Tuesday, October 15, 2019

आखिर कौन हैं ये बार बार उजड़ने वाले 

सालों साल बीतते गए! नेता बनते गए, फिर मंत्री संत्री भी हो गए पर नहीं बदले तो इनके हालात! हैं कौन ये आखिर जिनकी कहने बताने को अफसर अधिकारी भी झिझकता बचता है! कानपुर की वो जगह जिसमे कभी कच्ची बस्ती होती है, तो कभी बन्द हो चुकने का दम्भ भरने वाली पन्नी (plastic) की! 



नंगे-नंगे घूमते ये बच्चे कैमरा नाम की चीज देखकर ही अचंभित हो जाते हैं ये सोंचकर "कि क्या वो भी टीवी नाम की बला पर दिखाए जाएंगे"! अमीरों की कही जाने वाली इस सरकार में गरीबों की में कुसुम भी परेशान है और मुन्नी भी! 



कानपुर के विजयनगर डबल पुलिया में कच्ची बस्ती के कई -कई पीढ़ियों से रहने वाले ये बाशिंदे इंटरस्टेट हो चुके वाली जिंदगी जी रहे हैं! मौजूदा समय भाजपा से अब एमपी हो चुके सांसद सत्यदेव पचौरी ने अगस्त 2019 के महीने में इनमें से 40 लोगों के लिए शहर के सनिगवां में मकान उपलब्ध करवाने की बाबत डीएम विजय विस्वास पंत को लिखित आदेश किया था! बाद में स्थानीय लोगों की डिमांड पर इन्हें पनकी में 40 मकान उपलब्ध कराने की कहा गया और उन 40 लोगों की लिस्ट भी जारी कर दी जा चुकी है! 



बस्ती में रहने वाले जवान बच्चे बूढ़ों में रोष है कि खत्म होने का नाम नहीं लेता! पीढ़ियों से चली आ रही उनकी इस समस्या का समाधान आजतक सिर्फ आदेशों में ही सिमटता आ रहा है! हंसने लगते हैं ये लोग कैमरा रिपोटर नाम की व्यवस्था को देख-जानकर कहते हैं" सरकारें बदल जाती हैं लोग आकर विधायक, सांसद, मंत्री लोग हो जाते हैं! फिर हमें भूल जाते हैं! 
यहीं के निवासी संजय कुमार के मुताबिक बस्ती गिराए जाने के बाद बरसात के सीजन में वो लोग बाल-बच्चों सहित पानी में भीगते हुए डीएम ऑफिस गए थे, किसी तरह घण्टों बाद आये साहब ने अस्वासन देकर इन्हें वापस भेज दिया! वोट किसे किया था के सवाल पर बचपन से रहकर पचपन की हो चुकी दुलारी देवी कहती है कि "उन सबने वोट कमल वाले बटन पर दिया था, वही की सरकार है, फिर भी न जाने क्यों 56 की छाती वाले प्रधानमंत्री के दिल मे इनके लेशमात्र भी जगह नहीं है"! 



Monday, October 14, 2019

प्रतिभाशाली  (भारतीयों) की खोज

प्रतिभाशाली  (भारतीयों) की खोज


1. भूत-प्रेत 


2. राक्षस/चुड़ैल 


3. आत्मा- परमात्मा


4. स्वर्ग- नरक


5. पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी है।


6. गंगा शिवजी के जटा से निकलती है


7. कलियुग में मनुष्य के सारे दुखों के अंत का उपाय - सत्यनारायण कथा


8. मृत्यू से छुटकारा पाने का उपाय- महामृत्युंजय मंत्र


9. भगवान के 10 अवतार


10. 33 करोड़ देवी-देवता


11. बंदर पढ़ा लिखा था , पत्थर पर राम लिखता था। 


12. सभी देवी-देवताओं के पास अलग-अलग प्रकार की शक्ति जैसे :- अनाज की देवी, धन की देवी, शिक्षा की देवी, मजदूर(कामगार) की देवी, भूत-प्रेत से बचाने वाले देवी-देवता, ग्रहों की दिशा बदलने वाले/प्रकोप दूर करने वाले आदि 


13.अनेक व्रत/उपवास 


14. सर्वाधिक मंदिरों का निर्माण 


15. सर्वाधिक आध्यात्मिक गुरु जो सैक्स कांड में जेल जाते हैं 


16. मंत्र/उपवास से इलाज करने वाले डाक्टर 


17. मन चाहा प्यार, नौकरी, व्यापार में घाटा, गृह क्लेश, वशीकरण आदि का समाधान 


18. शिक्षा में विज्ञान एवं महापुरुषों के योगदान की जगह आध्यात्मिक (गीता) शिक्षा 


19. बाल विवाह 


20. सती प्रथा 


21. जाति वर्ग 


22. शिक्षा, व्यापार का एकाधिकार 


23. वैज्ञानिकता को आध्यात्मिकता से जोड़ना


24. मानव जाति का मुख्य वर्ग स्त्री को अधिकार देने पर हंगामा


25. परशुराम, राम, कृष्ण जैसे तीन तीन अवतार का एक साथ होना


26. गणपति के रूप में आदमी पर हाथी फिट कर देना


27. हनुमानजी सूर्य को निगल गए


28. ब्राह्मण सर्वश्रेष्ठ बाकि सारे नींच


29. मिठाई देवता पर चढ़ाते हैं डायबिटीज पुजारी को 


ईत्यादि ईत्यादि 


 


विदेशियों द्वारा की गई मानवोपयोगी खोज* और भारत के अतिप्रतिभाशाली  की खोज


विदेशियों की खोज :-


1. मोबाईल फोन 


2. Facebook (फेसबुक) 


3. WhatsApp (ह्वाटसएप) 


4. Email (ई मेल) 


5. Fan (पंखा) 


6. जहाज 


7. रेलगाड़ी 


8. रेडियो 


9. टेलीविजन 


10. कम्प्यूटर 


11. चीप (Memory Card) 


12. कागज


13. प्रिंटर 


14. वाशिंग मशीन 


15. AC (एयर कंडीशनर) 


16. फ्रीज 


17. इंटरनेट


18. चंद्रमा की दूरी


19. सुर्य का तापमान


20. पृथ्वी की आकृति 


21. दूरबीन 


22. सैटेलाइट 


23. चुम्बक 


24. घर्षण, गुरुत्वाकर्षण, न्यूटन के नियम 


25. रोबोट 


26. मैट्रो रेल 


27. बुलेट ट्रेन 


28. परमाणु बम, हाइड्रोजन बम


29. बंदुक 


30. मिसाईल


31. दवाईयाँ


32. कृत्रिम हार्ट


33. स्टेंट (खून की नलियों में लगने वाला)


34. साईकिल


35. कार


36. लिफ्ट


ईत्यादि ईत्यादि 


 


दिमाग की बत्ती जलाओ!


अँधविश्वास दूर भगाओ!


खत्म होता बुंदेलखंड से खाद्य तेल का निर्यात

कर्वी से प्रतिदिन मालगाड़ी के टैंकर से खाने वाला तेल देश के कई राज्यों तथा  विदेश जाता था तत्कालीन देश के सबसे बड़ी उद्योगपति सेठ जुग्गीलाल कमलापति ने उत्तर प्रदेश का पहला आधुनिक तेल प्लांट कर्वी में स्थापित किया था इस तेल मिल में सैकड़ों स्थानीय मजदूर काम करते थे अंग्रेज भी नौकर की हैसियत से काम करते थे। चित्रकूट बांदा महोबा हमीरपुर के किसानों द्वारा बड़ी संख्या में तेल उत्पादन के लिए अलसी सरसों अपने खेतों में उत्पादित कर इस मिल को दिया जाता था।



कर्वी शहर में हजारों मीटर जमीन में इस मिल का फैलाव था जिसे आज भी खंडार के रूप में कर्वी के बलदाऊ गंज में देख सकते हैं इस आधुनिक तेल मिल में उस जमाने में सरसों अलसी के तेल के साथ नीम की निमोली तथा कपास के बीज से निकाला जाता था खुरहंड अतर्रा बांदा नरैनी के किसानों द्वारा बड़ी संख्या में कच्चा माल तैयार किया जाता था जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण यह मिल प्लांट 1970 के करीब बंद हो गया था तेल मिल की जमीन में प्लाटिंग कर मकान बनाए जा रहे हैं।



इस  तेल  मिल प्लांट को देखने के लिए भूदान आंदोलन के संस्थापक आचार्य विनोबा भावे पद्म विभूषण दीदी देवला देशपांडे तथा उनके साथियों ने भूदान पद यात्रा के दौरान देखा था और सराहना की थी और कहा था कि बांदा चित्रकूट के किसानों की वजह से भारत को शुद्ध तेल मिल रहा है खाने के लिए। हम सबको यह सुनकर गर्व होगा कि किसानों की मेहनत की वजह से चित्रकूट मंडल तेल उत्पादन की उत्तर प्रदेश की भारी मंडी थी एशियन पेंट वर्जन नैरोलैक जैसी कंपनियां हमारे तेल पर निर्भर थी देश के सबसे बड़े तत्कालीन उद्योगपति उद्योग नगरी कानपुर के जनक शेठ जुग्गीलाल कमलापति ने चित्रकूट में सबसे पहले आधुनिक आयल मिल प्लांट डाला था। और इस मिल तक रेल लाइन गई थी। देश के जाने-माने रेल लाइन व रेल पुल के बनाने वाले ठेकेदार प्रागी लाल उपाध्याय ने रेल लाइन मिल तक डाली थी जो गिरवां के निवासी थे। बांदा जनपद के विभिन्न कस्बों में 5 वर्ष पूर्व तक 200 से अधिक स्पेलर तेल निकालने का काम करते थे। एक स्पेलर 1 दिन में अट्ठारह सौ लीटर 1800ली0 तेल निकालता था प्रतिदिन नागपुर इंदौर  कानपुर 1 टैंक तेल बांदा शहर से जाता था एक स्पेलर में 6 छह व्यक्ति काम करते थे तेल व्यवसाय में 2500 ढाई हजार मजदूर नियमित रूप से रोजगार पाते थे यह व्यवसाय किसानों पर निर्भर था प्राकृतिक आपदा सरकार द्वारा सहयोग न मिलने के कारण किसानों ने अलसी सरसों बोना बंद कर दिया और यह व्यवसाय भी बांदा से पलायन कर गया तत्कालीन जनप्रतिनिधियों ने इस उद्योग को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। सर्वोदय कार्यकर्ता होने के नाते युवा पीढ़ी को जानकारी देना उचित समझता हूं अपने पुराने वैभव को कैसे बचाया जाए आप हम सब सोचे। चित्रकूट मंडल का तेल खाने की दृष्टि से सबसे उपयुक्त था क्योंकि यहां के किसान अपने खाद्यान्न उत्पादन में केमिकल का उपयोग नहीं करते थे शुद्ध तेल होता था दुनिया के बाजार में इस तेल की मांग थी। पेंट में अभी इस तेल का इस्तेमाल होता था इस विषय पर बहुत कुछ लिखा जाना था लेकिन कम से कम जानकारी दे पा रहा हूं क्षमा करें। किसान और किसानी को बचा कर पुनः यह रोजगार शुरू हो हम सब विचार करें जय जगत।


उमाकांत पाण्डेय 
बांदा


खत्म होती जा रही बुंदेलखंड से कपास की खेती


युवा पीढ़ी जाने हमारे बांदा चित्रकूट के किसानों के पैदा कपास से बने धागे से भारत नहीं एशिया की पहली कपड़ा मिल  1862 मे चली थी बांदा गैजेट ईयर 1902 तथा 1972 के अनुसार  बांदा  कर्वी कपास की बहुत बड़ी मंडी थी कलकत्ता, जबलपुर, पटना, कानपुर की बड़े व्यापारी यहां की मंडियों से कपास खरीदते थे तिंदवारी पैलानी, बबेरू,  मऊ, राजापुर, मानिकपुर, कालिंजर, क्षेत्र के किसानों द्वारा बड़ी मात्रा में कपास पैदा किया जाता था। यह कहा जाए कि कपास यहां के किसानों की मुख्य फसल थी। एशिया की पहली कपड़ा मिल 1862 में एलियन मिल के नाम से कानपुर में स्थापित हुई थी ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन वी आई सी ने इस मिल का संचालन शुरू किया था इंडिया यूनाइटेड मिल, लाल इमली, कानपुर कॉटन मिल, अर्थ टन स्वदेशी कॉटन मिल, जेके कॉटन मिल, जैसी विश्व प्रसिद्ध कपड़ा मिलें कानपुर में स्थापित इन मिलों प्रतिदिन 1100000 (11लाख) मीटर कपड़ा बनता था कई लाख मजदूर काम करते थे। जेके कॉटन मिल के मालिक कमलापति सिंघानिया जी ने कर्वी शहर के शंकर नगर में कपास रखने के लिए एक बहुत बड़ा गोदाम बनवाया था। जो आज भी देखा जा सकता है बांदा शहर के खुटला मोहल्ले में कपास की बहुत बड़ी मंडी थी जिसे आज भी देख सकते हैं इस संबंध में चित्रकूट कर्वी श्री दीनदयाल मिश्र, बांदा के श्री बाबूलाल गुप्ता जी, के पास इस संबंध में काफी जानकारी उपलब्ध है। बांदा चित्रकूट के किसानों का सबसे अधिक कपास कमलापति सिंघानिया जी के कॉटन मिल में 1924 से खरीदा जाने लगा था। उनका लगाव बांदा और चित्रकूट के किसानों से था इसी वजह से उन्होंने अपने गोदाम कर्वी क्षेत्र में बनवाए थे। उच्च क्वालिटी का शुद्ध सूती कपड़ा बांदा और चित्रकूट के कपास के धागे से बनता था जो उस समय के 21 देशों को कपड़ा जाता था। उस समय कपास की खेती महाराष्ट्र, गुजरात में कम थी और कपड़ा मिले भी स्थापित नहीं हुई थी। कानपुर को भारत का मैनचेस्टर कहा जाता था। 1980 तक कपास की खेती बांदा और चित्रकूट के किसान करते थे। प्राकृतिक आपदा सरकारों का सहयोग न मिलने के कारण कपास उद्योग यहां से पूरी तरीके से खत्म हो गया। कपास ना होने के कारण कानपुर की मिले भी लगभग बंद जैसी स्थिति में है।
सर्वोदय कार्यकर्ता होने के नाते मुझे अपनी क्षेत्र पर गर्व है और उन लोगों को बताना चाहता हूं जो कहते हैं कि बुंदेलखंड बहुत गरीब है बुंदेलखंड का खाएंगे, बुंदेलखंड में रहेंगे, बुंदेलखंड से लेंगे, और बुंदेलखंड को गरीब बताएंगे।  युवा पीढ़ी अपने वैभवशाली इतिहास को जानने और इसे पुनः संभालने के लिए कुछ प्रयास करें जय जगत।


umakant pandey


banda