1.हमारा विनाश उस समय से शुरू हुआ था जब हरित क्रांति के नाम पर देश में रासायनिक खेती की शुरूआत हुई और हमारा पौष्टिक वर्धक, शुद्ध भोजन विष युक्त कर दिया है!
Thursday, May 30, 2024
हमारा विनाश कव शुरू हुआ था?
Sunday, May 19, 2024
लू लगने से मृत्यु क्यों होती है ?
हम सभी धूप में घूमते हैं फिर कुछ लोगों की ही धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है ?
👉 हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है ।
👉 पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है ।
👉 पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है । (बंद कर देता है )
👉 जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है ।
👉 शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त में उपस्थित प्रोटीन पकने लगता
है ।
👉 स्नायु कड़क होने लगते हैं इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते
हैं ।
👉 शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर low हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग (विशेषतः ब्रेन) तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है ।
👉 व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक-एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती है ।
👉गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ टालने के लिए लगातार थोड़ा-2 पानी पीते रहना चाहिए और हमारे शरीर का तापमान 37° मेन्टेन किस तरह रह पायेगा इस ओर ध्यान देना चाहिए ।
Equinox phenomenon: इक्विनॉक्स प्रभाव आने वाले दिनों में भारत को प्रभावित करेगा ।
कृपया 12 से 3 बजे के बीच घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें ।
तापमान 40 डिग्री के आस पास विचलन की अवस्था मे रहेगा ।
यह परिवर्तन शरीर मे निर्जलीकरण और सूर्यातप की स्थिति उत्पन्न कर देगा ।
(ये प्रभाव भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर सूर्य चमकने के कारण पैदा होता है) ।
कृपया स्वयं को और अपने जानने वालों को पानी की कमी से ग्रसित न होने दें ।
किसी भी अवस्था में कम से कम 3 लीटर पानी जरूर पियें । किडनी की बीमारी वाले प्रति दिन कम से कम2.5 से 3.5लीटर पानी जरूर लें ।
जहां तक सम्भव हो ब्लड प्रेशर पर नजर रखें । किसी को भी हीट स्ट्रोक हो सकता है ।
ठंडे पानी से नहाएं । इन दिनों मांस का प्रयोग छोड़ दें या कम से कम
करें ।
फल और सब्जियों को भोजन मे ज्यादा स्थान दें ।
हीट वेव कोई मजाक नही है ।
एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती को कमरे से बाहर या खुले मे रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है तो ये गंभीर स्थिति है ।
शयन कक्ष और अन्य कमरों मे 2 आधे पानी से भरे ऊपर से खुले पात्रों को रख कर कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है ।
अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें ।
Friday, May 17, 2024
सत्यनाशी भट कटेया
आमतौर पर गर्मियों के दिनों में खेतों में मेड पर खुद से उगने वाला यह पौधा बिहार में कई नाम से जाना जाता है। इसके पीले फूल लोगों को खूब आकर्षित करते हैं। गेहूं और सरसों की फसल में यह खुद-ब-खुद उग आता है। भरभार, घमोई सत्यनाशी भट कटेया और न जाने किन-किन नाम से इसे संबोधित किया जाता है।देश के ज्यादातर हिस्से में अगर किसी को सत्यानाशी कहा जाता है तो उसका मतलब काम खराब करने वाले व्यक्ति से होता है. ऐसा व्यक्ति जो किसी काम का ना हो, जो हर काम बिगाड़ता हो यानी जिसका कोई फायदा ना हो, ऐसे व्यक्ति को सत्यानाशी कहा जाता है. लेकिन एक पौधा ऐसा भी है, जो कैसी भी जमीन में, कहीं भी उग जाता है और उसका नाम सत्यानाशी पौधा है. सतयानाशी पौधे को आपने अक्सर सड़क के किनारे, सख्त बंजर जमीन में, पथरीली जगहों पर, कड़ाके की धूप वाली जगहों या सूरज की रोशनी ना पहुंचने वाली यानी हर जगह पर देखा हो सकता है.सत्यानाशी पौधे में कई तरह के औषधीय गुण होते हैं. यह पौधा ज्यादातर हिमालयी क्षेत्रों में उगता है. इस पौधे में बहुत ज्यादा कांटे होते हैं. इसके पत्ते, शाखाओं, तने और फूलों के आसपास हर जगह कांटे होते हैं. इसके फूल पीले रंग के खिलते हैं, जिनके अंदर बैंगनी रंग के बीज पाए जाते हैं. अमूमन किसी पौधे के फूल और फल तोड़ने पर सफेद रंग के दूध जैसा तरल पदार्थ निकलता है, लेकिन सत्यानाशी के पौधे से फूल तोड़ने पर पीले रंग के दूध जैसा तरल पदार्थ निकलता है. पीले रंग के दूध जैसा पदार्थ निकलने के कारण इसे स्वर्णक्षीर भी कहा जाता है.सत्यानाशी के पौधे को स्वर्णक्षीर के अलावा उजर कांटा, प्रिकली पॉपी, कटुपर्णी, मैक्सिन पॉपी समेत कई नामों से पहचाना जाता है. अमूमन किसान इसे बेकार पौधा मानकर काटकर फेंक देते हैं. वहीं, आयुर्वेद में इसे औषधि की तरह इस्तेमाल कर दवाइयां बनाई जाती हैं, जिनसे कई रोगों का इलाज किया जाता है. सत्यानाशी पौधे का हर हिस्सा यानी पत्ते, फूल, तना, जड़ और छाल आयुर्वेद में बेहद काम के माने जाते हैं.