Monday, November 18, 2019

ठग दोस्त

करीम एक नेक इनसान था, वह रहीम को अपना दोस्त समझता था। एक दिन करीम ने देखा कि रहीम बड़ा परेशान दिख रहा है। करीम ने रहीम से उसकी परेशानी का कारण पूछा। रहीम ने कहा मेरे दोस्त मुझे दो सौ रुपयों की सख्त जरूरत है। रहीम को पता था कि करीम आज ही अपने खेत की सब्जी बेच कर दो सौ रुपया लाया है। करीम उसकी बात सुनकर बोला, दोस्त इसमें परेशानी की क्या बात है मेरे पास दो सौ रुपये है और अभी मुझे उनकी कोई आवश्यकता नहीं मैं रुपये तुम्हें दे देता हूँ जब मुझे आवश्यकता होगी तब लौटा देना। इस घटना को कई माह गुजर गये। अब करीम को फसल बोने के लिए बीज लाने थे, उसने रहीम से कहा, दोस्त मुझे बीज खरीदने के लिए पैसों की जरूरत है मेरे दो सौ रुपये मुझे लौटा दो। पैसों की बात सुनकर रहीम खामोश हो गया और बोला कैसे पैसे? मेरे पास तो कोई पैसे नहीं हैं, फिर मैंने तुम से पैसे कब लिए थे कोई गवाह लाओ। ये सुनकर करीम को बड़ा कष्ट हुआ उसने कहा हाँ! दोस्त गवाह है व बड़ा पीपल का पेड़, जिसके पास तुम मुझे परेशान मिले थे और मैंने तुम्हे रुपये दिये थे। इस पर रहीम हँसकर बोला मूर्ख, पेड़ भी कहीं गवाही देता है? इस पर करीम चिन्तित हो गया और उसने कहा अच्छा तो फिर काजी साहब के पास चलो, फैसला वहीं करेंगे। वह फौरन काजी साहब के पास जाने को तैयार हो गया। काजी साहब के पास पहुँचकर करीम पूरी घटना उनसे बयान कर दी, काजी साहब उसकी बात गौर से सुनते रहे फिर रहीम से बोले, भाई तुम्हे क्या कहना है, रहीम ने पूरी घटना से इनकार करते हुए, पैसों के लेन-देन से इनकार कर दिया। काजी साहब करीम से बोले तुम्हारे पक्ष में कोई गवाह है, करीम जल्दी से बोला जी हाँ गाँव के किनारे बड़ा पीपल का पेड़। इस पर काजी साहब ने कहा, ठीक है तुम अपने गवाह को लेकर आओ तब तक रहीम मेरे पास बैठा रहेगा। करीम चला गया और रहीम ये सोच कर कि कहीं पेड़ भी गवाही देने आ सकता है निश्चित बैठा रहा। कुछ देर बाद काजी साहब ने रहीम से पूछा क्या करीम पीपल के पेड़ तक पहुँच गया होगा? रहीम ने कहा अभी नहीं। कुछ देर बाद उन्होंने फिर अपना सवाल दोहराया इस पर रहीम ने कहा हाँ! अब पहुँच गया होगा। काजी साहब खामोश हो गये। कुछ देर बाद करीम उदास अकेला वापस आया। उसे उदास देखकर काजी साहब बोले, पीपल का पेड़ तो गवाही देकर चला गया तुम क्यों उदास हो, और ये कहकर काजी साहब करीम के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बोले, रहीम मेरा फैसला है कि करीम का दो सौ रुपया लौटा दो। फैसला सुन कर रहीम बोला काजी साहब पेड़ कहाँ आया, मैं तो यहीं बैठा हूँ मैंने नहीं देखा। काजी साहब हँसकर बोले, मूर्ख अगर करीम सच न बोल रहा होता तो तुम्हे पीपल के पेड़ की यहाँ से दूरी कैसे पता चलती। ये जवाब सुनकर रहीम को अपनी मूर्खता का आभास हुआ और करीम के पैसे वापस करने पड़े। 


जीवन का तत्व

 ''जोश और जोखिम किए जब जिन्दगी के नाम,
तूफानी लहरें भी कर गयी झुक कर सलाम।''
 अमिट दुस्साहस की भावना ने मानस के जीवन को जोश से ओत - प्रोत कर रखा है। कहा गया है जिंदगी जिंदादिली का नाम है मुर्दादिल क्या खाक जिया। संघर्ष करने वाला हो या मात्र मूक-दर्शक रोमांच की लहरों से स्पंदित कर देता है। मानव जीवन का दूसरा नाम संघर्ष है इस तथ्य का श्रोत यह पद हो सकता है।
''जीवन के हर पथ पर माली पुष्प नहीं बिखरता है
प्रगति का पथ अवसर, पथरीला ही होता है।''
 जोखिम उठाने की यह साहस - भावना ही नित नयी खोजों और आविष्कारों की जननी है और ये नये आविष्कार ही हमें दुनिया के उस पार के दृश्यों से परिचित कराते हैं। वह जीवन ही क्या जो पानी के समान समतल भूमि पे बहता ही रहे। जीवन में आने वाले - चढ़ाव ही जीवन को नित नया रोमांस प्रदान करते हैं।
''आसान है हर लक्ष्य, समान जब स्वप्न हो पूरे दिल कें 
तू लेना तारों को, उड़ना ऊपर तुम बादल के।''


Sunday, November 17, 2019

आखिर क्यों होती है भ्रूण हत्या?

भ्रूण हत्या देश की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। विश्व बैंक द्वारा कराए गये एक शोध के अनुसार भारत में हर साल 50 लाख बच्चियों को विकसित हुए बिना ही मार दिया जाता है। इन आँकड़ों की मानें तो हर 25 में से एक बच्ची की हत्या हो रही है। अगर दो दशकों के आँकड़े इकट्ठे करें तो कन्या भ्रूण हत्या के मामले एक करोड़ की संख्या पार कर चुके हैं, जोकि दिल्ली की कुल जनसंख्या के लगभग बराबर है। इस समस्या से निपटने के लिए देश में कई कानून बनाए गये। भारतीय दंड संहिता समेत विशेष कानून लाए गये लेकिन भू्रूण हत्या पर लगाम कसी नहीं जा सकी है। आज भी अजन्मी बच्चियों की हत्याएँ हो रही हैं। वैसे कानून की बात करें तो गर्भ की जाँच रोकने पर एक्ट (प्री. नटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स एक्ट) बनने के बाद 12 साल में चार हजार मामले सामने आने के बाद पहली बार 28 मार्च 2006 को हरियाणा के एक डाॅक्टर को दो साल की जेल की सजा सुनाई गई।
क्या कहता है कानून---------
 यदि स्त्री की सहमति से किए गये गर्भपात के दौरान उसकी मृत्यु हो जाए तो दोषी को दस वर्ष तक जेल के सलाखों के पीछे रहना पड़ सकता है और यदि ऐसा बिना स्त्री की सहमति के किए जा रहे गर्भपात के दौरान हुआ हो तो दोषी को धारा 314 के अनुसार उम्र कैद की सजा हो सकती हैं।
 यदि ऐसा कोई कार्य किया जाए जिससे गर्भस्थ शिशु जीवित पैदा न हो सके तो इसके लिए धारा 315 में दस वर्षों की सजा का प्रावधान है। जबकि गर्भ में पल रहे एवं हरकत में आ चुके शिशु की गैर इरादतन हत्या करने वालों को धारा 316 में दस वर्षों की सजा हो सकती है।
 गर्भभ्रूण की पहचान कर बालिका भ्रूण हत्या और गर्भपात में चिकित्सकों की अहम भूमिका आदि को ध्यान में रखकर ही 1971 में मेडिकल टर्मिनेंसी आॅफ प्रेगनेंसी एक्ट (एमटीपी) नामक विशेष कानून बनाया गया है। 
 एमटीपी एक्ट के अनुसार बिना गर्भवती की सहमति और यदि स्त्री की उम्र 18 वर्ष से कम हो या वह विक्षिप्त हो तो बिना उसके अभिभावक की सहमति के गर्भपात नहीं हो सकता है। साथ ही गर्भपात केवल सरकारी अस्पतालों या सरकार द्वारा इस प्रयोजन के लिए घोषित किए गए किसी स्थान के अलावा कहीं और नहीं किया जा सकता है।


हमें तो हमारा हिंदुस्तान चाहिए

हमें तो हमारा हिन्दुस्तान चाहिए।
न धरा न हमें आसमान चाहिए,
न ही हमें ऐ सान जहान चाहिए।
इच्छा न टूटे फूटे घर की हमें,
पुरवों का देश वो महान चाहिए।
हमें तो हमारा हिन्दुस्तान चाहिए।


 हमें न छिछोरी राजनीति चाहिए,
 न ही कपटी जनों की प्रीति चाहिए,
 दुख सुख में, जीते ही रहेंगे,
 हमें न किसी की दया - दान चाहिए।
 हमें तो हमारा हिन्दुस्तान चाहिए।
महाराणा जैसा देशभक्त चाहिए,
अन्याय पर उबले वो रक्त चाहिए।
जन्मभूमि हित, धन लाभ त्याग दें,
भामाशाह वाला वो ईमान चाहिए।।
हमें तो हमारा हिन्दुस्तान चाहिए।


 इस माअी के लिए जो जिए और मरे,
 पंथ की कुपन्थियों से न कभी डरें!
 भाव सदा शयता का सब में भरें,
 जायसी, रहीम, रसखान चाहिए।।
 हमें तो हमारा हिन्दुस्तान चाहिए।