Friday, January 10, 2020

वर्षांत समीक्षा 2019 – कृषि, सहकारिता और किसान कल्‍याण मंत्रालय

वर्ष 2019 के दौरान कृषि, सहकारी और किसान कल्याण मंत्रालय की प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार रहीः-


प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना की शुरुआत (पीएम-केएमवाई)


 प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 12 सितंबर, 2019 को शुरु की गई पीएम-केएमवाई योजना में 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर पात्र लघु और सीमांत किसानों को प्रति माह न्यूनतम रु 3,000 रुपये का भुगतान करने का प्रावधान है। यह स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजना है, जिसमें प्रवेश की आयु 18 से 40 वर्ष है। इसके लिए किसान की ओर से मासिक योगदान 55 से 200 रुपये के बीच रखा गया है। केंद्र सरकार पेंशन योजना में अपनी ओर से समान राशि का योगदान करेगी। इस योजना के तहत अब तक 19, 19, 802 लाभार्थियों का पंजीकरण हो चुका है।


प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना की शुरुआत


प्रधान मंत्री ने 24 फरवरी, 2019 को इस योजना की शुरुआत की थी।  इस योजना के तहत प्रतिवर्ष 6,000 रुपये तीन बराबर किस्तों में लाभार्थी किसानों के खाते में सीधे डाले जाने की व्यवस्था है। योजना की शुरुआत में इसका लाभ केवल छोटे और सीमांत किसान परिवारों जिनके पास 2 हेक्टेयर तक की भूमि थी, देने की व्यवस्था की गई थी। सरकार ने बाद में इसमें बदलाव किया और 1 अप्रैल 2019 से यह व्यवस्था की कि इस योजना का लाभ सभी किसानों को दिया जाएगा, चाहे उनकी जमीन कितनी भी हो। इस योजना से अब तक लगभग 8.12 करोड़ किसान परिवार लाभान्वित हुए हैं। योजना के तहत अब तक 48,937 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। किसानों को स्वयं पंजीकरण कराने के लिए 'किसान कॉर्नर' लिंक के माध्यम से पीएम-किसान वेब-पोर्टल (www.pmkisan.gov.in) पर एक नई सुविधा प्रदान की गई है। आधार कार्ड के हिसाब से लाभार्थी सूची और भुगतान की स्थिति तक पहुँच बनाई जा सकती है। किसानों को सामान्य सेवा केन्द्रों के माध्यम से स्वयं पंजीकरण में किसी तरह के बदलाव की सुविधा दी गई है।


भारतीय कृषि में आमूल बदलाव के लिए मुख्यमंत्रियों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन 


"भारतीय कृषि में बड़े बदलाव के लिए मुख्यमंत्रियों की एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया गया। समिति की दो बैठकें 18 जुलाई, 2019 और 16 अगस्त 2019 को हुईं। इन बैठकों में कृषि क्षेत्र से संबंधित रिपोर्ट को बेहतर बनाने पर गहन विचार-विमर्श किया गया। 


खरीफ मौसम 2019-20 के लिए खरीफ की फसल तथा रबी की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया 


केंद्र सरकार ने 2019-20 के खरीफ मौसम में खरीफ फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी की घोषणा की। धान का न्यूनतम समर्थम मूल्य 65 रुपये प्रति क्विंटल, ज्वार का 20 रुपये प्रति क्विंटल, बाजरा का 50 रुपये प्रति क्विंटल, रागी का 253 प्रति क्विंटल और मक्का का 60 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया। तुअर, मूंग और उड़द दालों का न्यूनतम समर्थन मूल्य क्रमशः 125, 75 और 100 रूपये प्रति क्विंटल बढ़ा। मूंगफली का 200 रुपये प्रति क्विंटल, सूरजमुखी की बीज का 262 रुपये प्रति क्विंटल, नाइजरसीड 63 रुपये प्रति क्विंटल, मीडियम स्टेपल कपास 105 रुपये प्रति क्विंटल, लॉन्ग रैपल कपास 100 रुपये प्रति क्विंटल, सोयबीन (पीला) द्वारा 311 रुपये प्रति क्विंटल और तिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य 236 प्रति क्विंटल बढ़ाया गया।


 सरकार ने रबी के मौसम 2020-21 में रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की घोषणा की। गेहूं और जौ के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 85 रुपये से 255 रुपये प्रति क्विंटल, दालों में 325 रुपये प्रति क्विंटल, तोरिया और सरसों में 225 रुपये प्रति क्विंटल और कुसुम में 270 प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की।


ई-नैम – एक राष्ट्र एक बाजार


 ई-नैम के तहत देश की 421 नई मंडियों को मंजूरी दी गई है। इन्हें एफपीओ ई-नैम पोर्टल पर भी डाला जाने लगा है ताकि वे अपने उत्पादों को सभी के लिए प्रदर्शित कर सकें। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश के 11 जिलों में स्थित सीडब्ल्यूसी के 23 गोदामों को कृषि उपज और पशुधन विपणन (एपीएलएम) अधिनियम के तहत डीम्ड मार्केट घोषित किया गया है, जो ई-नैम पोर्टल पर इन गोदामों के माध्यम से भविष्य में व्यापार की सुविधा प्रदान करेगा।


अन्य पहल और उपलब्धियां 


पोषणयुक्त गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए देश भर में 25 बीज केंद्र को मंजूरी दी गई है और इनके लिए 723.00 लाख रुपये की पहली किस्त जारी की गई है।


चालू वर्ष (2019-20) के दौरान, आदर्श ग्राम परियोजना के तहत किसानों को 12.40 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए हैं।


खेती में कृषि उपकरणों के इस्तेमाल के लिए 1,44,113 मशीन और उपकरण वितरित किए गए। इनके लिए चालू वर्ष (2019-20) के दौरान 2300 ऐसे केंद्र बनाए गए, जहां से किसान कृषि उपकरण किराये पर ले सकते हैं। 2019-20 के दौरान, 32,808 कृषि मशीन वितरित की गई हैं और 8662 कस्टम हायरिंग केंद्रों को फसल अवशेष प्रबंधन कार्यक्रम के तहत स्थापित किया गया। 


"सीएचसी-फॉर्म मशीनरी" के नाम से बहुभाषायी मोबाइल ऐप शुरु किया गया, जो किसानों को उनके क्षेत्र में कस्टम हायरिंग सर्विस केन्द्रों के माध्यम से किराए पर कृषि मशीनरी और उपकरण प्राप्त करने में मदद करता है। आज तक, इस मोबाइल ऐप पर 1,33,723 कृषि यंत्रों को किराए पर देने के लिए 41,992 सीएचसी पंजीकृत हैं। कुल 1,12,505 किसान इस मोबाइल ऐप पर पंजीकृत हो चुके हैं।


 चालू वर्ष (2019-20) के दौरान 73,658 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को बागवानी फसलों के दायरे में लाया गया और 59 नर्सरी स्थापित की गईं।


कैबिनेट ने भारतीय रेल को ऊर्जा के मामले में आत्म निर्भर बनाने के लिए भारत और ब्रिटेन के बीच समझौता ज्ञापन को मंज़ूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने भारतीय रेल को ऊर्जा मामले में आत्म निर्भर बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग (ब्रिटेन सरकार) के साथ समझौता ज्ञापन पर 02.12.2019 को हस्ताक्षए किए जाने को अपनी मंज़ूरी दे दी है। 


क्रियान्वयन रणनीति एवं लक्ष्य


रेल मंत्रालय ने भारतीय रेल को ऊर्जा मामले में आत्म निर्भर बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग (ब्रिटेन सरकार) के साथ निम्नलिखित समझौता किया है:-





    1. दोनों पक्ष भारतीय रेल को ऊर्जा सक्षम और ऊर्जा मामले में आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश में उठाई जानी वाली गतिविधियों के विस्तार पर सहमत हुए हैं।

    2. दोनों में से प्रत्येक साझीदार समय-समय पर अपने देश में मौजूदा कानून, नियम, नियमन एवं राष्ट्रीय नीतियों के तहत भारतीय रेल को ऊर्जा सक्षम और ऊर्जा मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आवश्यक कदम उठाएंगे।

    3. दोनों पक्ष भारतीय रेल के लिए ऊर्जा योजना जैसे सौर एवं पवन ऊर्जा क्षेत्र, ऊर्जा सक्षमता अभ्यासों को अपनाने, ईंधन कुशलता हासिल करने, इलेक्ट्रिक वीकल चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने, बैटरी से संचालित शंटिंग लोकोमेटिव आदि पर सहमत हैं। दोनों पक्षों के बीच प्रशिक्षण कार्यक्रम, औद्योगिक दौरा, फिल्ड दौरा या सहयोग के किसी अन्य रूप जैसी विकास क्षमता बढ़ाने पर लिखिति में मंज़ूरी दी जा सकती है।

    4. साझीदार इस समझौता ज्ञापन के तहत उचित तरीके से गतिविधियों के संचलन में सहयोग करेंगे। इस समझौते में ऐसा कुछ भी नहीं होगा जो साझीदारों के बीच सहयोग के मौजूदा और भावी व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सके।

    5. साझीदार समझौता ज्ञापन में या इसके कुछ हिस्से में बदलाव या संशोधन के लिए लिखित में आग्रह कर सकते हैं। इसमें किया गया कोई भी बदलाव संशोधित समझौता ज्ञापन का हिस्सा होगा। ये बदलाव या संशोधन साझीदारों द्वारा तय की गई तारीख से लागू माने जाएंगे।

    6. समझौता ज्ञापन दोनों पक्षों के अधिकृत प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के बाद से लागू होगा और कोई भी पक्ष दूसरे पक्ष को लिखित पत्राचार के जरिए समझौते को रद्द कर सकता है। ऐसे में समझौता का रद्द होना दूसरे पक्ष को लिखित में जानकारी मिलने के छह महीने बाद से लागू माना जाएगा।

    7. समझौता ज्ञापन के रद्द होने का असर उन परियोजनाओं और/या कार्यक्रमों पर नहीं होगा जिनपर समझौता रद्द होने की तारीख से पहले ही साझीदारों में सहमति बन गई थी। इनपर सहयोग के क्षेत्र और उनके प्रारुप जारी रहेंगे।

    8. साझीदारों के बीच किसी भी तरह के विवाद या मतभेद आपसी विमर्श और बातचीत से सुलझाए जाएंगे।      




पृष्ठभूमि


रेल मंत्रालय ने ऊर्जा क्षेत्र में विकास के लिए तकनीकि, नीति, अनुसंधान, और व्यावसायिक पहलुओं में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापनों/बदलावों का प्रबंधन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ढांचागत सुधार को सहारा देना और इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड से अक्षय ऊर्जा को जोड़ना है। इसका खास उद्देश्य पहले से अधिक सतत और समेकित आर्थिक वृद्धि, बेहतर ऊर्जा सुरक्षा और कम कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना है। 


भारतीय रेल के लिए यह समझौता ज्ञापनों/बदलावों का प्रबंधन रेल क्षेत्र में नवीनतम विकास और जानकारी को साझा करने का मंच प्रदान करता है। यह समझौता ज्ञापन/बदलावों का प्रबंधन तकनीकी विशेषज्ञता, रिपोर्ट, तकनीकी दस्तावेजों, प्रशिक्षण का विनिमय और अक्षय ऊर्जा जैसे विशेष प्रौद्योगिकी क्षेत्रों पर सेमीनार/कार्यशालाएं आयोजित करने और जानकारी साझा करने का मंच मुहैया कराता है। 


प्रधानमंत्री ने केन्‍द्रीय बजट 2020 के लिए विचार एवं सुझाव आमंत्रित किए

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने केन्‍द्रीय बजट 2020 के लिए MYGov. पर विचार एवं सुझाव आमंत्रित किए हैं।


उन्‍होंने कहा, ‘केन्‍द्रीय बजट 130 करोड़ भारतीय लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्‍व करता है और भारत के विकास का मार्ग प्रशस्‍त करता है। मैं आप सभी को इस वर्ष के बजट के लिए MyGov. पर अपने विचार एवं सुझाव साझा करने के लिए आमंत्रित करता हूं।’


वित्‍त वर्ष 2019-20 के लिए राष्‍ट्रीय आय के प्रथम अग्रिम अनुमान

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय के राष्‍ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने चालू वित्‍त वर्ष के लिए राष्‍ट्रीय आय के प्रथम अग्रिम अनुमान स्थिर मूल्यों (2011-12) और वर्तमान मूल्यों दोनों पर ही जारी किए हैं। इन अनुमानों से जुड़ी मुख्‍य बातों का उल्‍लेख नीचे किया गया है:


 स्थिर मूल्‍यों (2011-12) पर अनुमान


सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी)


वित्‍त वर्ष 2019-20 में स्थिर मूल्‍यों (2011-12) पर वास्‍तविक जीडीपी या जीडीपी 147.79 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्‍त वर्ष 2018-19 के लिए जीडीपी का अनंतिम अनुमान 140.78 लाख करोड़ रुपये था। वित्‍त वर्ष 2019-20 में जीडीपी की वास्‍तविक वृद्धि दर 5.0 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्‍त वर्ष 2018-19 में जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत थी।


मूल या बुनियादी मूल्‍यों पर सकल मूल्‍य वर्धित (जीवीए)


चालू वित्‍त वर्ष में मूल अथवा बुनियादी मूल्‍यों पर वास्‍तविक जीवीए के बढ़कर 135.40  लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्‍त वर्ष 2018-19 में यह 129.07 लाख करोड़ रुपये था। अत: वास्‍तविक जीवीए की वृद्धि दर पिछले वित्‍त वर्ष के 6.6 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2019-20 में 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।


जिन आर्थिक गतिविधियों ने 4.9 फीसदी से ज्‍यादा की वृद्धि दर दर्ज की है, उनमें विद्युत, गैस, जलापूर्ति एवं अन्‍य उपयोगी सेवाओं’; ‘व्‍यापार, होटल, परिवहन, संचार एवं प्रसारण से जुड़ी सेवाएं’; ‘वित्‍तीय, अचल संपत्‍ति एवं प्रोफेशनल सेवाएं’ और ‘लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाएं’ शामिल हैं। इन सेवाओं की वृद्धि दर क्रमश: 5.4, 5.9, 6.4 और 9.1 प्रतिशत आंकी गई है। ‘कृषि,  वानिकी एवं मत्‍स्‍य पालन’, ‘खनन एवं उत्‍खनन’, ‘विनिर्माण’ और ‘निर्माण’ की वृद्धि दर क्रमश: 2.8, 1.5, 2.0,  और 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।


कृषि, वानिकी एवं मत्‍स्‍य पालन


वित्‍त वर्ष 2019-20 में मूल या बुनियादी मूल्‍यों पर इस सेक्‍टर से संबंधित जीवीए की वृद्धि दर 2.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि यह वृद्धि दर वित्‍त वर्ष 2018-19 में 2.9 प्रतिशत थी। कृषि,  वानिकी एवं मत्‍स्‍य पालन’ सेक्‍टर के कुल जीवीए में फल-सब्जियों सहित फसलों की हिस्‍सेदारी लगभग 56 प्रतिशत, पशुधन उत्‍पादों की हिस्‍सेदारी 30 प्रतिशत और वानिकी एवं मत्‍स्‍य पालन की हिस्‍सेदारी 14 प्रतिशत आंकी गई।


खनन एवं उत्‍खनन  


वित्‍त वर्ष 2019-20 में मूल या बुनियादी मूल्‍यों पर इस सेक्‍टर से संबंधित जीवीए की वृद्धि दर 1.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि यह वृद्धि दर वित्‍त वर्ष 2018-19 में 1.3 प्रतिशत थी। खनन सेक्‍टर के महत्‍वपूर्ण संकेतकों अर्थात कोयला, कच्‍चा तेल एवं प्राकृतिक गैस के उत्‍पादन ने वित्‍त वर्ष 2019-20 की अप्रैल-नवम्‍बर अवधि के दौरान क्रमश: (-) 5.3, (-) 5.9 और (-)2.6 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की है, जबकि वित्‍त वर्ष 2018-19 की अप्रैल-नवम्‍बर अवधि के दौरान ये दरें क्रमश: 9.0, (-) 3.6, तथा (-) 0.7 प्रतिशत दर्ज की गई थीं। धात्विक खनिजों के औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) में अप्रैल-अक्‍टूबर, 2019-20 के दौरान 13.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि वर्ष 2018-10 की समान अवधि के दौरान यह वृद्धि दर 2.6 प्रतिशत थी।


विनिर्माण


वित्‍त वर्ष 2019-20 में बुनियादी मूल्‍यों पर इस सेक्‍टर से संबंधित जीवीए की वृद्धि दर 2.0 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि यह वृद्धि दर वित्‍त वर्ष 2018-19 में 6.9 प्रतिशत थी। आईआईपी विनिर्माण ने अप्रैल-अक्‍टूबर, 2019-20 में 0.6 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की है।


विद्युत, गैस, जलापूर्ति एवं अन्‍य उपयोगी सेवाओं’


वित्‍त वर्ष 2019-20 में मूल या बुनियादी मूल्‍यों पर इस सेक्‍टर से संबंधित जीवीए की वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि यह वृद्धि दर वित्‍त वर्ष 2018-19 में 7.0 प्रतिशत थी। इस सेक्‍टर के महत्‍वपूर्ण संकेतक अर्थात विद्युत आईआईपी ने अप्रैल-अक्‍टूबर, 2019-20 में 1.6 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की है।


निर्माण


वित्‍त वर्ष 2019-20 में बुनियादी मूल्‍यों पर इस सेक्‍टर से संबंधित जीवीए की वृद्धि दर 3.2 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि यह वृद्धि दर वित्‍त वर्ष 2018-19 में 8.7 प्रतिशत थी। निर्माण क्षेत्र के महत्‍वपूर्ण संकेतकों यथा सीमेंट उत्‍पादन और तैयार इस्‍पात की खपत ने अप्रैल-नवम्‍बर 2019-20 के दौरान क्रमश: (-) 0.02 तथा 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है।


प्रति व्‍यक्ति आय


वित्‍त वर्ष 2019-20 के दौरान वास्‍तविक अर्थों (2011-12 के मूल्‍यों पर) में प्रति व्‍यक्ति आय के बढ़कर 96,563 रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्‍त वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा 92,565 रुपये था। वित्‍त वर्ष 2019-20 के दौरान प्रति व्‍यक्ति आय की वृद्धि दर 4.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि पिछले वर्ष यह वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत थी। 


वर्तमान मूल्‍यों पर अनुमान


वित्‍त वर्ष 2019-20 में वर्तमान मूल्‍यों पर जीडीपी के बढ़कर 204.42 लाख करोड़ रुपये के स्‍तर पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्‍त वर्ष 2018-19 में यह  आंकड़ा 190.10 लाख करोड़ रुपये आंका गया था। इस तरह यह वित्‍त वर्ष 2019-20  के दौरान 7.5 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर को दर्शाता है।


राष्‍ट्रीय आय


वित्‍त वर्ष 2019-20 के दौरान सांकेतिक शुद्ध राष्‍ट्रीय आय (एनएनआई), जो राष्‍ट्रीय आय (वर्तमान मूल्‍यों पर) के रूप में भी जानी जाती है, के बढ़कर 181.10 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है, जबकि वित्‍त वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा 168.37 लाख करोड़ रुपये था। वित्‍त वर्ष 2019-20 में राष्‍ट्रीय आय की वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि पिछले वर्ष यह वृद्धि दर 11.3 प्रतिशत थी।


प्रति व्‍यक्ति आय


वित्‍त वर्ष 2019-20 के दौरान प्रति व्‍यक्ति शुद्ध राष्‍ट्रीय आय 1,35,050 रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है, जो वित्‍त वर्ष 2018-19 के 1,26,406 रुपये की तुलना में 6.8 प्रतिशत अधिक है। वित्‍त वर्ष 2018-19 के दौरान प्रति व्‍यक्ति शुद्ध राष्‍ट्रीय आय की वृद्धि दर 10.0 प्रतिशत रही थी।     


 


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