विपक्ष मुक्त भारत लोकतंत्र की सेहत के लिए उचित नहीं परंतु जनता के प्राण बचाने पक्ष-विपक्ष का साथ आना जरूरी - एड किशन भावनानी
गोंदिया - कोरोना महामारी का वैश्विक स्तर पर कहर बरपाना निरंतर जारी है। इस दूसरी लहर में इतनी तबाही है तो बातें अगर तीसरी लहर के आने की उम्मीद और संकेत के आधार पर तैयारियों में युद्ध स्तर पर शासन प्रशासन भिड़ गया है। सोमवार दिनांक 3 मई 2021 को टीवी चैनल से जानकारी आई कि 13 नाइट्रोजन प्लान्ट में मेडिकल ऑक्सीजन बनेगा और सुप्रीम कोर्ट ने कहा मद्रास हाईकोर्ट की भारतीय चुनाव आयोग पर टिप्पणी एक कड़वी दवा के रूप में जो जनता और उनके हित में थी कोई आदेश नहीं था।रविवार दिनांक 2 मई 2021 को माननीय प्रधानमंत्री ने बड़े अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में एमबीबी एस अंतिम वर्ष के छात्रों की सेवाएं लेने पर चर्चा हुई। उधर रविवार 2 मई को ही भारतीय चुनाव आयोग ने पांच राज्यों के मुख्य सचिवों से कहा कोरोना प्रोटोकॉल का पालन और दिशा निर्देशों का पालन कराना हैं उसके अनुसार जीतका जुलूस, भीड़भाड़ और जश्न मनाने पर रोक है उल्लंघन होने पर उस क्षेत्र के एसएचओ पर कार्रवाई करने के आदेश जारी कर दिए थे। उसके बावजूद उन राज्यों में भीड़ उत्सव व जश्न मनाते हुए दिखी नाराज ईसी ने प्रमुख सचिवों से उन लोगों की पहचान कर उनपर एफआईआर दर्ज करने और एसएचओ को सस्पेंड करने को कहा है ऐसी जानकारी टीवी चैनलों पर चलाई जा रहीहै।..बात अगर हमकोरोना महामारी की विभीषकता की करें तो इस महामारी की आंखों पर पट्टी बंधी है।यह महामारी अमीर गरीब, छोटा बड़ा नहीं देखती, सब पर समानता से जकड़न कर अपने आगोश में ले रही है। नजर हटी दुर्घटना घटी, कोई नियमों, प्रोटोकॉल में जरासी भीलापरवाही बरत रहा है तो भारी पड़ जा रही है और जीवन को समाप्त कर दे रहीं है। प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से हमने पड़े और सुने कि बिहार के मुख्य सचिव, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के पिता, बिहार के उपमुख्यमंत्री के छोटे भाई, यूपी और अन्य राज्यों के अनेक विधायक, नेता, अधिकारी, माफिया शाहबुद्दीन, वरिष्ठ पत्रकार रोहित सरदाना सहित कई पत्रकार, कई राज्यों के वर्तमान और पूर्व विधायक मंत्री सहित अनेक ख्याति प्राप्त माननीयों को इस महामारी ने अपने चुंगल में लिया और कहर बरपना अभी भी जारी है।... बात अगर हम भारतीय राजनीति की करें तो यहां राष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्तरपर अनेक पार्टियां हैं जो अपने अपने स्तरपर राष्ट्रीय या क्षेत्रीय याने राज्य स्तर, जिला स्तर पर, चुनाव लड़कर अपना प्रत्याशी जिताने की कोशिश करते हैं और जिसका बहुमत होता है उस सरकार के विपक्ष में आकर एकजुट होते हैं। हालांकि मजबूत विपक्ष भारत के लोकतंत्र की सेहत के लिए बहुत अच्छा वह जरूरी भी है। परंतु अनेक बार हम अनेक विषयों पर संसद में देखते हैं कि किसी बिल पर पक्ष-विपक्ष एक साथ आ जाते हैं। जैसे जनता के हित में जारी कई बिल संसद में विधायकों के भत्ते बढ़ाने का बिल, संसद में विधायकों की निधि बढ़ाने का बिल या अनेक बिल जिसमें जनता के हित के साथ मजबूत वोट की नींव भी दिखाई पड़ती है, उन्हें पक्ष-विपक्ष एक होकर बिल संसद में या विधानसभाओं में तीव्रता से पास हो जाता है ऐसी एकता बड़ी अच्छी भी लगती है। आज दिनांक 2 मई 2021 को बंगाल चुनाव में जो पार्टी जीती उसकी सुप्रीमो ने भी कहा अभी शॉर्ट में शपथ समारोह होगा और कोरोना लड़ाई से लड़ना है और शासकीय दिशा निर्देशों का पालन कढ़ाई से करने और वैक्सीनेशन की बात भी कही। वहीं पीएम ने भी जीत की बधाई दी और हर संभव सहयोग करने का आश्वासन भी दिया। गृह मंत्री ने भी बधाई देते हुए जीते हुए तीनों विपक्षी राज्यों को केंद्र से तालमेल रख विकास के काम को आगे बढ़ाने की बात कही। भारत के सत्ताधारी दल सहित विपक्षी सभी पार्टियों के मुखिया ने जीत की बधाई दी यह भी अच्छी बात है।...परंतु अगर भारत की कोरोना महामारी के तीव्र वज्रपात की बात करें तो हमें टीवी चैनलों के माध्यम से अनेक विपरीत विपक्षी स्वर सुनाई देते हैं जो सत्ताधारी पार्टी के कटाक्ष के रूप में होते हैं। मेरा यह निजी मानना है और चाहत भी है कि इस संकट की घड़ी में जहां जनता का जीवन सांसो में अटका हुआ है। पूरा विश्व इस संकट की घड़ी में सहायता करने दौड़ पड़ा है। तो कुछ सीमित अवधि के लिए हमें विपक्ष मुक्त भारत रखने की अत्यंत तात्कालिक जरूरत आन पड़ी है। हालांकि 26 अप्रैल 2021 को प्रमुख विपक्षी पार्टी की बड़ी नेता का बयान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आया उन्होंने कहा कि देश में कोरोना के बिगड़ते हालातों के बीच राजनीतिक दलों के नेताओंको अपने मतभेद भुलाकर उसमें ऊपर उठने तथा एक राष्ट्र के रूप में कोरोना से लड़ाई करने के लिए एक साथ आने की जरूरत है। यह लड़ाई कोरोना के खिलाफ है ना कि एक-दूसरे राजनीतिक दलों के खिलाफ। इस वक्त लोगों की जान बचाना है और एक राष्ट्रीय नीति बनाई जाए। मेरा यह मानना है कि आज देश की जनता की भी यही चाहत है कि सभी राजनैतिक दल एक साथ आकर लक्ष्य केवल जनता की जान बचाने की रखना चाहिए ताकि पूरा विश्व जो भारत की सहायता को दौड़ पड़ा है, वह भी देखें कि किस तरह भारतीय राजनीतिज्ञ संकट की घड़ी में एक हो जाते हैं और लक्ष्य, जनता की सहायता कर उनका जीवन बचाना हो जाता है। विश्व के सामने ऐसी मिसाल भारत देश को पेश करने का संकट की घड़ी में मौका हमारे पास है और विपक्षी दलों को दो-कदम आगे, पक्ष दलों को दो कदम पीछे हटकर योजनाओं को रणनीति में एक साथ बैठकर जनताके प्राणों की रक्षा में सुझाव देकर, योजनाओं, नीतियों, रणनीतियों के क्रियान्वयन में अत्यंत तात्कालिक गति से आगे बढ़ाने में सहयोग करना होगा और साथ में बनाई गई नीतियों, रणनीतियों को प्रोत्साहित करना होगा किसी एक पार्टी का पक्ष का यह निर्णय नहीं बल्कि पूरी पार्टियों का मानवता के साथ लिया गया निर्णय होना चाहिए। क्योंकि जनता को भी आभास हो जाए कि हम भारतवंशी हैं और समय आने पर दुश्मन को भी गले लगाते हैं क्योंकि भारत की मिट्टी में ही संस्कार मान मर्यादा मानवता समाई हुई है। अतः उपरोक्त सभी चर्चाओं का विश्लेषण करें तो वर्तमान संकट की स्थिति में निर्धारित अवधि के लिए पक्ष -विपक्ष दोनों राजनीतिक पार्टियों को विपक्ष मुक्त भारत का स्वतः संज्ञान लेकर जनता के प्राण बचाना जरूरी है।
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