हरियाणा के हिसार ( वीर बरबरान ) मे एक पीपल का पेड़ है जिसको वीर बर्बरीक ने श्री कृष्ण भगवान के कहने पर अपने वाणों से छेदन किया था ! आज भी इन पत्तो में छेद है ! सबसे बड़ी बात ये है की जब इस पेड़ में नए पत्ते निकलते है तो उनमे भी छेद होता है ! सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि, इसके बीज से उत्पन्न नए पेड़ के भी पत्तों में छेद होता है ! यह पीपल का पेड़ महाभारत काल की घटना का प्रत्यक्ष प्रमाण है और जो लोग रामायण और महाभारत जैसी घटनाओं को काल्पनिक करार देते है एवं यह कहते है कि इन घटनाओं को मानने वाले लोग काल्पनिक दुनिया में जीते हैं, उन लोगों के लिए यह किसी जोरदार तमाचे से कम नहीं होगा...जिन्होंने थोड़ी भी महाभारत पढ़ी होगी उन्हें वीर बर्बरीक वाला प्रसंग जरूर याद होगा ! उस प्रसंग में हुआ कुछ यूँ था कि महाभारत का युद्ध आरंभ होने वाला था और भगवान श्री कृष्ण युद्ध में पाण्डवों के साथ थे ! जिससे यह निश्चित जान पड़ रहा था कि कौरव सेना भले ही अधिक शक्तिशाली है, लेकिन जीत पाण्डवों की ही होगी..ऐसे समय में भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने अपनी माता को वचन दिया कि युद्घ में जो पक्ष कमज़ोर होगा वह उनकी ओर से लड़ेगा ! इसके लिए, बर्बरीक ने महादेव को प्रसन्न करके उनसे तीन अजेय बाण प्राप्त किये थे ! परन्तु, भगवान श्री कृष्ण को जब बर्बरीक की योजना का पता चला तब वे ब्राह्मण का वेष धारण करके बर्बरीक के मार्ग में आ गये...श्री कृष्ण ने बर्बरीक को उत्तेजित करने हेतु उसका मजाक उड़ाया कि वह तीन बाणों से भला क्या युद्घ लड़ेगा ? कृष्ण की बातों को सुनकर बर्बरीक ने कहा कि उसके पास अजेय बाण है और, वह एक बाण से ही पूरी शत्रु सेना का अंत कर सकता है तथा, सेना का अंत करने के बाद उसका बाण वापस अपने स्थान पर लौट आएगा ! इस पर श्री कृष्ण ने कहा कि हम जिस पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े हैं अगर, अपने बाण से उसके सभी पत्तों को छेद कर दो तो मैं मान जाउंगा कि तुम एक बाण से युद्ध का परिणाम बदल सकते हो इस पर बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार करके भगवान का स्मरण किया और बाण चला दिया ! जिससे, पेड़ पर लगे पत्तों के अलावा नीचे गिरे पत्तों में भी छेद हो गया ! इसके बाद वो दिव्य बाण भगवान श्री कृष्ण के पैरों के चारों ओर घूमने लगा क्योंकि, एक पत्ता भगवान ने अपने पैरों के नीचे दबाकर रखा था...भगवान श्री कृष्ण जानते थे कि धर्मरक्षा के लिए इस युद्ध में विजय पाण्डवों की होनी चाहिए और, माता को दिये वचन के अनुसार अगर बर्बरीक कौरवों की ओर से लड़ेगा तो अधर्म की जीत हो जाएगी ! इसलिए, इस अनिष्ट को रोकने के लिए ब्राह्मण वेषधारी श्री कृष्ण ने बर्बरीक से दान की इच्छा प्रकट की..जब बर्बरीक ने दान देने का वचन दिया ! तब श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उसका सिर मांग लिया ! जिससे बर्बरीक समझ गया कि ऐसा दान मांगने वाला ब्राह्मण नहीं हो सकता है और, बर्बरीक ने ब्राह्मण से वास्तविक परिचय माँगा तब श्री कृष्ण ने उन्हें बताया कि वह कृष्ण हैं...सच जानने के बाद भी बर्बरीक ने सिर देना स्वीकार कर लिया लेकिन, एक शर्त रखी कि, वह उनके विराट रूप को देखना चाहता है तथा, महाभारत युद्ध को शुरू से लेकर अंत तक देखने की इच्छा रखता है ! भगवान ने बर्बरीक की इच्छा पूरी करते हुए, सुदर्शन चक्र से बर्बरीक का सिर काटकर सिर पर अमृत का छिड़काव कर दिया और एक पहाड़ी के ऊंचे टीले पर रख दिया जहाँ से बर्बरीक के सिर ने पूरा युद्घ देखा..ये सारी घटना आधुनिक वीर बरबरान नामक जगह पर हुई थी जो हरियाणा के हिसार जिले में हैं ! अब ये जाहिर सी बात है कि इस जगह का नाम वीर बरबरान वीर बर्बरीक के नाम पर ही पड़ा है... खाटू श्याम जी जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं,हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा
Friday, November 24, 2023
Thursday, November 23, 2023
प्रबोधिनी एकादशी
कार्तिक शुक्ल एकादशी,आज प्रबोधिनी एकादशी है। भगवान श्रीहरि आज अपनी योगनिद्रा से जाएंगे...सभी सनातन प्रेमियों को अनंत शुभकामनाएं।
Tuesday, November 21, 2023
कालगणना
Sunday, November 19, 2023
"मां का आँचल"
"हे भगवान! दो महीने के लिए मुझे सहनशक्ति देना
Saturday, November 11, 2023
भिंडी
Friday, November 10, 2023
लौकी कद्दू का इतिहास
Monday, November 6, 2023
इतिहास बौद्ध
इस धरती का इतिहास पुराना है ,
Saturday, November 4, 2023
समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों का रहस्य
Friday, November 3, 2023
“ कानपुर अतीत की विरासत, भविष्य का उद्देश्य"
कानपुर के जन साधारण के हित में एअरपोर्ट को नाईट लैन्डिंग सुविधा प्रदान करवाने, कानपुर देहात का नाम कानपुर ग्रेटर करवाने के संबंध में माननीय मुख्यमंत्री जी, उत्तर प्रदेश, को ज्ञापन प्रेषित करने, जरूरतमंद महिलाओं को सिलाई मशीन वितरित करने के पश्चात् कानपुर अतीत के विरासत, भविष्य का उद्देश्य की ओर मर्चेन्ट्स चैम्बर ऑफ उत्तर प्रदेश का अगला कदम।
मर्चेन्ट्स चैम्बर ऑफ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अभिषेक सिंहानिया द्वारा कानपुर नगर के मंडलायुक्त को एक पत्र प्रेषित किया गया है जिसके साथ कानपुर के सर्वांगीण विकास हेतु तथा वर्तमान और भावी पीढ़ी के चतुर्मुखी लाभ के लिए महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का चित्र सहित विस्तृत प्रस्तुतीकरण का एक ऐसा डोजियर (दस्तावेज) सौंपा गया जिसमें कानपुर शहर की प्राचीन गौरवशाली गाथा से लेकर वर्तमान तक की यात्रा का तथ्य आधारित तुलनात्मक वर्णन निहित है जो यह पूर्णतया दर्शाता है की कानपुर कहां था, वर्तमान में कानपुर का क्या परिदृश्य है साथ ही यह भी वर्णित है कि कुछ अथक प्रयासों से हमारा कानपुर शहर अपने खोए हुए मैनचेस्टर आफ ईस्ट का गौरव पुनः प्राप्त कर सकता है।
डोजियर की झलकियां संक्षेप में निम्नलिखित रूप से प्रेषित है, तथा विस्तृत वर्णन पृथक रूप से पीडीएफ फाइल में उपलब्ध है, कृपया ध्यान दें :
- गंगा नदी के तट पर स्थित कानपुर का अपना गौरवमयी एवं समृद्धशाली इतिहास रहा हैं। जब जब कानपुर का जिक्र होता है जय गंगा मैया का उद्घोष ही मन में गूंजने लगता है और यह भी एक बात मन में आती है कि कानपुर जो की कभी 52 घाटों की नगरी कही जाती थी जो कि 1857 की क्रांति एवं 20वीं सदी के औद्योगीकरण के बाद नष्ट होते चले गए की आज गिनती के कुछ चंद घाट ही बचे हैं। यदि इन घाटों एवं बिठूर का जीर्णोद्धार एवं कायाकल्प हो जाता है तो हमारी गंगा मैया का जल तो निर्मल एवं स्वच्छ हो जाएगा साथ ही कानपुर का समृद्धशाली इतिहास भी प्राप्त किया सकता है।
- एक समय, अविभाज्य भारत 1947 में ऐसा भी था जब जीडीपी के तौर पर कानपुर तीसरा सबसे बड़ा शहर था, जो कि अब रैंकिंग में 20वें स्थान पर आ चुका है। इस विडंबना से हमें पार पाना होगा और अथक प्रयास करना होगा की कानपुर की आर्थिक संपन्नता को वापस प्राप्त करवा सके।
- कानपुर में रोजगार को बढ़ावा देने हेतु इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एवं इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी इनेबल्ड सिस्टम संस्थाओं को विशेष रूप से प्रोत्साहन एवं संरक्षण देना होगा जिससे प्रतिभा पलायन तो रुकेगा ही साथ ही कानपुर की आर्थिक प्रगति फलीभूत हो सकेगी।
- कानपुर में वर्तमान स्थिति में आईआईटी और जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के अलावा और कोई उच्च शिक्षण संस्थान उपलब्ध नहीं है इसलिए कानपुर को उच्च शिक्षा संस्थान जैसे आईआईएम, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की आवश्यकता है। यह हमारे कानपुर शहर की भविष्य की सफलता का द्योतक होगी।
- कानपुर में औद्योगिकरण व्यापरीकरण एवं रोजगार की असीम संभावनाएं उपलब्ध है बस इन आर्थिक अवसरों को धरातल पर उतरने की आवश्यकता है।
- हमारा लक्ष्य कानपुर से 29 किलोमीटर की दूरी पर उपस्थित रमईपुर में ,मेगा लेदर क्लस्टर स्थापित करना है जो की लेदर इंडस्ट्री को पुनर्जिवित करेगा तथा पर्यावरण को सुरच प्रदान करने के साथ कानपुर में रहने वाले व्यक्तियों के जीवन जीने की गुणवत्ता को भी बढ़ाएगा।
- कानपुर के विभिन्न स्थानों जैसे पनकी, दादा नगर, जाजमऊ, रनिया इत्यादि क्षेत्रों में फैले, या बिखरे भी कह सकते है, उद्योगों को विशेष आर्थिक क्षेत्रों (S.E.Z.)
में स्थानांतरित करना होगा जो कि क्षेत्रीय दृष्टिकोण के तर्कसंगत एवं रणनीतिक कदम होगा जिसका लाभ औद्योगिक क्षेत्रों और आसपास के समुदायों / निवास करने वाले लोगों दोनों को विभिन्न प्रकार से प्राप्त हो सकेगा।
- क्षेत्रीय आर्थिक विकास और निवेश को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सुविधाओं के साथ कानपुर में चकेरी हवाई अड्डे के पास एक नया बिजनेस सिटी स्थापित करना होगा जो कि एक दूरदर्शी प्रस्ताव है लेकिन जन एवं व्यापारिक समुदाय के प्रत्यक्ष लाभ हेतु प्रासंगिक एवं तर्कसंगत है।
- कानपुर वर्तमान में एक विभाजित शहर है जिसका एकीकरण अति आवश्यक बिंदु है, उदाहरणार्थ (1) उत्तर और दक्षिण कानपुर को शहर के बीचों-बीच से गुजरती एक रेलवे लाइन दो हिस्से में विभाजित कर देती है और रेलवे क्रासिंग होने की स्थिति में दोनो दिशाओं को आर-पार जाने वालों का जन-जीवन स्थिर हो जाता है इसके लिए अनवरगंज से मंधना तक एलिवेटेड रेलवे ट्रैक महत्वपूर्ण परियोजना है जो लाखों यात्रियों को 16 रेलवे क्रॉसिंग से बचने में मदद करेगी। (2) न्यू नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट की तर्ज पर, कानपुर देहात का नाम बदलकर ग्रेटर कानपुर करके इसे एक नई पहचान प्रदान करना वर्तमान समय की आवश्यकता है।
- KDA क्षेत्रीय योजना 2021 के अंतर्गत कानपुर के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए हम अग्रलिखित बिंदुओं की अनुशंसा करते है जिसमें प्रमुख रूप से पीपीपी मॉडल अपनाने, समस्त वृहद और मध्यम औद्योगिक को पुनर्वर्गीकृत करके शहर की सीमा के भीतर के क्षेत्रों को मिश्रित भूमि क्षेत्रों में उपयोग करने की आवश्यकता है जिससे वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण कम होगा साथ ही शहर के सामान्य वातावरण में सुधार हो सकेगा।
- एल्गिन मिल की (वर्तमान में) अप्रयुक्त
जमीन का उपयोग : कानपुर को पहचान तथा पहचान को शान दिलाने के लिए पर्यटन एवं आतिथ्य
का एक नया एवं अद्भुद संगम विकसित करना होगा इसके लिए एल्गिन मिल की अप्रयुक्त जमीन
का भावी उपयोगी हेतु PPP मॉडल के अंतर्गत प्रतिष्ठित समूहों के साथ मिलकर वाटरफ़्रन्ट
पर्यटन विकासीकरण हेतु सामूहिक एवं आदर्श स्तर पर विकास करना होगा तथा PPP मॉडल के
अभिनव ढांचे के माध्यम से ही कई अतिरिक्त रिवरफ्रंट संपत्तियां भी विकसित की जा सकती
हैं, उदाहरण-एयरोसिटी-दिल्ली, रिवरफ्रंट-वाराणसी, रिवरफ्रंट- अहमदाबाद आदि।
- 1991 से अनुपयोगी म्योर मिल कैंपस को औद्योगिक / व्यापारिक हब के रूप में उपयोग किया जा सकता है जिसका उपयोग एक सुझाव के तौर पर केंद्रीय व्यावसायिक जिला -
Central Business District (CBD) विकसित करके किया जा सकता है।
- कूड़ा जैसा शब्द दिमाग में आते ही यहां वहां फेंकने का विचार आता है परंतु इस घोड़े को भी हम स्वास्थ्यवर्धक बना सकते हैं एवं प्रौद्योगिकी के उपयोग से एवं वेस्ट मशीन की सहायता से आर्थिक प्रगति के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
कानपुर को विश्व पटल पर स्थापित करने हेतु असीम संभावनाएं विद्यमान है जिसमें हमें ऐतिहासिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, विरासत को संजोने एवं प्रचार-प्रसार करने, मजबूत पर्यटन स्थल के रूप में विकास करने के साथ-साथ विकसित होती आधारभूत सुविधाओं को और अधिक विकसित करना होगा, वह दिन दूर नहीं होगा जब कानपुर एक दार्शनिक तीर्थ के रूप में स्थापित हो जाएगा।