Friday, March 14, 2025

खेलत सुन्दर स्याम सखिन सँग ब्रज रस-होरी

 🌹खेलत सुन्दर स्याम सखिन सँग ब्रज रस-होरी॥


🌹भरि पिचकारी चोवा-चंदन रँग भरि केसर-रोरी।

डारत सखियन-अंग स्याम, नटवर-तन सब मिलि गोरी।

मच्यौ घमसान घनौ री॥


🌹भूमि लाल, नभ-लाल, ललित रँग सब दिसि लाल छयौ री।

लाल लता-तरु, लाल, सुमन-फल, निधुबन लाल भयौ री॥


आन कोउ रँग न रह्यौ री॥


🌹मोर-चकोर लाल भए, अलि-कुल रंग गुलाल लह्यौ री।

लाल निकुंज, लाल सुक-कोकिल, लाल रसाल बन्यौ री॥


लाल ही बीज बयौ री॥


🌹लाल दिवस-निसि, लाल सूर्य-ससि, लाल छितिज सु छयौ री।

लाल सलिल काङ्क्षलदी सोभित, लाल बयार बह्यौ री॥


लाल दधि-दूध-मह्यौ री॥


🌹लाल स्वर्नजुत, लाल सु-मरकत बसन-बेस बनयौ री॥

लाल अलक, दृग-पलक लाल भइँ, लाल सु-बचन कह्यौ री।

लाल ही लाल सुन्यौ री॥


🌹ललना-लाल लाल भए दोऊ, सखी लाल रँग बोरी।

नील-पीत पट, चुनरी-पगरी—सबै लाल रँग घोरी॥


सकल जग लाल भयौ री॥

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