Saturday, October 19, 2019

योगी जी जाग जाईये या हिंदुत्व छोड़ भाग जाईये

(हिन्दू नेता कमलेश तिवारी की हत्या पर उ प्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आक्रोश जताती  नई कविता)


ओ भगवाधारी सिंह पुत्र,है कहाँ तुम्हारी हुंकारें,
हिंदुत्व तुम्हारा कहाँ गया,हैं कहाँ तुम्हारी तलवारें,


तुमको गद्दी पर बिठा दिया यह सोच कि कुछ बदलाव मिले,
अफसोस तुम्हारे रहते भी,हमको घावों पर घाव मिले,


जेहादी मंसूबो से हम लड़ते लड़ते झल्लाये थे,
यू पी का हिन्दू बचा रहे,योगी योगी चिल्लाए थे,


तुम रहो हितैषी हिन्दू के,यह सपने हमने पाले थे,
बस यही सोचकर सत्ता से आज़म अखिलेश निकाले थे,


पर हाल तुम्हारे शासन का पहले से ज्यादा तंग मिला,
हमला शिव की बारातों पर,गणपति पर भी हुड़दंग मिला,


सबका विश्वास कमाने के चक्कर मे नैना बंद मिले,
शहरों में पुण्य तिरंगे की यात्राओं पर प्रतिबंध मिले,


जिनका विश्वास कमाना था,उन सबने यह उपहार दिया,
छाती पर चढ़कर योगी की,कमलेश तिवारी मार दिया,


यह सिर्फ नही है इक हत्या,यह कालिख है सरकारों पर,
ढोंगी हिन्दू पाखंडों पर,प्रभु श्री राम के नारों पर,


यह कालिख है गौ माता के उन झूठे सेवादारों पर,
यह कालिख है हिन्दू समाज के कायर ठेकेदारों पर,


ये हत्या एक संदेशा है,हिन्दू अस्तित्व उजाड़ेंगे,
योगी मोदी क्या कर लेंगे,यूँ ही चुन चुन कर मारेंगे,


गर्दन रेती गोली मारी,यह दृश्य देखकर डरे नही?
हिन्दू हिन्दू रटने वाले क्या आज शर्म से मरे नही?


यूँ ही कन्या पूजन या गौ सेवा का स्वांग रचा लोगे?
शहरों के नाम बदलने से हिन्दू की जान बचा लोगे?


योगी जी दो बरसों में ही रक्षा के बंधन छूट गए,
अब क्या गौरव चौहान कहे,विश्वास सभी के टूट गए,


तुम ही बेसुध हो जाओगे,हम किससे आस लगाएंगे,
जेहादी गुंडों से हमको,आज़म अखिलेश बचाएंगे?


गर नही संभलता है शासन तो गोरखपुर में ध्यान करो,
या फिर यू पी के जख्मों का योगी जी तुरत निदान करो,


सबका विश्वास कमाने में,अपनो की मत कुर्बानी दो,
बाहर की नागफनी छोड़ो,घर की तुलसी को पानी दो,


हम धर्म सनातन के प्रहरी आवाज़ लगाते आएंगे,
हर बार पड़े मरना चाहे,हम जान गंवाते जाएंगे,


कातिलों!सुनो!हम डरे नही,हम परशुराम अवतारी हैं,
इक हिन्दू के अंदर सौ-सौ,ज़िंदा कमलेश तिवारी हैं।


Friday, October 18, 2019

एक ही व्यक्ति का निर्णय लेना घातक- रघुराम राजन

 आर्थिक मोर्चे के हर ताजा आंकड़े भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के बदहाली की कहानी बता रहे हैं. इस बीच, आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था गंभीर संकट की तरफ बढ़ रही है.
रघुराम राजन बोले-
 अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर दृष्टिकोण में अनिश्चितता है


भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में किसी एक व्‍यक्ति द्वारा लिया गया निर्णय घातक
बीते कुछ महीनों से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था बुरे दौर से गुजर रही है. आर्थिक मोर्चे के हर ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की सेहत ठीक नहीं है. इस बीच, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने देश के राजकोषीय घाटे को लेकर गहरी चिंता जताई है. इसके साथ ही उन्‍होंने आर्थिक सुस्‍ती के लिए जीएसटी और नोटबंदी जैसे फैसलों को दोषी करार दिया है. रघुराम राजन ने यह भी कहा कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में किसी एक व्‍यक्ति द्वारा लिया गया निर्णय घातक है.


समस्‍याओं का नहीं ढूंढा समाधान
रघुराम राजन ने कहा कि हमने पहले की समस्‍याओं का समाधान नहीं किया और न ही विकास के नए स्रोतों का पता लगाने में कामयाब रहे. आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने राजन ने जीडीपी ग्रोथ में आई गिरावट के लिए निवेश, खपत और निर्यात में सुस्ती के अलावा एनबीएफसी क्षेत्र के संकट को जिम्मेदार ठहराया. उन्‍होंने कहा कि देश में वित्तीय सेक्टर और बिजली सेक्टर को मदद की जरूरत है, लेकिन इसके बावजूद विकास दर को बढ़ाने के लिए नए क्षेत्रों की तरफ ध्यान नहीं दिया गया.


मियाँ जी की टोपी

एक मिया जी ट्रेन मे सफर कर रहे थे, तभी बगल मे बैठे शास्त्री जी उनको गौर से देखने लगे !
मियाँ जी ने वजह पूछी, तो शास्त्री जी बोले,
कि "यह आपने जो टोपी पहनी हुई है न,
ऐसी ही टोपी हमारे दादा जी भी पहनते थे !


आप कहां के रहने वाले है ?
मियाँ जी..... "अयोध्या"
यह जवाब सुनते ही शास्त्री जी उछल पडे और कहने लगे,
कि "तब तो यह जरूर मेरे दादा जी की ही टोपी है" वो भी कपडे की ही टोपी थी, आप मुझे मेरे दादा जी की टोपी वापस दे दीजीये !
"इससे हमारी आस्था जुड़ी हुई है"


मियाँ जी बोले.....  "भाई, यह टोपी तो हमारे अब्बा की आखरी निशानी है, वह इसी टोपी को पहनकर जुम्मे की नमाज पढ़ते थे" 


लेकीन शास्त्री जी ने कहा..... "मैने इस्लाम का अध्ययन किया है,
नमाज के वक्त टोपी पहनना लाज़मी नही है, इसलिये आप मुझे यह टोपी दे दीजीये"
मियाँ जी कन्फुज़ीया गये थे !
अब शास्त्री जी का साथ डिब्बे मे बैठे और भी कई लोग मिश्रा, पांडेय, चौबे जोर-जोर से टोपी देने की मांग करने लगे !
इतना ही नही,
बल्कि कोने मे बैठे सफेद दाढी में पगडी बांधे बुजुर्ग मौलाना ने भी कह दिया कि "एक टोपी देने से क्या नुकसान हो जायेगा ?


डिब्बे मे शांती और भाईचारे का माहौल बनाने के लिये दे दीजीये अपनी यह टोपी"


उतने मे एक साध्वी उठकर नारे लगाने लगी,
"एक धक्का और दो, टोपी उतार दो"


इस पर मियाँ जी को डर लगने लगा कि कहीं यह लोग जबरदस्ती मेरी टोपी खींचकर शहीद ना कर दे !


इसलिये उन्होंने ट्रेन की चैन खींची और गार्ड को बुलाकर शिकायत की
तब गार्ड ने कहा...... "आप दोनो के पास क्या सबूत है कि टोपी आपकी ही है ?
दोनो खामोश !


तब गार्ड ने फैसला सुनाया कि दोनो आधी-आधी टोपी फाड़कर ले लो !
अपने अब्बा की टोपी मियाँ जी फटते नही देखना चाहते थे और वह डिब्बे का खराब माहौल भी मुहब्बत मे बदलना चाहते थे !
इसलिये आखिर तंग आकर मियाँ जी ने टोपी उतार कर शास्त्री जी को दे दी !


अब डिब्बे मे खुशी और उन्माद का वातावरण छा गया !
कुछ लोग नारे लगे कि.......
"टोपी तो झांकी है,
कुर्ता और पैजामा अभी बाकी है"
अब ऐसे नारे से तो जुम्मन मियाँ के होश उड गये, क्योकि यह नारे अब हक़ीकत मे बदल रहे थे !
सामने वाले चौबे जी दावा कर रहे थे कि....


उनका कुर्ता उसके नाना जी के कुर्ते से मेल खाता है, 
सबूत के लिये मोबाइल के फोटो मे उन्होंने नाना जी द्बारा उसी रंग का पहना हुआ कुर्ता भी दिखाया !


जिसको डिब्बे की पूरी भीड़ ने सच मान लिया, इतना ही नही बल्कि वह पगड़ी वाले मौलाना भी फतवा दे दिये !
"एक कुर्ता दे देने से कौन सा नुक़सान हो जाएगा
मजबुरी मे तो नमाज़ बनियान मे भी पढ़ी जा सकती है"
उन मौलाना का रिज़र्वेशन कन्फर्म नही था, लेकिन शास्त्री जी ने उनको अपने छोटे से पोते के लिये बुक कराया हुआ बर्थ बतौर इनाम दे दिया था !


आखिर मियाँजी ने अपनी जान बचाने के लिये कुर्ता भी दे दिया !
इस तरह एक के बाद एक कपडे़ की मांग डिब्बे मे कोई ना कोई करने लगता और आखिर तंग आकर मियाँ जी अपना वह कपडा भी दे देते थे, लेकिन जब बात पैजामा तक पँहुच गई,
तब मियाँ जी भड़क गये,
अपनी थैली से संविधान की एक काॅपी निकालकर चीखकर बोले, कि "मेरे कपडे़ पहनने का मुझे अधिकार है,


अगर वह आपके कपडे़ है, तो आप कोर्ट मे जाकर उसे साबित करो और कोर्ट से ले लो !
मै अपने कपडे़ आपको नही दुंगा"


तब सामने बैठा बजरंगी बाबू चीख उठा कि "अगर नही देंगे, हम आपकी जान ले लेंगे"
तब मियाँ जी ने थैली से कुरान निकालकर दिखाते हुये कहा, कि "आप अगर जुल्म करो, तो मै भी जवाब मे आप पर जुल्म करूं,
ऐसा नही होगा, 
क्योकि  कुरान हमे जुल्म करना नही सिखाता,
बल्कि मै आपसे मुहब्बत करूंगा !
क्योंकि मुहब्बत ही कुरान का पैगाम है,
लेकीन हमारी नर्म दिली का फायदा उठाकर अगर आप अपनी ज़िद पर अडे़ रहे, तो फिर मै भी अपनी जगह अटल रहूंगा !
पैजामा नही दुंगा और पहले दिये हुये अपने कपड़े भी कानूनी ढंग से आपसे वापस लेकर रहूंगा !


मियाँ जी का यह रूप देखकर शास्त्री, चौबे, पांडेय सब सकपका गये,
तब तक दूसरा स्टेशन आ गया......ट्रेन जैसे ही रूकी,
सभी मियाँ जी के कपड़े वही फेंक कर ट्रेन से बाहर भाग गये !
तब तक मियाँ जी के समझ मे आ गया था,
कि उन्होंने शुरू मे ही अपनी टोपी देकर ज़ालिमो के हौसले बुलंद कर दिये थे और जुल्म के लिये नये दरवाजे खोल दिये थे !


काश.....
वह पहले ही अपने मौकफ पर अटल रहते तो ये दिन ना देखने पड़ते !
याद रखिये, कि जुल्म का बदला जुल्म नही, लेकिन जालिम की हर ख्वाहिश पूरी करना, जुल्म को बढावा देना है ! जुल्म से लड़ने के लिए एकजुट होना पड़ेगा अपनों की मदद करने के लिए आगे आना होगा


Thursday, October 17, 2019

रामायण में रावण के दस सर की गणना कैसे की गयी

रावण के दस सिर कैसे हो सकते हैं , जबकि शून्य की खोज आर्यभट्ट ने की?


कुछ लोग हिन्दू धर्म व "रामायण" महाभारत "गीता" को काल्पनिक दिखाने के लिए यह प्रश्न करते हैं कि जब आर्यभट्ट ने लगभग 6वीं शताब्दी में (शून्य/जीरो) की खोज की तो आर्यभट्ट की खोज से लगभग 5000 हजार वर्ष पहले रामायण में रावण के 10 सिर की गिनती कैसे की गई !!! 


और महाभारत में कौरबों की 100 की संख्या की गिनीती कैसे की गई !!


जबकि उस समय लोग (जीरो) को जानते ही नहीं थे !!


तो लोगो ने गिनती को कैसे गिना !!!!


अब मैं इस प्रश्न का उत्तर दे रहा हूँ !!


कृपया इसे पूरा ध्यान से पढ़ें !


आर्यभट्ट से पहले संसार 0(शून्य) को नहीं जानता था !!


आर्यभट्ट ने ही (शून्य / जीरो) की खोज की , यह एक सत्य है !!


लेकिन आर्यभट्ट ने "0( जीरो )"" की खोज अंकों में की थी , शब्दों में खोज नहीं की थी , उससे पहले 0 (अंक को) शब्दों में शून्य कहा जाता था !!!


उस समय में भी हिन्दू धर्म ग्रंथों में जैसे शिव पुराण , स्कन्द पुराण आदि में आकाश को शून्य कहा गया है !!


यहाँ पे "शून्य" का मतलव अनंत से होता है !!


लेकिन रामायण व महाभारत काल में गिनती अंकों मे न होकर शब्दों मे होता था और वह भी संस्कृत में !!


उस समय 1,2,3,4,5,6,7,8, 9,10 अंक के स्थान पे शब्दों का प्रयोग होता था वह भी संस्कृत के शब्दों का प्रयोग होता था !!!


जैसे !


1 = प्रथम


2 = द्वितीय


3 = तृतीय"


4 = चतुर्थ


5 = पंचम""


6 = षष्टं"


7 = सप्तम""


8 = अष्टम""


9 = नवंम""


10 = दशम !!


दशम = दस


यानी" दशम में दस तो आ गया , लेकिन अंक का


0 (जीरो/) नहीं आया ,‍‍रावण को दशानन कहा जाता है !!


दशानन मतलव दश+आनन =दश सिर वाला


अब देखो


रावण के दस सिर की गिनती तो हो गई !!


लेकिन अंकों का 0 (जीरो) नहीं आया !!


इसी प्रकार महाभारत काल में संस्कृत शब्द में कौरवों की सौ की संख्या को शत-शतम ""बताया गया !!


शत् एक संस्कृत का "शब्द है ,


जिसका हिन्दी में अर्थ सौ (100) होता है !!


सौ(100) "को संस्कृत में शत् कहते हैं !!


शत = सौ


इस प्रकार महाभारत काल में कौरवों की संख्या गिनने में सौ हो गई !!


लेकिन इस गिनती में भी अंक का 00(डबल जीरो) नहीं आया और गिनती भी पूरी हो गई !!!


महाभारत धर्मग्रंथ में कौरव की संख्या शत बताया गया है !


रोमन में भी


1-2-3-4-5-6-7-8-9-10 की


जगह पे (¡)''(¡¡)"""(¡¡¡)""


पाँच को V कहा जाता है !!


दस को x कहा जाता है !!


रोमन में x को दस कहा जाता है !!


X= दस


इस रोमन x में अंक का (जीरो/0) नहीं आया !!


और हम" दश पढ "भी लिए


और" गिनती पूरी हो गई !!


इस प्रकार रोमन word में "कहीं 0 (जीरो) "नहीं आता है !!


और आप भी" रोमन में""एक से लेकर "सौ की गिनती "पढ लिख सकते हैं !!


आपको 0 या 00 लिखने की जरूरत भी नहीं पड़ती है !!


पहले के जमाने में गिनती को शब्दों में लिखा जाता था !!


उस समय अंकों का ज्ञान नहीं था !!


जैसे गीता , रामायण में 1"2"3"4"5"6 या बाकी पाठों (lesson ) को इस प्रकार पढा जाता है !!


जैसे


(प्रथम अध्याय , द्वितीय अध्याय , पंचम अध्याय ,दशम अध्याय... आदि !!)


इनके"" दशम अध्याय ' मतलब


दशवा पाठ (10 lesson) "" होता है !!


दशम अध्याय= दसवा पाठ


इसमें दश शब्द तो आ गया !!


लेकिन इस दश में अंकों का 0 (जीरो)" का प्रयोग नहीं हुआ !!


बिना 0 आए पाठों (lesson) की गिनती दश हो गई !!


(हिन्दू विरोधी और नास्तिक लोग सिर्फ अपने गलत कुतर्क द्वारा


‍ हिन्दू धर्म व हिन्दू धर्मग्रंथों को काल्पनिक साबित करना चाहते है !!)


जिससे हिन्दूओं के मन में हिन्दू धर्म के प्रति नफरत भरकर और हिन्दू धर्म को काल्पनिक साबित करके , हिन्दू समाज को अन्य धर्मों में परिवर्तित किया जाए !!!


लेकिन आज का हिन्दू समाज अपने धार्मिक शिक्षा को ग्रहण ना करने के कारण इन लोगों के झूठ को सही मान बैठता है !!!


यह हमारे धर्म व संस्कृति के लिए हानि कारक है !!


अपनी सभ्यता पहचाने , गर्व करें की हम भारतीय हैं ।


AJAY PATRAKAR