Sunday, October 20, 2019

हिन्दू एक "संस्कृति" है, "सभ्यता" है... सम्प्रदाय नहीं..!

एक बार अकबर बीरबल हमेशा की तरह टहलने जा रहे थे।


रास्ते में एक तुलसी का पौधा दिखा, मंत्री बीरबल ने झुक कर प्रणाम किया!


अकबर ने पूछा कौन हे ये?


बीरबल - मेरी माता हे!


अकबर ने तुलसी के झाड़ को उखाड़ कर फेक दिया


और बोला - कितनी माता हैं तुम हिन्दू लोगो की...!


बीरबल ने उसका जबाब देने की एक तरकीब सूझी!


आगे एक बिच्छुपत्ती (खुजली वाला ) झाड़ मिला। बीरबल उसे दंडवत प्रणाम कर


कहा - जय हो बाप मेरे!


अकबर को गुस्सा आया... दोनों हाथो से झाड़ को उखाड़ने लगा।


इतने में अकबर को भयंकर खुजली होने लगी तो बोला - बीरबल ये क्या हो गया?


बीरबल ने कहा आप ने मेरी माँ को मारा इस लिए ये गुस्सा हो गए!


अकबर जहाँ भी हाथ लगता खुजली होने लगती।


बोला - बीरबल जल्दी कोई उपाय बतायो!


बीरबल बोला - उपाय तो है लेकिन वो भी हमारी माँ है। उससे विनती करनी पड़ेगी!


अकबर बोला - जल्दी करो!


आगे गाय खड़ी थी बीरबल ने कहा गाय से विनती करो कि...


हे माता दवाई दो...


गाय ने गोबर कर दिया... अकबर के शरीर पर उसका लेप करने से फौरन खुजली से राहत मिल गई!


अकबर बोला - बीरबल अब क्या राजमहल में ऐसे ही जायेंगे?


बीरबल ने कहा - नहीं बादशाह हमारी एक और माँ है! सामने गंगा बह रही थी।


आप बोलिए हर- हर गंगे... जय गंगा मईया की... और कूद जाइए!


नहा कर अपनेआप को तरोताजा महसूस करते हुए


अकबर ने बीरबल से कहा - कि ये तुलसी माता, गौ माता, गंगा माता तो जगत माता हैं!


इनको मानने वालों को ही "हिन्दू" कहते हैं..!


हिन्दू एक "संस्कृति" है, "सभ्यता" है...
सम्प्रदाय नहीं..!


आपकी पहचान एक बॉडी

जिस पल आपकी मृत्यु हो जाती है, उसी पल से आपकी पहचान एक बॉडी बन जाती है।
अरे


"बॉडी" लेकर आइये, 
"बॉडी" को उठाइये,
"बॉडी" को सुलाइये 
ऐसे शब्दो से आपको पुकारा जाता है, वे लोग भी आपको आपके नाम से नहीं पुकारते ,
जिन्हे प्रभावित करने के लिये आपने अपनी पूरी जिंदगी खर्च कर दी।


इसीलिए


इधर उधर से ज्यादा इक्कठा करने की जरूरत नहीं है।


इसीलिए


अच्छे से कमाओ, अच्छे से खाओ, और अच्छे से सोओ


इसीलिए 


जीवन मे आने वाले हर चुनौती को स्वीकार  करे।......
अपनी पसंद की चीजों के लिये खर्चा कीजिये।......
इतना हंसिये के पेट दर्द हो जाये।....


आप कितना भी बुरा नाचते हो ,
फिर भी नाचिये।......
उस खूशी को महसूस कीजिये।......
फोटोज के लिये पागलों वाली पोज दीजिये।......
बिलकुल छोटे बच्चे बन जाइये।


क्योंकि मृत्यु जिंदगी का सबसे बड़ा लॉस नहीं है।


लॉस तो वो है 
के आप जिंदा होकर भी आपके अंदर जिंदगी जीने की आस खत्म हो चुकी है।.....


हर पल को खुशी से जीने को ही जिंदगी कहते है।


"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं,
"काम में खुश हूं," आराम में खुश हू,


"आज पनीर नहीं," दाल में ही खुश हूं,
"आज गाड़ी नहीं," पैदल ही खुश हूं,


"दोस्तों का साथ नहीं," अकेला ही खुश हूं,
"आज कोई नाराज है," उसके इस अंदाज से ही खुश हूं,


"जिस को देख नहीं सकता," उसकी आवाज से ही खुश हूँ


"जिसको पा नहीं सकता," उसको सोच कर ही खुश हूँ


"बीता हुआ कल जा चुका है," उसकी मीठी याद में ही खुश हूँ
"आने वाले कल का पता नहीं," इंतजार में ही खुश हूँ


"हंसता हुआ बीत रहा है पल," आज में ही खुश हूँ
"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूँ


अगर दिल को छुआ, तो जवाब देना,
वरना मै तो बिना जवाब के भी खुश हूँ..!!


रेल का निजीकरण हर भारतीय पे असर डालेगा

रेलवे में निजीकरण होने पर


रेलवे टिकट खिड़की पर :...


यात्री : सर दिल्ली से लखनऊ का एक रिजर्व टिकट चाहिए। 


क्लर्क : ₹ 750/-


ग्राहक : पर पहले तो 400/- था!


क्लर्क : सोमवार को 400/- है, मंगल बुध गुरु को 600/- शनिवार को 700/- तुम रविवार को जा रहे हो तो 750/-


ग्राहक : ओह! अच्छा लोवर दीजियेगा, पिताजी को जाना है।


क्लर्क : फिर 50 रुपये और लगेंगे। 


ग्राहक : अरे! लोवर के अलग! साइड लोवर दे दीजिए। 


क्लर्क : उसके 25 रुपये और लगेंगे। 


ग्राहक : हद है! न टॉयलेट में पानी होता है, न कोच में सफ़ाई, किराया बढ़ता जा रहा है। 


क्लर्क : टॉयलेट यूज का 50 रुपये और लगेगा, शूगर तो नहीं है ना ? 24 घंटे में 4 बार यानी रात भर में 2 बार से ज़्यादा जाएंगे तो हर बार 10 रुपये एक्स्ट्रा लगेंगे।
 
ग्राहक : हैं! और बता दो भाई, किस-किस बात के पैसे लगने हैं अलग से। 


क्लर्क : देखो भाई, अगर फोन चार्ज करोगे तो 10 रुपये प्रति घंटा, अगर खर्राटे आएंगे तो 25 रुपये प्रति घंटा, और अगर किसी सुन्दर महिला के पास सीट चाहिए तो 100 रुपये का अलग चार्ज है।
अगर कोई महिला आसपास कोई खड़ूस आदमी नहीं चाहती है, तो उसे भी 100 रूपये अलग से देना पड़ेगा। एक ब्रीफकेस प्रति व्यक्ति से अधिक लगेज पर 20 रुपये प्रति लगेज और लगेगा। मोबाइल पर गाना सुनने की परमिशन के लिए 25 रुपये एक मुश्त अलग से। घर से लाया खाना खाने पर 20 रुपये का सरचार्ज़। उसके बाद अगर प्रदूषण फैलते हैं तो 25 रुपये प्रदूषण शुल्क।


ग्राहक (सर पकड़ के) : ग़ज़बै है भाई, लेकिन ई सब वसूलेगा कौन ?


क्लर्क : अरे भाई निजी कंपनियों से समझौता हुआ है, उनके आदमी वसूलेंगे।


ग्राहक : एक आख़िरी बात और बता दो यदि तुम्हें अभी कूटना हो तो कितना लगेगा ?


क्लर्क : काहे भाई ! जब रेलवे का निजीकरण हो रहा तब तो बड़े आराम से घर में बैठे थे और सोच रहे थे कि हमारा तो कुछ होने वाला है नहीं अब भुगतो औऱ पब्लिक क्या सोचती है निजीकरण का असर सिर्फ कर्मचारियों पर ही होगा। रेल का निजीकरण हर भारतीय पे असर डालेगा। 


Saturday, October 19, 2019

मंदिर में दर्शन के बाद बाहर सीढ़ी पर थोड़ी देर क्यों बैठा जाता है?

बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि जब भी किसी मंदिर में दर्शन के लिए जाएं तो दर्शन करने के बाद बाहर आकर मंदिर की पेडी या ऑटले पर थोड़ी देर बैठते हैं । क्या आप जानते हैं इस परंपरा का क्या कारण है?
आजकल तो लोग मंदिर की पैड़ी पर बैठकर अपने घर की व्यापार की राजनीति की चर्चा करते हैं परंतु यह प्राचीन परंपरा एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई । वास्तव में मंदिर की पैड़ी पर बैठ कर के हमें एक श्लोक बोलना चाहिए। यह श्लोक आजकल के लोग भूल गए हैं । आप इस लोक को सुनें और आने वाली पीढ़ी को भी इसे बताएं । यह श्लोक इस प्रकार है -


अनायासेन मरणम् ,बिना देन्येन जीवनम्।


देहान्त तव सानिध्यम्, देहि मे परमेश्वरम् ।।


इस श्लोक का अर्थ है अनायासेन मरणम् अर्थात बिना तकलीफ के हमारी मृत्यु हो और हम कभी भी बीमार होकर बिस्तर पर पड़े पड़े ,कष्ट उठाकर मृत्यु को प्राप्त ना हो चलते फिरते ही हमारे प्राण निकल जाएं ।


बिना देन्येन जीवनम् अर्थात परवशता का जीवन ना हो मतलब हमें कभी किसी के सहारे ना पड़े रहना पड़े। जैसे कि लकवा हो जाने पर व्यक्ति दूसरे पर आश्रित हो जाता है वैसे परवश या बेबस ना हो । ठाकुर जी की कृपा से बिना भीख के ही जीवन बसर हो सके ।


देहांते तव सानिध्यम अर्थात जब भी मृत्यु हो तब भगवान के सम्मुख हो। जैसे भीष्म पितामह की मृत्यु के समय स्वयं ठाकुर जी उनके सम्मुख जाकर खड़े हो गए। उनके दर्शन करते हुए प्राण निकले ।


देहि में परमेशवरम् हे परमेश्वर ऐसा वरदान हमें देना ।


यह प्रार्थना करें गाड़ी ,लाडी ,लड़का ,लड़की, पति, पत्नी ,घर धन यह नहीं मांगना है यह तो भगवान आप की पात्रता के हिसाब से खुद आपको देते हैं । इसीलिए दर्शन करने के बाद बैठकर यह प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए । यह प्रार्थना है, याचना नहीं है । याचना सांसारिक पदार्थों के लिए होती है जैसे कि घर, व्यापार, नौकरी ,पुत्र ,पुत्री ,सांसारिक सुख, धन या अन्य बातों के लिए जो मांग की जाती है वह याचना है वह भीख है।


हम प्रार्थना करते हैं प्रार्थना का विशेष अर्थ होता है अर्थात विशिष्ट, श्रेष्ठ । अर्थना अर्थात निवेदन। ठाकुर जी से प्रार्थना करें और प्रार्थना क्या करना है ,यह श्लोक बोलना है।


जब हम मंदिर में दर्शन करने जाते हैं तो खुली आंखों से भगवान को देखना चाहिए, निहारना चाहिए । उनके दर्शन करना चाहिए। कुछ लोग वहां आंखें बंद करके खड़े रहते हैं । आंखें बंद क्यों करना हम तो दर्शन करने आए हैं । भगवान के स्वरूप का, श्री चरणों का ,मुखारविंद का, श्रंगार का, संपूर्णानंद लें । आंखों में भर ले स्वरूप को । दर्शन करें और दर्शन के बाद जब बाहर आकर बैठे तब नेत्र बंद करके जो दर्शन किए हैं उस स्वरूप का ध्यान करें । मंदिर में नेत्र नहीं बंद करना । बाहर आने के बाद पैड़ी पर बैठकर जब ठाकुर जी का ध्यान करें तब नेत्र बंद करें और अगर ठाकुर जी का स्वरूप ध्यान में नहीं आए तो दोबारा मंदिर में जाएं और भगवान का दर्शन करें । नेत्रों को बंद करने के पश्चात उपरोक्त श्लोक का पाठ करें।
 "आप का दिन शुभ हो,यही ईश्वर से प्रार्थना"।