चैत्र नवरात्र, इस बार 2 खास संयोग में बासंती दुर्गा पूजा का आरंभ
चैत्र नवरात्र का आरंभ इस बार भी ऐसे वक्त में होने जा रहा है जब कोरोना एक बार फिर से अपना फन फैला रहा है और एक बार फिर से यह पूरी दुनिया में दहशत में है। बीते वर्ष भी मां दुर्गा का आगमन ऐसे वक्त में हुआ था जब पूरे देश के लोग इस महामारी से जूझ रहे थे, और बड़ी संख्या में लोग इससे प्रभावित हुए थे। इस बार भी चैत्र नवरात्र के वक्त कोरोना का संकट एक बार फिर से गहरा गया है। ऐसे में लगता है कि अब मां दुर्गा का चमत्कार ही इस महामारी का खात्मा कर सकता है। खुश हो जाने वाली बात यह है कि इस बार नवरात्र का आरंभ दो विशेष शुभ योग के बीच होने जा रहा है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस बार अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग में चैत्र नवरात्र का आरंभ हो रहा है। 13 अप्रैल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि लग रही है। इसी दिन नवरात्र का घट स्थापना भी किया जाएगा। इस दिन चंद्रमा मेष राशि में रहेंगे देर रात सूर्य भी मेष में आएंगे। ऐसे में यह भी अद्भुत संयोग है कि राशि चक्र की पहली राशि में चैत्र नवरात्र यानी संवत के पहले दिन ग्रहों के राजा और रानी स्थित होंगे। नवरात्र का आरंभ अश्विनी नक्षत्र में होगा जिसके स्वामी ग्रह केतु और देवता अश्विनी कुमार हैं जो आरोग्य के देवता माने जाते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि माता देश दुनिया में व्याप्त महामारी से परेशान लोगों को राहत दिलाएंगी। ग्रहों के शुभ प्रभाव से इस संदर्भ में कोई चमत्कारी रास्ता भी निकल सकता है। इस बीच गुरु भी मकर राशि से कुंभ में आ चुके होंगे। गुरु का यह परिवर्तन भी कठिन समय से कुछ राहत दिलाने वाला होगा। आइए आपको बताते हैं कि इन शुभ योगों के क्या हैं लाभ
अमृत सिद्धि योग
अमृत सिद्धि योग विशेष शुभता प्रदान करने वाला और हर कार्य में लाभ देने वाला माना गया है। ज्योतिषशास्त्र में ऐसा माना जाता है कि अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग एक साथ आते हैं। मान्यता है कि अमृत सिद्धि योग में जो कार्य किए जाते हैं उनमें स्थायित्व की प्राप्ति होती है और शुभ फल देने वाले माने जाते हैं। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि इस बार अमृत सिद्धि योग में नवरात्र का आरंभ होने से यह नवरात्र विशेष शुभ फल प्रदान करने वाला होगा। अगर आप भूमि पूजन, भवन निर्माण या फिर कोई नया कामधंधा शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं तो इस नवरात्र में आरंभ कर सकते हैं। इन सभी कार्यों में आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी।
सर्वार्थ सिद्धि योग
सर्वार्थ सिद्धि योग का संबंध मां लक्ष्मी से होता है और ऐसा माना जाता है कि इस योग में कार्य का आरंभ करने से वह कार्य सिद्धि देने वाला और सफल माना जाता है। सर्वार्थ सिद्धि योग में जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं उन सभी में आपको सफलता प्राप्त होती है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माना जाता है कि यह योग जिस दिन लगा हो उस दिन कार्य करने से बिना बाधा के वह कार्य पूर्ण होता है और सुख समृद्धि आती है।
चैत्र नवरात्र तिथि समय 2021
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि आरंभ 12 अप्रैल 08 बजकर 1 मिनट
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि समाप्त 13 अप्रैल 10 बजकर 28 मिनट
चैतन्य नवरात्रि के नौ दिन
ऐसा माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा करने से मोक्ष प्राप्त होता है. नवरात्रि पर देवी दुर्गा की साधना और पूजा करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है और भविष्य के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.
नवरात्रि दिवस 1 (प्रतिपदा): 13 अप्रैल, 2021 (मंगलवार)
घटस्थापना
चन्द्र दर्शन
शैलपुत्री पूजा
नवरात्रि दिवस 2 (द्वितीया): 14 अप्रैल, 2021 (बुधवार)
सिंधारा दूज
ब्रह्मचारिणी पूजा
नवरात्रि दिवस 3 (तृतीया): 15 अप्रैल, 2021 (गुरुवार)
गौरी पूजा
सौभाग्या तीज
चंद्रघंटा पूजा
नवरात्रि दिवस 4 (चतुर्थी): 16 अप्रैल, 2021 (शुक्रवार)
कूष्मांडा पूजा
विनायक चतुर्थी
नवरात्रि दिवस 5 (पंचमी): 17 अप्रैल, 2021 (शनिवार)
नाग पूजा
लक्ष्मी पंचमी
स्कंदमाता पूजा
नवरात्रि दिवस 6 (षष्ठी): 18 अप्रैल, 2021 (रविवार)
स्कंद षष्ठी
यमुना छठ
कात्यायनी पूजा
नवरात्रि दिवस 7 (सप्तमी): 19 अप्रैल, 2021 (सोमवार)
महा सप्तमी
कालरात्रि पूजा
नवरात्रि दिवस 8 (अष्टमी): 20 अप्रैल, 2021 (मंगलवार)
दुर्गा अष्टमी
महागौरी पूजा
अन्नपूर्णा अष्टमी
संध्या पूजा
नवरात्रि दिवस 9 (नवमी): 21 अप्रैल, 2021 (बुधवार)
राम नवमी
नवरात्रि दिवस 10 (दशमी): 22 अप्रैल, 2021 (गुरुवार)
नवरात्रि पारण
चैत्र नवरात्रि उत्तर भारत में अधिक लोकप्रिय है. महाराष्ट्र में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत गुड़ी पड़वा से होती है और आंध्र प्रदेश में इसकी शुरुआत उगादि से होती है. घटस्थापना तिथि की तरह ही नवरात्रि के दो विशेष दिन होते हैं, अष्टमी और नवमी तिथि. इसलिए मां के भक्त इन दोनों ही दिन पूरे हर्षोल्लास के साथ देवी दुर्गा की उपासना करते हैं.
पंडित सुधांशु तिवारी जी महाराज
श्री राम कथा वाचक ज्योतिविचार्य/ज्योतिषविर्द
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