प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने शांतिपूर्ण और असैन्य उद्देश्यों के लिए बाह्य अंतरिक्ष के इस्तेमाल और वहां खोज गतिविधियों के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत और मंगोलिया के बीच हुए समझौते को मंजूरी दे दी है।
इस समझौते पर मंगोलिया के राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान 20 सितंबर 2019 को नयी दिल्ली में हस्ताक्षर किए गए थे।
विवरण:-
· इस समझौते के तहत दोनों पक्ष अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी के बारे में जानकारियां प्राप्त करने के लिए दूरसंवेदी प्रणाली का उपयोग, उपग्रह संचार तथा उपग्रह आधारित दिशासूचक प्रणाली, अंतरिक्ष विज्ञान और ग्रहों की खोज,अंतरिक्ष यानों, अंतरिक्ष प्रणाली तथा भू प्रणाली का उपयोग तथा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के लिए सहयोग कर सकेंगे।
· इस समझौते के तहत दोनों पक्ष एक संयुक्त कार्य समूह गठित कर सकेंगे। जिसमें भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के सदस्य और मंगोलिया के संचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी प्राधिकरण के सदस्य शामिल होंगे। यह कार्य समूह समझौते की व्यवस्थाएं लागू करने के तौर तरीकों और उनके लिए समय सीमा का निर्धारित करेगा।
वित्तीय प्रभाव :-
समझौते के तहत सहयोग की गतिविधियों पर होने वाले खर्च का फैसला दोनों पक्ष उपलब्ध वित्तीय संसाधनों और आवश्यकताओं के अनुरूप करेंगे।
लाभ :-
इस समझौते के माध्यम से दोनों देश अंतरिक्ष में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के लिए संयुक्त गतिविधियां चला सकेंगे जो आगे चलकर मानव जाति के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। इस समझौते से देश के सभी क्षेत्र लाभान्वित होंगे।
क्रियान्वयन रणनीति और लक्ष्य :-
यह समझौता दोनों पक्षों को संयुक्त कार्य समूह के माध्यम से समय बद्ध तरीके से समझौते की व्यवस्थाएं लागू करने में मदद करेगा।
प्रभाव :-
समझौते के माध्यम से दोनों पक्षों को बाह्य अंतरिक्ष में खोज गतिविधियां चलाने तथा दूरसंवेदी प्रणाली, उपग्रह संचार, उपग्रह दिशासूचक प्रणाली और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के नए अवसर मिलेंगे।
पृष्ठभूमि:-
भारत के अंतरिक्ष विभाग और मंगोलिया के अवसंरचना मंत्रालय ने अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग तथा इनके इस्तेमाल के लिए 15 जनवरी 2004 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत मंगोलिया के अधिकारियों को अंतरिक्ष विज्ञान में प्रशिक्षण देने के अलावा कोई और बड़ी गतिविधि अभी नहीं हो पायी है।
समझौते की समीक्षा के बारे में जब मंगोलिया में भारत के दूतावास से संपर्क किया गया तो पता चला कि वहां का अवसंरचना विभाग खत्म कर दिया गया है और अंतरिक्ष से जुड़ी गतिविधियों का काम-काज अब संचार और सूचना प्रौद्योगिकी प्राधिकरण की देख-रेख में किया जा रहा है।
दूतावास की ओर से यह जानकारी भी दी गई थी कि मंगोलिया का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल सितंबर 2019 में भारत की यात्रा पर आने वाला है और अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग उसका एक अहम एजेंडा होगा। दूतावास की ओर से इसरो को एक अनुरोध भेजा गया और समझौते का मसौदा मंगाया गया ताकि उसे मंगोलिया के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी प्राधिकरण के साथ साझा किया जा सके। इसरो की ओर से मसौदा भेजे जाने के बाद मंगोलिया और भारत के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग के समझौते का नया मसौदा तैयार किया गया और जिसपर दोनों पक्षों ने अपनी सहमति दी।