खुशहाली आएगी वापस,फिर भारत मुस्काएगा।
वक्त बुरा है जो भी देखो,जल्दी ही कट जाएगा।
कठिन समय है देखो प्रियवर,
धीरज सब को रखना है।
विजय हमारी निश्चित होगी,
नहीं किसी को थकना है।
थोड़ी दूरी पर है मंजिल,
शिखर हमें अब चढ़ना है।
आयेगी जो भी बाधाएं,
मिलकर सबसे लड़ना है।
विपदा को जो समझे अवसर,दर -२ ठोकर खाएगा।
वक्त बुरा है जो भी देखो,जल्दी ही कट जाएगा।
कभी अँधेरे से डर कर क्या,
दिनकर नहीं निकलता है।
और शूल से डर कर बोलो,
फूल नहीं क्या खिलता है।
संकट का आना जाना ही,
जीना हमें सिखाता है।
लड़ते कैसे हैं मुश्किल से,
संकट ही समझाता है।
कट जाएगी रातें काली,भोर सुखों का आएगा।
वक्त बुरा है जो भी देखो,जल्दी ही कट जाएगा।
रिश्तों को तुम जोड़े रखना,
प्रेम भरे इन धागों से।
अंधियारा कब जीत सका है,
जलते हुए चिरागों से।
वीर पुरुष के वंशज हैं हम,
हार हमें स्वीकार नहीं।
युद्धभूमि से पीछे हटना,
है अपना किरदार नहीं।
कौन खड़ा है संग हमारे,संकट ही समझाएगा।
वक्त बुरा है जो भी देखो,जल्दी ही कट जाएगा।
नितिन त्रिगुणायत 'वरी'
शाहजहॉपुर उत्तर प्रदेश
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