मुनिया इंटरमीडिएट की पढाई कर रही थी। उसने आठवीं कक्षा से ही कविताएं लिखना शुरू कर दिया था। उसकी कविताएं विभिन्न समाचार पत्र और पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी थी। एक प्रसिद्ध पत्रिका द्वारा सूचना जारी की गई कि जो भी रचनाकार हमारी पत्रिका में रचनाएं भेजते रहे हैं, उन्हें श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान से सम्मानित किया जाएगा परन्तु रचनाकारों को सर्वप्रथम पंजीकरण कराना होगा जिसके लिए एक हजार रुपए शुल्क निर्धारित की गई है। जब यह खबर मुनिया को पता चली तो वह बहुत खुश हुई परन्तु शीघ्र ही उदास हो गई क्योंकि उसके पास एक हजार रुपए नहीं थे। उसने यह बात अपनी सहेली बछिया को बताई। बछिया ने कहा कि तुम अपने घर वालों से रुपए मांग लो। तब मुनिया ने बताया कि मेरे घर वाले मुझे रुपए नहीं देंगे क्योंकि उन्हें मेरा कविता लिखना पसंद नहीं है और वो इस कार्य को बेकार मानते हैं। बछिया बोली कि एक बार कोशिश करके तो देख लो। मुनिया ने अपने मॉं-बाप को सारी बात बताई और धन मांगा परन्तु उसकी कोशिश नाकाम रही। उल्टा उसे डॉंट और खानी पड़ी।
एक दिन जब मुनिया अपने स्कूल को जा रही थी, उसे रास्ते में एक बूढ़े आदमी ने रोका और कहा कि ये कुछ धन है। मुझे कम दिखाई देता है इसलिए तुम इस धन को गिनकर मुझे बता दो कि ये कितना है? मुझे अपने बेटे को धन भेजना हैं। वो कुछ किताबें खरीदेगा क्योंकि उसकी इंटरमीडिएट की परिक्षाएं आने वाली है। मुनिया ने पूछा कि बाबा आपके पैर से खून कैसे निकल रहें हैं। उसने बताया कि मैं साइकिल से गांव गांव सब्जियां बेचता हूं और कल शाम जब मैं आ रहा था तो रास्ते में कार ने टक्कर मार दी। मैं डॉक्टर के पास भी नहीं गया क्योंकि मेरे पास सिर्फ यही धन है जो मुझे बेटे को भेजना है। मुनिया ने धन गिना। वह हजार रुपए थे। तभी उसे पंजीकरण की याद आ गई। उसने सोचा कि यह अच्छा मौका है और मुनिया धन लेकर भाग गयी। बूढ़ा आदमी चिल्लाता रह गया। उसने पंजीकरण करा दिया। उसे सम्मान समारोह में बुलाया गया। जब उसे सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह भेंट किया गया, उसे तुरंत उस बूढ़े आदमी की याद आ गई। वह सोचने लगी कि वो बाबा मुझे गालियां दे रहे होंगे और कोस रहे होंगे। वह अपने घर पहुंची, उसने स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र को टॉंड पर रख दिया। रात को जब वह अपने बिस्तर पर लेटी तो उसकी नजर स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र पर पड़ी और फिर उसे बूढे आदमी की याद आ गई। वह सोचने लगी कि बाबा कितने गरीब थे! पूरे दिन साइकिल से सब्जियां बेचते थे। उस दिन उनके पैर से खून भी निकल रहें थे। मैंने अच्छा नहीं किया और सो भी नहीं पाई। अगले दिन बछिया उसके घर आई और उसे बधाई दी। मुनिया को फिर बूढ़े आदमी की याद आ गई। वह सोच में पड़ गयी और उदास हो गई। बछिया ने उदासी का कारण पूछा। वह इस बात को बछिया को बताना चाहती थी क्योंकि ये बात उसके हृदय में कॉंटो की तरह चुभ रही थी परन्तु बता नहीं पा रही थी।
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