश्‍यकताओं के अनुरूप करेंगे।


लाभ :-


इस समझौते के माध्‍यम से दोनों देश अंतरिक्ष में प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल के लिए संयुक्‍त गतिविधियां चला सकेंगे जो आगे चलकर मानव जाति के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। इस समझौते से देश के सभी क्षेत्र लाभान्वित होंगे।


क्रियान्‍वयन रणनीति और लक्ष्‍य :-


यह समझौता दोनों पक्षों को संयुक्‍त कार्य समूह के माध्‍यम से समय बद्ध तरीके से समझौते की व्‍यवस्‍थाएं लागू करने में मदद करेगा।


 प्रभाव :-


समझौते के माध्‍यम से दोनों पक्षों को बाह्य अंतरिक्ष में खोज गतिविधियां चलाने तथा दूरसंवेदी प्रणाली, उपग्रह संचार, उपग्रह दिशासूचक प्रणाली और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में प्रौद्योगि‍की के इस्‍तेमाल के नए अवसर मिलेंगे। 


पृष्‍ठभूमि:-


भारत के अंतरिक्ष विभाग और मंगोलिया के अवसंरचना मंत्रालय ने अंतरिक्ष विज्ञान और  प्रौद्योगिकी में सहयोग तथा इनके इस्‍तेमाल के लिए 15 जनवरी 2004 को एक समझौते पर हस्‍ताक्षर किए थे। इसके तहत मंगोलिया के अधिकारियों को अंतरिक्ष विज्ञान में प्रशिक्षण देने के अलावा कोई और बड़ी गतिविधि अभी नहीं हो पायी है।


समझौते की समीक्षा के बारे में जब मंगोलिया में भारत के दूतावास से संपर्क किया गया तो पता चला कि वहां का अवसंरचना विभाग खत्‍म कर दिया गया है और अंतरिक्ष से जुड़ी गतिविधियों का काम-काज अब संचार और सूचना प्रौद्योगिकी प्राधिकरण की देख-रेख में किया जा रहा है।


दूतावास की ओर से यह जानकारी भी दी गई थी कि मंगोलिया का एक उच्‍चस्‍तरीय प्रतिनिधिमंडल सितंबर 2019 में भारत की यात्रा पर आने वाला है और अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग उसका एक अहम एजेंडा होगा। दूतावास की ओर से इसरो को एक अनुरोध भेजा गया और समझौते का मसौदा मंगाया गया ताकि उसे मंगोलिया के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी प्राधिकरण के साथ साझा किया जा सके। इसरो की ओर से मसौदा भेजे जाने के बाद मंगोलिया और भारत के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग के समझौते का नया मसौदा तैयार किया गया और जिसपर दोनों पक्षों ने अपनी सहमति दी।