"श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में-*
*पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं -*
"श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में-*
*पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं -*
वैवाहिक रिश्तों के टूटने के किस्से जिस तरह बढतें जा रहें हैं, वह भारतीय समाज के लिए चिंता का जरूरी सबब बन गए हैं। विवाह के कुछ महीनों या सालों में सपनों का धाराशाही हो जाने की अनेकों कहानियां हमारे आसपास बिखरी पड़ी हैं। इन कहानियों में उनकी भी कहानियां हैं जिन्होंने ने ऊंचा खानदान देखकर जन्म कुंडलियों का मिलान करवाया था। अधिकांश गुण मिल
नरेंद्र तिवारी 'पत्रकार'
7,मोतीबाग सेंधवा जिला बड़वानी म0प्र0
संवादाता सभा जीत बर्मा फतेहाबाद आगरा
फतेहाबाद ।फतेहाबाद सर्किल के निबोहरा थाना क्षेत्र के एक गांव में घर के अंदर कमरे में सो रही एक महिला से शुक्रवार रात एक युवक ने अश्लील हरकत कर दी। महिला के शोर मचाने पर आरोपी भाग गया। पीड़िता की तहरीर पर पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरू कर दी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार निबोहरा थाना क्षेत्र के एक गांव में एक महिला अपने कमरे में सो रही थी शुक्रवार रात करीब 12:00 बजे एक युवक उसके कमरे में घुस आया तथा उसके साथ अश्लील हरकत करने लगा। महिला जाग गई तो उसने तत्काल शोर मचा दिया। महिला का शोर सुनकर आरोपी भाग गया। पीड़िता ने थाना निबोहरा में आरोपी के खिलाफ लिखित तहरीर दी। जिस पर पुलिस ने मामला दर्ज कर दिया। रविवार को पुलिस ने फतेहाबाद निबोहरा मार्ग से आरोपी जगबीर निवासी सलेमपुर धनकर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
संवादाता सभा जीत बर्मा फतेहाबाद आगरा
फतेहाबाद 31 जुलाई। फतेहाबाद के तीन पीएचसी कुतकपुर गुर्जर, पैतिखेड़ा, निबोहरा पर मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेले का आयोजन रविवार को किया गया। मेले में ग्रामीण अंचल से आए 135 मरीजों का परीक्षण किया गया था तब दवाएं वितरित की गई। इस दौरान को कुतुकपुर गुर्जर 60, निबोहरा 28 तथा पेति खेड़ा में 47 मरीजों का परीक्षण किया गया इन मरीजों में 51 पुरुष, 58 महिलाएं तथा 26 बच्चे शामिल हैं । तथा उन्हें दवा का वितरण किया गया।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉ वीके सोनी ने बताया कि अब हर रविवार इन पीएचसी पर जन आरोग्य मेले का आयोजन किया जा रहा है। जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र की जनता को स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना है। इस दौरान प्रमुख रूप से , डा. प्रमोद कुशवाह, संजय शर्मा, डा पवन कुमार, सौरभ कुलश्रेष्ठ, सहित बडी संख्या में चिकित्सक मौजूद रहे।
संवादाता सभा जीत बर्मा फतेहाबाद आगरा
राजकीय हाई स्कूल नन्दापुरा में हरियाली तीज की पूर्व संध्या पर शनिवार को तीज महोत्सव का आयोजन सहायक अध्यापिका अमिता के निर्देशन में महिला अभिभावकों संग हर्षोल्लास के साथ किया गया। पुरातन छात्राओं ने कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर भाग लिया। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने मेहंदी प्रतियोगिता, मंत्र लेखन "ओम नमः शिवाय" प्रतियोगिता, श्रंगार शब्द आधारित फिल्मी गीत गायन, नृत्य, सामूहिक नृत्य, सावन के झूला गीत आदि कार्यक्रम का आनंद सभी ने लिया । कार्यक्रम के अंत में सभी महिलाओं ने स्टाफ संग झूले का आनंद लिया। इस दौरान दिव्या वशिष्ठ पूनम देवी के सहयोग से कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस अवसर पर प्राथमिक विद्यालय से महिला शिक्षिकाएं रागिनी तथा अंशु भी उपस्थित रहे।
फतेहाबाद । देहात क्षेत्र में बीती रात मूसलाधार बारिश से थाना डौकी के गांव नगला अमान मे एक किसान के कच्चे मकान की दीवार गिरने से उसके मलबे में तीन पशु दब जिनमे से एक भैंस की मोके पर ही मौत हो गई और दो गाय बाल बाल बच गई।
प्राप्त जानकारी अनुसार मूसलाधार बारिश होने से थाना डौकी क्षेत्र के गांव नगला अमान निवासी जगदीश पुत्र मोती लाल के घर के पास एक कच्चे मकान की दीवार मूसलाधार बारिश से भरभराकर गिर गई।और दीवार के मलबे में एक भैंस, दो गाय दब गई। किसान जगदीश का कहना है कि दीवार गिरने से एक भैंस मौकै पर ही मौत हो गई और दो गाय बाल बाल बच गई। और ग्रामीणों की सहायता से दीवार के मलबे से पशुओ निकाला गया ।वही गांव मे दूसरी घटना श्री भगवान पुत्र रमेश के कच्चे मकान दीवार की गिरने से तीन बकरी दब गई थी।आनन-फानन में ग्रामीणों की सहायता से दीवार के मलबे में दबी बकरियों को निकाल लिया ।
कानपुर देहात। कानपुर देहात जिले में भोगनीपुर तहसील के मदनपुर गांव में खेतों की जुताई करने वाली महिलाओं ने वर्षा के देवता भगवान इंद्र का आशीर्वाद लेने के लिए पूजा की. महिलाओं ने भौरी की रस्म भी निभाई. जिसमें वे रसोई के विभिन्न उपकरण ले जाती हैं और मंदिरों में पूजा-अर्चना करती हैं. एक स्थानीय ज्योतिषी अवनीश दुबे ने कहा, आधुनिक युग में इस प्रथा को लोग अंधविश्वास कह सकते हैं, लेकिन यहां यह एक लोकप्रिय धारणा है कि यदि महिलाएं खेतों में बैल और हल की जगह लेती हैं, तो वर्षा देवता प्रचुर मात्रा में बारिश करते हैं। इस मौसम में बारिश नहीं होने से क्षेत्र के निवासी परेशान हैं और इससे धान की बुवाई में देरी हो रही है. उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में सुमित कुमार यादव नाम के व्यक्ति ने तहसीलदार के पास भगवान इंद्र के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है और बारिश में देरी के लिए उचित कार्रवाई की मांग की है. तहसीलदार ने आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत पर उचित कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
एक भिखारी, एक सेठ के घर के बाहर खड़ा होकर भजन गा रहा था और बदले में खाने को रोटी मांग रहा था।
*भोले बाबा फंसे हैं किचड़ में प्रधान व*
दुर्योधन ने एक अबला स्त्री को दिखा कर अपनी जंघा ठोकी थी, तो उसकी जंघा तोड़ी गयी। दु:शासन ने छाती ठोकी तो उसकी छाती फाड़ दी गयी।
शुरुआती कक्षाओं के बच्चों की शिक्षा के लिए चुनौतीपूर्ण दौर से निपटने के लिए करना होगा आवश्यक उपाय –
एक लम्बे समय बाद फिर से स्कूल खुल गये गए है l बच्चों की चहल स्कूलों में बढ़ने लगी है l स्कूल परिसर में फिर से रौनक आने लगी हैl मासूम बच्चे फिर विद्या के मंदिर के पुजारी बनने की तैयारी से चल पड़े है l बच्चों के माता-पिता उनके सपनो को सजाने फिर से अपनी गाढ़ी कमाई को शिक्षा के लिए नौछावर करने के लिए निकल पड़े है l हर माता-पिता का एक सपना होता है कि उसका बच्चा उनसे भी अच्छा पद पर आसीन होकर जीवन के अच्छे से अच्छे मुकाम हासिल करे l इसके लिए वह हर संभव पढ़ाने की कोशिश करते है; और अपने बच्चों के भविष्य को सवारने के लिए शिक्षक रुपी गुरु के हाथो सौप देते है l गुरु की महिमा से हम सब परिचित है; गुरु बच्चों की कमजोर बुद्धि को कुशाग्र करने में अपना पूरा हुनर लगा देता है, तब कही बच्चे भविष्य के लिए सभ्य समाज में अपने कुशल नेतृत्व से रहने व सभी जीवन जीने के लिए तैयार हो पाते है l
अभी कोरोनाकाल के बाद एक लम्बे समय बाद स्कूल अपने पूर्व गति से पुनः लगने के लिए तैयार है l हर स्कूल ने बच्चों को पढ़ाने का एक माइंडमेप बना लिया है l दो वर्षों में सरकार बच्चों को पढ़ाई से जोड़ने लिए अपनी कई तरकीब लगा चुकी है l इसके लिए शिक्षको को समय-समय पर उचित निर्देश एवं प्रशिक्षण भी दिया गया l शिक्षको ने बच्चों को पढ़ाई की घुट्टी पिलाने का काफी प्रयास किया; इस घुट्टी का कितना असर हुआ ये हम सभी से छुपा नहीं है l समय परिस्थिति अच्छी से अच्छी योजना पर पानी फेरने या सफल बनाने के लिए काफी होती है l कोरोना काल ने बच्चों को सीखने की प्रवर्ती पर काफी प्रभाव डाला है l हम सभी पर बच्चों की सही स्थिति में लाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है; केवल शिक्षक के भरोसे बच्चों के भविष्य की कल्पना करना हमारी नासमझी हो सकती है, इस मिशन में हमें अपना पूर्ण समर्थन देना होगा l
मार्च 2019 की कालावधि में कोरोना ने जैसे ही दस्तक दी सबसे पहले स्कूल को बंद किया गया और वही से बच्चो के सीखने की चाहत में परिवर्तन आना प्रारंभ हो गया l बच्चे को घर में रहने को मिला एवं स्वतंत्र तरीको से खेलने के लिए मिला; सारा दिन बस एक काम खेल..खेल..खेल..l अभिभावकों का बच्चों को ज्यादा दखल भी बच्चों में विपरीत प्रभाव का कारण बना l बहुत से अभिभावक बच्चो के लिए दुश्मन इसलिए बन गए कि उन्होंने बच्चों को पढने के लिए दबाव डाला l
शिक्षक को करना होगा उचित प्रबंधन –
बच्चे एक गीली मिटटी के सामान होते है उसे जिस आकर में गढ़े वह वही आकर ले लेता है l इस गीली मिट्टी रूपी बच्चो को सही दिशा में ले जाने, सही आकर देने का काम शिक्षक करते है l बच्चों को सही समय पर सही ज्ञान देना शिक्षक की जिम्मेदारी है l शिक्षक को अपनी पूर्ण जिम्मेदारी से यह कर्तव्य निभाना होगा l एनुअल स्टेटस ऑफ़ एजुकेशन रिपोर्ट 2018 के आकडे बताते है कि कक्षा पाँचवी के आधे से अधिक बच्चे कक्षा दूसरी के स्तर का पाठ भी नहीं पढ़ पाते, यही स्थिति उनके गणित स्तर का भी है l प्रश्न यह उठता है कि सरकार शिक्षा के लिए इतना पैसा खर्च कर रही है तो उसके एवज में बच्चों को पढ़ना यानि कक्षा अनुसार समझ क्यों विकसित नहीं हो पा रही है ! क्या हम यह कह सकते है कि हमारे शिक्षकगण बच्चों को उनकी कक्षा के अनुसार दक्षता देने के लिए तैयार नहीं है; या फिर हमारी शिक्षा प्रणाली में ही कही कमी है l जो भी हो परन्तु इस प्रणाली को सुधारने के लिए सरकार के साथ-साथ जन समुदाय को भी अपनी भूमिका अदा करनी होगी l
शिक्षा के लिए सामुदायिक पहल जरुरी –
सामुदायिक पहल से शिक्षा के स्तर में सुधार करने की पहल की जा सकती है l कोरोनाकाल में शिक्षा का बेसिक ढ़ांचा में बहुत परिवर्तन आया है l ऑनलाइन शिक्षा को लेकर सरकार गंभीरता से कार्य कर रही थी ऑनलाइन शिक्षा की पहुँच गाँव-गाँव तक पहुचने का जो जिम्मा सरकार ने लिया था; कुछ हद तक तो पूरा हुआ है परन्तु अभी भी बहुत से ग्रामीण क्षेत्र ऑनलाइन शिक्षा से पूरी तरह नहीं जुड़ पाए है l शिक्षा को उत्तम धुरी प्रदान करने के लिए जन सामुदायिक सहयोग जरुरी है l स्कूल के साथ –साथ बच्चों को घर में एक उचित माहौल देने का प्रयास करना होगा l अभिभावको को बच्चों के शिक्षकों से मिलाकर बच्चों के शैक्षिक विकास के बारे में निरंतर चर्चा करते रहना चाहिए, जिससे शिक्षक-अभिभावक बच्चों की उन्नति के लिए एक सेतु का कम कर सके l
शुरूआती कक्षाओं के बच्चों लिए प्रारंभ से पढ़ाई की शुरुआत करने की आवश्यकता –
पिछले 2 वर्षों से कोरोनाकाल के कारण शुरूआती कक्षा में बच्चों का दाखिला स्कूल में तो हो गया था परन्तु बहुत से बच्चे स्कूल नहीं जा पाए l उन्होंने स्कूल में पढ़ाई का कोई अनुभव नहीं लिया l केवल स्कूल में दाखिला हुआ पढ़ाई से केवल सरकारी स्कूल के शिक्षकों का ऑनलाइन क्लास के नाम पर व्हाट्सएप्प पर भेजी गई सामगी पहुँचाई गई, उनको पुस्तक एवं अन्य सामग्री, असाइनमेंट के माध्यम से जुड़े रहे, परन्तु यह दूरस्त माध्यम था l छोटे बच्चों को दूरस्त शिक्षा से पढ़ाई करना कितना कारगर हुआ यह अभी स्कूल खुलने के बाद पता चलेगा l स्कूल में शुरूआती कक्षा की शुरुआत प्रारंभिक शिक्षा से ही करनी पड़ेगी l बच्चों को वर्णमाला से पढ़ने के स्तर के सुधार को लेकर कार्य प्रारंभ करना होगा l बच्चों को पहले उनका वर्तमान शिक्षा स्तर को जानना होगा तभी उनकी समझ के अनुसार उनको उपचारात्मक शिक्षा प्रदान करना होगा l बच्चों को उनके स्तर अनुसार पढ़ाने की तैयारी करनी होगी न कि उनकी कक्षा के अनुसार l अभी कुछ स्कूलों में बच्चों का यह हाल है कि बच्चों की कक्षा तो आगे बढ़ गयी है किन्तु बच्चे का शिक्षा स्तर अभी कक्षा के अनुसार नहीं बढ़ पाया है l सबसे पहले इसी को सुधरने की आवश्यकता है l
पढ़ने का कौशल आगे की शिक्षा के लिए है जरुरी –
बच्चों को अपनी कक्षा की पुस्तक यदि समझ के साथ पढ़ना आ गया तो वह अपनी समझ से आगे की शिक्षा हासिल करने में सक्षम हो जाता है l हम सबने देखा होगा कि यदि पढ़ना आ गया तो बहुत से कठिन अवधारणाओं को समझना आसान हो जाता है l यही बच्चा को पढ़ना ही नहीं आ रहा और उनको कक्षा के पाठ्यक्रम से जोड़कर पढ़ाया जाए तो इस अवधारणा को समझना बच्चों के लिए बहुत कठिन हो जाता है l बच्चा केवल उपरी मन से पाठ्यक्रम के साथ चलता है समझ के साथ नही l इसलिए बच्चों को उसके समझ के स्तर को और अधिक मजबूत करने के लिए कार्य करना अतिआवश्यक हो जाता है l
(यह लेखक के निजी विचार है )
लेखक/ विचारक
श्याम कुमार कोलारे