बागेश्वर धाम और धीरेंद्र शास्त्री
बागेश्वर धाम मेरे घर से लगभग 50 km की दूरी पर स्थित है, बुंदेलखंड का एक typical गांव जो मुख्य सड़क से लगभग 6 से 7km अंदर है,
फिर उसी ठेठ गांव का एक इक्कीस बाइस साल का ठेठ बुंदेलखंडी नौजवान जो श्री श्री रामभद्राचार्य महाराज का शिष्य है और कलयुग में सर्वाधिक पूजे जाने वाले भगवान श्री हनुमान जी का अनन्य भक्त है अपनी शास्त्री की शिक्षा दीक्षा पूरी करके अपने गांव लौटता है।
ठेठ गांव का ठेठ लड़का जिस गांव को कोई नहीं जानता था उसने पिछले चार पांच साल में अपने Aura, वाकपटुता, धर्म ज्ञान, कथा करने का रोचक अंदाज, और भगवान हनुमान के आशीर्वाद से लोगों के मन में भगवान, हिंदू धर्म, सनातन और राष्ट्रवाद की एक ऐसी अलख जगानी शुरू की जिसमें न कोई अगड़ा था न कोई पिछड़ा, न कोई ऊंचा था न कोई नीचा, उसकी कथाओं में सिर्फ और सिर्फ धर्म था, सनातन था, हिंदू था, राष्ट्रवाद था।
आदिवासियों के लिए जंगल में जाकर उनके बीच बैठकर रामकथा करना हो या सैकड़ों लड़कियों की हर साल शादी कराने का महायज्ञ, बुंदेलखंड जैसे पिछड़े इलाके में कैंसर हॉस्पिटल शुरू करने की वकालत हो उसने न सिर्फ इसका सपना दिखाया बल्कि उसे करके भी दिखाया और सबसे बड़ी बात ये सब कुछ निःशुल्क, स्वेच्छा से जो देना है दे दो नही तो कोई बात नही...
...
उसने बिना किसी ऊंच नीच की परवाह किए सभी को एक पंडाल के नीचे इकट्ठा कर दिया, साथ ही साथ वो गरीब लोग जो किसी लालचवश या मजबूरी में किसी और धर्म मेंं जाने को मजबूर हो गए थे उन्हें भी पुनः वापिस लाने का काम किया...
बस.......यही गलती हो गई उस छब्बीस साल के लड़के से
सभी जाति को एक साथ एक पंडाल में बैठाकर रामकथा ...... ये नही चलेगा बाबू
आदिवासियों के लिए जंगल में जाकर उनके बीच में रामकथा करना और उनको अहसास दिलाना की आप प्रभु राम के वंशज हो.... राम राम इतना बड़ा घोर पाप...... ये कतई नहीं चलेगा लड़के
धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को वापिस लाने का जघन्य पाप...... आप अपराधी है बाबा
जात पात, अंगड़ा पिछड़ा को छोड़कर सिर्फ सनातन की बात करना और लोगों को उस पर चलने को प्रेरित करना...... पगला गए हो का धीरेंद्र शास्त्री
खैर, छब्बीस साल की उम्र में यदि इस अत्यंत पिछड़े हुए इलाके के बेहद ठेठ गांव से निकला यह लड़का जिसने खुद की प्रतिभा से अपना लोहा पूरे देश विदेश में मनवाया है तो यह निश्चित है की इसके ऊपर अत्यंत ईश्वरीय कृपा है और जिस पथ पर यह आगे निकला है तो ऐसे आरोप और कीचड़ उछलना तो महज एक शुरुआत है, अभी आरोपों की तीव्रता और स्तर बहुत नीचे जाने वाला है,
में बागेश्वर धाम मंदिर में दो तीन बार गया हूं लेकिन धीरेंद्र शास्त्री से व्यक्तिगत तौर पर कभी नहीं मिला और न ही मिलने की कोई तीव्र इच्छा है, उनके चमत्कार सही होते हैं या गलत इस पर भी में कुछ नही कहना चाहता, में तो इतना कहना चाहता हूं की एक गांव से निकले इस नौजवान ने सनातन को उठाने, बढ़ाने और देश को सशक्त बनाने का जो काम शुरू किया है वो विरले लोग ही करते हैं
दुराचार, हत्या, रंगदारी के आरोप लाइन में हैं तैयार रहिए
लेकिन
जब तक वो धर्म के रास्ते पर है में उनके साथ हूं
जब तक वो धर्म को धंधा नहीं बनाते में उनके साथ हूं
जब तक वो सनातन की बात करेंगे में उनके साथ हूं
जब तक गरीब उत्थान का काम करते रहेंगे में उनके साथ हूं
जब तक उन्हे साजिश के तहत टारगेट किया जाता रहेगा तब तक में उनके साथ हूं
धर्म की जय हो
अधर्म का नाश हो
प्राणियों में सद्भाव हो
विश्व का कल्याण हो
Sabhar
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