Sunday, October 6, 2019

किसी भी लक्ष्य को प्राप्त  करने के लिए साधक को तन ओर मन दोनों से सामान रूप से तैयार होना चाहिए

हर लक्ष्य को मन , मस्तिष्क के साथ तैयारी करके पाना संभव होता है ।

 

किसी भी लक्ष्य को प्राप्त 

करने के लिए साधक को तन ओर मन दोनों से सामान रूप से तैयार होना चाहिए

किसी भी रचना का भाव पहले मन में आता है मन उसको अपने हिसाब से संवार कर मस्तिष्क को सौंप देता है फिर उस कार्य के लिए मस्तिष्क  सारी योजना बनाता है जब साधक मन और मानसिक दोनों रूप से तैयार हो जाता है तो शरीर में उस कार्य को करने के लिए ऊर्जा का निर्माण होने लगता है,उस हेतु शक्ति का संचार होने लगता है  फिर मन और मस्तिष्क दोनों मिलकर शरीर में निर्मित ऊर्जा शक्ति से अपने उस कार्य करवाने लग जाते है,

एक छात्र अपने विषय के अध्यन हेतु जब मन से तैयार होता है तो मस्तिष्क भी उसकी सहायता करता है फिर वो बिना थके अपनी पूरी क्षमता से हर उस प्रश्न को हल कर देता है जो उसके कोर्स का होता है,

इसी तरह किसी भी क्षेत्र का कोई भी साधक हो अपने कार्य को उच्चतम परिणाम पर ले जा सकता है

कोई कलाकार है वो अपने हर बार के प्रस्तुतीकरण पर पूरा ध्यान लगता है तो लगातार सफल होता है और अगर वो यह सोचे के पिछले अनेकों बार मिली सफलता से में सिद्ध हो गया हूं तो शायद उसकी कार्य शक्ति प्रभावित होगी

 ओर परिणाम पूर्व की भांति नहीं हो, 

ऐसे ही एक रचनाकार की रचना भी उसी तरह से  अपने आप को दर्शाती है

 किसी मकान के बनाने वाले को  देखते हैं तो वो अपने कार्य को अंजाम देने मे लगा है और  परिणाम मन लायक हेतु वो बार बार एक ही कार्य को करने मे लगा है और वो अपने कार्य को पुरा अच्छा कर ही रुकता है

वो अपने कार्य को अंजाम देने के लिए मन में एक तैयारी के साथ लगा है उसका साथ देने के लिए मस्तिष्क भी कार्य करने लगता है शरीर भी कार्य करने लगता है तभी परिणाम मन लायक मिलता है ,

कहने का तात्पर्य यह है कि 

कोई भी कार्य करने के लिए प्रेरित ओर परिणाम मन लायक हो तो समर्पण  होना जरूरी है

 हर कोई अपने आप को अपने-अपने तरीके से निखार सकता है बस शर्त यही है के आप अपने हिसाब से नहीं बल्कि उस कार्य को करने वाली सारी नीति विधि को पूर्ण मन से पालन कर उस पर गहराई से मनन करने के बाद मस्तिष्क में उस के लिए पुरी तरह से तैयारी होना उसके बाद उस योजना पर कार्य करना लाभकारी साबित होता है

 हर कार्य के लिए कोई ना कोई तैयारी जरूर करनी होती है |

आजकल हम देखते है के अनेकों क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा लगी हुई है हर कोई प्रथम आना चाहता है,प्रथम रहना चाहता है,प्रथम होना चाहता है, लेकिन वह उस कार्य के लिए अपने आप को कितना तेय्यार करता है या कितना उसके प्रति समर्पित है इसका आंकलन नहीं के बराबर होता है बिना किसी तैयारी के तन और मन को बिना तैयार किए किसी को भी  किसी भी लक्ष्य को पाना संभव नहीं होता है।

लेखक एवम कवि राजेश शर्मा, उज्जैन 

 

 

Saturday, October 5, 2019

कब तक हमारे देशवासी घिसटती जिन्दगी जीते रहेंगे

एक राजा था जिसकी प्रजा हम भारतीयों की तरह सोई हुई थी !


बहुत से लोगों ने कोशिश की प्रजा जग जाए...


अगर कुछ गलत हो रहा है तो उसका विरोध करे,


लेकिन प्रजा को कोई फर्क नहीं पड़ता था !


राजा ने तेल के दाम बढ़ा दिये, प्रजा चुप रही,राजा ने अजीबो गरीब टैक्स लगाए, प्रजा चुप रही,राजा मनमानी करता रहा लेकिन प्रजा चुप रही,


एक दिन राजा के दिमाग मे एक बात आई उसने एक अच्छे-चौड़ेरास्ते को खुदवा के एक पुल बनाया जबकि वहां पुल की कतई आवश्यकता नहीं थी...


प्रजा फिर भी चुप थी, किसी ने नहीं पूछा के भाई यहाँ तो किसीपुल की जरुरत नहीं है, आप काहे बना रहे है..?


राजा ने अपने सैनिक उस पुल पे खड़े करवा दिए और पुल से गुजरने वाले हर व्यक्ति से टैक्स लिया जाने लगा,


फिर भी किसीने कोई विरोध नहीं किया !


फिर राजा ने अपने सैनिको को हुक्म दिया कि जो भी इस पुल से गुजरे उसको ""4 जूते"" मारे जाए और एक शिकायत पेटी भी पुल पर रखवा दी कि किसी को अगर कोई शिकायत हो तो शिकायत पेटी मे लिख कर डाल दे,


लेकिन प्रजा फिर भी चुप !


राजा रोज़ शिकायत पेटी खोल कर देखता की शायद किसी ने कोई विरोध किया हो, लेकिन उसे हमेशा पेटी खाली मिलती !


कुछ दिनो के बाद अचानक एक चिट्ठी मिली ..


राजा खुश हुआ के चलो कम से कम एक आदमी तो जागा....


जब चिट्ठी खोली गयी तो उसमे लिखा था -
"हुजूर जूते मारने वालों की संख्या बढ़ा दी जाए"...


हम लोगों को घर जाने मे देरी होती है !


ऐसे हो गए हैं हम ....
और हमारा समाज......
     
 एक तनख्वाह से कितनी बार टेक्स दूं और क्यों...जबाब है???
मैनें तीस दिन काम किया, 
तनख्वाह ली - टैक्स दिया
मोबाइल खरीदा - टैक्स दिया--'
रिचार्ज किया - टैक्स दिया
डेटा लिया - टैक्स दिया
बिजली ली - टैक्स दिया
घर लिया - टैक्स दिया
TV फ्रीज़ आदि लिये - टैक्स दिया
कार ली - टैक्स दिया
पेट्रोल लिया - टैक्स दिया
सर्विस करवाई - टैक्स दिया
रोड पर चला - टैक्स दिया
टोल पर फिर - टैक्स दिया
लाइसेंस बनाया - टैक्स दिया
गलती की तो - टैक्स दिया
रेस्तरां मे खाया - टैक्स दिया
पार्किंग का - टैक्स दिया
पानी लिया - टैक्स दिया
राशन खरीदा - टैक्स दिया
कपड़े खरीदे - टैक्स दिया
जूते खरीदे - टैक्स दिया
कितबें ली - टैक्स दिया
टॉयलेट गया - टैक्स दिया
दवाई ली तो - टैक्स दिया
गैस ली - टैक्स दिया
सैकड़ों और चीजें ली ओर - टैक्स दिया, कहीं फ़ीस दी, कहीं बिल, कहीं ब्याज दिया, कहीं जुर्माने के नाम पर तो कहीं रिश्वत के नाम पर पैसा देने पड़े, ये सब ड्रामे के बाद गलती से सेविंग मे बचा तो फिर टैक्स दिया----
सारी उम्र काम करने के बाद कोई सोशल सेक्युरिटी नहीं, कोई पेंशन नही, कोई मेडिकल सुविधा नहीं, बच्चों के लिये अच्छे स्कूल नहीं, पब्लिक ट्रांस्पोर्ट नहीं, सड़कें खराब, स्ट्रीट लाईट खराब, हवा खराब, पानी खराब, फल सब्जी जहरीली, हॉस्पिटल महंगे, हर साल महंगाई की मार, आकस्मिक खर्चे व् आपदाएं , उसके बाद हर जगह लाइनें।।।।
सारा पैसा गया कहाँ????
करप्शन में , 
इलेक्शन में ,
अमीरों की सब्सिड़ी में ,
माल्या जैसो के भागने में
अमीरों के फर्जी दिवालिया होने में ,
स्विस बैंकों में ,
नेताओं के बंगले और कारों मे,    
और हमें झण्डू बाम बनाने मे।
अब किस को बोलूं कौन चोर है???
आखिर कब तक हमारे देशवासी यूंही घिसटती जिन्दगी जीते रहेंगे?????


राम मंदिर केस पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के आज के दो रोचक द्रश्य..

राम मंदिर केस पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के आज के दो रोचक द्रश्य..


जज- मस्जिद के नीचे दीवारों के अवशेष मिले हैं।
मुस्लिम पक्ष की वकील मीनाक्षी अरोड़ा- वो दीवारें दरगाह की हो सकती हैं।
जज- लेकिन आपका मत तो यह है कि मस्जिद खाली जगह पर बनाई गई थी.. किसी ढ़ांचे को तोड़कर नहीं।
वकील- सन्नाटा


जज- एसआईटी की खुदाई में कुछ मूर्तियां मिली हैं।
वकील- वो बच्चों के खिलौने भी हो सकते हैं।
जज- उनमें वराह(सूअर) की मूर्ति भी मिली है जो हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार थे.. क्या मुसलमानो में सूअर की मूर्ति के साथ खेलने का प्रचलन था.?
वकील- घना सन्नाटा..!!


वेदों में श्रीराम तो हैं ही ...अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि का भी सटीक उल्लेख है !!
वह दृश्य था उच्चतम न्यायलय का ... श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में वादी के रूप में उपस्थित थे धर्मचक्रवर्ती, तुलसीपीठ के संस्थापक, पद्मविभूषण, जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ... जो विवादित स्थल पर श्रीराम जन्मभूमि होने के पक्ष में शास्त्रों से प्रमाण पर प्रमाण दिये जा रहे थे ...
न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति मुसलमान था ...
उसने छूटते ही चुभता सा सवाल किया, "आपलोग हर बात में वेदों से प्रमाण मांगते हैं ... तो क्या वेदों से ही प्रमाण दे सकते हैं कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में उस स्थल पर ही हुआ था?"
जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी (जो प्रज्ञाचक्षु हैं) ने बिना एक पल भी गँवाए कहा , " दे सकता हूँ महोदय", ... और उन्होंने ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से उद्धरण देना शुरू किया जिसमें सरयू नदी के स्थानविशेष से दिशा और दूरी का बिल्कुल सटीक ब्यौरा देते हुए श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है ।
कोर्ट के आदेश से जैमिनीय संहिता मंगाई गई ... और उसमें जगद्गुरु जी द्वारा निर्दिष्ट संख्या को खोलकर देखा गया और समस्त विवरण सही पाए गए ... जिस स्थान पर श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है ... विवादित स्थल ठीक उसी स्थान पर है ...
और जगद्गुरु जी के वक्तव्य ने फैसले का रुख हिन्दुओं की तरफ मोड़ दिया ...
मुसलमान जज ने स्वीकार किया , " आज मैंने भारतीय प्रज्ञा का चमत्कार देखा ... एक व्यक्ति जो भौतिक आँखों से रहित है, कैसे वेदों और शास्त्रों के विशाल वाङ्मय से उद्धरण दिये जा रहा था ? यह ईश्वरीय शक्ति नहीं तो और क्या है ?"
अब कोई ये मत कहना कि वेद तो श्रीराम के जन्म से पहले अस्तित्व में थे ... उनमें श्रीराम का उल्लेख कैसे हो सकता है?
वेदों के मंत्रद्रष्टा ऋषि त्रिकालज्ञ थे -- भूत, भविष्य और वर्तमान, तीनों का ज्ञान रखते थे ...
( श्रीराम की महिमा तीनों कालों में है -- कालाबाधित ... लोकविश्रुत ...)


llचहुँ जुग चहुँ श्रुति नाम प्रभाऊll
llकलि विशेष नहिं आन उपाऊ ll


Friday, October 4, 2019

डायबिटीज होने का कारण और कम करने का उपाय

जल्दी-जल्दी पेशाब आना और पेशाब में चीनी आना शुरू हो जाती है और रोगी का वजन कम होता जाता है। शरीर में कहीं भी जख्मध्घाव होने पर वह जल्दी नहीं भरता। तो  ऐसी स्थिति में हम क्या करें? राजीव भाई की एक छोटी सी सलाह है कि आप इन्सुलिन पर ज्यादा निर्भर ना करे क्योंकि यह इन्सुलिन डायबिटीज से भी ज्यादा खतरनाक है, साइड इफेक्ट्स बहुत है इसके । इस बीमारी के घरेलू उपचार निम्न लिखित हैं।


आयुर्वेद की एक दवा है जो आप घर में भी बना सकते है  -  100 ग्राम मेथी का दाना - 100 ग्राम करेले के बीज -  150 ग्राम जामुन के बीज -  250 ग्राम बेल के पत्ते (जो शिव जी को चढाते है )


इन सबको धुप में सुखाकर पत्थर में पिसकर पाउडर बना कर आपस में मिला ले यही औषधि है ।


औषधि लेने की पद्धति रू सुबह नास्ता करने से एक घंटे पहले एक चम्मच गरम पानी के साथ ले, फिर शाम को खाना खाने से एक घंटे पहले ले। तो सुबह शाम एक एक चम्मच पाउडर खाना खाने से पहले गरम पानी के साथ आपको लेना है । देड दो महीने अगर आप ये दवा ले लिया । ये औषधि बनाने में   20 से 25 रूपया खर्च आएगा और ये औषधि तीन महिने तक चलेगी और उतने दिनां में आपकी सुगर ठीक हो जाएगी । सावधानी -  सुगर के रोगी ऐसी चीजे ज्यादा खाए जिसमे फाइबर हो रेशे ज्यादा हो, भ्पही थ्पइमत स्वू थ्ंज क्पमज घी तेल वाली डायेट कम हो और फाइबर वाली ज्यादा हो रेशेदार चीजे ज्यादा  खाए। सब्जिया में बहुत रेशे है वो खाए, डाल जो छिलके वाली हो वो खाए, मोटा अनाज ज्यादा खाए, फल ऐसी खाए जिनमे रेशा बहुत है । -  चीनी कभी ना खाए, डायबिटीज की बीमारी को ठीक होने में चीनी सबसे बडी रुकावट है। लेकिन आप गुड खा सकते है । -  दूध और दूध से बनी कोई भी चीज नही खाना । -  प्रेशर कुकर और अलुमिनम के बर्तन में ना ना बनाए । -  रात का खाना सर्यास्त के पूर्व करना होगा । जो डायबिटीज आनुवंशिक होतें है वो कभी पूरी ठीक नही होता सिर्फ कण्ट्रोल होता है उनको ये दवा पूरी जिन्दगी खानी पडेगी, पर जिनको आनुवंशिक नही है उनका पूरा ठीक होता है ।