मौसमी जुकाम के इलाज में हल्दी काफी फायदेमंद है। बहती नाक के इलाज के लिए हल्दी को जलाकर इसका धुआं लें, इससे नाक से पानी बहना तेज हो जाएगा व तत्काल आराम मिलेगा। यदि नाक बंद है तो दालचीनी, कालीमिर्च, इलायची और जीरे के बीजों को बराबर मात्रा में लेकर एक सूती कपड़े में बांध लें और इन्हें सूंघें जिससे छींक आएगी।
10 ग्राम गेहूं की भूसी, पांच लौंग और कुछ नमक लेकर पानी में मिलाकर इसे उबाल लें और काढ़ा बनाएं। एक कप काढ़ा पीने से लाभ मिलेगा। हालांकि जुकाम आमतौर पर हल्का-फुल्का ही होता है जिसके लक्षण एक हफ्ते या इससे कम समय के लिए रहते हैं, लेकिन खान-पान की आदतों को लेकर हमें काफी सतर्क रहना चाहिए और यदि जुकाम वगैरह के लक्षण दिखाई दे तो समुचित दवाओं आदि से इलाज कराना चाहिए। डिप्थीरिया होने पर अमलतास के काढ़े से गरारा करने पर जबर्दस्त आराम मिलता है।
तुलसी और अदरक इस मौसम में लाभदायक होते हैं। तुलसी में काफी उपचारी गुण समाए होते हैं, जो जुकाम और फ्लू आदि से बचाव में कारगर हैं। तुलसी की पत्तियां चबाने से कोल्ड और फ्लू दूर रहता है। इसी तरह तुलसी और बांसा की पत्तियां (प्रत्येक 5 ग्राम) पीसकर पानी में मिलाएं और काढ़ा तैयार कर लें। इससे खांसी और दमा में काफी फायदा मिलेगा।
डॉ. दुर्गा प्रसाद पांडेय
प्राकृतिक चिकित्सक
मुंबई
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