Wednesday, October 2, 2019

आओ हम सब  मिलकर के प्लास्टिक मुक्त भारत की संरचना करें

वर्तमान अर्थ के इस युग में अर्थ अर्जन  की आपाधापी में आधुनिक समाज में प्लास्टिक मानव-शत्रु के रूप में उभर रहा है। समाज में फैले आतंकवाद से तो छुटकारा पाया जा सकता है, किंतु प्लास्टिक से छुटकारा पाना अत्यंत कठिन है, क्योंकि आज यह हमारे दैनिक उपयोग की वस्तु बन गया है। आंख खुलते ही शुरू होने वाला प्लास्टिक का उपयोग रात की नींद के साथ ही बंद होता है| गृहोपयोगी वस्तुओं से लेकर कृषि, चिकित्सा, भवन-निर्माण, विज्ञान सेना, शिक्षा, मनोरंजन, अंतरिक्ष, अंतरिक्ष कार्यक्रमों और सूचना प्रौद्योगिकी आदि में प्लास्टिक का उपयोग बढ़-चढ़कर हो रहा है।स्वार्थी एवं उपभोक्तावादी मानव ने प्रकृति यानि पर्यावरण को पॉलीथीन के अंधाधुंध प्रयोग से जिस तरह प्रदूषित किया और करता जा रहा है उससे सम्पूर्ण वातावरण पूरी तरह आहत हो चुका है विकास की कीमत प्रकृति  का किस स्तर तक नुकसान करके मानव चुकाएगा यह कह पाना बड़ा मुश्किल है| प्लास्टिक  विदेशी से घिरा मानव  कहीं प्रकृति और खुद के अस्तित्व को नष्ट ही ना कर ले |आज के भौतिक युग में पॉलीथीन के दूरगामी दुष्परिणाम एवं विषैलेपन से बेखबर हमारा समाज इसके उपयोग में इस कदर आगे बढ़ गया है मानो इसके बिना उनकी जिंदगी अधूरी है, जाने अनजाने मानव ने अपने जीवन में एक खतरनाक विष का जाल बना लिया है जिसमें  कीड़े मकोड़े की तरह हम खुद ही फस कर  उलझने को विवश हो रहे हैं | प्लास्टिक का उपयोग करना तो बहुत आसान है परंतु उसका निस्तारण , उपयोग करने के बाद सही तरीके से  कर पाना बहुत ही मुश्किल साबित हो रहा है | सही तरीके से  निस्तारित ना होने पर  प्लास्टिक कचरा हमारे जमीनों की उर्वरा शक्ति कम कर रहा है । ऐसे खेतों में पड़ने वाले बीज अंकुरित ही नहीं होते , यदि प्लास्टिक कचरा पॉलीथिन के रूप में नालियों में फेंका जाता है। तो वह नाली और नाले को अवरुद्ध करता है , प्लास्टिक थैली में फेंका गया जूठन हमारे पशुओं  में कैंसर फैला रहा है  |हिमालय की वादियों से लेकर समुद्र की गहराइयों तक हर जगह उचित निस्तारण व्यवस्था ना होने के कारण प्लास्टिक कचरा फैला पड़ा है जिससे प्रकृति का पर्यावरण चक्र बिगड़ने को विवश हो रहा है ।
                           कुछ विकसित देशों में प्लास्टिक के रूप में निकला कचरा फेंकने के लिए खास केन जगह जगह रखी जाती हैं। इन केन में नॉन-बॉयोडिग्रेडेबल कचरा ही डाला जाता है। असलियत में छोटे से छोटा प्लास्टिक भले ही वह चॉकलेट का कवर ही क्यों न हो बहुत सावधानी से फेंका जाना चाहिए। क्योंकि प्लास्टिक को फेंकना और जलाना दोनों ही समान रूप से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। प्लास्टिक जलाने पर भारी मात्रा में केमिकल उत्सर्जन होता है जो सांस लेने पर शरीर में प्रवेश कर श्वसन प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसे जमीन में फेंका जाए या गाड़ दिया जाए या पानी में फेंक दिया जाए, इसके हानिकारक प्रभाव कम नहीं होते और प्रकृति के विभिन्न प्रकार के चक्रों को अनियमित करते हैं सो अलग|                                      


वर्तमान समय को यदि पॉलीथीन अथवा प्लास्टिक युग के नाम से जाना जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। हमने शायद इतिहास में विभिन्न सभ्यता देखी कांस्य युगीन सभ्यता , लौह युग ,और अब हम प्लास्टिक युग में विचरण कर रहे हैं अन्य सभ्यताओं ने मानव को विकसित किया परंतु प्रकृति को नष्ट नहीं किया और आज का प्लास्टिक योग हमारे अस्तित्व से ही खिलवाड़ करने में लगा हुआ है| आज सम्पूर्ण विश्व में यह पॉली अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान बना चुका है और दुनिया के सभी देश इससे निर्मित वस्तुओं का किसी न किसी रूप में प्रयोग कर रहे हैं।  सोचनीय विषय यह है कि सभी इसके दुष्प्रभावों से अनभिज्ञ हैं या जानते हुए भी अनभिज्ञ बने जा रहे हैं।  



                          पॉलीथीन एक प्रकार का जहर है जो पूरे पर्यावरण को नष्ट कर देगा और भविष्य में हम यदि इससे छुटकारा पाना चाहेंगे तो हम अपने को काफी पीछे पाएँगे और तब तक सम्पूर्ण पर्यावरण इससे दूषित हो चुका होगा। हमने अपने आने वाली पीढ़ियों को जहरीली हवा ,पानी और भोजन के अतिरिक्त जहर घोलकर पर्यावरण भी दिया है|
आज सुबह के टूथपेस्ट से शुरू होकर प्लास्टिक का सफर घर में पूजा स्थल से रसोईघर, स्नानघर, बैठकगृह तथा पठन-पाठन वाले कमरों बच्चों के स्कूल बैग तक के उपयोग में आने लग गई है। यही नहीं यदि हमें बाजार से कोई भी वस्तु जैसे राशन, फल, सब्जी, कपड़े, जूते यहाँ तक तरल पदार्थ जैसे दूध, दही, तेल, घी, फलों का रस इत्यादि भी लाना हो तो उसको लाने में पॉलीथीन का ही प्रयोग हो रहा है। आज के समय में फास्ट फूड का काफी प्रचलन है जिसको भी पॉली में ही दिया जाता है आजकल अक्सर आप ट्रेन से सफर करते हैं तो खिड़की से बाहर देखने पर चमकीली प्लास्टिक के रैपर दूर तक चमकते हुए दिखाई देते हैं, आज मनुष्य पॉली का इतना आदी हो चुका है कि वह कपड़े या जूट के बने थैलों का प्रयोग करना ही भूल गया है| हम प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करें इसके लिए सरकार को हमारे ऊपर तथा प्लास्टिक बेचने वालों पर अर्थदंड लगाना पड़ रहा है| विकास की अंधी दौड़ में हम इतने खो चुके हैं कि हमें अपना अस्तित्व ही नष्ट होता नहीं दिखाई दे रहा आप कल्पना करें भारत में 50% प्लास्टिक एक बार इस्तेमाल होने के बाद फेंक दी जाती है अक्सर इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक बैग खतरनाक केमिकल जायलेन, एथिलीन ऑक्साइड , बेंजीन जैसे केमिकल से मिलकर बनते हैं    इनमें रखा हुआ खाना भी प्रदूषित ही नहीं समय के साथ विषैला भी हो जाता है और इस तरह के प्लास्टिक को यदि हम जमीन में दफनाते हैं तो वह जमीन पानी में फेंकते हैं तो वह पानी और कचड़े के रूप में फेंका गया पॉलिथीन तो हजारों सालों तक नष्ट नहीं होता प्लास्टिक कि नॉन बायोडिग्रेडेबल प्रवृत्ति ही हमारे लिए सबसे खतरनाक है|   
                     प्रकृति और मानव अनादिकाल से सहचर के भाव में जीवन यापन करते रहे हैं आज वर्तमान समय की महती आवश्यकता है कि हम पहले तो अपने दिनचर्या में प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करें और यदि करें तो यह ध्यान रखें कि वह प्लास्टिक reused, recycled आसानी से की जा सके और धीरे-धीरे  यह उपयोग कम से कम कर किए जा सके |आइए सरकार की मंशा के साथ शामिल होते हुए हम सब भी 2 अक्टूबर 2019 को यह शपथ ले कि अपने जीवन में प्रयोग होने वाली ज्यादा से ज्यादा प्लास्टिक की वस्तुओं का त्याग करेंगे और कुछ नहीं तो कम से कम प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर करना हम मनुष्यों का परम कर्तव्य है अगर प्रकृति हमारी रक्षा करती है तो आज की  महती आवश्यकता है कि हम अपनी प्रकृति की रक्षा करें| एक प्रयास प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने का...... 
लेखक--अभिमन्यु शुक्ला


सफल होने के 60 मंत्र

1:- जीवन में वो ही व्यक्ति असफल होते है, जो सोचते है पर करते नहीं ।
2 :- भगवान के भरोसे मत बैठिये क्या पता भगवान आपके भरोसे बैठा हो… 
3 :- सफलता का आधार है सकारात्मक सोच और निरंतर प्रयास !!!
4 :- अतीत के ग़ुलाम नहीं बल्कि भविष्य के निर्माता बनो…
5 :- मेहनत इतनी खामोशी से करो की सफलता शोर मचा दे…
6 :- कामयाब होने के लिए अकेले ही आगे बढ़ना पड़ता है, लोग तो पीछे तब आते है जब हम कामयाब होने लगते है.
7 :- छोड़ दो किस्मत की लकीरों पे यकीन करना, जब लोग बदल सकते हैं तो किस्मत क्या चीज़ है…
8 :- यदि हार की कोई संभावना ना हो तो जीत का कोई अर्थ नहीं है…
9 :- समस्या का नहीं समाधान का हिस्सा बने…
10 :- जिनको सपने देखना अच्छा लगता है उन्हें रात छोटी लगती है और जिनको सपने पूरा करना अच्छा लगता है उनको दिन छोटा लगता है…
11 :- आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते पर आप अपनी आदतें बदल सकते है और निशचित रूप से आपकी आदतें आपका भविष्य बदल देगी !
12 :- एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जानें के बाद दूसरा सपना देखने के हौसले को ज़िंदगी कहते है !!!
13 :- वो सपने सच नहीं होते जो सोते वक्त देखें जाते है, सपने वो सच होते है जिनके लिए आप सोना छोड़ देते है…
14 :- सफलता का चिराग परिश्रम से जलता है !!!
15 :- जिनके इरादे बुलंद हो वो सड़कों की नहीं आसमानो की बातें करते है…
16 :- सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं…
17 :- मैं तुरंत नहीं लेकिन निश्चित रूप से जीतूंगा…
18 :- सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगें लोग…
19 :- आशावादी हर आपत्तियों में भी अवसर देखता है और निराशावादी बहाने !!!
20 :- आप में शुरू करने की हिम्मत है तो, आप में सफल होने के लिए भी हिम्मत है…
21 :- सच्चाई वो दिया है जिसे अगर पहाड़ की चोटी पर भी रख दो तो बेशक रोशनी कम करे पर दिखाई बहुत दूर से भी देता है.
22 :- संघर्ष में आदमी अकेला होता है, सफलता में दुनिया उसके साथ होती है ! जिस जिस पर ये जग हँसा है उसी उसी ने इतिहास रचा है.
23 :- खोये हुये हम खुद है और ढूढ़ते ख़ुदा को है !!!
24 :- कामयाब लोग अपने फैसले से दुनिया बदल देते है और नाकामयाब लोग दुनिया के डर से अपने फैसले बदल लेते है…
25 :- भाग्य को और दूसरों को दोष क्यों देना जब सपने हमारे है तो कोशिशें भी हमारी होनी चाहियें !!!
26 :- यदि मनुष्य सीखना चाहे तो उसकी प्रत्येक भूल उसे कुछ न कुछ सिखा देती है !!!
27 :- झूठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते है तरक्की के बाज़ की उड़ान में कभी आवाज़ नहीं होती…
28 :- समस्या का सामना करें, भागे नहीं, तभी उसे सुलझा सकते हैं…
29 :- परिवर्तन से डरना और संघर्ष से कतराना मनुष्य की सबसे बड़ी कायरता है.
30 :- सुंदरता और सरलता की तलाश चाहे हम सारी दुनिया घूम के कर लें लेकिन अगर वो हमारे अंदर नहीं तो फिर सारी दुनिया में कहीं नहीं है.
31 :- ना किसी से ईर्ष्या ना किसी से कोई होड़, मेरी अपनी मंज़िलें मेरी अपनी दौड़…
32 :- ये सोच है हम इंसानों की कि एक अकेला क्या कर सकता है, पर देख ज़रा उस सूरज को वो अकेला ही तो चमकता है !!!
33 :- लगातार हो रही सफलताओं से निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि कभी कभी गुच्छे की आखिरी चाबी भी ताला खोल देती है…
34 :- जल्द मिलने वाली चीजें ज्यादा दिन तक नहीं चलती और जो चीजें ज्यादा दिन तक चलती है वो जल्दी नहीं मिलती है.
35 :- इंसान तब समझदार नहीं होता जब वो बड़ी बड़ी बातें करने लगे, बल्कि समझदार तब होता है जब वो छोटी छोटी बातें समझने लगे…
36 :- सेवा सभी की करना मगर आशा किसी से भी ना रखना क्योंकि सेवा का वास्तविक मूल्य नही दे सकते है,
37 :- मुश्किल वक्त का सबसे बड़ा सहारा है “उम्मीद” !! जो एक प्यारी सी मुस्कान दे कर कानों में धीरे से कहती है “सब अच्छा होगा” !!
38 :- दुनिया में कोई काम असंभव नहीं, बस हौसला और मेहनत की जरुरत है !!!
39 :- वक्त आपका है चाहे तो सोना बना लो और चाहे तो सोने में गुजार दो, दुनिया आपके उदाहरण से बदलेगी आपकी राय से नहीं…
40 :- बदलाव लाने के लिए स्वयं को बदले…
41 :- सफल व्यक्ति लोगों को सफल होते देखना चाहते है, जबकि असफल व्यक्ति लोगों को असफल होते देखना चाहते है…
42 :- घड़ी सुधारने वाले मिल जाते है लेकिन समय खुद सुधारना पड़ता है !!!
43 :- दुनिया में सब चीज मिल जाती है केवल अपनी ग़लती नहीं मिलती…
44 :- क्रोध और आंधी दोनों बराबर… शांत होने के बाद ही पता चलता है की कितना नुकसान हुवा…
45 :- चाँद पे निशान लगाओ, अगर आप चुके तो सितारों पे तो जररू लगेगा !!!
46 :- गरीबी और समृद्धि दोनों विचार का परिणाम है…
47 :- पसंदीदा कार्य हमेशा सफलता, शांति और आनंद ही देता है…
48 :- जब हौसला बना ही लिया ऊँची उड़ान का तो कद नापना बेकार है आसमान का…
49 :- अपनी कल्पना को जीवन का मार्गदर्शक बनाए अपने अतीत को नहीं…
50 :- समय न लागओ तय करने में आपको क्या करना है, वरना समय तय कर लेगा की आपका क्या करना है.
51 :- अगर तुम उस वक्त मुस्कुरा सकते हो जब तुम पूरी तरह टूट चुके हो तो यकीन कर लो कि दुनिया में तुम्हें कभी कोई तोड़ नहीं सकता !!!
52 :- कल्पना के बाद उस पर अमल ज़रुर करना चाहिए। सीढ़ियों को देखते रहना ही पर्याप्त नहीं है, उन पर चढ़ना भी ज़रुरी है।
53 :- हमें जीवन में भले ही हार का सामना करना पड़ जाये पर जीवन से कभी नहीं हारना चाहिए…
54 :- सीढ़ियां उन्हें मुबारक हो जिन्हें छत तक जाना है, मेरी मंज़िल तो आसमान है रास्ता मुझे खुद बनाना है !!!
55 :- हजारों मील के सफ़र की शुरुआत एक छोटे कदम से होती है…
56 :- मनुष्य वही श्रेष्ठ माना जाएगा जो कठिनाई में अपनी राह निकालता है ।
57 :- पुरुषार्थ से असंभव कार्य भी संभव हो जाता है…
58 :- प्रतिबद्ध मन को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है, पर अंत में उसे अपने परिश्रम का फल मिलेगा ।
59 :- असंभव समझे जाने वाला कार्य संभव करके दिखाये, उसे ही प्रतिभा कहते हैं ।
60 :- आने वाले कल को सुधारने के लिए बीते हुए कल से शिक्षा लीजिए…


दैनिक अयोध्या टाइम्स समाचार के पीलीभीत कार्यालय का उद्घाटन समारोह संपन्न

आज दिनांक 01.10.19 को दैनिक समाचार पत्र अयोध्या टाइम्स पीलीभीत पीलीभीत ब्यूरो कार्यालय का ज़िला प्रभारी लियाक़त हुसैन एवं ब्यूरो चीफ़ शहज़ाद शम्सी की ओर से आयोजित श्री अमिताभ राय ए०आर०टी०ओ प्रशासन पीलीभीत ने कार्यालय का फीता काट कर शुभारंभ किया।



कार्यक्रम श्री प्रभात जैसवाल पूर्व पालिकाध्यक्ष पीलीभीत की अध्य्क्षता में सम्पन्न हुआ।
जिसमें विशिष्ट अतिथि के रूप में अयोध्या टाइम्स ग्रुप के को०एडिटर श्री संजय कुमार तिवारी,श्री श्रीकांत द्विवेदी प्रभारी निरीक्षक कोतवाली सदर,श्री संदीप सिंह वरिष्ट पत्रकार एवं प्रेसिडेंट प्रेस क्लब पीलीभीत और मो०वसीम शेरी प्रेसीडेंट पीलीभीत बस यूनियन ने संयुक्त रूप से पधार कर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।



सफी उर रहमान शम्सी द्वारा कार्यक्रम में पधारे मुख्य अतिथि को दो शाला उड़ाकर स्वागत किया गया साथ ही ज़िला प्रभारी लियाक़त हुसैन द्वारा कार्यक्रम अध्य्क्ष को दो शाला उड़ाकर सम्मानित किया गया एवं आफ़ताब मियां द्वारा कार्यक्रम में पधारे विशिष्ट अतिथियों को दो शाला उड़ाकर सम्मानित किया गया।



कार्यक्रम में पधारे अतिथियों को सैय्यद इज़्ज़त अली,सैय्यद ज़ाहिद अली,शिब्ली अहमद,कक्कू भाई, अज़ीम रज़ा, इक़रार रज़ा,तस्लीम शम्सी,फ़ैज़ शम्सी,शहज़ाद उल हक़, कलीम उर रहमान,फुरकान मोहम्मद, डा०अफ़ज़ल शम्सी एवं तस्लीम उस्मानी द्वारा फ़ूल माला पहना कर स्वागत किया गया।
ज़िला प्रभारी लियाक़त पहलवान द्वारा कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों और जन साधारण का आभार व्यक्त किया गया।
इस अवसर पर ब्यूरो चीफ़ शहज़ाद शम्सी ने कहा की जो ज़िम्मेदारी अयोध्या टाइम्स मीडिया ग्रुप ने मुझे और मेरी टीम को दी गई हैं उसे हम सब मिल कर पूरी ईमानदारी और मेहनत से पूरा करेंगे।
कार्यक्रम का सफल संचालन संयुक्त रूप से संजय पांडे और सफी उर रहमान शम्सी द्वारा किया गया।



Tuesday, October 1, 2019

बलिदानियों का गांव चित्रकूट जिले का सरधुआ गांव

बलिदानियों का गांव चित्रकूट जिले का सरधुआ गांव यह गांव सैनिकों का गांव कहलाता है इस गांव के सपूत स्वर्गीय कर्नल दिनेश सिंह की मेहनत से इस गांव का भाग्योदय हुआ इस गांव के प्रत्येक के  वर्ग परिवार से एक सैनिक है इस गांव से 350 से अधिक सैनिक कई कर्नल मेजर सूबेदार कैप्टन हवलदार शहीद सेना के कई पदों पर आसीन होकर देश सेवा कर रहे हैं उत्तर प्रदेश का पहला गांव में जिस में सबसे अधिक युवा सेना में है कई सैनिकों ने राष्ट्रहित में अपने को बलिदान किया है चित्रकूट जिले का ग्राम सरधुआ जो मंदाकिनी के तट पर जमुना के नजदीक तिराहर का सिरमौर है इस गांव की खूबसूरती देखने लायक है इस गांव में तीन इंटर कॉलेज 10 जूनियर हाई स्कूल कई प्राथमिक विद्यालय है 99% जनसंख्या इस गांव की शिक्षित है चित्रकूट के राजापुर के नजदीक गांव बसा है इस गांव के बाहर खड़े हो जाएं तो ऐसा लगता है कि आप फिल्म देख रहे हैं इस गांव की मिट्टी में जन्मे वीर सपूत गांव के भाग बता विधाता जिन्हें गांव के युवा वर्ग अपना आदर्श मानते हैं कर्नल दिनेश सिंह ने इस गरीब पिछड़े गांव के बेरोजगार युवकों को तैयार करा कर फौज में भर्ती कराया गांव के सेवानिवृत्त हवलदार जगत नारायण पांडे बताते हैं वे हमारे लिए देवता से कम नहीं थे उन्होंने गांव के हर जाति हर परिवार से बेरोजगार युवा को सेना में भर्ती कराया सैनिक बलदेव विश्वकर्मा सैनिक मेहताब खा सैनिक लोकनाथ नाई सैनिक शिवपूजन सिंह सैनिक श्याम नारायण पंडित सैनिक इन नारायण पंडित ऐ सी परिवार के सैनिक किस्मत सैनिक रफ जस सैनिक दिनेश नाइ भैया लाल धोबी रामदयाल प्रजापति सैनिक मुन्ना लाल यादव सहित अनेकों नाम है कर्नल दिनेश सिंह के बड़े भाई श्याम सिंह गांव के युवकों को सेना की भर्ती के लिए तैयार करते थे जिन्हें दौड़  सीना लंबाई की ट्रेनिंग निशुल्क देते थे |



गांव के युवा विकास पांडे तथा युवा शिवदीप सिंह बताते हैं कि स्वर्गीय दिनेश सिंह की वजह से इस गांव का नाम पूरे प्रदेश में हुआ और यह गांव फौजियों का गांव कहलाता है इसी गांव में जन्मे बांदा चित्रकूट जिले की कोपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन स्वर्गीय उदय भान पांडे के पुत्र प्रवीण पांडे बताते हैं कि कर्नल दिनेश सिंह सरधुवा  के सैनिकों से एक बटालियन बनाना चाहते थे यह गांव ही नहीं जब बांदा चित्रकूट एक जिला था तब क्षेत्र का कोई भी युवा जो फौज में जाना चाहता  कर्नल दिनेश सिंह निस्वार्थ भाव से उसकी मदद करते थे क्षेत्र के सैकड़ों युवाओं को कर्नल दिनेश सिंह जी की वजह से फौज में नौकरी मिली बांदा जनपद के प्रसिद्ध समाजसेवी श्री अर्जुन सिंह परिहार बताते हैं कि कर्नल दिनेश सिंह जी को अपनी जन्मभूमि से इतना लगाव था कि वह किसी भी जाति धर्म मजहब का जब भी नौजवान बेरोजगार लड़का देखते थे उसे तुरंत फौज में भर्ती होने की सलाह देते थे सलाही ही नहीं देते थे बल्कि मदद करते थे निस्वार्थ भाव से श्री अर्जुन सिंह जी बताते हैं कि हमारी रिश्तेदारी होने के कारण मेरा इस गांव में आना-जाना रहा है यह गांव भाग्यशाली है कि इस मिट्टी मैं कर्नल महेंद्र सिंह कर्नल गुल्ला सिंह कर्नल हनुमंत सिंह जैसे सेना के बड़े अधिकारियों ने जन्म लिया कर्नल हनुमंत सिंह के तीनों बेटे वर्तमान में कर्नल है तथा एक बेटा पायलट है इस गांव में जन्मे सैनिकों तथा अधिकारियों ने भारत पाक युद्ध भारत चाइना युद्ध में युद्ध लड़ा नेतृत्व किया देश के दुश्मनों को मारा कई वीरता पदक प्राप्त किया इसी गांव के वीर बलिदानी कल्लू यादव है कर्नल दिनेश के बेटे सेना के उच्च पद पर हैं धन्य है बे माता पिता जिन की कोख से ऐसे वीर पुरुष ने जन्म लिया जिसे अपनी जन्मभूमि से लगाव था मातृभूमि की सेवा के लिए सैनिक तैयार किए मैं सर्वोदय ही कार्य करता हूं  विनोबा जी का चेला हूं घूमता रहता हूं बबेरू से राजापुर जाते समय रास्ते में यह गांव दिखा अचानक जानकारी की जिज्ञासा हुई युवाओं ने जब इस गांव की गौरवशाली इतिहास को बताया लगा कि इस गांव के बहादुरी के किस्से इस वीर की जीवन गाथा को बताना चाहिए कर्नल दिनेश सिंह जी ने जो करके दिखाया उससे जिले के गांव में जन्मे अन्य गांव के उन व्यक्तियों को अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों को प्रेरणा लेनी चाहिए जो कुछ करने में सक्षम है ईश्वर ने उन्हें शक्ति दी है अपनी मातृभूमि का कर्ज चुका सकते   हैं आज कर्नल दिनेश सिंह भले ही ना प्रत्यक्ष रूप से इस लोक में हो लेकिन उनका पुरुषार्थ उनको सदैव जीवित रखेगा और यह गांव सरधुआ जब तक रहेगा कर्नल दिनेश सिंह जी तब तक जीवित रहेंगे यदि सूचना में गलती हो कुछ तो क्षमा करें अच्छा हो तो आगे चर्चा करें जय जवान जय जगत अच्छी सूचना है युवा पीढ़ी जाने यदि तू चाहता है कि तेरे जाने के बाद भी नाम रहे इस जमीन पर तुम ऐसे नेक काम कर काम देखकर याद किया जाता रहे जमीन पर वंदे मातरम