पीएन कॉलेज परसा के प्राचार्य डॉ पुष्पराज गौतम
ने कहा कि महान देवी को शत-शत नमन चटगांव शस्त्रागार कांड के बारे में जो भी मार्ग अपनाया जाएगा वह भावी विद्रोह का प्राथमिक रूप से होगा यह संघर्ष भारत की पूरी सफलता के साथ स्वतंत्रता जारी रहेगाप्रीतिलता वाद्देदार भारत के स्वाधीनता संग्राम की प्रथम महिला क्रांतिकारी थीं जिन्होंने अपने प्राण त्याग उत्सर्ग कर दिए।
प्रीतिलता का जन्म 5 मई 1911 में हुआ था।उन्होंने सन् 1928 में मैट्रिक की प्ररीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।इसके बाद सन् 1929 में उन्होंने ढाका के इडेन कॉलेज में इण्टरमिडिएट प्ररीक्षा पास करने के बाद,प्रीतिलता ने कोलकाता के बेसिन कॉलेज से दर्शनशास्त्र से स्नातक प्ररीक्षा उत्तिर्ण की।कोलकाता विश्वविद्यालय के ब्रिटिश अधिकारियों ने उनकी डिग्री रोक दिया। उन्हें 80 वर्ष बाद मरणोपरान्त यह डिग्री प्रदान की गई थी।जब वे कॉलेज की छात्रा थीं,रामकृष्ण विश्वास,व अन्य क्रांतिकारियों से मिलने ज़ाया करती थीं, उन लोगों से जुड़कर उनसे भी स्वाधीनता के सपने देखना शुरू कर दिया।उन्होंने निर्मल सेन से युद्ध का प्रशिक्षण लिया था।शिक्षा के उपरांत उन्होंने चटगाँव के एक पाठशाला में नौकरी शुरू की और इसी उनकी भेंट प्रसिद्ध क्रांतिकारी सूर्य सेन से हुई।प्रीतिलता उनके दल की सक्रिय सदस्य बनी और वे सूर्यदेन के नेतृत्व के इन्डियन रिपब्लिकन आर्मी में महिला सैनिक बनी।
जब पूर्वी बंगाल के घलघाट में क्रांतिकारियों को पुलिस ने घेर लिया था,घिरे हुए क्रांतिकारियों अपूर्व सेन,निर्मल सेन,प्रीतिलता और सूर्यसेन आदि थे। सूर्यसेन ने गोलियाँ चलाने व लड़ने का आदेश दिया।उनके क्रांतिकारी साथी अपूर्व सेन और निर्मल सेन शहीद हो गये।सूर्यसेन की गोली से कैप्टन कैमरान मारा गया।सूर्यसेन,प्रीतिलता व अन्य क्रांतिकारी लड़ते लड़ते भाग गये।सूर्यसेन पर
10 हज़ार रूपये का इनाम घोषित था। दोनों एक सावित्री नाम का महिला के घर पर गुप्त रूप से रहते थे।
सूर्यसेन ने अपने क्रांतिकारी साथियों का बदला लेने की यूरोपीय क्लब और ब्रिटिश शस्त्रागार समेत पांच स्थानों पर हमले की योजना बनाई। प्रीतिलता ने अपने 10 -15 क्रांतिकारी साथियों का नेतृत्व ने पतलहटी में यूयोपीय कल्ब पर धावा बोल कर नाच-गाने में मग्न अंग्रेजों को मृत्यु का दंड देकर सफलतापूर्वक बदला लिया गया।प्रीतिलता को एक गोली लगी मगर पकड़े जाने के बजाय पोटेशियम सायनाइड खा कर शहीद हो गई।1857 के विरुद्ध के बाद स्वतंत्रता के लिए हुए सशस्त्र विद्रोह में शहीद होने पहली महिला थीं।
स्वतंत्रता संग्राम में देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों की आहुती देने वाली देशभक्त,क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी प्रीतिलता वादृेदारकी 110वीं जयंती पर शत् शत् नमन।
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