मैं तेरे पास रहूं
तेरे साथ रहूं
यही काफी है।
मंत्रों का बोझ
तंत्रो का ओज
भारी सा लगता है।
तेरी गोद में
ममता भरी छाया में
सोया रहूं
यही काफी है।
जन्म जन्मांतर की सिद्धियां
युगों-युगों की रिद्धियां
अब भारी सी लगती है
तेरा हाथ पकड़ कर
बस चलता रहूं
हर जगह
हर क्षण
यही काफ़ी है।
राजीव डोगरा
(भाषा अध्यापक)
No comments:
Post a Comment