मुर्शिदाबाद में नवाब सिराजुद्दौला के समय एक जगत सेठ हुआ करते थे नाम था फतेहचंद , वह मारवाड़ी थे
वह अपने समय में विश्व के सबसे धनी व्यक्ति थे , हुंडी व सूद पर क़र्ज़ का कारोबार करते थे ,उनका कारोबार पूरे उत्तर भारत में फैला हुआ था राजा महाराजा नवाब उन से कर्ज लिया करते थे ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी उनके पैसों के सहारे ही भारत में क़दम जमाए थे वह ईस्ट इंडिया कंपनी को भी कर्ज देते थे
उनके पास कितनी दौलत थी इस का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता खुद अंग्रेजों का कहना था कि उनकी दौलत ब्रिटेन की कुल जीडीपी से ज़्यादा है
आगे चलकर उन पर राजनीति सवार हुई , नवाब सिराजुद्दौला के विरुद्ध मीर जाफर को खड़ा कर दिया, फिर मीर जाफर की हत्या करा कर उनके भतीजे मीर कासिम को नवाब बना दिया फिर मीर कासिम को भी उनके बच्चों के साथ कत्ल करवा दिया
शुरू में अंग्रेज देखते रहे जब जगत सेठ की राजनीति ज्यादा बढ़ने लगी उन्होंने हाथ खींच लिया पैसे पैसे का मोहताज कर दिया एक समय ऐसा भी आया कि उनकी संतान अंग्रेजी सरकार के पेंशन पर जीती रही और आखिर में सन 1912 में वह पेंशन भी बंद कर दी गई
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