- सरसों का तेल रसोई में काफी इस्तेमाल किया जाता है। यह अपने तेज स्वाद, तीखी सुगंध और हाई स्मोक पॉइंट के लिए जाना जाता है। इसे अक्सर सब्जियों को पकाने के लिए उपयोग करते हैं। इसका उपयोग न सिर्फ खाने, बल्कि त्वचा, बालों और शरीर के दर्द जैसी समस्याओं के इलाज के लिए भी किया जाता है। इसका इस्तेमाल भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में सबसे ज्यादा होता है।
डॉ. मनोज मुरारका, ऑयल रिसर्चरसरसों के तेल के अनेक स्वास्थ्य लाभ हैं। इसे अधिकतर लोग सिर्फ खाना बनाने के लिए ही इस्तेमाल में लाते हैं, लेकिन यह सिर्फ भोजन बनाने तक ही सीमित नहीं है। यह तेल शरीर की कई समस्याओं को दूर कर सकता है। वर्षों से सरसों के तेल को जोड़ों के दर्द, गठिया और मांसपेशियों में होने वाले दर्द से निजात पाने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। नियमित रूप से इस तेल से मालिश करने पर शरीर के रक्त संचार में सुधार होता है। इससे मांसपेशियों व जोड़ों की समस्या को दूर रखने में मदद मिल सकती है। वहीं सरसों के तेल में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड भी जोड़ों के दर्द और गठिया की समस्या में सहायक साबित हो सकता है।
सरसों का तेल रसोई में काफी इस्तेमाल किया जाता है। सरसों का तेल अपने तेज स्वाद, तीखी सुगंध और हाई स्मोक पॉइंट के लिए जाना जाता है। इसे अक्सर सब्जियों को पकाने के लिए उपयोग करते हैं। इसका इस्तेमाल भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में सबसे ज्यादा किया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि खाने में शुद्ध सरसों के तेल का उपयोग अमेरिका, कनाडा और यूरोप में पूरी तरह से बैन है। इन इलाकों में इसे सिर्फ मसाज ऑयल, सीरम या फिर हेयर ट्रीटमेंट के लिए ही उपयोग किया जा सकता है। वहीं भारत में इसे इतना फायदेमंद माना गया है कि इसका उपयोग न सिर्फ खाने, बल्कि त्वचा, बालों और शरीर के दर्द जैसी समस्याओं के इलाज के लिए भी किया जाता है।
कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचने में सरसों के तेल का इस्तेमाल कुछ हद तक मदद कर सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन से पता चला है कि सरसों के तेल में एंटी कैंसर गुण होते हैं, जो कैंसर सेल्स के विकास को रोकने का काम कर सकते हैं। अध्ययन में कोलन कैंसर से प्रभावित चूहों पर सरसों, मकई और मछली के तेल के असर का परीक्षण किया गया। इस शोध में पाया गया कि कोलन कैंसर को रोकने में मछली के तेल की तुलना में सरसों का तेल अधिक प्रभावी साबित हुआ। ऐसे में माना जा सकता है कि सरसों का तेल कैंसर जैसी समस्या से बचाव करने में सहायक है। सरसों के तेल के लाभ दांत संबंधी समस्याओं में भी कारगर साबित हो सकते हैं। इस तेल को हल्दी के साथ इस्तेमाल करने पर मसूड़ों की सूजन और संक्रमण से निजात मिल सकती है।
सरसों तेल और नमक का उपयोग मौखिक स्वच्छता में भी सुधार करने का काम कर सकता है। सरसों तेल, हल्दी और नमक को पेस्ट की तरह उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए आधा चम्मच सरसों का तेल, एक चम्मच हल्दी और आधा चम्मच नमक मिलाकर पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट से दांतों और मसूड़ों पर कुछ मिनट तक मालिश करें। इसे हफ्ते में तीन-चार बार उपयोग कर सकते हैं। इस पर अभी और शोध किए जा रहे हैं। अस्थमा श्वसन तंत्र से संबंधित एक समस्या है। इससे राहत पाने में पीली सरसों तेल के फायदे कुछ हद तक सहायक साबित हो सकते हैं। इस संबंध में कई वैज्ञानिक शोध किए गए हैं, जिनसे पता चलता है कि सरसों के तेल में पाया जाने वाला सेलेनियम अस्थमा के प्रभाव को कम करता है।
सरसों का तेल ब्रेन फंक्शन को बढ़ावा देने में भी उपयोगी है। इसमें मौजूद फैटी एसिड सबसेलुलर मेम्ब्रेंस (उपकोशिकीय झिल्ली) की संरचना में बदलाव करने में मदद कर सकता है, जिससे मेम्ब्रेन-बाउंड एंजाइमों की गतिविधि को रेगुलेट किया जा सकता है। यह मस्तिष्क के कार्य के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस आधार पर माना जा सकता है कि सरसों का तेल दिमागी कार्य क्षमता को बढ़ावा देने में भी मददगार साबित हो सकता है। सरसों का तेल एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से समृद्ध होता है। इसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी एजेंट सूजन संबंधी समस्याओं से निजात दिलाने का काम करता है। इसे डिक्लोफेनाक के निर्माण में भी इस्तेमाल किया जाता है, जो एक एंटी इंफ्लेमेटरी दवा है।
सरसों के तेल में अनावश्यक बैक्टीरिया और अन्य रोगाणुओं के पनपने से रोकने की क्षमता पाई जाती है। यह काफी हद तक फंगस के प्रभाव को कम करने में भी सहायक साबित हो सकता है। ऐसे में माना जा सकता है कि फंगल के कारण त्वचा पर होने वाले रैशेज और संक्रमण के इलाज करने में सरसों का तेल मददगार हो सकता है। यह गुणकारी तेल एडीज एल्बोपिक्टस मच्छरों के प्रभाव को भी बेअसर कर सकता है। सरसों का तेल संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने का काम करता है। यह कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित कर शरीर के सबसे अहम भाग हृदय को भी स्वस्थ रखता है। आंतरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ सरसों का तेल त्वचा को भी संक्रमण से दूर रखता है। इसे लगाने से त्वचा पर रैशेज भी नहीं होते हैं।
सरसों का तेल मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड के साथ-साथ ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड से समृद्ध होता है। ये दोनों फैटी एसिड मिलकर इस्केमिक हृदय रोग (रक्त प्रवाह की कमी के कारण) की आशंका को 50 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं। वहीं एक अन्य शोध कहता है कि सरसों के तेल को हाइपोकोलेस्टेरोलेमिक (कोलेस्ट्रॉल कम करने वाला) और हाइपोलिपिडेमिक प्रभाव के लिए भी जाना जाता है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है और शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है, जिससे हृदय रोग के जोखिम को कम किया जा सकता है। इस तरह हम कह सकते हैं कि सरसों के तेल के अनेक फायदे हैं। यह मानव शरीर के लिए सबसे उपयुक्त है। सरसों के तेल को रसोई के साथ-साथ जीवन में भी जरूर शामिल किया जाना चाहिए।
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