एक व्यक्ति बहुत नास्तिक था,उसको भगवान पर विश्वास नहीं था,एक बार उसका एक्सीडेंट हो गया वह सड़क किनारे पड़ा हुआ लोगो को मदद के लिए पुकार रहा था!पर कलयुग का इन्सान किसी इन्सान की जल्दी से मदद नहीं करता वह लोगों को बुला-बुला कर थक गया लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया ! तभी उसके नास्तिक मन ने कृष्ण को गुहार लगाई उसी समय एक सब्जी वाला गुजरा और उसको गोद में उठाया और अस्पताल पहुंचा दिया,और उसके परिवार वालों को फ़ोन कर अस्पताल बुलाया सभी परिवार वालो ने उस सब्जी वाले को धन्यवाद दिया और उसका नाम पूछा ! तो उसने अपना नाम बांके बिहारी बताया और उसके घर का पता भी लिखवा लिया और बोले जब यह ठीक हो जाएगा तब आपसे मिलने आएंगे ! वह व्यक्ति कुछ समय बाद ठीक हो गया फिर कुछ दिनों बाद वह अपने परिवार के साथ सब्जी वाले से मिलने निकला और बांके बिहारी जी का नाम पूछते हुए उस पते पर पहुंचा लेकिन उसको वहां पर प्रभु का मन्दिर मिलता है वह अचंभित हो जाता है और अपने परिवार के साथ मन्दिर के अन्दर जाता है फिर भी वह पुजारी से नाम लेकर पूछता है कि बांके बिहारी कहा मिलेंगे,पुजारी हाथ जोड़कर मुर्ति की और इशारा करके कहता है,कि यहां यही एक बांके बिहारी है उसके आंखों में आंसू आ जाते हैं और अपनी नास्तिक गलती पर क्षमा मांगता है और बांके बिहारी जी के दर्शन कर जब लोटने लगता है तभी उसकी निगाह एक बोर्ड पर पड़ती है जिस पर एक वाक्य लिखा था कि... "इन्सान ही इन्सान के काम आता है उससे प्रेम करते रहो" मैं तो स्वयं तुम्हें मिल जाऊंगा..!!
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