Monday, October 14, 2019

बुंदेलखंड में नहीं रोक पा रही सरकार जन्मस्थान से पलायन


पलायन आयोग गठित हो बुंदेलखंड से पलायन रोकने के लिए पिछले 20 वर्ष में 25 लाख विभिन्न प्रतिभा संपन्न नागरिकों ने अपने जन्म के गांवों से स्वरोजगार के लिए पलायन किया।  बुंदेलखंड के जनपद बांदा मे 468 ग्राम पंचायतें तथा 694 राजस्व गांव है 17 लाख 90 हजार जनसंख्या है जिसमें से 80ः जनसंख्या गांव में  रहती है उसमें से 90ः जनसंख्या का जीवन यापन किसी ना किसी रूप में कृषि पर आधारित रहा है।इसी प्रकार चित्रकूट की कुल जनसंख्या 9 लाख नब्बे हजार है कुल ग्राम पंचायत 339 है 553 राजस्व गांव है। हमीरपुर की कुल जनसंख्या 11 लाख 40 हजार है 314 ग्राम पंचायतें हैं 597 राजस्व गांव हैं। महोबा जिले की कुल जनसंख्या 804000 है 523 राजस्व गांव है। इसी प्रकार जालौन की जनसंख्या 16 लाख 70 हजार, झांसी की जनसंख्या 20 लाख 20 हजार, ललितपुर की जनसंख्या 1210000 है उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड की जनसंख्या एक करोड़ के आसपास है, मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड की जनसंख्या 50 लाख से अधिक है। प्राकृतिक आपदा के कारण किसान और किसानी दोनों बुरी तरीके से टूट गई सरकारों ने भी अपनी राजनीतिक रोटी सेकने के उद्देश्य हवा हवाई घोषणाएं की जो गांव तक जिस उद्देश्य योजना बनी थी वह पहुंची हो या नहीं। किसी जमाने में सबसे संपन्न हर दृष्टि से बुंदेलखंड जिसकी छटा देखने के लिए दुनिया से लोग आते थे। चाहे धर्म की दृष्टि से चित्रकूट हो, कला की दृष्टि से खजुराहो, साधना की दृष्टि से ओरछा हो,  चाहे सबसे कीमती पन्ना का हीरा हो, भोजन की दृष्टि से अतर्रा का चावल हो। 
ज्ञान, विज्ञान, वीरता, धीरता, गंभीरता की शिक्षा के लेने के लिए आदिकाल से लोग बुंदेलखंड आते रहे। इस धरती में सर्वमान्य धर्म ग्रंथ लिखे गए, मानव विकास का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जिस पर यहां स्थाई ऐतिहासिक काम ना किया गया हो, लेकिन वर्तमान में बुंदेलखंड के गांव में हर घर से स्थानीय स्तर पर रोजगार ना होने के कारण रोजगार के लिए लोग पलायन कर रहे हैं।
बुंदेलखंड के किसानों की आत्महत्या रोकने के विषय में मानव अधिकार आयोग ने भी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश नोटिस जारी किए उसमें क्या कार्यवाही हुई पता नहीं। बुंदेलखंड से पलायन करने वालों ने दिल्ली सूरत, मुंबई, सहित देश के कई महानगरों में अपना आशियाना ढूंढने की कोशिश की है। बुंदेलखंड से कई भारतीय प्रशासनिक सेवा में बड़े बड़े अधिकारी हैं विभिन्न क्षेत्रों में देश के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों में, उच्च पदों पर निर्णायक स्थिति में बुंदेलखंड के जनप्रतिनिधि हैं लेकिन अपने क्षेत्र के लिए अपनी जन्म भूमि के लिए शायद इक्का-दुक्का ने कुछ किया हो बाकी ने कुछ नहीं किया यह भी एक चिंता का विषय है। अभी चेते तो भी कुछ हो सकता है।
ऐसा नहीं कि केवल किसानों मजदूरों बेरोजगारों ने पलायन किया है उच्च शिक्षा प्राप्त युवा, डॉक्टर, इंजीनियर, व्यापारी, कलाकार, साहित्यकार, लेखक, लोक कलाओं ने आश्रय ना मिलने के कारण पलायन किया है। छतरपुर जिले की लव कुश नगर तहसील के कई गांव के घरों में वृद्ध माता पिता, अपनी संतान की आस लगाए बैठे हैं बहने, भाई की प्रतीक्षा में है पत्नी, पति की प्रतीक्षा में हैं। ऐसा ही हाल टीकमगढ़ महोबा बांदा के जिलों सहित विभिन्न कस्बों और गांव का है। बुंदेलखंड के जिलों में कोई भी ऐसा उद्योग नहीं जिसमे बड़ी संख्या में स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल सके।
  पलायन आयोग बनने से बुंदेलखंड से हो रहे पालन के बारे में स्पष्ट और प्रमाणित कारणों का पता लगेगा। इस आयोग में भारत सरकार और राज्य सरकार ऐसे व्यक्तियों को सम्मिलित करें जो न्याय के क्षेत्र में, शिक्षा के क्षेत्र में, कृषि के क्षेत्र में, व्यापार के क्षेत्र में, स्थानीय स्तर पर बड़ी जानकारी सकारात्मक सोच रखते हो। बुंदेलखंड के ही उच्च शिक्षा प्राप्त उनको सम्मिलित करें जिन्हें हर क्षेत्र की संपूर्ण बुंदेलखंड की पलायन से संबंधित जानकारी हो पलायन रोकने के उपाय भी स्थाई और ठोस किए जा सके। महानगर की ओर जाने वाली ट्रेनों, बसों के स्टेशनों पर उपस्थित जनसंख्या को देख कर ऐसा लगता है कि कुछ समय में प्रतिभा बिहीन बुंदेलखंड हो जाएगा। अतः शीघ्र ग्राम स्तर पर, न्याय पंचायत स्तर पर, ब्लॉक स्तर पर, तहसील स्तर पर, जिला स्तर पर, मंडल स्तर पर, स्थानीय व्यवस्था के अनुकूल स्वरोजगार पलायन रोकने के उद्देश्य से योग्यता अनुसार, ठीक करने के उद्देश्य हेतू बुंदेलखंड पलायन आयोग समझता हूं। ऐसा मैंने बुंदेलखंड के भ्रमण के दौरान समझा है। आचार्य विनोबा भावे गांधीजी के ग्राम स्वराज ग्राम गणराज्य को यदि बचाना है तो गांव बचाने होंगे, गांव बचेगा, 
देश बचेगा। यह मेरे निजी अपने विचार हैं यदि गलत हो तो क्षमा करिएगा ठीक हो तो आगे बढ़ें जय जगत।


UMAKANT PANDEY


BANDA


उम्मीदों का वृक्ष

 

उम्मीदों की चादर में कई सपने दफ्न हो गए।

जिन वृक्षो से की थी छाया की उम्मीदे,वो छाया 

पतझड़ आने पर खुद ही कहीं गायब हो गयी।।

 

जीवन के गुजरते पलो में अक्सर ऐसा हुआ।

शुखे मुरझाये वृक्षो से भी कई बार ठंडी हवाओं

का अनुभव हुआ , शायद गिर रहे थे जो पत्ते

उन्होंने कहीं अंदर तक अंतर्मन को कहीं छुआ।।

 

उम्मीदों की हरियाली को फिर जीवन मे लाना होगा।

भविष्य के वृक्ष के लिए एक पौधा लगाना होगा।।

जीवन ना जाने कब,कहाँ कैसे विश्राम लेने लगेगा।

कभी ना कभी तुझे किसी की छाया में सोना होगा।

बस उसी छाया के लिए कर्मरूपी वृक्ष लगाना होगा।।

 

 

नीरज त्यागी

ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).

Sunday, October 13, 2019

नायब तहसीलदार के घूस के वायरल ऑडियो पर कार्रवाई न होने से तहसील पर 22अक्टूबर को धरने का  ऐलान 

दैनिक अयोध्या टाइम्स बीकापुर_अयोध्या|
 स्थानीय बीकापुर तहसील के नायब तहसीलदार के घूस मांगने के ऑडियो वायरल होने के बाद भी जिला प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई न करने से जिला पंचायत सदस्य चतुर्थ भोला सिंह ने अपने हजारों कार्यकर्ताओं के साथ बीकापुर तहसील प्रांगण में 22 अक्टूबर को धरने का ऐलान कर दिया है।



       जिला पंचायत सदस्य श्री सिंह ने कहा की प्रशासन और जिला प्रशासन उक्त भ्रष्टाचारी नायब तहसीलदार को बचाने में लगा हुआ है जबकि उसकी घूस मांगने की वायरल ऑडियो में कई लोगों को घूस देने का जिक्र भी किया है। और हमने जिला अधिकारी को या भी कहा था कि जो ऑडियो वायरल हुआ है उसकी वॉइस मैचिंग करा ली जाए और दूध का दूध पानी का पानी अलग हो जाएगा।
       लेकिन आज हफ्तो बीत गया है प्रशासन के कान में जूं नहीं देख रहा है और क्षेत्र के चुने हुए जनप्रतिनिधि मूकदर्शक बने हुए है। अभी तक कोई कार्रवाई न होने से जिला प्रशासन को भी संदेह के घेरे में खड़ा कर दिया है।
    अगर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो हम 22 अक्टूबर को तहसील मुख्यालय पर आपने हजारों कार्यकर्ताओं के साथ धरना देंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी।


Friday, October 11, 2019

झोला (सब्जी वाला)


वर्षों से अवहेलना झेल रहा दबी कुचली जिंदगी जी रहा झोला आज बहुत खुश है। झोला आखिर खुश क्यों ना हो, स्टोर रूम के एक कोने में पुराने कपड़ो और सामानों के बीच या नीचे दबे हुए दम घुटते हुए माहौल से आज आजादी जो मिल गई। जिस पॉलीथिन बैग ने उसके सारे अधिकार उसका सम्मान छीन लिया था। आज सब उसे मिल जाएगा। जिस शान से वो हमारे दादा और पिता के साथ साइकिल के हैंडल पर शान से लटकता हुआ राशन का सामान बाजार से घर तक लाता था, परिवार के छोटे बच्चों के लिए फल मिठाई समेटे जब घर पहुचता तो बच्चों से झोले को जो प्यार मिलता था आज फिर से वही शान और शौकत वही प्यार फिर से उसे हासिल होने वाला है। जिस पॉलीथिन बैग रूपी राक्षस ने उसके सारे अधिकार छीने थे, पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया और ना जाने कितने पशुओं की हत्या का कारण बना उसका अंत होने वाला है। दशहरे से पूर्व असत्य पर सत्य की जीत है। वक्त बुरा भी हो तब भी संयम रखना चहिये अच्छे दिन फिर लौटकर आते है। आज झोला हम सबके बीच अपना बुरा समय बिताकर एक नए जीवन की शुरुआत करने वाला है।