"80, 90 की मीठी यादें (बचपन Again)"
हम सबके घर में बाहर की तरफ एक बड़ा सा बारामदा या दालान हुआ करती थी। बचपन में देखा होगा कि हर घर की यह दालान गुलजार रहती थी और यहाँ पर बड़ी चहल-पहल रहती थी।
इस
तरह की दालान में रात में सोने के लिए कई सारी चारपाई लगी रहती थी और छोटे-मोटे कार्यक्रम में 100-50 लोगों के बैठने खाने की व्यवस्था भी इसी में कर दी जाती थी। बस जाजिम या टाट बिछाया और पंगत लगना शुरू।
लेकिन धीरे-धीरे लोग गाँव से शिक्षा, नौकरी और व्यवसाय के लिए बाहर निकलते गये और अब लगभग अब हर घर की दालान सूनी पड़ी रहती है।
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