अवगत कराना है कि समाज कल्याण सेवा समिति द्वारा लावारिस लाशों को पांच दिवसीय कन्धादान अभियान के आज चौथे दिन सिख्ख समुदाय द्वारा कन्धादान किया गया सिख समाज ने इंसानियत व भाईचारे का जज्बा दिखाया कन्धा दानियों में होड़ सी लगी रही तीन दिनों की भांति सिख समाज के कन्धों पर लदीलाश पोस्ट मार्टम से बाहर आई तो सिख समाज द्वारा लावारिस लाश तथा उनके विछड़े परिवार के आत्म शांति के लिए दुआ की गयी कन्धा देने के लिए यह समाज भी आतुर दिखे पूर्व की भांति जम कर फूलों की वर्षा हुई सड़क फूलों से पटी दिखी आज भी समिति के सचिव द्वारा कन्धादान महादान तथा इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही है संदेश हमारा! कन्धा दानियो से अपील की कि इस महा मानव कार्य में हमारा तन मन धन से सहयोग करें बॉस पन्नी कफन चादर दान करें और या भी संभव ना हो तो कन्धादान देकर हमारे कन्धों से कन्धा मिलाकर लावारिसों के वारिस बनें जिससे इस महा मानव कार्य को हम सम्पूर्ण उ० प्र० में करवा सकें कार्यक्रम में प्रमुख रुप से-आशू भाटिया शाहिब बग्गा सरदार काले सरदार काके नीतू सांगरी सरदार गुरुदीप सिंह भुपेन्द्र सिंह गुरमीत सोनी गुरमीत काके मनोज कुकरेजा सुरजीत सिंह ओबराय शैलेन्द्र कुमार राधेश्याम मनीष जी अखलेश राजवन्त मनी सिंह जीतू पैंथर प्रदीप पैंथर सुरेन्द्र चमन राहुल गौतम मनीषा पैंथर सीमा जीत मीनू आदि लोग मौजूद रहे सभी ने एक श्वर में कहा आइये हम सब मिलकर इंसानियत को कायम रखें ताकि इंसान इंसान के काम आये |
Wednesday, January 8, 2020
तेरे बगैर
तेरे बगैर ऐ मेरे सनम
जिंदगी मेरी अधूरी रही
मर गयीं ख़्वाहिशें सारी
प्यास मेरी अधूरी रही
भटकता रहता हूँ रात-दिन
ठहरने की चाहत अधूरी रही
तेरे वादों की निशानी
हृदय में दफन ही रही
कहो कैसे उठाऊंगा बोझ तन्हाई का
क्यों मुझपे तेरी मेहरबानियाँ नहीं रही
अब महफिलें लगती हैं बीरानी सी
टूटे हुए दिल में तेरी यादें जो रही
तेरे बगैर ऐ मेरे सनम
जिंदगी मेरी अधूरी रही
- मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
ग्राम रिहावली, डाक तारौली,
फतेहाबाद, आगरा 283111
कविता - कोई तो है
मेरे मन को छूने का हुनर वो जान गया है।
आँखों मे छिपे अश्को को पहचान गया है।।
कोई रिश्ता नही है उससे लेकिन वो मेरे मन
के हर कोने के छिपे दर्द को पहचान गया है।
हर एक रिश्ता जब मुझे हर वक्त छल रहा था।
वो मेरे दर्द को अपना मान मेरे साथ चल रहा था।।
ना उसने,ना कभी मैंने अपने रिश्तों को नाम दिया।
मैं जब भी जहाँ थका,उसने मेरा हाथ थाम लिया।।
वो कोई दोस्त नही,प्यार नही ना ही मेरा साया है।
जब छल रहा था काल मुझे,मैंने उसे पास पाया है।।
माना रिश्तों को एक नाम देना भी जरूरी हो जाता है।
कोई तो है,ये एहसास इन बातों को कहाँ मान पाता है।।
चलते रहना साथ यूँही,जब तक जीवन का अंत ना हो।
रिश्ता कोई बने ना बने,एहसासों का कभी अंत ना हो।।
नीरज त्यागी
ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).
चलो आज हम - तुम नया गीत गाएं
ख्वाबों की अपनी एक बगिया सजाएं
चलो आज हम - तुम नया गीत गाएं
दिल का नया गीत अनमोल सुन लो
धुन हो नई और नए बोल चुन लो
होगा पुराना नहीं कुछ भी इसमें
खुद से नया एक माहौल बुन लो
मिलाकर के सुर आओ गुनगुनाएं
चलो आज हम - तुम नया गीत गाएं
शिकवा गिला कोई फरियाद ना हो
नया दिल हो बिल्कुल नई भावना हो
मन में भले ही न हो और कुछ पर
सदा साथ जीने की ही कामना हो
इसी कामना में जहाँ को भुलाएं
चलो आज हम - तुम नया गीत गाएं
विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली